Wednesday 30 September 2015

रोचक जानकारियां
जो आपको कर देगी हैरान

  • दुनिया के 30 प्रतिशत लोग आज भी मोबाइल का उपयोग नही करते।
  • चांद पर नील आर्मस्ट्राँग ने सबसे पहले अपना बायां पैर रखा। उस समय उसके दिल की धड़कन 156 प्रति/मिनट थी।
  • पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण पहाड़ों का 15,000 मीटर से ऊँचा नहीं होने देता है।
  • विश्व में रोम प्रथम शहर है जिसकी जनसंख्या ने सर्वप्रथम दस लाख के आंकड़े को पार किया था।
  • पालतू कुत्ता को रखना आईसलैंड देश में कानून के विरुद्ध है।
  • यदि टाइटैनिक(269 मीटर ऊँचे) को सीधा खड़ाकर दें तो यह अपने समय के प्रत्येक भवन से ऊँचा होता। इसकी चिमनियों बहुत बड़ी थी जिससे होकर दो ट्रेनें गुजर सकती थी।
  • समुद्री केकडे का दिल उसके सिर में होता है।
  • विश्व के सबसे छोटे देश वेटिकनसिटी का क्षेत्रफल 0.2 वर्ग मील, आबादी लगभग 770 और इसमें कोई भी स्थायी नागरिक नही है।
  • हमारे उंगलियों के ही नहीं बल्कि जुबान के भी निशान अलग-अलग होते है।
  • बोया पक्षी(फिलिपिन्स) रोशनी को इतना चाहता है कि अपने घौंसले के चारो और जुगनू लटका देता है।
  • प्रतिदिन औसतन 12 नवजात बच्चे किसी दूसरे माता-पिता को सौंप दिए जाते हैं।
  • प्रतिवर्ष लोग साँपों के अधिक मधुमक्खियों के काटे जाने से मारे जाते हैं।
  • दांये हाथ से काम करने वाले लोग औसतन बांये हाथ से काम करने वाले लोगों से नौ वर्ष अधिक जीते हैं।
  • सिगरेट के इस्तेमाल होने वाले लाइटर की खोज माचिस से पहले हुई थी।
  • कुछ शेरों द्वारा दिन में लगभग 50 बार सहवास किया जाता है।
  • एक लैड पेंसिल से यदि एक लाइन खींचे तो वह औसतन 35 किलोमीटर लंबी होगी। इससे पचास हजार अंग्रेजी शब्द लिखे जा सकते है।
  • एक दिन में गोरिल्ला 14 घंटे सोते हैं।
  • भोजन न मिलने पर कुछ कीड़े अपने आपको ही खा लेते हैं।
  • शहद ही एकमात्र खाद्य पदार्थ है जो क हजारों वर्ष तक खराब नही होता। मिस्त्र पिरामिडों में फैरो बादशाह की कब्र में मिला शहद जब वैज्ञानिकों द्वारा चखाकर देखा गया तो वह आज भी उतना ही स्वादिष्ट था। 
  • तितलियाँ द्वारा किसी भी वस्तु का स्वाद अपने पैरों से चखा जाता है।

Tuesday 29 September 2015

आप भी जानें 
प्रधानमंत्री का स्किल इंडिया

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना ‘‘प्रधानमंत्री कौशल विकास’’ की शुरूआत जुलाई 2015 में कर दी है। इस योजना में अगले एक साल में 24 लाख लोगों और वर्ष 2022 तक 40 करोड़ लोगों को विभिन्न विषयों में प्रशिक्षण देकर उनको हुनरमंद बनाने एवं स्वरोजगार शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने की योजना है। सरकार द्वारा स्किल डेवलपमेंट के लिए नए मंत्रालय का गठन किया गया है। भारत में वर्ष 2022 तक कामकाजी आयुवर्ग वाले लोगों की संख्या विश्व में सबसे अधिक होगी। फिक्की एवं केपीएमजी ग्लोबल स्किल रिपोर्ट की माने तो यदि इनको समुचित ढंग से प्रशिक्षित किया गया तो यह लोग देश के आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभा सकते हैं लेकिन इसकी राह में अभी अनेक चुनौतियां हैं। वास्तव में, पारंपरिक मानसिकता, अपना स्थान न छोड़ने का इच्छुक होना तथा आरंभ में वेतन में कमी से छात्रों को प्रशिक्षण के लिए तैयार करना एक बड़ी चिंता है।
इसके अलावा, नेशनल सैंपल सर्वे आॅफिस (एनएसएसओ) के ताजा सर्वे, जोकि जुलाई 2011-जून 2012 तक 4,56,999 लोगों पर हुए, में कहा गया है कि

  • देश में प्रत्येक दस वयस्कों में से एक को ही किसी प्रकार का कारोबारी प्रशिक्षण मिला हुआ है। 
  • 15-59 वर्ष की आयु वर्ग में केवल 2.2 फीसदी ही ऐसे लोग हैं जिन्हें औपचारिक रूप से वोकेशनल ट्रेनिंग मिली है जबकि इसी आयु वर्ग के 8.6 प्रतिशत लोगों को अनौपचारिक वोकेशनल ट्रेनिंग मिली है। ऐसे लोग आमतौर पर वे हैं जिन्हें किसी प्रकार का हुनर विरासत में मिला है या जिन्होंने कोई नौकरी करते हुए प्रशिक्षण प्राप्त किया है। 
  • भारत में 90 फीसदी ऐसे लोग हैं जिन्हें कोई वोकेशनल ट्रेनिंग नहीं मिली है। 
  • ग्रामीण क्षेत्रों के 22.3 प्रतिशत पुरुषों ने मोटर मैकेनिक काम को तरजीह दी जबकि शहरी क्षेत्रों में कम्प्यूटर ट्रेड को प्रमुखता देने वाले पुरुषों का प्रतिशत 26.3 था। 
  • ग्रामीण महिलाओं में 32.3 ने सिलाई-कढ़ाई को तरजीह दी जबकि शहरी क्षेत्रों में 30.4 फीसदी महिलाओं ने कम्प्यूटर ट्रेड को प्रमुखता से चुना। 
  • 15 साल से अधिक आयु के मात्र 2.4 प्रतिशत के पास मेडिकल, इंजिनियरिंग या कृषि के क्षेत्र में डिग्री, डिप्लोमा या सर्टिफिकेट है। 
  • ग्रामीण क्षेत्रों में 1.6 पुरुषों की तुलना में 0.9 फीसदी महिलाओं को औपचारिक वोकेशनल ट्रेनिंग मिली, जबकि शहरों में यह प्रतिशत 5 और 3.3 का रहा। 
  • ग्रामीण क्षेत्रों में 11.1 फीसदी पुरुषों के मुकाबले 5.5 प्रतिशत महिलाओं को अनौपचारिक वोकेशनल ट्रेनिंग मिली जबकि शहरों में यह प्रतिशत 13.7 और 4.3 ही रहा। 
  • 5-29 वर्ष के केवल 60 प्रतिशत युवा ही किसी शैक्षिक संस्थान में पढ़ने जाते हैं।  
  • भारत सरकार के आंकड़े बताते हैं कि हमारे देश में आज मात्र 35 लाख लोगों के लिए ही वार्षिक स्किल ट्रेनिंग का प्रबंध है जबकि चीन में प्रतिवर्ष नौ करोड़ लोग स्किल ट्रेनिंग ले रहे हैं। 
  • सीआईआई की इंडिया स्किल रिपोर्ट 2015 की माने तो भारत में हर वर्ष सवा करोड़ शिक्षित युवा रोजगार की तलाश में इंडस्ट्री के दरवाजे खटखटाते हैं लेकिन उनमें 37 प्रतिशत ही रोजगार के योग्य होते हैं। 
  • नासकॉम रिपोर्ट की मानें डिग्री ले लेने के बाद भी केवल 25 प्रतिशत टेक्निकल ग्रेजुएट व लगभग 15 फीसद अन्य स्नातक आईटी और संबंधित क्षेत्र में काम करने लायक होते हैं।
  • वास्तव में जर्मनी, जापान, कोरिया आदि देशों ने अपने इसी स्किल डेवलपमेंट से दुनिया पर अपना दबदबा बनाया है। हमारे देश ने भूमंडलीकरण के दौरान इसके महत्व को समझा तो पर शायद हमारी नींद काफी देर से खुली है। हमारी शिक्षा प्रणाली हमें पढ़ना-लिखना तो सीखती है पर हुनरमंद नहीं। तकनीकी संस्थान हैं तो पर बहुत महंगे हैं। कौशल विकास की बात करने वाले कुछ संस्थानों की नजर तो केवल सरकारी पैसे पर रहती है और पैसा जेब मंे आते ही खानापूर्ति ही रह जाती है। ऐसे में, जरूरी है कि यदि हम स्किल इंडिया को बेहतर तरीके से कार्यान्वित करना चाहते हैं तो पहले हमें शिक्षा के स्वरूप में परिवर्तन करना होगा। आधारभूत स्तर पर व्यावसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी होगी। स्किल सेंटर्स का नेटवर्क बनाना होगा। स्किल्ड, सेमी-स्किल्ड व अनस्किल्ड वर्ग को प्रशिक्षण स्तर के साथ जोड़ना होगा चूंकि प्रशिक्षण के बाद वेतन-भत्ते न बढ़े तो कोई भला स्किल डेवलपमेंट क्यों करेगा।


