Thursday 31 May 2018

आज का विचार 

फर्क होता है, 
खुदा और फकीर में।
फर्क होता है, 
किस्मत और लकीर में।
अगर कुछ चाहो और वो न मिले,
तो समझ लेना की कुछ और अच्छा  लिखा है तकदीर में।

Wednesday 30 May 2018

आज का विचार 

इंसान तो हर घर में पैदा होते हैं! बस इंसानियत कहीं कहीं जन्म लेती है!

Tuesday 29 May 2018

आज का विचार 

खुद वो बदलाव बनिए जो दुनिया में आप देखना चाहते हैं.

Monday 28 May 2018

आज का विचार 

खुद के लिए पैसा कमाना अच्छी बात है, 
और उससे किसी और का भी भला हो तो बहुत अच्छी बात है।

Sunday 27 May 2018

आज का विचार 

स्नान तन को
ध्यान मन को
दान धन को
योग जीवन को
प्रार्थना आत्मा को
व्रत स्वास्थ को
क्षमा रिश्तो को
और
परोपकार किस्मत को शुद्ध कर देता है।

Thursday 24 May 2018

आज का विचार 

सुंदर विचार जिनके साथ हैं। वे कभी एकांत में नहीं हैं।

Wednesday 23 May 2018


आज का विचार 

अगर एक हारा हुआ इंसान हारने के बाद भी मुस्करा दे 
तो जीतने वाला भी जीत की खुशी खो देता हैं. ये हैं मुस्कान की ताकत

Tuesday 22 May 2018


आज का विचार 

तब तक पैसे कमाओ जब तक तुम्हारा बैंक बैलेंस तुम्हारे फोन नंबर की तरह न दिखने लगें

Monday 21 May 2018

आज का विचार 

काम इतनी शांति से करो कि सफलता शोर मचा दे

Sunday 20 May 2018


आज का विचार 

इंतजार करना बंद करो, क्योंकि सही समय कभी नही आता.

Friday 18 May 2018

आज का विचार 

जब गलती अपनी हो तो हमसे बडा कोई वकील नही जब गलती दूसरो की हो तो हमसे बडा कोई जज नही

Thursday 17 May 2018

आज का विचार 

पहचान से मिला काम थोडे बहुत समय के लिए रहता हैं लेकिन काम से मिली पहचान उम्रभर रहती हैं.

Wednesday 16 May 2018

सरकार खाना अथवा नौकरी नहीं दे सकती 
तो भीख मांगना अपराध कैसे: दिल्ली हाई कोर्ट


दिल्ली हाई कोर्ट ने गत बुधवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई में कहा कि देश में यदि सरकार भोजन अथवा रोजगार देने में असमर्थ है, तो भीख मांगना एक अपराध कैसे हो सकता है। हाइकोर्ट द्वारा उन दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हो रही थी, जिनमें भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने का आग्रह किया गया था।
गीता मित्तल (ऐक्टिंग चीफ जस्टिस) और सी. हरि शंकर (जस्टिस) की बेंच ने कहा कि एक व्यक्ति केवल भारी जरूरत के कारण ही भीख मांगता है, न कि अपनी पसंद से। बेंच का कहना था कि हमसे एक करोड़ रुपये की पेशकश की जाए, तो क्या तब आप या हम भीख नहीं मांगेंगे। यह भारी जरूरत होती है कि कुछ लोग भोजन के लिए अपना हाथ पसारते हैं। एक देश में जहां सरकार भोजन या नौकरियां देने में असमर्थ है तो भीख मांगना एक अपराध कैसे है?

केंद्र सरकार द्वारा इससे पूर्व कोर्ट में को बताया गया था कि यदि गरीबी के कारण ऐसा किया गया है, तो भीख मांगना अपराध नहीं होना चाहिए। साथ ही भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर नहीं रखा जाएगा। हर्ष मेंदार और कर्णिका की ओर से दायर जनहित याचिका में भीख मांगने को अपराध श्रेणी से बाहर करने के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में भिखारियों को आधारभूत मानवीय एवं मौलिक अधिकार देने का आग्रह किया गया था। 

