Friday 30 December 2016

नये साल में करें यह काम
रहेंगे आगे, बढ़ेगा सम्मान


दोस्तों! वर्ष 2016 को अलविदा करने और नववर्ष 2017 का स्वागत करने का समय करीब आता जा रहा है। यह एक ऐसा अवसर है जब आप नये साल पर Resolution लेकर अपने जीवन को पहले से बेहतर बना सकते हैं। आज हम आपको ऐसी कुछ बातों और आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनको अपनाकर आप प्रगति की सीढ़ियों में निरंतर आगे बढ़ सकते हैं। चलिए जानते हैं ऐसी ही कुछ बातों को:
1. करे अपने कामों का आकलन
हम देखते हैं कि कुछ लोग लगातार जीवन में सफलताएं हासिल करते हैं, कुछ अलग करते हैं और सफलता की सीढ़ियां चढ़ते जाते हैं। हमें उनसे सदैव प्रेरणा लेने की जरूरत होती हैं। इसीलिए कहा जाता है कि सफल लोग सफलता के लिए मात्र मेहनत और काम ही नहीं करते बल्कि उसका सही समय पर आकलन और जांच भी करते हैं। दूसरों से सलाह लेते हैं। लक्ष्य को जानते हैं और गलती से सीखते हैं।
2. कामों को बांटकर करें
कठिन से कठिन काम भी आसान हो जाता है, अगर हम उसे टुकड़ों में बांटकर करते हैं।

3. छोटे-छोटे सकारात्मक बदलावों से शुरू करके निरंतर बदलाव लाएंः
पौष्टिक भोजन लें, नियमित व्यायाम करें, प्रातःकाल सैर पर जाएं और प्रोडक्टिव आदतें विकसित करें। इससे आपमें उत्साह बढ़ेगा, सफलता मिलेगी।
4. लक्ष्यों को दोहराते रहें, सबसे जरूरी काम पहले करेंः
कई बार मीटिंग्स, कालिंग, ईमेल आदि व्यस्त दिनचर्या महत्वपूर्ण होने का अनुभव तो करवाती है, पर यह केवल भ्रम पैदा करती है। यानि आपको लगता है कि इसके बावजूद भी आप कोई प्रोडक्टिव काम नहीं कर रहे है। ऐसे में, जरूरी है कि थोड़ी देर रुककर, अपने लक्ष्यों को दोहराएं, सबसे जरूरी काम को पहले करें। एक समय पर एक ही काम करें।

5. अवसरों को पहचानेंः
अनेक बार हम अपनी दिनचर्या के इतने आदी हो जाते हैं कि हम अवसर को दूसरे कामों और हमारे दायरे से बाहर की बात के रूप में देखते लगते हैं। इसीलिए अवसर आते हैं और चलते जाते हैं, हम उनकी ओर कदम तक नहीं बढ़ा पाते। चूंकि हमें लगता है कि इसके लिए विशेष योग्यता और ज्ञान की जरूरत है। याद रखें कि कोई भी व्यक्ति सदैव अवसर आजमाने को सौ फीसदी तैयार नहीं होता।
6. कंफर्ट जोन से बाहर आएं, जोखिम लें और नई चीजों को सीखें 
सफल इंसान अपने कंफर्ट जोन से बाहर आकर जोखिम लेता है। नई चीजों से सीखता है और आगे बढ़कर सफलता प्राप्त करता है।
7. खुद खुश रहें, दूसरों को खुश रखें
हम अपना सर्वश्रेष्ठ तभी दे सकते हैं जबकि हम सौहार्दपूर्ण तनावरहित वातावरण में काम कर रहे हों।
8. लगन और उत्साह कायम रखेंः
सफलता की इच्छा को अपनी प्राणवायु बनाएं। लगन और उत्साह के ईंधन से सफलता की गाड़ी गतिशील रखें।

9. समय के साथ चलें
समय प्रबंधन करके अपने कार्यों को व्यवस्थित रखें।
10. जागरूक रहेंः
जागरूक एवं सचेत बनने के लिए अपने कार्य, नियंत्रण क्षेत्र और दृष्टिकोण को व्यापक करें। आंख-कान खोलकर रखें, बुद्धि को सूक्ष्म तथा हृदय को विशाल बनाएं।
11. अपनी क्षमताओं और कमजोरियों को जानेंः
बचपन में खेले शतरंज के खेल की तरह प्रत्येक कदम सोच-समझकर, अपनी शक्ति और सीमाओं का आकलन करके उठाएं पर याद रखें कि सावधनी शतरंज के खेल से भी अधिक रखें क्योंकि जीवन कोई शतरंज का खेल नहीं है।