Monday 28 September 2015

तुलसी के चमत्कारी गुण
उठाएं आप भी इनसे फायदा

हमारे देश में तुलसी पूजनीय पौधा माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि तुलसी को आंगन में लगाने से ही बहुत सारी बीमारियां घर में प्रवेश नहीं कर पाती हैं। यहां तक कि यह वायु को भी शुद्ध करती है।

  • तुलसी को काली मिर्च व मिश्री मिलाकर पानी में पकाएं या तीनों को पीसकर गोलियाँ बना लें और दिन में 3-4 बार लेने से नज़ला, बुखार, फ्लू व मौसमी बुखार में फायदा होता है।
  • तुलसी की जड़, पत्ते, डंठल, मंजरी और बीज बराबर मात्रा में ले। इन्हें कूट, छानकर पुराने गुड़ के साथ मिला लें और बकरी के दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से गठिया में लाभ होता है।
  • तुलसी की पत्तियाँ और अदरक को पीसकर शहद से चाटने से खाँसी में फायदा पहुँचता है।
  • तुलसी के पत्तों के साथ पकाया हुआ तिल्ली का तेल लगाने से त्वचा संबंधी रोग दूर होते हैं।
  • तुलसी के 10 पत्तों को एक माशा जीरे के साथ पीस लें और दिन में 3-4 बार चाटें इससे दस्त बंद हो जाएंगे।
  • तुलसी के 4-5 पत्तों को दिन में दो बार चबाएँ इससे मुंह की बदबू दूर हो जाएगी। 
  • आदिवासी अंचलों मे पानी को साफ एवं शुद्ध करने के लिए तुलसी पत्र जल वाले बर्तन में कम से कम सवा घंटे रखा जाता है। फिर कपड़े से पानी को छान लेते हैं। इसके बाद यह पीने योग्य हो जाता है। 
  • तुलसी गर्मी में लू लगने, कीड़े-मकोड़े काटने और रक्त शुद्धि में भी उपयोगी है।
  • तुलसी खून में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करती है। हाॅर्ट की बीमारी में तुलसी रस का नियमित सेवन करें। तुलसी प हल्दी के जल का सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित रहेगी। इसका कोई भी स्वस्थ व्यक्ति सेवन कर सकता है।

  • तुलसी के पत्तों और फिटकरी को बहुत बारीक पीस लें फिर उसे घाव पर लगाएं इससे शीघ्र लाभ होगा।
  • तुलसी के पत्तों का रस और नारियल तेल मिलाकर अच्छे से फेंट ले। इसको जले हुए पर लगाने से जलन दूर होती है, जख्‍म ठीक हो जाता है तथा जख्म का निशान भी नहीं रहता है। 
  • तुलसी के पत्तों को पीसकर उबटन बनाएं इसे चेहरे पर लगाने से मंुह पर चमक बढ़ने लेगी, झाँइयां और मुहाँसे के निशान देर हो जाएंगे।
  • प्रतिदिन तुलसी के पाँच से सात पत्ते पानी के साथ खाने से बुद्धि और स्मरण शक्ति बढ़ती है। 
  • तुलसी के पत्तों का दो तोला रस पावभर दूध और डेढ़ पाव पानी में मिलाकर पीने से मूत्रदाह की शिकायत दूर होती है।
  • तुलसी की पत्तियों को उबालें। इसका काढ़ा शहद के साथ रोज एक महीना लेने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल आती है। 
  • तुलसी के पत्तों को त्वचा पर रगड़ने से त्वचा पर कोई संक्रमण नहीं होता या संक्रमण होने पर लाभ होता है। 
  • तुलसी रस में बराबर मात्रा में नींबू रस मिलाएं। इस मिश्रण को रात में सोने से पहले चेहरे पर लगाएं। चेहरे पर झाईयां नहीं रहेगी, फुंसियां ठीक होगी व चेहरे पर रंगत में निखार आएंगा। 
  • तुलसी की पत्तियों और मंजरी के सेवन से अधिक थकान होने पर भी आराम होता है। 
  • तुलसी का नियमित सेवन ‘क्रोनिक-माइग्रेन’ से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। तुलसी की 6-8 पत्तियां प्रतिदिन 4-5 बार चबाने से कुछ दिनों में माइग्रेन की समस्या में आराम मिलता है।


