Tuesday 19 May 2020

आईआईटी दिल्ली ने किया दावा
कोरोना का इलाज आयुर्वेद के साथ संभव


वैश्विक महामारी कोरोना वायरस दुनियाभर के लिए चुनौती बना हुआ है। इसका इलाज खोजने के लिए देश-विदेश के वैज्ञानिक अनुसंधान में लगे हुए हैं। भारतीय चिकित्सा पद्धति में प्राचीन चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद का महत्वपूर्ण स्थान है। यह अनेक असाध्य रोगों के उपचार में भी कारगर सिद्ध हुआ है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी, दिल्ली) और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड इंडस्ट्रियल साइंस एंड टेक्नोलॉजी (जापान) द्वारा संयुक्त शोध में आयुर्वेदिक औषधि की उपयोगिता एक बार फिर से सिद्ध होती दिख रही है।
डी.सुंदर (बायोकेमिकल इंजीनियरिंग विभाग, आइआइटी, दिल्ली) ने जापान के साथ मिलकर शोध में पाया है कि आयुर्वेदिक औषधि अश्वगंधा में उपस्थित कुछ खास तत्व कोरोना के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अश्वगंधा में पाया जाने वाला एक रासायनिक पदार्थ कोविड-19 को मानव शरीर के सेल्स (कोशिकाओं) में विकसित होने से रोकने में कारगर साबित हो सकता है। भारत सरकार द्वारा अश्वगंधा में कोरोना इलाज की संभावनाएं खोजने के लिए टास्क फोर्स (आयुष मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, आईसीएमआर और प्रौद्योगिकी मंत्रालय) बनाई थी। टीम ने अश्वगंधा, यष्टिमधु, गुडुची और पिपाली पर रिसर्च की। वैज्ञानिक प्रयोगशाला में अश्वगंधा व प्रोपोलीस के और अधिक मेडिकल ट्रायल करने के पक्ष में हैं।

रिसर्च टीम ने अनुसंधान में बड़ी संभावना जताई है कि अश्वगंधा और प्रोपोलीस (मधुमक्खी के छत्ते में मिलने वाला मोमी गोंद) के प्राकृतिक रसायनों में कोरोना रोकथाम करने वाली औषधि बनने की क्षमता है। प्रो. डी.सुंदर की माने तो लगभग 15 वर्ष से जापानी इंस्टिट्यूट के साथ मिलकर अश्वगंधा पर रिसर्च जारी है। इसका प्रथम शोधपत्र अंतरराष्ट्रीय रिसर्च मैगजीन जर्नल ऑफ बायोमॉलिक्यूलर डायनामिक्स में छपने की स्वीकृति मिल गई है।
कारोनो वायरस समाप्त करने हेतु उसे रोकना जरूरी है। चूंकि वायरस शरीर में पहुंचकर अपनी संख्या को बढ़ाता है। यह वायरस मानव शरीर की कोशिकाओं को संक्रमित करता है, जो संक्रमित सेल वायरस से मिलकर तेज गति से बढ़ने लगते हैं। इससे संक्रमण तेजी से फैलने लगता है। संक्रमित सेल शारीरिक अंगों को क्षति पहुंचाने लगते हैं। ऐसे में, दवा (वैक्सीन) वायरस को रोकती है। वायरस को रोकने वाली दवा ही असली इलाज है। अश्वगंधा में पाया जाने वाला एक रसायन (केमिकल) वायरस को रोकता है। अतः अश्वगंधा कोरोना वायरस की दवा के रूप में विकसित हो सकती है।

मलेरिया दवा आयुष-64 को लेकर कोविड-19 पर अनुसंधान हुआ, जिसमें अश्वगंधा का कारोनो वायरस पर प्रथम प्रभाव दिखा। अश्वगंधा और प्रोपोलीस ने कोरोना वायरस एंजाइम को निशाना बनाते हुए उसे रोका। अत्याधुनिक लैब में दवा का ट्रायल व शोध जारी है। उम्मीद है कि जल्द ही अश्वगंधा दवा का क्लीनिकल ट्रायल होगा। कोरोना वायरस दवा के अतिरिक्त सरकार इस पर भी शोध करवा रही है कि क्या ये मलेरिया से बचाव वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का विकल्प भी बन सकता है।
प्रोफेसर डी. सुंदर के मुताबिक औषधि विकसित करने में थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन मौजूदा वक्त में अश्वगंधा और प्रोपोलीस असरदार साबित हो सकते हैं। भारत में कई तरह की बीमारियों के इलाज के लिए अश्वगंधा का आयुर्वेदिक उपचार दशकों से होता रहा है। आपको बता दें कि अधिकांशतः भारत और उत्तरी अफ्रीका में मिलने वाला छोटा पौधा अश्वगंधा अनेक स्वास्थ्य लाभों के लिए उपयोगी है, जैसे एंग्जायटी, स्ट्रेस, जलन-सूजन आदि।

