गणेश जयंती पर
गणेशजी के बारे में कुछ रोचक तथ्य
आज गणेश जयंती है। आप जानते ही हैं कि श्री गणेशजी को प्रथम पूज्य व संकटहर्ता माना जाता है इसलिए प्रत्येक शुभ काम करने से पहले भगवान गणेशजी की वंदना की जाती है जिससे कि वह मंगलमय व आनंदपूर्वक पूर्ण हो सके। गणेशजी के बारे में तो आप बहुत कुछ जानते ही होंगे आज हम यहां आपको उनके बारे में रोचक बातें बताने जा रहे हैं जोकि आपके कैरियर, बिजनेस व मैनेजमंट में आपका पथप्रदर्शन करेंगे।
जीवन के प्रत्येक क्षेत्र पढ़ाई, करियर, घर, ऑफिस सभी में मैनेजमेंट बहुत जरूरी है जोकि आप श्रीगणेशजी से सीख सकते हैं। जरूरत है मात्र उन्हें दिमाग से समझने की:
- शिवपुराण के अनुसार गणेशजी के शरीर का रंग लाल व हरा है। लाल रंग शक्ति का व हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है। अतः जहां पर गणेशजी का वास होगा शक्ति व समृद्धि अपने आप आ जाएगी।
- मां पार्वती के पुण्यक उपवास के बाद जब गणेशजी को सभी देवता आशीर्वाद दे रहे थे तभी शनिदेव को सिर झुकाएं देखकर पार्वती ने कारण पूछा तो शनिदेव ने कहा उनकी दृष्टि गणेशजी के लिए शुभ नहीं है परंतु मां पार्वती के कहने पर उन्होंने गणेशजी को देखा और उनका अहित हुआ जिससे कुछ ही दिनों बाद शिवजी ने उनका सिर काट दियाा।
- गणेशजी के दो विवाह हुए जिससे उनकी पत्नियां सिद्धि और रिद्धि हुई व दो पुत्र- क्षेत्र व लाभ हुए।
- गणेश शिव पुत्र है पर फिर भी शिव ने उनकी पूजा की थी।
- पार्वती माता ने जया और विजया सखियों के सुझाव(वे भी शिवजी की तरह एक ऐसे गण का निर्माण करें जो उनका आज्ञाकारी हो) पर गणेशजी की रचना की।
- गणेशजी के एकदंत के पीछे एक रोचक कहानी है। माना जाता है कि एक बार परशुरामजी कैलाश पर्वत पर भगवान शिव के दर्शन को गए गणेशजी ने परशुरामजी को अंदर न जाने दिया। क्रोधित परशुराम ने अपने फरसे से गणेशजी पर वार किया। शिवजी के फरसे का वार खाली न जाए इसलिए उन्होंने वह वार अपने दांत पर झेल लिया।
- गणेशजी ने महाभारत का लेखन किया जबकि रचना वेदव्यासजी ने की। लेखन के लिए गणेशजी ने शर्त रखी थी कि उनकी लेखनी बीच में नहीं रुकनी चाहिए। ऐसे में, वेदव्यास ने उनसे कहा कि वे प्रत्येक श्लोक समझकर लिखें। श्लोक का अर्थ समझने में गणेशजी को कुछ समय लगता था इसी बीच वेदव्यासजी जरूरी कार्य पूरा कर लेते थे।
- गणेश बुद्धिदाता व तर्क-वितर्क में माहिर हैं। इसी प्रकार उनका वाहन चूहा भी किसी भी चीज को कुतरकर उसकी चीर-फाड़ करके प्रत्येक अंग का विश्लेषण यानि तर्क-वितर्क में करता हैं।
- आपने गणेश का वाहन मूषक देखा ही होगा जोकि प्रबंधन की सबसे बड़ी सीख देता है कि कैसे हम छोटे-से-छोटे स्रोत का भी सही प्रकार से उपयोग या प्रबंधन कर सकते हैं। साथ ही यह सदा अलर्टनेस व मूवमेंट्स की प्रेरणा भी देता है यानि यदि आपको सफल होना है तो सदैव सक्रिय व गतिशील रहें व समय के साथ चलें।
- भगवान गणेश सौम्य, शांति व चंचलता के प्रतीक माने हैं। प्रबंधक में भी इन गुणों का होना अत्यंत आवश्यक है तभी वह मार्केट या काॅलेज में आगे बढ़कर सफल हो सकता है।
- गणेशजी को विघ्नहर्ता कहा जाता है और विघ्नहर्ता को अर्थ प्रबंधक भी कहा जा सकता है, जो मुश्किल परिस्थितियों में भी सभी प्रकार के विघ्नों को शीघ्र हरकर विघ्नहर्ता बन जाए।