Saturday 26 September 2015

गूगल उतरेगी अब 
हेल्थकेयर सैक्टर में 


विश्व के प्रमुख एवं बड़े सर्च इंजन ‘‘गूगल’’ को कौन नहीं जानता होगा? खासकर तकनीक एवं कंप्यूटर से जुड़े लोग तो विशेषरूप से गूगल की सेवाओं का उपयोग करते ही रहते होंगे। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि गूगल ने अपने को यही तक सीमित नहीं रखा है। भविष्य की सोच को समझकर गूगल अनेक तकनीकों पर कार्य कर रही है। इसमें प्रमुख रूप से शामिल है हेल्थकेयर सेक्टर। इस अरबों डॉलर के सेक्टर में भी गूगल डायबिटिज, एंटी एजिंग आदि क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रही है जोकि जनसाधारण से जुड़ा हुआ है।
डायबिटिज को तो लगभग सभी जानते होंगे लेकिन एंटी एजिंग से अधिकांश लोग अनजान होेगे, तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गूगल अपने बायोटेक वेंचर ‘कैलिको’ के द्वारा एंटी एजिंग थैरेपी पर कार्यरत है। यह विशेषरूप से बुढ़ापे और उसकी बीमारियो पर अंकुश लगाने के नए शोध करने से संबंधित है। लेरी पेज (संस्थापक, गूगल) ने इस बारे में हाल में कहा है कि हम चाहते हैं कि मनुष्य कम से कम सौ वर्षों तक जीवित रहें।
विशेषज्ञों की माने तो एंटी एजिंग का बाजार 300 बिलियन डॉलर का है। 2013 में बनी एवं सैन फ्रांसिस्को (कैलिफोर्निया) में स्थित कैलिको या कैलिफोर्निया लाइफ गूगल की इंडिपेंडेंट रिसर्च एंड डवलपमेंट बायोटेक कंपनी है। अमेरिकी बिजनेसमैन आर्थर डी लेविनसन इसके सीईओ हैं। इसका उद्देश्य मानव आयु को बढ़ने से रोकना व बुढ़ापे के रोगों पर अंकुश लगाना है।
इसके अलावा, गूगल स्मार्ट कॉन्टैक्ट लैंस पर भी काम कर रही है। यह स्मार्ट कॉन्टैक्ट लैंस यूजर्स की आखों की रोशनी को बढ़ाने के अलावा भी अनेक दूसरे काम करेगा।
गूगल डायबिटीज के मरीजों के लिए भी स्मार्ट कॉन्टैक्ट लैंस बना रहा है। यह आंखों के आंसुओं से ही ब्लड में शुगर की मात्रा को चैक कर सकेगा। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि रोगियों को सुई की दर्द से छुटकारा मिलेगा। इसक लिए गूगल नोवार्टिस फार्मास्युटिकल कंपनी के साथ मिलकर काम कर रही है। इसके लिए उसे मार्च 2015 में पेटेंट भी मिल चुका है। इस स्मार्ट कॉन्टैक्ट लैंस का सेंसर आंसुओं के संपर्क में आते ही शुगर लेवल का एनालिसिस कर उसकी रिपोर्ट संबंधित ऐप पर भेज देगा। 

Friday 25 September 2015

एक कंपनी और एक देश की स्थिति डाल सकती है विश्व अर्थव्यवस्था पर असर


चीनी अर्थव्यवस्था में सुस्ती का असर पूरे विश्व के बाजारों में देखने को मिल रहा है। सितंबर 2015 में तो चीनी मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी मार्च 2009 के बाद के सबसे निम्न स्तर पर आ गई। इंटरनेशनल मोनेटरी फंड की माने तो चीन में स्लोडाउन ग्लोबल इकोनाॅमी पर असर उसके अनुमानों से कहीं अधिक है। क्रिस्टीन लेगार्डे (एमडी, आईएमएफ) के अनुसार ग्लोबल ग्रोथ में गिरावट देखने को मिल रही है। इसका सीधा संबंध चीन में स्लोडाउन से है।...चीन से मिले संकेतों के बाद कमोडिटी कीमतों में तेज गिरावट देखने को मिली है। कीमतों में गिरावट से एक्सपोर्ट आधारित इकोनाॅमी और उनकी सरकारों की आय पर बुरा असर देखने को मिल रहा है।
इन सबके बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है जिसके मुताबिक फाॅक्सवैगन के स्कैंडल ने यूरोप की प्रमुख अर्थव्यवस्था जर्मनी के सामने खतरा खड़ा कर दिया है। यूरोप में ग्रीक संकट के बाद जर्मनी की सुदृढ़ता कमजोर यूरोपीय अर्थव्यस्था के लिए सहारा बनी हुई थी। अब जर्मनी पर दबाव का प्रभाव पूरी दुनिया विशेषकर यूरोपीय देशों पर पड़ने की संभावना है। 

यूएस इंवायरमेंटल प्रोटैकशन एजेंसी की माने तो फाॅक्सवेगन पर स्कैंडल के बाद 1800 करोड़ डाॅलर की पेनल्टी लग सकती है। यह 2014 के कंपनी के कुल आॅपरेटिंग प्राॅफिट से भी अधिक है। यह बात दूसरी है कि कंपनी कैश सपोर्ट इससे ज्यादा रखती है पर घाटे से निकलने के लिए कंपनी जाॅब कटिंग कर सकती है जोकि जर्मनी की अर्थव्यवस्था के लिए बुरा होगा। 

आपको बात दें कि फाॅक्सवैगन प्रमुख कार निर्माता कंपनी है। कंपनी की कुल सेल्स 2014 में 30 हजार करोड़ थी। मई 2015 तक के आंकड़े बताते हैं कि यह दुनिया के 5.93 करोड़ लोगों और जर्मनी में 2.5 लाख करोड़ लोगों को सीधे रोजगार देती है। साथ ही इसकी सहयोगी कंपनियों के द्वारा भी रोजगार दिया जाता है। पैसेंजर कार की बिक्री में कंपनी की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत है। कंपनी विश्वभर में 119 प्लांट रखती है जिनमें से अधिकांश यूरोप में हैं। 

विशेषज्ञों की माने तो इसका असर बड़े पैमाने पर हो सकता है। चूंकि जर्मनी की अर्थव्यवस्था में आॅटो क्षेत्र की प्रमुख भूमिका है और फाॅक्सवैगन इसकी सबसे बड़ी कंपनी है। ग्लोबल बैंक आईएनजी ने चिंता जताई है कि यदि स्कैंडल का प्रभाव कंपनी की सेल्स पर हुआ तो पूरी जर्मनी की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है।