अश्वगंधा के औषधीय गुण 
जैविक तरीके से बढ़ सकते हैं 


भारत के राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड ने अश्वगंधा को घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक मांग वाली चयनित 32 प्राथमिक औषधीय पौधों में से एक माना है। डब्ल्यूएचओ अर्थात् विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा चयनित औषधीय पौधों के मोनोग्राफ में भी अश्वगंधा को उसकी अत्यधिक औषधीय क्षमता के कारण शामिल किया गया है। गठिया, कैंसर तथा सूजन प्रतिरोधी गुणों के अलावा प्रतिरक्षा नियामक, कीमो व हृदय सुरक्षात्मक प्रभाव और तंत्रिकीय विकारों को ठीक करने वाले गुण भी अश्वगंधा में होते हैं। इन चिकित्सीय गुणों हेतु अश्वगंधा में मिलने वाले एल्केलोइड्स, फ्लैवेनॉल ग्लाइकोसाइड्स, ग्लाइकोविथेनोलाइड्स, स्टेरॉल, स्टेरॉयडल लैक्टोन और फिनोलिक्स जैसे रसायनों को उत्तरदायी माना जाता है।

यही कारण है कि तीन हजार से भी अधिक वर्षों से भारतीय, अफ्रीकी एवं यूनानी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में प्रयुक्त अश्वगंधा पर भारतीय वैज्ञानिकों (प्रताप कुमार पाती, अमरदीप कौर, बलदेव सिंह, पूजा ओह्री, जिया वांग, रेणु वाधवा, सुनील सी. कौल एवं अरविंदर कौर) ने एक ताजा अध्ययन में पाया गया कि जैविक तरीके से पैदा किए गए अश्वगंधा के पौधे की जीवन दर और उसके औषधीय गुणों में बढ़ोत्तरी हो सकती है। इस अध्ययन को गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (अमृतसर) और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड इंडस्ट्रियल साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी (जापान) के वनस्पति वैज्ञानिकों द्वारा किया गया, जिसे ‘‘प्लॉस वन’’ नामक रिसर्च पत्रिका में स्थान दिया गया।

अनुसंधान में पाया गया कि साधारण परिस्थितियों में उगे अश्वगंधा की तुलना में वर्मी-कम्पोस्ट से उपचारित अश्वगंधा की पत्तियों में विथेफैरिन-ए, विथेनोलाइड-ए और विथेनोन नामक तीन विथेनोलाइड्स जैव-रसायनों की मात्रा लगभग 50-80 प्रतिशत तक अधिक पाई गई है। इन जैव-रसायनों ने अश्वगंधा के गुणों में वृद्धि की। विथेनिया सोमनीफेरा यानि अश्वगंधा की सरल, सस्ती, पर्यावरण-अनुकूल कृषि और उसके औषधीय गुणों के संवर्धन के लिए गोबर, सब्जी के छिलकों, सूखी पत्तियों और जल को अलग-अलग अनुपातों में मिलाकर बनाए गए वर्मी-कम्पोस्ट एवं उसके द्रवीय उत्पादों वर्मी-कम्पोस्ट-टी तथा वर्मी-कम्पोस्ट-लीचेट का इस्तेमाल किया गया। बुवाई से पूर्व बीजों को वर्मी-कम्पोस्ट-लीचेट और वर्मी-कम्पोस्ट-टी के घोल द्वारा उपचारित करके संरक्षित किया गया और बुवाई के समय वर्मी-कम्पोस्ट की विभिन्न मात्राओं को मिट्टी में मिलाकर इन बीजों को बोया गया। अध्ययन परिणाम के रूप में वैज्ञानिकों ने पाया कि इन उत्पादों के प्रयोग से कम ही समय में अश्वगंधा के बीजों का अंकुरण, पत्तियों की संख्या, आकार, शाखाओं की सघनता, पौधों के जैव-भार, वृद्धि, पुष्पण तथा फलों के पकने में प्रभावी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।
प्रताप कुमार पाती (वरिष्ठ शोधकर्ता) ने की माने तो “अश्वगंधा की जड़ और पत्तियों को स्वास्थ्य के लिए गुणकारी पाया गया है। इसकी पत्तियों से 62 और जड़ों से 48 प्रमुख मेटाबोलाइट्स की पहचान की जा चुकी है। अश्वगंधा की पत्तियों में पाए जाने वाले विथेफैरिन-ए और विथेनोन में कैंसर प्रतिरोधी गुण होते हैं। हर्बल दवाओं की विश्वव्यापी बढ़ती जरूरतों के लिए औषधीय पौधों की पैदावार बढ़ाने के वैज्ञानिक स्तर पर गहन प्रयास किए जा रहे हैं। अश्वगंधा उत्पादन में वृद्धि की हमारी कोशिश इसी कड़ी का हिस्सा है।”
अश्वगंधा के उत्पादन की प्रमुख बाधाओं में उसके बीजों की निम्न जीवन क्षमता और कम प्रतिशत में अंकुरण के साथ-साथ अंकुरित पौधों का कम अवधि तक जीवित रह पाना सम्मिलित है। औषधीय रूप से महत्वपूर्ण मेटाबोलाइट्स की पहचान, उनका जैव संश्लेषण, परिवहन, संचयन और संरचना को समझना भी प्रमुख चुनौतियां हैं। प्रताप कुमार पाती की माने तो वर्मी-कम्पोस्ट के प्रयोग से अश्वगंधा की टिकाऊ तथा उच्च उपज की खेती और इसके औषधीय गुणों में संवर्धन से इन चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। 
संदर्भः इंडिया साइंस वायर

