मोदीजी ही नहीं 720 वर्ष पूर्व भी इस शासक ने
ब्लैक मार्केटिंग को लेकर उठाएं थे ऐसे कदम
आजकल हर जगह भारत में 500-1000 के नोट की चर्चा जोरो पर है। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के इस निर्णय ने निम्न वर्गीय व्यक्ति से लेकर उच्च वर्गीय लोगों तक को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। अगर आप इतिहास उठाकर देखे तो पाएंगे कि आज से 720 वर्ष पहले भी एक शासक ने ब्लैक मार्केटिंग रोकने के लिए मोदीजी वाला कदम उठाया था।
बीएचयू यानि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रो. राजीव श्रीवास्तव की माने तो यह बाजार पर नियंत्रण करने का बेहतरीन उदाहरण है। वह आगे बताते हैं कि आज से लगभग 720 साल पहले यानि 20 अक्टूबर 1296 को दिल्ली के सिंहासन पर विराजमान अनपढ़ बादशाह अलाउद्दीन खिलजी ने भी बढ़ती बाजार कीमतों और महंगाई पर नियंत्रण के लिए एक ऐतिहासिक मिसाल कायम की थी, जब अलाउद्दीन ने पुरानी मुद्राओं को बंद करके उसके स्थान पर विशेष मुहर वाली नई मुद्राओं को बाजार में उतारा था।
अलाउद्दीन खिलजी पर हुई शोध बताती है कि उनके इस कदम से इतिहास में पहली बार 112 साल तक बाजार पर नियंत्रण था। यानि अलाउद्दीन के 1296-1316 तक के 20 वर्षों और खिलजी शासन के बाद के 92 साल तक बाजार मूल्य स्थिर रहे। इसके लिए खिलजी ने मुद्रा एवं अन्न भंडारण पर पूर्णतः रोक लगा दी थी। यहां तक कि मुद्राओं में बदलाव की भी सीमा निश्चित थी। अधिक मुद्राओं को बदलने पर उसका सारा विवरण देना पड़ता था ताकि सभी प्रकार की अवैध टकसालों पर लगाम लगाई जा सके। इसके अतंर्गत पहली बार ‘‘शहना-ए-मंडी’’ यानि बाजार अधीक्षक को लगाया गया जिसकी ड्यूटी थी कि वह उत्पादन की लागत और मंडियों के भाव को देखे। दलालों और जुआरियों द्वारा दाम बढ़ाए जाने पर रोक लगाई गई। वस्तु का मूल्य बाजार नहीं बादशाह निर्धारित करता था। भारत के इतिहास में प्रथम बार इस समय ‘‘दीवाने रियासत’’ मालिक याकूब (सोना, चांदी एवं हीरा आदि महंगी चीजों को खरीदने का लाइसेंस अधीक्षक) था। उस समय 28 प्रकार के करों से प्रतिवर्ष 30 लाख रुपया राजस्व के रूप में एकत्र किया जाता था। आपदाओं के निपटान के लिए व्यक्तिगत भंडारण के स्थान पर अन्नागारों का निर्माण करवाया गया था। खाद्यान्न की मूल्य वृद्धि करना, बनावटी कमी दिखाना और जमाखोरी को बेहद गंभीर अपराध माना जाता था और उल्लंधन पर शरीर का मांस तक भी काट लिया जाता था। गरीब लोगों से ही बाजार भाव की जानकारी ली जाती थी।
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