Thursday 24 September 2015

दवा ही कहीं बीमारी 
का सबब न बन जाए

आज डेंगू ने कई राज्यों में अपनी पैठ बना रखी है। यह एक भयानक बीमारी है जिसमें मरीज की मौत तक हो सकती है। वास्तव में डेंगू एक रक्तस्रावी बुखार है। इसका पता सबसे पहले 1950 में फिलीपींस व थाईलैंड में चला। आज भारत और अनेक एशियाई-लैटिन अमेरिकी देशों में डेंगू के मामले दर्ज किए जा रहे हैं।
तेज सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, जी घबराना, उल्टी के साथ 40 डिग्री सेंटीग्रेड बुखार आदि डेंगू के लक्षणों में शामिल हैं। संक्रमित मच्छर के काटने के 4-10 दिन में यह लक्षण दिख सकते हैं।
डेंगू का समय पर इलाज न करने पर यह जानलेवा भी हो सकता। चूंकि प्लाज्मा लीक, शरीर में जल जमने, सांस में समस्या, आंतरिक रक्तस्राव से रोगी की मृत्यु भी संभव है।
हाल के दशक में डेंगू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक अनुमान के हिसाब से ढाई अरब लोगों को डेंगू का खतरा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की माने तो प्रतिवर्ष इस रोग के मामले पांच से दस करोड़ के बीच पहुंच सकते हैं।
एशिया की सबसे बड़ी पुणे बेस्ड वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट में एक ऐसी बायोलॉजिक ड्रग विकसित की गई है जिससे चारों तरह के डेंगू वायरस को नष्ट किया जा सकेगा। इतना ही नहीं, ये कंपनी मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टैक्नोलोजी में फास्ट‍ एंड ट्रैक अप्रूवल के लिए भी आवेदन कर चुकी है जिससे दवा के इस्तेमाल से लोगों को डेंगू से बचाया जा सके।
डेंगू के इलाज में रोगी को बकरी का दूध देने की भी बात कही जाती है। निश्चित रूप से सही तरह से इसका उपयोग लाभ दे सकता है तो वहीं दूसरी ओर इससे नुकसान भी हो सकता है। डाॅ. अतुल गोगिया (गंगाराम अस्पताल) के अनुसार, अभी डेंगू तेजी से फैल रहा है और लोग बकरी का दूध पी रहे हैं। इंफेक्टेड पशु का कच्चा दूध् पीने से लोग बीमार हो सकते हैं। बकरी के दूध के लाभप्रद होने का कोई साइंटिफिक प्रूफ नहीं है।
बकरी के संक्रमित दूध के सेवन से रोगी को बैक पेन और बुखार हो सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस बीमारी ‘‘ब्रूसेलोसिस’’ का पता लगाना भी डाॅक्टरों के लिए टेढ़ी खीर से कम नहीं होता। डाॅक्टर प्रत्युषकुमार (गंगाराम अस्पताल) की माने तो इस बीमारी की दवा तो है लेकिन इसे डायग्नोस करना सरल नहीं है। ग्रामीण इलाकों में ऐसी समस्याएं आम है। डाॅ. अतुल गोगिया (गंगाराम अस्पताल) की माने तो एक मरीज नैनीताल से आया था। वह ऐनिमल फार्म में काम करते थे, जानवरों के बीच रहने से उन्हें यह बीमारी हो गई थी।
ब्रूसेलोसिस एक बैक्टीरिया होता है जोकि गाय, भैंस, बकरी, भेड़ को इंफेक्ट करता है। यह रोग इन पशुओं के भोजन द्वारा उनके शरीर में पहुंचता है जोकि बाद में दूध के उपयोग अथवा पशु के मूल-मूत्रों के संपर्क से आदमी में पहुंच जाता है। इसके लक्षण होते हैं जल्दी थक जाना, हड्डियों और जोड़ों में दर्द व बुखार होना।
तो सतर्क हो जाइए क्योंकि कहीं दवा ही आपकी बीमारी को खत्म करने की बजाय दूसरी बीमारी पैदा करने का सबब न बन जाए।
बचाव के कुछ उपायः

  • रोगी का तुरंत उपचार शुरू करें। डाॅक्टर की सलाह पर तेज बुखार में पेरासिटामाल दे सकते हैं। 
  • दर्द निवारक दवाई एस्प्रिन या डायक्लोफेनिक न लें। 
  • मरीज को खुली हवा में रखे, पर्याप्त मात्रा में भोजन, पानी, नींबू पानी दें ताकि कमजोरी न हो। 
  • फ्लू हवा से फैलता है इसलिए रोगी से 10 फुट की दूरी रखें।
  • अधिक रोगी वाली जगहों जैसे अस्पताल आदि में फेस मॉस्क पहनें।
  • घर, आफिस आदि में मच्छर न होने दें व मच्छरनाशक दवाइयों का छिड़काव करें।
  • शरीर को पूरी तरह से ढककर रखें। 
  • पानी की टंकियों को ढककर रखें, उनकी नियमित सफाई करें, पानी इकट्ठा न होने से, फव्वारों को सप्ताह में एक दिन सुखाएं, कूड़ा-करकट सुनिश्चित जगह पर ढंका हुआ हो। 


Wednesday 23 September 2015

आॅगेनिक फूड के बाद 
अब आ रहा है 
आॅगेनिक मिल्क


कृषि में रासायनिक खादों व कीटनाशकों के लगातार इस्तेमाल से आज अन्न, सब्जी, फल आदि खाद्य पदार्थ जहरीली होती जा रहे हैं। इसका एक ही तोड़ है और वो है जैविक या गैर-रासायनिक खेती। भारत के अनेक राज्यों में इस दिशा में सक्रिय पहल हो चुकी है जिसके अच्छे परिणाम भी सामने आने लगे हैं। तो हम कह सकते हैं कि आज का दौर जैविक का है। जैविक खेती के बाद अब जैविक दूध की मांग भी निरंतर बढ़ती जा रही है और इसीलिए हमारे पशुपालक दूध का जैविक उत्पादन करने लगे हैं। इसमें जैविक खेती से तैयार पशु आहार/चारा देसी गायों को खिलाया जाता है और उनसे जैविक दूध प्राप्त किया जाता है। इसकी मांग बहुत है इसलिए इसका दाम भी अच्छा मिलता है।


सोलडा (पलवल, हरियाणा) के किसान लोकमन शर्मा के एक आइडिया ने जर्बदस्त नतीजा दिया और कमाई को कई गुणा बढ़ा दिया। उन्होंने जैविक खेती की तर्ज पर ही जैविक दूध के उत्पादन करने का सोचा और इसे कर भी दिखाया। इस जैविक दूध को उन्होंने खेत में ही बोतल में भरकर बड़े बंगलों वाले घरों में सप्लाई करना शुरू कर दिया। इस दूध के दाम उन्हें सामान्य दूध की अपेक्षा डेढ़ गुणा अधिक मिल रहे हैं यानि 20/- प्रति लीटर अधिक। जहां गाय के दूध का बाजार भाव 40-60/- रुपए प्रति लीटर है वहां उनका दूध 80/-रुपए प्रति लीटर में बिक रहा है। जैविक दूध की मांग निरंतर बढ़ती जा रही है अलाम यह है आज इस मांग को पूरा करना उनके लिए भारी पड़ रहा है।
अभी तक लोकमन इस दूध को प्लास्टिक के बोतलों में भरकर बेच रहे थे लेकिन भविष्य में वह इन प्लास्टिक की बोतलों की जगह स्टील की बोतलों का इस्तेमाल करने की योजना बना रहे हैं। इससे जहां एक ओर उत्पाद अच्छी तरह से पेश किया जा सकेगा साथ ही गुणवत्ता से भी समझौता नहीं होगा।
लोकमन शर्मा एमबीए हैं। वह 172 गायों की डेरी चला रहे हैं। साथ ही वह कई वर्षों से अपनी 15 एकड़ जमीन में जैविक खेती करते हैं। साथ ही वह पशुओं के लिए जैविक चारा और कृषि उत्पादों से भी पौष्टिक पशु आहार तैयार करते हैं।
वह डेरी से लगभग 45 लीटर प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन ले रहे है। इस दूध को बेचने वो पहले रोज जाते थे लेकिन एक दिन आइडिया आया कि क्यों न बंगले वालों को जानकारी दी जाए कि उनके यहां का दूध देसी गायों का आॅर्गेनिक है। बोतल में भरकर ले गए, तो मांग ने रिकाॅर्ड तोड़ दिया और वह 100 लीटर तक जा चुकी। आज स्थिति यह है कि अब वह इस मांग को पूरी नहीं कर पा रहे हैं।
लोकमन शर्मा द्वारा फरीदाबाद सेक्टर-7 में जैविक किसान सेंटर की भी स्थापना की गई है। यहां से वह बीस बड़े बंगलों में देसी गाय के दूध की सप्लाई करते हैं। लोकमन ने जैविक आहार से जैविक दूध का यह काम अभी तीन महीने पहले ही शुरू किया है। इससे पहले वह इस दूध को दूसरी गायों के दूध के साथ मिलाकर बाजार में बेचते थे पर इतना लाभ नहीं मिल रहा था। अब आलम यह है कि प्रतिदिन नए ग्राहकों के फोन आने लगे हैं, विशेषकर मांओं के, जिन्हें अपने बच्चों की चिंता होती है और वह इच्छा रखती हैं कि उनके बच्चों को जैविक दूध मिले ताकि उनकी ग्रोथ अच्छी हो सके।
लोकमन नाक में डालने के लिए ‘‘लोकमन नाक देसी घी’’ भी बनाते हैं। इसे नाक में लाकर औषघि की तरह उपयोग किया जा सकता है। लोकमन का दावा है कि इस घी से माइग्रेन, लकवा, हाथों व पैरों में कंपन, खर्राटे आना, जुकाम बार-बार होना, रात को नींद कम आने की बीमारी बिल्कुल ठीक हो जाती है। घी की दो बूंद ही नाक में डालनी होती है।
छोटे बच्चों की यादाश्त या मेमोरी बढ़ाने में भी यह घी रामबाण का काम करता है।
लोकमन नाक घी को तैयार करने का तरीका भी अनोखा है। दूध को मिट्टी की हांडी में गर्म किया जाता है। मिट्टी के बर्तन में दही जमाते हैं। लकड़ी की रई से इसे बिलोकर घी निकालते हैं। 20 एमएल की शीशी में इसे पैक करके वह बाजार में औषधि के रूप में बेचते हैं। इसकी कीमत उन्होंने 50/- रुपए रखी है। फिलहाल प्रतिमाह वह 50 बोतल बेचते हैं।
यह तो दस्तक है एक बड़ी शुरूआत की, जिसका इंतजार भविष्य में बड़े व्यापक पैमाने पर देखने को मिल सकता है।