Thursday 13 February 2020

वायु प्रदूषण से भारत झेल रहा  1 लाख करोड़ रुपए का बोझ


भारत में वायु प्रदूषण ने लोगों के नाक में दम कर रखा है। देश की अर्थव्यवस्था भी इससे अछूती नहीं रही। इसे लेकर एक नया अध्ययन सामने आया है, जिसमें कहा गया कि प्रतिवर्ष देश में होने वाली लगभग 10 लाख असमय मौतों के लिए वायु प्रदूषण उत्तरदायी है। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर और ग्रीनपीस ने नई रिपोर्ट दी है, जिसमें कहा गया है कि इसके कारण प्रतिवर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था को 15,000 करोड़ डॉलर (1.05 लाख करोड़ रुपए) का अतिरिक्त बोझ सहना पड़ रहा है। सकल घरेलू उत्पाद के रूप में देखने पर हानि कुल जीडीपी के 5.4 फीसदी के बराबर है। वही प्रतिवर्ष वायु प्रदूषण देश में होने वाली लगभग 9 लाख 80 हजार असमय मृत्यु, प्रतिवर्ष 350,000 बच्चे के अस्थमा ग्रस्त होने और 24 लाख लोगों को प्रतिवर्ष श्वांस रोग के चलते अस्पताल जाना पड़ता है। साथ ही भारत में प्रतिवर्ष 49 करोड़ काम के दिनों का नुकसान भी होता है। 

वैश्विक आधार पर जीवाश्म ईंधन से होने वाले वायु प्रदूषण से विश्व में प्रतिवर्ष 40 लाख लोग मौत की नींद सो जाते हैं, तो वहीं वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर देखें तो यह लगभग 2 लाख 92 हजार करोड़ डॉलर के बराबर होता है। भारत के साथ-साथ विश्व के अनेक देश भी इसका गंभीर प्रभाव सह रहे हैं। चीन की अर्थव्यवस्था को 90,000 करोड़ डॉलर और अमेरिका को लगभग 60,000 करोड़ डॉलर का नुकसान हो रहा है। इसके मूल में प्रतिदिन फॉसिल ईंधन का बढ़ता प्रयोग है। वायु प्रदूषण के 2.5 माइक्रोमीटर से छोटे कण (पीएम 2.5) से होने वाले रोगों से कामगार अपने कामों पर नहीं जा पाते, जिससे लगभग प्रतिवर्ष 180 करोड़ दिनों के बराबर काम का नुकसान होता है। बिजली संयंत्र, कारखाने, पेट्रोल एवं डीजल वाहन से निकली नाइट्रोजन डाइऑक्साइड प्रतिवर्ष 40 लाख बच्चों को अस्थमा का मरीज बना रही है। जीवाश्म ईंधन से प्रदूषण के चलते लगभग 1 करोड़ 60 लाख बच्चे बिगड़ते स्वास्थ्य का सामना कर रहे हैं। रिपोर्ट स्टेट ऑफ़ ग्लोबल एयर 2019 ने भी इसकी पुष्टि की है। इसके अनुसार देश के 12.4 लाख लोग प्रतिवर्ष वायु प्रदूषण से ग्रस्त होते हैं। हमें भविष्य और आने वाली नस्लों को इस प्रदूषण के जहर से बचाना है, तो ठोस नीति बनाने की जरुरत है। स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण अनुकूल परिवहन प्रणाली आर्थिक बोझ को कम कर स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी लाभदायक होगी।
आज का विचार

अगर आप संकट के 
समय धैर्य अपनाते हो 

तो आप आधी 
लड़ाई जीत जाते हो

Wednesday 29 January 2020

आज का विचार

प्रेम एक ऐसा अनुभव है 
जो मनुष्य को कभी हारने नही देता

और घृणा एक ऐसा अनुभव है 
जो इंसान को कभी जीतने नही देता।

Tuesday 28 January 2020

  आज का विचार 

एक इच्छा कुछ नहीं बदलती, 
एक निर्णय कुछ बदलता है 

लेकिन एक निश्चय 
सब कुछ बदल देता है ।

Monday 27 January 2020

  आज का विचार 

अपने जीवन में तीन लोगों को कभी भी नहीं भूलना चाहिए 
पहला–मुसीबत में जो आपके काम आए, 

दूसरा- जो मुसीबत में आपका साथ छोड़ दे, 
और तीसरा- जो आपको मुसीबत में डाल दे।

Sunday 26 January 2020

  आज का विचार 

साहस और ज़िद के मिलने से 
एक ऐसा जादुई ताबीज बनता है 

जिसके सामने सारी बाधाएं 
स्वत: ही दूर हो जाती है।