4000 साल से हो रहा है मिट्टी का कटाव
अब आने शुरू हो गए हैं दुष्परिणाम
झील के तलछट को मृदा अपरदन गतिविधियों का प्राकृतिक अभिलेखागार माना जा सकता है। मिट्टी का कटाव पारिस्थितिक तंत्र की उत्पादकता को कम करके प्राकृतिक पोषक तत्वों के आदान प्रदान क्रिया में भी बदलाव लाता है, जिससे जलवायु एवं समाज प्रभावित होता है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि मनुष्यों द्वारा किये जा रहे कार्यों और भूमि उपयोग में होने वाले परिवर्तनों ने औद्योगिकीकरण से बहुत पहले ही मिट्टी के कटाव को तेज कर दिया था। भूविज्ञानी जीन-फिलिप जेनी (मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट) की माने तो साल दर साल मिट्टी और चट्टान के टुकड़े तलछट के रूप में परत दर परत जमा हो जाती है, जो झीलों के तल पर संरक्षित रहते हैं। 14 से. रेडियोकार्बन तकनीक का प्रयोग करके वैज्ञानिकों ने तलछट की परतों की आयु और तलछट के संचय होने की दर का पता लगाया है। इस तलछट के बढ़ने का कारण पेड़ों के बचे हिस्सों के जमाव का बढ़ना था, जो कि भूमि उपयोग में बदलाव के कारण हुआ था। इसके पीछे की वजह आबादी के लिए घरों के निर्माण और कृषि के लिए किया गया था। समय के साथ मानव बस्तियों में होने वाले सामाजिक-आर्थिक विकास का असर तलछट पर भी दिखाई देता है।
अतः हाल फिलहाल में ही ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन ने अचानक अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है, पर मानवीय गतिविधियों ने 4,000 साल पहले ही वैश्विक पर्यावरण को प्रभावित करना आरंभ कर दिया था। विश्लेषण के बाद पाया गया पूर्वानुमान 80 प्रतिशत तक सही है।
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