Tuesday 22 September 2015

भारतीय आईटी कंपनियों ने अमेरिका में दीं 4.11 लाख नौकरियां व 20 अरब डाॅलर टैक्स


आपको जानकर आश्चर्य होगा लेकिन है यह बिल्कुल सच कि हमारे देश की आईटी इंडस्ट्री ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था में 4.11 लाख नौकरियां पैदा की साथ ही उन्होंने टैक्स के रूप में 20 अरब डॉलर का विशेष योगदान भी दिया। यह हम नहीं कह रहे यह अनुमान एक रिपोर्ट से सामने आया है जोकि वर्ष 2011-15 के आंकड़ों के बेस पर तैयार की गई है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि भारतीय प्रतिभा का उपयोग करने में अमेरिका की कंपनियां पूरी तरह से कामयाब रही हैं। अमेरिका की कंपनियों को इसके द्वारा इनोवेटिव व कॉस्ट कंपटीटिव सॉल्युसंश उपलब्ध कराकर ग्लोबल मार्केट शेयर बढ़ाने में भी सफलता मिली।
नैसकॉम की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2011-15 की अवधि में भारत की आईटी इंडस्ट्री ने अमेरिकी ट्रेजरी में 37.5 करोड़ डॉलर का योगदान किया। इससे अमेरिका को अपनी सीमाएं सुरक्षित रखने में भी मदद मिली। इंडो-यूएस स्ट्रैटजिक एंड कमर्शियल डायलॉग से ठीक पहले ‘कांट्रीब्यूशंस ऑफ इंडियाज टेक इंडस्ट्री टू द यूएस इकोनॉमी’ शीर्षक की इस रिपोर्ट को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रस्तुत किया।
केंद्रीय मंत्री श्री सीतारमण के अनुसार, ‘भारतीय टैलेंट का लाभ उठाते हुए अमेरिकी कंपनियों को बेहतर, इनोवेटिव, कॉस्ट-कंपटीटिव सॉल्युशंस बनाने में सहायता मिली व उन्होंने अपना ग्लोबल मार्केट शेयर बढ़ाने में भी सफलता प्राप्त की।’ उन्होंने आगे बताया कि इस रिपोर्ट से भारत-अमेरिका के बीच द्विपक्षीय सहयोग का पता चलता है, जिससे भारतीय कंपनियों ने अमेरिकी इकोनॉमी को भी फायदा पहुंचाया। इससे अमेरिका को 2 अरब डॉलर के निवेश, अमेरिकयों के लिए हजारों रोजगार, 20 अरब डॉलर के टैक्स आदि के रूप में कई फायदे हुए।

Monday 21 September 2015

मस्तिष्क के बारे में इन बातों को नहीं जानते होंगे आप



  • हमारे शरीर की तरह दिमाग में भी 75 प्रतिशत पानी होता है। 
  • मस्तिष्क में विचार आने पर मस्तिष्क में एक नेटवर्क बनता है। एक जैसे विचार या घटनाएं फिर से उसी नेटवर्क को सक्रिय कर देती हैं।
  • अक्सर जब हम किसी को उबासी लेते देखते हैं तो हमें भी उबासी आ जाती है क्योंकि हमारे मस्तिष्क में कुछ ऐसी कोशिकाएं हैं जो शीशे की तरह कार्य करती हैं। यह हमें मेलजोल बढ़ाने को भी प्रेरित करती हैं।
  • सामान्यतः हमारे मस्तिष्क में लगभग 70 हजार विचार आते हैं जिनमें से बहुत सारे विचार बार-बार आते हैं।

  • हमारे दिमाग को दर्द महसूस नहीं होता है। सिर दर्द में नसों व पेशियों में दर्द का आभास नहीं होता है। अतः आप सिरदर्द के लिए अपने को दिमाग जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते।
  • हमारे दिमाग की बहुत सारी रक्त वाहिनियां इतनी लम्बी होती हैं कि यदि इनको एक साथ नापा जाए तो इनकी लंबाई लगभग एक लाख मील तक होती है।
  • तनाव में रहने से आपके दिमाग की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। तनाव से मस्तिष्क में ऐसे हार्मोन्स बनते हैं जो  थोड़े समय में ही मस्तिष्क की कोशिकाओं को नष्ट कर सकते हैं।
  • मानसिक स्थिति का शरीर पर भी प्रभाव पड़ता है। प्यार में पड़ने या स्त्रियों के मां बनने पर मस्तिष्क में ऑक्सीटॉक्सिन रसायन पैदा होता है जोकि किसी दूसरे व्यक्ति के साथ अथवा माँ अपने बच्चों के साथ गहरा संबंध बना पाती हैं। 

  • कहा जाता है कि मनुष्य अपने दिमाग का मात्र 10 फीसदी ही इस्तेमाल करता हैं पर यह भ्रांति है। चूंकि मस्तिष्क के प्रत्येक भाग का एक सुनिश्चित काम है। उस काम के लिए दिमाग का हर भाग इस्तेमाल किया जाता है। 
  • मस्तिष्क का वजन तो मात्र सवा से डेढ़ किलो है पर इसमें अपार रहस्य छिपे हैं।
  • दिमाग में सौ अरब न्यूट्रॉन या एक खरब एकल कोशिकाएं होती हैं। सबके काम अलग हैं जैसेकि अचानक डर लगने पर मस्तिष्क के एक भाग के न्यूट्रॉन सक्रिय होते हैं व 400 कि.मी./प्रतिघंटा की गति से इलेक्ट्रिक सिग्नल भेजने लगते हैं।
  • एक निश्चित आयु के बाद हमारे दिमाग का वजन घटने लगता है। हर वर्ष लगभग एक-दो ग्राम एकल कोशिकाएं मरने लगती हैं। 