12. कभी दूसरों की नकल न करेंः
अपने रास्ते खुद बनाएं। अंधानुकरण करकें भेड़-चाल न अपनाएं।
अंग्रेजी की एक प्रेरक कहावत है-‘‘स्ट्रगल एंड शाइन’’, यह हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। जीवन की ठोकरों से सीखकर हमें संभलना हैं। इनसे सावधानीपूर्वक बचने की कोशिश तो करनी है, पर इससे मिलने वाली नई सीख से प्रेरणा भी लेनी है। मुश्किलों से घबराएं नहीं, बल्कि उनका सामना करें। इसे रसायन शास्त्र के नियम से समझ सकते हैं, जोकि जीवन पर भी लागू होता है। जब कोई अणु टूटकर फिर से अपनी पहले वाली अवस्था में आता है तो वह पहले से अधिक मजबूत हो जाता है। तो चलो इस बात को अपनाएं-‘‘मंजिल मिल ही जायेगी भटकते ही सही, गुमराह तो वो है जो घर से निकले ही नहीं...।’’
आप सभी को नववर्ष 2017 की हार्दिक शुभकामनाएं।

  

Saturday 24 December 2016

आप लगते हैं अगर डाई तो हो जाए होशियार
उठाना पड़ सकता है यह नुकसान


बालों की सफेदी को छुपाने के लिए आजकल हम से अधिकांश लोग डाई का प्रयोग करते हैं। इतना ही नहीं कुछ तो शौकिया बालों के रंग को मनचाहा रूप देने के लिए भी इस डाई नुमा केमिकल हेयर डाई का प्रयोग करते हैं। अगर आप भी बालों को डाई करते हैं या करने का प्लान बना रहे हैं तो सावधान हो जाए क्योंकि इससे आपकी आंखों पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

इतना ही नहीं डाई सिर पर लगाने से आपका आंखों का प्रभाव भी जा सकता है। चूंकि यदि डाई में पैरा पिपली हाईडीन (पीपीडी) केमिकल तीन प्रतिशत से अधिक है, तो यह बेहद हानिकारक हो सकता है। बड़ी नुकसानदायक बात तो यह है कि स्किन एलर्जी होने की अवस्था में डाई लगाने से डेढ़ वर्ष में ही आपकी आंखों की रोशनी भी जाने की संभावना होती है।

साथ ही कंप्यूटर एवं लैपटॉप आदि पर निरंतर टकटकी लगाकर काम करने से कार्निया ड्राईनेस भी हो सकता है। इससे ऐनक भी लग सकती है। इसलिए ऐनक से कंप्यूटर, लैपटॉप की किरणों का प्रभाव कम हो पड़ता है। आंखों का प्रभाव दुरुस्त रखने हेतु हमेशा छः माह पर एक बार आंखों की जांच अवश्य करवाएं।

Friday 23 December 2016

सरकार दे सकती है अभी
आपको कुछ ऐसे झटके


नोटबंदी और फिर पीएफ में ब्याज दर में कटौती जैसे अनेक कदम उठाने के बाद सरकार अनेक दूसरे क्षेत्रों में भी मध्यम वर्ग को झटके दे सकती है, ऐसी संभावना जताई जा रही है। इसके अंतर्गत सरकार द्वारा पीएफ के बाद पब्लिक प्रविडेंट फंड यानि पीपीएफ जैसी अन्य छोटी बचत योजनाओं में निवेश करने वाले लोगों को भी ब्याज दर में कटौती का झटका दे सकती। यदि सरकार गोपीनाथ समिति की बातों को मानती है तो इन पर ब्याज दर में लगभग 100 बेसिस पॉइंट की कटौती हो सकती है। ऐसा हुआ तो छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर गिरकर 7 प्रतिशत हो सकती है। ज्ञात हो कि गोपीनाथ समिति ने सरकारी बॉन्ड्स की प्राप्तियों के अनुसार छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरें निश्चित करने का सूत्र दिया है। इसमें कहा गया है कि पिछले 3 माह से छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर अभी सरकारी बॉन्ड्स पर बराबर अवधि में मिलनेवाले ब्याज से थोड़ा अधिक है। पीपीएफ मामले में 10 वर्ष की औसत सरकारी बॉन्ड यील्ड से 25 बेसिस पॉइंट अधिक है। 10 वर्ष की सरकारी बॉन्ड यील्ड गिरकर 6.5 प्रतिशत पर पहुंच गई है एवं गत 3 माह से यह लगातार 7 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है। ऐसे में, संभावना है कि  पीपीएफ दर जनवरी-मार्च तिमाही में 7 प्रतिशत तक भी आ सकता है।

