ऑनलाइन शॉपिंग भी नशे से कम नहीं
2024 तक इसे दिया जा सकता है ’लत’ करार
आज की दुनिया तकनीक की है। सारे काम ऑनलाइन कम्प्यूटर या मोबाइल से किए जा रहे हैं। खरीददारी हो, बिल भुगतान, होटल-टिकट बुकिंग लगभग सभी कुछ। जीवन को बहुत आसान बना दिया है तकनीक ने। बटन दबाया काम आराम से हो गया, बिना कोई कष्ट उठाए।
घर बैठे कम्प्यूटर या मोबाइल पर क्लिक करके मनचाहा सामान चुटकियों में मंगवाने की यह आदत आने वाले कुछ सालों में लत का रूप ले सकती है। रिसर्च फर्म गार्टनर की माने तो आने वाले समय में ऑनलाइन शॉपिंग की आदत इस कद्र बढ़ जाएगी कि 2024 तक विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इस लत को बीमारी करार दे देगा। 2022 तक डिजिटल कॉमर्स प्लैटफॉर्म्स पर ग्राहकों के खर्च में प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी होगी। ऑनलाइन शॉपिंग के आरामदायक होने से लाखों लोगों में वित्तीय तनाव पैदा होगा, क्योंकि ऑनलाइन रिटेलर्स उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और पर्सनलाइजेशन का इस्तेमाल बढ़ा रहे हैं। इसके चलते खरीदार जरूरत से अधिक पैसा खर्च कर रहे हैं, जो उनकी जेब पर भारी पड़ रहा है। माली हालत बिगड़ने से डिप्रेशन और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। डब्ल्यूएचओ इन पहलूओं पर नजर बनाएं हुए है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑनलाइन शॉपिंग की बढ़ती सुगमता से लाखों लोगों पर वित्तीय संकट और बढ़ जाएगा। असल में अधिकांश ऑनलाइन विक्रेताओं द्वारा अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का सहारा लिया जाता हैं। इससे वह लोगों को टारगेट करके उन्हें बिना जरूरत के अधिक खरीदारी करने को विवश करते हैं। इसके चक्कर में पड़कर उपभोक्ता अपनी आवश्यकता एवं क्षमताओं से अधिक खरीददारी करने लगते हैं। बेरोजगारी बढ़ती है। लाखों लोगों का परिश्रम से कमाया हुआ धन गैरजरूरी चीजें खरीदने पर भी व्यय हो जाता है।
रिपोर्ट में दावा किया गया कि 2024 तक आर्टिफिशियल इमोशन इंटेलिजेंस के उपयोग से भारी मानवीय संकट पैदा होगा। तकनीक की सहायता से रोबोट भावनाओं को नियंत्रित करेगा। इंसान बैठकर इस रोबोट को कंट्रोल करेगा और कार्य संचालित किया जाएगा। ऐसे में कौशल की विकलांगता बढ़ेगी। उदाहरणतः रेस्टोरेंट अपने यहां ऑर्डर लेने एवं भोजन परोसने के लिए रोबोट का प्रयोग करेगा जो आगंतुकों से बात भी करेगा तथा उनकी पसंद भी समझेगा। ऐसे में होटल मैनेजमेंट में निपुण वेटरों का कौशल बेकार जाएगा। चूंकि वे मात्र रोबोटों को चलाते रह जाएंगे। गार्टनर ने इसके दूसरे पहलू का भी अनुमान लगाया है कि एआई और उभरती हुई तकनीकों के चलते 2023 तक शारीरिक रूप से असमर्थ लोगों के लिए रोजगार के मौके बढ़ेंगे। डिस्टिंग्विश्ड वाइस प्रेसिडेंट और गार्टनर फेलो डेरिल प्लमर ने बताया, ’इस तरह के लोगों के कौशल को अब तक उतने अवसर नहीं मिले हैं। एआई ऑगमेंटेड रिऐलिटी (एआर), वर्चुअल रियलिटी (वीआर) और अन्य उभरती तकनीकों के कारण इनके लिए काम करना आसान हुआ है। उदाहरणतः कुछ रेस्टोरेंट एआई रोबोटिक्स टेक्नॉलजी को आजमा रहे हैं। इससे पैरालाइज्ड कर्मचारियों को रोबॉटिक वेटर को नियंत्रित करने की सुविधा मिलती है।
रिपोर्ट की माने तो 2025 तक 50 प्रतिशत से अधिक मोबाइलधारक के बैंकों में खाते नहीं होगे। वे क्रिप्टो करंसी का इस्तेमाल करेंगे। इतना ही नहीं वर्ष 2023 तक लगभग 4 जी-7 देशों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग डिजाइनरों की निगरानी हेतु एक स्व-विनियमन संघ की स्थापना करनी पड़ सकती है। 2023 तक लगभग 30 पर्सेंट वर्ल्ड न्यूज और विडियो कॉटेंट को ब्लॉकचेन के जरिए जांचा जाएगा, ताकि फेक न्यूज पर लगाम कसी जा सके।