Saturday 19 September 2015

अपने शरीर से जुड़ी इन बातों
को नहीं जानते होंगे आप

आप अपने शरीर के बारे में जरूरी बातों को जरूर जानते होंगे परंतु इससे जुड़े कुछ वैज्ञानिक सत्य भी हैं, जिनको कम लोग ही जानते हैं। यह जानकारी आपको आश्चर्यजनक लग सकती हैं लेकिन है यह बहुत उपयोगी
  • कोई भी इंसान बिना खाए तो कई सप्ताह गुजार सकता है परंतु बिना सोए मात्र 11 दिन रह सकता है।
  • आंख ही एकमात्र ऐसा मल्टीफोकस लैंस है, जो केवल 2 मि.ली. सेकेंड में एडजस्ट हो जाता है।
  • हमारी एक आंख में 12,00,000 फाइबर होते हैं।
  • यदि आप जीवनभर पलक झपकने का समय जोड़ेंगे तो पाएंगे कि 1.2 साल तक आपको अंधेरा मिला।
  • एक इंसान के कान 50,000 हर्ट्ज तक की फ्रीक्वेंसी को आसानी से सुन सकते हैं।
  • हमारी त्वचा में कुल 72 किलोमीटर नर्व होती है।

  • घरों में पाएं जाने वाले धूल के अधिकांश कण हमारी डेड स्किन के ही होते हैं।
  • 75 प्रतिशत लीवर, 80 प्रतिशत आंत एक किडनी के बिना भी आदमी जीवित रह सकता है।
  • हमारे शरीर में दर्द 350 फीट प्रति सेकेंड की गति से आगे बढ़ता है।
  • आंतों में पाएं जाने वाले बैक्टीरियां इतने होते हैं कि उनसे एक मग कॉफी भर जाए।
  • इंसान के शरीर में 3 से 4 दिन में नई स्टमक या पेट लाइनिंग बनने लगती है।
  • लिखने वाले हाथ की उंगलियों के नाखून अधिक गति से बढ़ते हैं।

  • हमारे हाथ की 1 वर्ग इंच त्वचा में 72 फीट नर्व फाइबर होते हैं।
  • वयस्क इंसानों के बालों को उनकी लंबाई से 25 प्रतिशत अधिक खींचा जा सकता है।
  • मनुष्य के जबड़े की हड्डी बहुत स्ट्रांग होती है जोकि लगभग 280 किलोग्राम वजन तक भी सहन कर सकती है।
  • नवजात शिशु द्वारा एक मिनट में 60 बार, किशोर द्वारा 20 बार युवा द्वारा मात्र सोलह बार सांस लिया जाता है।
  • मनुष्य के छींकने पर बाहर निकलने वाली हवा का वेग 160 किलोमीटर प्रति घंटा होता है जोकि एक्सप्रेस ट्रेन से भी अधिक तेज होता है।

  • हमारे शरीर में उपस्थित लोहे से एक इंच की कील तैयार की जा सकती है।
  • स्वस्थ युवा शरीर दिमाग 20 वाॅट तक बिजली पैदा कर सकता है।
  • जब हम हँसाते हैं तो 17 स्नायु का प्रयोग करते हैं जबकि रोने पर 43 स्नायुओं का इस्तेमाल होता है।
  • हमारे पेट में वायु जल होते हैं जो गुड-गुड की आवाज करते रहते हैं। इसे स्टोमेक ग्राउल कहा जाता है।
  • नवजात शिशु के रोने पर आंसू नहीं आते क्योंकि तब तक उसकी अश्रुग्रंथियाँ विकसित नहीं होती है।
  • खाना खाते हुए पेट में जाने वाली अतिरिक्त हवा डकार बनकर आवाज करती है।
  • शरीर को पूरी आक्सीजन मिलने से जम्हाई लेकर शरीर में आक्सीजन की पूर्ति की जाती है।
  • हमारे शरीर में सबसे छोटी हड्डी स्टेप्स होती है जोकि कान में होती है। इसकी लंबाई लगभग 11 इंच होती है।

  • हमारे शरीर की मोटोर न्यूरोन्स सबसे लंबी सेल है जोकि रीढ़ की हड्डी से शुरू होकर पैर के टखने तक जाती है। इसकी लंबाई 4.5 फुट या 1.37 मीटर तक हो सकती है।
  • हिचकी भी एक बाडी नाईस है। मध्य पेट में तनाव होने से हिचकी आती है। एक मसल द्वारा फेफड़ों की वायु को अंदर-बाहर भेजा जाता है जब कभी यह प्रोसेस रुक जाता है तो अंदर की हवा बाहर आने के लिए धक्का देती है जिससे आवाज आती है।
  • हमारे द्वारा एक वर्ष में औसतन 62,05,000 बार पलकें झपकाई जाती हैं।
  • एक वयस्क व्यक्ति के शरीर में 206 हड्डियाँ होती हैं जबकि बच्चे के शरीर में 300 हड्डियाँ होती हैं। इसका कारण है कि वयस्क की कुछ हड्डियाँ गल जाती हैं कुछ आपस में मिल जाती हैं।
  • हमारे जबड़ों की पेशियाँ दाढ़ों में 200 पौंड (90.8 कि.ग्रा.) के समान पाॅवर पैदा करती हैं।
  • मृत्यु के बाद भी मनुष्य के बाल नाखून बढ़ते रहते हैं।
  • हमारे जाँघों की हड्डियाँ कंक्रीट से भी अधिक मजबूत होती हैं।
  • हमारी आँखों का आकार जन्म से मृत्यु तक एक-सा रहता है परंतु नाक कान के आकार सदैव बढ़ते रहते हैं।
  • हमारे द्वारा खाया गया खाना लगभग 12 घंटे में पचता है।
  • आँकड़ों की माने तो अभी तक सबसे वजनी मानव मस्तिष्क का वजन 5 पौंड 1.1 औंस. या 2.3 कि.ग्रा. पाया गया है।
  • सामान्यत मनुष्य अपने पूरे जीवन में भूमध्य रेखा के 5 बार चक्कर लगाने जितना चलता है।
  • हमारे शरीर के अंदर लगभग 45 मील (72 कि.मी.) लंबी तंत्रिकाएँ या नसें होती हैं।
  • हमारी सबसे छोटी अस्थि स्टेपिज (मध्य कर्ण में)
  • 33 कोशिकाएं,
  • 639 पेशियां,
  • बड़ी आंत की लम्बाई 1.5 मीटर
  • छोटी आंत की लम्बाई 6.25 मीटर
  • सबसे बड़ी ग्रंथि यकृत
  • सबसे बड़ी लार ग्रंथि पैरोटिड ग्रंथि
  • यकृत का भार(पुरुष में) 1.4 -1.8 कि ग्रा
  • यकृत का भार (महिला में) 1.2 -1.4 कि ग्रा
  • शरीर में रुधिर मात्रा 5.5 लीटर
  • शरीर का सबसे कठोर भाग दांत का इनेमल,
  • शरीर का सामान्य तापमान 98.4 डिग्री फाइनाईट (37 डिग्री सेंटिग्रेट)
  • हीमोग्लोबिन की औसत मात्रा 12-15,पुरुष में 13-16 जी/डीएल, महिला में 11.5-14 जी/डीएल
  • रुधिर का थक्का बनाने का समय 2-5 दिन
  • सामान्य नब्ज की गति 70-72
  • हमारे शरीर में रक्त प्रतिदिन 60,000 मील(96,540 कि.मी.) दूरी तय करता है।