- आज के प्रतिस्पर्धा युग में प्रतियोगिता में जीत के लिए समय, प्रबंधन व परिस्थिति के अनुसार जल्दी कार्य करने की क्षमता बहुत जरूरी होती है। इस बात को गणेशजी के बचपन के प्रसंग जिसमें कार्तिकजी व गणेशजी के बीच प्रतियोगिता हुई थी से समझा जा सकता है।
- भगवान गणेश का एक दाँत से हमें सीख मिलती है कि हमें अपनी विशेषता को बचाकर रखना चाहिए व बेकार की चीजों को छोड़ देना चाहिए। इससे आप अपने कार्य का अधिक अच्छे ढंग से प्रबंधन करके बेकार की परेशानियों से बच सकेंगे। साथ ही एक दांत शिक्षा देता है कि नये बिजनेस की पूरी जानकारी करके ही उसे शुरू करें व कम संसाधन की चिंता न करें। चूंकि संसाधन तो बाद में जुटाए जा सकते हैं पर बिजनेस का पूर्ण ज्ञान आवश्यक है।
- कोई भी काम को उत्कृष्ट तरीके से करने के लिए जरूरी है-संतुलन बनाना। प्रभु गणेशजी के छोटे पैर हमें अपने संतुलन को बनाने, धीरे-धीरे व छोटे कदमों से अपने उद्देश्य की ओर बढ़ने की शिक्षा देते है।
- श्री गणेश का बड़ा पेट शिक्षा देता है कि हममें अच्छी-बुरी बातों को पचाने की शक्ति होनी चाहिए। चाही-अनचाही बातों पर रिएक्ट करने या बिना सोचे-समझे कुछ करने से पहले जरूरी है कि उन बात को समझो-जानो उसके बाद ही किसी काम को अंजाम दो। साथ ही लाभ ही नहीं हानि को भी पचाने की पूरी क्षमता रखो। यदि आप हानि से विचलित होगे तो आगे जाकर उसे लाभ में नहीं बदल पाएंगे।
- श्री गणेश के हाथ की रोप प्रतीक है कि आपको अपनी टीम सदस्यों को कॉमन गोल के प्रति प्रोत्साहित करना चाहिए जोकि टीम भावना पैदा करता है व सामूहिक तरीके से गोल को हासिल करता है।
- गणेश के हाथ का मोदक मेहनत, लगन और साधना का प्रतीक है जोकि आपकी सफलता की नींव को मजबूत करता है।
- गणेशजी का बड़ा सिर हमें शिक्षा देता है कि व्यापार में सदैव बड़ी सोच रखकर ही आगे बढें़। हमारे पास बिजनेस को आगे बढ़ाने हेतु एक ठोस प्लान व बड़ा लक्ष्य हो तभी हम अपने बिजनेस को नवीन ऊंचाइयों तक ले जा पाएंगे।
- श्री गणेशजी के लंबे कान भाग्यशाली होने का संकेत देते हैं। इससे वह सबकी सुनते हैं और अपनी बुद्धि और विवेक से ही किसी काम की शुरुआत करते हैं। बड़े कान हमेशा चैकन्ना रहने के भी संकेत देते हैं। यानि हम बिजनेस के समय हमेशा सर्तक रहें यानि बिजनेस की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की जानकारी रखें। इसके लिए अपना सूचना तंत्र मजबूत बनाते रखें, बिजनेस को प्रभावित करने वाली हर बात हमें तुरंत पता होनी चाहिए तभी तो आप सही समय पर उचित रणनीति बना सकेंगे।
- गणेश जी की सूंड हमेशा हिलती डुलती रहती है, जो उनके सचेत होने का संकेत देती है। श्रीगणेशजी की हाथी जैसी सूंड बताती है कि लंबी सूंड की तरह हमें अपने बिजनेस संपर्क भी दूर-दूर तक बढ़ाने चाहिए जिससे उनका फायदा भी हमें समय-समय पर मिलता रहे। सूंड की मजबूत पकड़ सिखाती है कि आपको कर्मचारियों पर भी मजबूत पकड़ रखनी चाहिए जिससे कि हम हर हाल में अपने प्रतियोगी से न पिछड़े।
- गणेशजी की छोटी आंखें प्रेरणा देती हैं कि बिजनेस में नजर हमेशा अपने लक्ष्य पर रखें। छोटी आंख वाले सभी जीवों की आंखें बहुत तेज और पूरी तरह से अपने लक्ष्य पर होती हैं।
यदि आप ऊपर बताए फंडे अपनायेगे तो सफलता और समृद्धि आएगी, दुनिया आपके कदमों में होगी, सभी आपसे प्रभावित होंगे और आपकी प्रशंसा करेंगे।
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