जबकि विश्लेषकों की माने तो सरकार छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में इतनी ज्यादा कटौती नहीं करेगी। चूंकि नोटबंदी की ‘छोटी सी असुविधा’ आगे विकराल असंतोष का रूप ले सकती है। बलवंत जैन (इन्वेस्टमेंट और टैक्स एक्सपर्ट) के अनुसार, सरकार ने गोपीनाथ फॉर्म्युले को लंबे समय से ठंडे बस्ते में डाल रखा है, इसलिए पीपीएफ रेट में 20-25 प्रतिशत तक की ही कटौती हो सकती है। यद्यपि, निःसंदेह पीपीएफ रेट नीचे ही जाएगा। सरकार अगर प्रविडेंट फंड (पीएफ) पर ब्याज दर में कटौती करने से बाज नहीं आई जो राजनीतिक रूप से ज्यादा संवेदनशील मसला है तो यह भी लगभग तय है कि पीपीएफ रेट में कटौती से भी सरकार नहीं हिचकिचाएगी।

चिंतनीय यह है कि नैशनल सेविंग सर्टिफिकेट्स यानि एनएससीज आदि छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें कम हुईं तो इनकी चमक फीकी पड़ेगी। अभी एनएससीज पर 8 प्रतिशत ब्याज मिलता है जोकि बैंक डिपॉजिट्स से अधिक आकर्षक बना हुआ है।


Thursday 22 December 2016

कहीं आप भी तो नहीं खाते न्यूजपेपर में खाकर खाना
खाते हैं तो हो जाएं सावधान


आप समाचार पत्र यानि न्यूजपेपर में खाना रखकर तो नहीं खाते या फिर अपना खाना न्यूजपेपर में तो पैक नहीं करते हैं। अगर आप ऐसा करते हैं तो सावधान हो जाए। चूंकि हाल ही में भारत सरकार के एफएसएसआई ने जारी की एक एडवाइजरी में कहा है कि न्यूजपेपर की प्रिंटिग इंक में अनेक टॉक्सिन्स होते हैं जो फूड को हार्मफुल बना देते हैं। चलिए जानते हैं आपकी यह आदत आपके और परिवार के स्वास्थ्य के लिए कैसे खतरनाक हो सकती ।
वास्तव में पानी और तेल घुलनशील होते हैं इसलिए जब हम कोई चीज इसपर रखकर खाते हैं तो इंक आसानी से खाने में घुलकर शरीर में पहुंच जाती है। न्यूज पेपर की प्रिटिंग इंक में मल्टीपल बायो-एक्टिव मटेरिल्यस इस्तेमाल होता है। ये स्वास्थ्य को हानि पहुंचाता है। साथ ही प्रिटिंग इंक में अनेक नुकसानदायक कलर्स, पिगमेंट्स, बाइंडर्स और इंक स्टेबलाइजर उपयोग होते हैं जोकि सेहत को हानि पहुंचाते हैं। प्रिंटिंग इंक में मौजूद पैथेलेट रसायन शरीर में जाकर पाचन क्रिया बिगाड़ देता है और पेट दर्द की समस्या पैदा करता है। यह शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को भी कमजोर करता है, जोकि शरीर में कैंसर आदि रोग पैदा करता है। इतना ही कार्डबोर्ड भी बेहद हानिप्रद होते हैं, क्योंकि यह रिसाइकल पेपर्स से बनते हैं।