Friday 18 September 2015

खाद्य बर्बादी से पर्यावरण 
पर पड़ रहा बुुरा प्रभाव


खाद्य उत्पादन बहुत ही मुश्किल से होता है, ऐसे में इनको बर्बादी से बचाना एक बड़ी चुनौती है। चूंकि आज सभी ओर से खाद्य पदार्थो के उत्पादन बढ़ाने पर तो जोर दिया जाता है पर उसकी बर्बादी पर अंकुश लगाने की बात कोई नहीं सोचता। यही वजह है कि आज भरपूर मात्रा में खाद्य पदार्थ होने पर भी संसार में लगभग 80 करोड़ लोग भूखे पेट सोते हैं। यूरोपीय लोग अपने भोजन का अधिकांश भाग बेकार कर देते हैं। अकेले अमेरिका में उत्पादित खाद्यान्न व मांस का 31 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है। डेली मेल की माने तो ब्रिटेन में प्रतिमाह 2 मिलियन पौंड के फल व सब्जियां नष्ट की जाती है, जबकि देश में 4 मिलियन लोग भूखे रहते है। भारत भी इसमें पीछे नहीं है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री शरद पवार ने 2013 में संसद में जानकारी दी कि देश में प्रतिवर्ष 44 हजार करोड़ के खाद्य उत्पाद खराब हो जाते है, जोकि कुल उत्पादन का 40 प्रतिशत है।

यूएनओ की खाद्य व कृषि संस्थान (एफएओ )की रिपोर्ट के अनुसार संसार के कुल कृषि उत्पादन का 33 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है। इनकी कीमत 750 बिलियन डॉलर होती है। यदि उत्पादन के लिए उपयोग पानी की कीमत, पर्यावरण बदलाव की कीमत को बेकार खाद्य पदार्थो की कीमत में जोड़ने पर यह लगभग दुगनी हो जाएगी। संसार में 30 प्रतिशत उत्पादित खाद्यान्न खराब होते है, जिनके उत्पादन में लगभग 230 क्यूबिक जल का उपयोग होता है।

वैज्ञानिकों द्वारा अब यह पता लगाया गया कि बर्बाद होने वाले खाने का पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। यूनिवर्सिटी आॅफ मिसोरी के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि फल-सब्जी की अपेक्षा मंासाहारी चीजे कम खराब होती हैं। साथ ही मांस उत्पादन में फल-सब्जी की अपेक्षा अधिक ऊर्जा खर्च होती है। मांस उत्पादन में खर्च यह एनर्जी सामान्यतः उन संसाधनों के रूप में होती है जिनका हमारे आसपास के पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

इस अध्ययन में यूजर्स के हाथ में जाने से पहले और बाद में होने वाले खाद्य की बर्बादी के आंकड़े तीन महीने तक रेस्टोरेन्ट व होटलों से एकत्र किए गए। कोस्टो की टीम ने इन्हें तीन भागों-मांस, सब्जी व अनाज में बांटा। फिर उन्होंने उर्वरक के इस्तेमाल, वाहन-परिवहन व खेत में उपकरणों से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का भी विश्लेषण किया।
इस अध्ययन में शामिल क्रिस्टाइन कोस्टेलो (सहायक शोध प्रोफेसर, काॅलेज आॅफ एग्रीकल्चर, फूड एंड नेचुरल रिसोर्सेस) की माने तो संसार में बर्बाद होने वाले भोजन से हम सब चिंतित हैं पर हमें इन संसाधनों पर भी ध्यान करने की आवश्यकता है जो इस खाद्य के साथ ही बर्बाद हो जाते हैं। पशुधन को चारा खिलाने, स्वस्थ रखने व पशुचारा उगाने के लिए बड़ी मात्रा में डीजल/ईंधन/जीवाश्म ईंधनों का इस्तेमाल होता है। जब लोग मांस को बर्बाद करते हैं तो साथ में इसके उत्पादन में लगा ईंधन व उर्वरक भी खराब जाता है। कोस्टेलो ने सुझाव दिया है कि लोगों व संस्थानों को पकाए जाने वाले मांस की न केवल मात्रा का ध्यान रखना चाहिए वरन बर्बाद किए जाने वाले खाद्य के बारे में भी विचार करना चाहिए।

अतः विश्व में खाद्य पदार्थो की कमी नहीं है बल्कि भंडारण की उचित व्यवस्था नहीं हैं जिससे बर्बाद खाद्यान्न की लागत को सही उत्पादों की कीमत में जुड़ देने से खाद्यान्न महंगे हो जाते है। यदि आप इन्हें बर्बादी से बचा लें तो हर उत्पाद केवल अपनी लागत वसूल करेगा, जिससे महंगाई कम होगी, उत्पाद सस्ते होगे व गरीबी तक उनकी पहुुंच बन सकेगी।

Thursday 17 September 2015

गणेश जयंती पर

गणेशजी के बारे में कुछ रोचक तथ्य 


आज गणेश जयंती है। आप जानते ही हैं कि श्री गणेशजी को प्रथम पूज्य व संकटहर्ता माना जाता है इसलिए प्रत्येक शुभ काम करने से पहले भगवान गणेशजी की वंदना की जाती है जिससे कि वह मंगलमय व आनंदपूर्वक पूर्ण हो सके। गणेशजी के बारे में तो आप बहुत कुछ जानते ही होंगे आज हम यहां आपको उनके बारे में रोचक बातें बताने जा रहे हैं जोकि आपके कैरियर, बिजनेस व मैनेजमंट में आपका पथप्रदर्शन करेंगे।