आज का विचार 

अच्छे काम करते रहिये चाहे लोग तारीफ करें या न करें 

आधी से ज्यादा दुनिया सोती रहती है ‘सूरज’ फिर भी उगता हैं.

कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में वृद्धि से 

बढ़ सकता है फसलों में कीट प्रकोप

कार्बन डाइऑक्साइड के कारण फसल उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, पर इसके साथ ही फसलों के लिए हानिकारक कीटों की आबादी में भी बढ़ोत्तरी हो सकती है।


चावल भारत के साथ-साथ एशिया एवं विश्व के बहुत से देशों का प्रमुख आहार है। विश्व में मक्का के बाद धान ही सबसे अधिक पैदा होने वाला अनाज है। वैज्ञानिकों का मत है कि भविष्य में बढ़ी हुई कार्बन डाइऑक्साइड का प्राकृतिक तौर पर लाभ उठाने के लिए भूरा फुदका जैसे कीटों के नियंत्रण हेतु उचित प्रबंधन की जरूरत पड़ेगी। चूंकि आने वाले समय में भूरा फुदका से धान की फसल को खतरा हो सकता है। कम जीवन काल, उच्च प्रजनन क्षमता और शारीरिक संवेदनशील होने से ये कीट बदलती जलवायु के अनुसार आसानी से स्वयं को रूपांतरित कर सकते हैं। इसलिए निकट भविष्य में कीटों की रोकथाम, उचित प्रबंधन के लिए बेहद सतर्कता बरतनी होगी। सबसे बड़ी बात यह है कि इस दिशा में अभी शोध अध्ययनों की काफी कमी है। 
‘‘शोध पत्रिका करंट साइंस’’ में प्रकाशित अध्ययन की माने तो लगातार वातावरण में बढ़ रही कार्बन डाइऑक्साइड से फसल उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, पर साथ ही फसलों के लिए हानिकारक कीटों की आबादी में भी बढ़ोत्तरी हो सकती है। 

कटक स्थित राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान और नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. गुरु प्रसन्ना पांडी, सुभाष चंदर, मदन पाल और पी.एस. सौम्या (अध्ययनकर्ता टीम) धान की फसल और उसमें लगने वाले भूरा फुदका कीट पर कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ी हुई मात्रा के प्रभावों का अध्ययन करने के बाद इस नतीजे पर पहुंची है। 
वैज्ञानिकों का मत है कि वर्ष 2050 में कार्बन डाइऑक्साइड 550 पीपीएम और वर्ष 2100 में 730-1020 पीपीएम तक पहुंच जाएगी, जिसका भविष्य में फसलों और कीटों दोनों के अनुकूलन पर प्रभाव पड़ सकता है। अध्ययन के अंतर्गत कार्बन डाइऑक्साइड की भिन्न-भिन्न दो प्रकार की मात्राओं क्रमशः 390-392 पीपीएम और 578-584 पीपीएम के वातावरण में चावल की पूसा बासमती-1401 किस्म को वर्षा ऋतु में 2.5 मीटर ऊंचे और तीन मीटर चैड़े ऊपर से खुले हुए कमरे में नियंत्रित परिस्थितियों में उगाया गया था। निर्धारित समय पर पौधों को भूरा फुदका कीट अर्थात् ब्राउन प्लांट हापर, जोकि नीलापर्वता लुजेन्‍स वैज्ञानिक नाम से जाना जाता है, से संक्रमित कराया गया। अनुसंधानकर्ताओं द्वारा फसल उत्पादन सहित कीट के निम्फों (शिशुओं), नर कीटों और पंखयुक्त व पंखहीन मादा कीटों की संख्या सहित उनके जीवनचक्र पर कार्बन डाइऑक्साइड के बढ़े स्तर के प्रभावों का अध्ययन किया गया।