जीवन के प्रत्येक क्षेत्र पढ़ाई, करि‍यर, घर, ऑफि‍स सभी में मैनेजमेंट बहुत जरूरी है जोकि आप श्रीगणेशजी से सीख सकते हैं। जरूरत है मात्र उन्हें दिमाग से समझने की:
  • शिवपुराण के अनुसार गणेशजी के शरीर का रंग लाल व हरा है। लाल रंग शक्ति का व हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है। अतः जहां पर गणेशजी का वास होगा शक्ति व समृद्धि अपने आप आ जाएगी।
  • मां पार्वती के पुण्यक उपवास के बाद जब गणेशजी को सभी देवता आशीर्वाद दे रहे थे तभी शनिदेव को सिर झुकाएं देखकर पार्वती ने कारण पूछा तो शनिदेव ने कहा उनकी दृष्टि गणेशजी के लिए शुभ नहीं है परंतु मां पार्वती के कहने पर उन्होंने गणेशजी को देखा और उनका अहित हुआ जिससे कुछ ही दिनों बाद शिवजी ने उनका सिर काट दियाा।
  • गणेशजी के दो विवाह हुए जिससे उनकी पत्नियां सिद्धि और रिद्धि हुई व दो पुत्र- क्षेत्र व लाभ हुए।
  • गणेश शिव पुत्र है पर फिर भी शिव ने उनकी पूजा की थी।
  • पार्वती माता ने जया और विजया सखियों के सुझाव(वे भी शिवजी की तरह एक ऐसे गण का निर्माण करें जो उनका आज्ञाकारी हो) पर गणेशजी की रचना की। 
  • गणेशजी के एकदंत के पीछे एक रोचक कहानी है। माना जाता है कि एक बार परशुरामजी कैलाश पर्वत पर भगवान शिव के दर्शन को गए गणेशजी ने परशुरामजी को अंदर न जाने दिया। क्रोधित परशुराम ने अपने फरसे से गणेशजी पर वार किया। शिवजी के फरसे का वार खाली न जाए इसलिए उन्होंने वह वार अपने दांत पर झेल लिया।
  • गणेशजी ने महाभारत का लेखन किया जबकि रचना वेदव्यासजी ने की। लेखन के लिए गणेशजी ने शर्त रखी थी कि उनकी लेखनी बीच में नहीं रुकनी चाहिए। ऐसे में, वेदव्यास ने उनसे कहा कि वे प्रत्येक श्लोक समझकर लिखें। श्लोक का अर्थ समझने में गणेशजी को कुछ समय लगता था इसी बीच वेदव्यासजी जरूरी कार्य पूरा कर लेते थे।
  • गणेश बुद्धिदाता व तर्क-वितर्क में माहिर हैं। इसी प्रकार उनका वाहन चूहा भी किसी भी चीज को कुतरकर उसकी चीर-फाड़ करके प्रत्येक अंग का विश्लेषण यानि तर्क-वितर्क में करता हैं। 
  • आपने गणेश का वाहन मूषक देखा ही होगा जोकि प्रबंधन की सबसे बड़ी सीख देता है कि कैसे हम छोटे-से-छोटे स्रोत का भी सही प्रकार से उपयोग या प्रबंधन कर सकते हैं। साथ ही यह सदा अलर्टनेस व मूवमेंट्स की प्रेरणा भी देता है यानि यदि आपको सफल होना है तो सदैव सक्रिय व गतिशील रहें व समय के साथ चलें।
  • भगवान गणेश सौम्य, शांति व चंचलता के प्रतीक माने हैं। प्रबंधक में भी इन गुणों का होना अत्यंत आवश्यक है तभी वह मार्केट या काॅलेज में आगे बढ़कर सफल हो सकता है। 
  • गणेशजी को विघ्नहर्ता कहा जाता है और विघ्नहर्ता को अर्थ प्रबंधक भी कहा जा सकता है, जो मुश्किल परिस्थितियों में भी सभी प्रकार के विघ्नों को शीघ्र हरकर विघ्नहर्ता बन जाए। 
  • आज के प्रतिस्पर्धा युग में प्रतियोगिता में जीत के लिए समय, प्रबंधन व परिस्थिति के अनुसार जल्दी कार्य करने की क्षमता बहुत जरूरी होती है। इस बात को गणेशजी के बचपन के प्रसंग जिसमें कार्तिकजी व गणेशजी के बीच प्रतियोगिता हुई थी से समझा जा सकता है। 
  • भगवान गणेश का एक दाँत से हमें सीख मिलती है कि हमें अपनी विशेषता को बचाकर रखना चाहिए व बेकार की चीजों को छोड़ देना चाहिए। इससे आप अपने कार्य का अधिक अच्छे ढंग से प्रबंधन करके बेकार की परेशानियों से बच सकेंगे। साथ ही एक दांत शिक्षा देता है कि नये बिजनेस की पूरी जानकारी करके ही उसे शुरू करें व कम संसाधन की चिंता न करें। चूंकि संसाधन तो बाद में जुटाए जा सकते हैं पर बिजनेस का पूर्ण ज्ञान आवश्यक है।
  • कोई भी काम को उत्कृष्ट तरीके से करने के लिए जरूरी है-संतुलन बनाना। प्रभु गणेशजी के छोटे पैर हमें अपने संतुलन को बनाने, धीरे-धीरे व छोटे कदमों से अपने उद्देश्य की ओर बढ़ने की शिक्षा देते है। 
  • श्री गणेश का बड़ा पेट शिक्षा देता है कि हममें अच्छी-बुरी बातों को पचाने की शक्ति होनी चाहिए। चाही-अनचाही बातों पर रिएक्ट करने या बिना सोचे-समझे कुछ करने से पहले जरूरी है कि उन बात को समझो-जानो उसके बाद ही किसी काम को अंजाम दो। साथ ही लाभ ही नहीं हानि को भी पचाने की पूरी क्षमता रखो। यदि आप हानि से विचलित होगे तो आगे जाकर उसे लाभ में नहीं बदल पाएंगे।
  • श्री गणेश के हाथ की रोप प्रतीक है कि आपको अपनी टीम सदस्यों को कॉमन गोल के प्रति प्रोत्साहित करना चाहिए जोकि टीम भावना पैदा करता है व सामूहिक तरीके से गोल को हासिल करता है।
  • गणेश के हाथ का मोदक मेहनत, लगन और साधना का प्रतीक है जोकि आपकी सफलता की नींव को मजबूत करता है।
  • गणेशजी का बड़ा सिर हमें शिक्षा देता है कि व्यापार में सदैव बड़ी सोच रखकर ही आगे बढें़। हमारे पास बिजनेस को आगे बढ़ाने हेतु एक ठोस प्लान व बड़ा लक्ष्य हो तभी हम अपने बिजनेस को नवीन ऊंचाइयों तक ले जा पाएंगे। 
  • श्री गणेशजी के लंबे कान भाग्यशाली होने का संकेत देते हैं। इससे वह सबकी सुनते हैं और अपनी बुद्धि और विवेक से ही किसी काम की शुरुआत करते हैं। बड़े कान हमेशा चैकन्ना रहने के भी संकेत देते हैं। यानि हम बिजनेस के समय हमेशा सर्तक रहें यानि बिजनेस की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की जानकारी रखें। इसके लिए अपना सूचना तंत्र मजबूत बनाते रखें, बिजनेस को प्रभावित करने वाली हर बात हमें तुरंत पता होनी चाहिए तभी तो आप सही समय पर उचित रणनीति बना सकेंगे।
  • गणेश जी की सूंड हमेशा हिलती डुलती रहती है, जो उनके सचेत होने का संकेत देती है। श्रीगणेशजी की हाथी जैसी सूंड बताती है कि लंबी सूंड की तरह हमें अपने बिजनेस संपर्क भी दूर-दूर तक बढ़ाने चाहिए जिससे उनका फायदा भी हमें समय-समय पर मिलता रहे। सूंड की मजबूत पकड़ सिखाती है कि आपको कर्मचारियों पर भी मजबूत पकड़ रखनी चाहिए जिससे कि हम हर हाल में अपने प्रतियोगी से न पिछड़े। 



  • गणेशजी की छोटी आंखें प्रेरणा देती हैं कि बिजनेस में नजर हमेशा अपने लक्ष्य पर रखें। छोटी आंख वाले सभी जीवों की आंखें बहुत तेज और पूरी तरह से अपने लक्ष्य पर होती हैं। 

यदि आप ऊपर बताए फंडे अपनायेगे तो सफलता और समृद्धि आएगी, दुनिया आपके कदमों में होगी, सभी आपसे प्रभावित होंगे और आपकी प्रशंसा करेंगे।