वैज्ञानिक डॉ. गुरु प्रसन्ना की माने तो “सामान्यरूप से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड वाले वातावरण में उगने वाले पौधों की पत्तियों में कार्बन व नाइट्रोजन का अनुपात बढ़ जाता है, जिससे पौधों में प्रोटीन की सांद्रता कम हो जाती है। धान के पौधों में प्रोटीन की कमी की पूर्ति के लिए कीट अत्यधिक मात्रा में पोषक तत्वों को चूसना शुरू कर देते हैं। कीटों की बढ़ी आबादी और चूसने की दर में वृद्धि के कारण धान की फसल की गुणवत्ता प्रभावित होती है और पैदावार कम हो जाती है। अनुमान लगाया गया है कि धान की फसल के उत्पादन में इस तरह करीब 29.9-34.9 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है।”

अध्ययन में यह भी पाया गया कि बढ़े हुए कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर से धान की उपज पर सकारात्मक परिणाम देखने को मिला, जिससे उत्पादन में 15 फीसदी की वृद्धि हुई, पर साथ ही फसल में लगने वाले भूरा फुदका कीट की आबादी भी दो से तीन गुना बढ़ गई। अनुसंधानकर्ताओं ने देखा कि धान के पौधों में बालियों की संख्या में 17.6 प्रतिशत, पकी बालियों की संख्या में 16.2 फीसदी, बीजों की संख्या में 15.1 प्रतिशत और दानों के भार में 10.8 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई। वहीं कीटों की प्रजनन क्षमता में 29-31.6 बढ़ोत्तरी हुई, जिससे इनकी संख्या में भी 97-150 कीट प्रति पौधे की वृद्धि हुई। जबकि बढ़ी हुई कार्बन डाइऑक्साइड से नर और मादा कीटों की जीवन क्षमता में कमी हुई। यानि भारी संख्या में कीट तो पैदा हुए, परंतु वे अपेक्षाकृत कम समय तक जीवित रह पाए। 

संदर्भः इंडिया साइंस वायर

Tuesday 15 May 2018

आज का विचार 

दूसरों को सुनाने के लिऐ अपनी आवाज ऊँची मत करिऐ, बल्कि अपना व्यक्तित्व इतना ऊँचा बनाऐं कि आपको सुनने की लोग मिन्नत करें

Monday 14 May 2018

आज का विचार 

हुनर तो सब में होता हैं फर्क बस इतना होता हैं किसी का छिप जाता हैं तो किसी का छप जाता हैं

Sunday 13 May 2018

आज का विचार 


सबकुछ कुछ नहीं से शुरू हुआ था

Friday 11 May 2018


आज का विचार 

जितना कठिन संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी

Thursday 10 May 2018

आज का विचार 

जीतने वाले अलग चीजें नहीं करते, वो चीजों को अलग तरह से करते हैं.

Wednesday 9 May 2018

आज का विचार 

हुनर तो सब में होता हैं फर्क बस इतना होता हैं किसी का छिप जाता हैं तो किसी का छप जाता हैं.

Tuesday 8 May 2018


आज का विचार 

सिर्फ खड़े होकर पानी देखने से आप नदी नहीं पार कर सकते

Sunday 6 May 2018


आज का विचार 

कोई भी महान व्यक्ति अवसरों की कमी के बारे में शिकायत नहीं करता

Friday 4 May 2018

आज का विचार 

अगर आप चाहते हैं कि कोई चीज अच्छे से हो तो उसे खुद कीजिये

Tuesday 1 May 2018

आज का विचार 

 महानता कभी ना गिरने में नहीं है, बल्कि हर बार गिरकर उठ जाने में है.