Wednesday 21 December 2016

पौधों का बाप यानि अल्फा-अल्फा
धरती के इस वरदान को जानते हैं आप


अल्फा-अल्फा अरबी शब्‍द है जिसका अर्थ है ‘पौधों का बाप’। यह पढ़कर शायद आपको हंसी आ रही हो लेकिन जब आप इसके गुणों के बारे में सुनेगे तो हैरान रह जाएगे। सुपर फूड और धरती का वरदान कहे जाने वाले अल्फा-अल्फा (ALFALFA) पर आज अनेकों देशी-विदेशी कंपनिया शोध कर चुकी हैं। इसे रिजका भी कहते हैं, जोकि सामान्यतः गाँवों में पशुओं के चारे हेतु प्रयोग की जाती है। इसकी जड़ें भूमि से लगभग 20-30 फीट नीचे होने से इसमें वे खनिज लवण रहते हैं, जोकि प्रायः जमीन की सतह पर उपस्थित नहीं होते।
जाने अल्फा-अल्फा के फायदे
अल्फा-अल्‍फा मिनरल का सबसे उच्‍च स्रोत है। स्‍वस्‍थ शरीर के रख-रखाव में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाने, विटामिन, मिनरल और दूसरे पोषक तत्‍वों से भरपूर अल्फा-अल्फा हड्डियों को शक्ति देने व उनके विकास में भी मदद करता है। यह प्रोटीन, विटामिन ए, विटामिन बी1, विटामिन बी6, विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के, कैल्शियम, पोटेशियम, कैरोटीन, आयरन एवं जिंक से भरपूर होता है। इसको बीज, पत्ते या गोलियों के रूप में लिया जा सकता है। आर्थराइटिस, किडनी, यूरीन, कोलेस्‍ट्रॉल स्‍तर, स्‍ट्रोक आदि समस्‍याओं के उपचार में इसका उपयोग किया जाता है।
गठिया रोग में करे प्रयोग
हड्डी गठन एवं मजबूत बनाने में मिनरल जरूरी है, जोकि अल्‍फा-अल्‍फा में भरपूर होता है। इसलिए यह गठिया उपचार में बहुत लाभप्रद है। अल्‍फा-अल्‍फा के बीज से बनी चाय गठिया उपचार में बेहतरीन है।

कैंसर पर नियंत्रण
अल्फा-अल्‍फा/रिजका में अमीनो अम्ल पैंक्रियाटिक, ल्यूकेमिया एवं कोलन होता है, जोकि कैंसर से लड़ने के लिए अच्छा है।
ब्‍लड शुगर में लाभकारी
ब्‍लड शुगर स्‍तर को कम करने के लिए अल्‍फा-अल्‍फा अच्छा है। यह डायबिटीज दूर करने का प्राकृतिक उपचार है।
किडनी की पथरी में फायदेमंद
अल्‍फा-अल्‍फा में विटामिन ए, सी, ई और जिंक होता है, जोकि किडनी की पथरी को गलाकर निकालने में सहायक होता है। यह विटामिन एवं मिनरल अल्फा-अल्‍फा पाउडर एवं स्प्राउट में पा सकते हैं।
गंजेपन एवं बाल झड़ने को रोकने का प्राकृतिक उपचार 
पोषक तत्‍वों से समृद्ध अल्‍फा-अल्‍फा रस को समान मात्रा में गाजर और सलाद (स्मजजनबम) पत्तों के रस में मिलाकर रोज बालों में लगाइए। इसका रस बालों के विकास एवं बाल के झड़ने को रोकने में मदद करती है।
मासिक धर्म समस्याओं में लाभकारी 
अल्‍फा-अल्‍फा में एस्ट्रोजेनिक गुण होने से यह महिलाओं में मासिक धर्म में होने वाले लक्षणों और दर्द को कम करने का बहुत ही प्रभावी होता है।

सांस रोग में लाभप्रद
अल्‍फा-अल्‍फा का जूस क्‍लोरोफिल का बढ़िया स्रोत है इसलिए यह श्वसन संबंधी समस्याओ के उपचार में बढ़िया होता है। सांस की परेशानी मुख्यतः फेफड़ो और साइनस से होने वाली समस्‍याओं के समाधान के लिए इसके जूस का उपयोग होता है।
उच्‍च रक्तचाप में फायदेमंद
अल्‍फा-अल्‍फा कठोर धमनियों को नरम करने में सहायक है जिससे उच्‍च रक्तचाप प्राकृतिक रूप से कम होता है।

पेट रोगों में लाभकारी
नियमित रूप से थोड़ी मात्रा में अल्‍फा-अल्‍फा बीजों के सेवन से पेट संबंधी रोगों से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्युनिटी बढ़ती है। इसका प्रयोग चाय के रूप में भी किया जा सकता है।
मोटापा कम करने में सहायक
अल्‍फा-अल्‍फा स्‍प्राउट्स स्वस्थ एवं स्वादिष्ट होने के साथ-साथ आदर्श कम कैलोरी आहार है, जोकि चीनी, वसा, संतृप्त वसा अथवा कोलेस्ट्रॉल रहित है। साथ ही कुरकुरा खाद्य फाइबर तथा प्रोटीन से भरपूर है इसीलिए इसके सेवन से परिपूर्णता का अनुभव लंबे समय तक होता रहता है।
सफेद दाग का उपचार
सौ ग्राम रिजका में ककडी का रस मिलाकर पीने से सफेद दागों में बहुत लाभ होता हैं।

Monday 19 December 2016

तो इसलिए खाएं जाते हैं भीगे हुए बादाम


बादाम हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही उपयोगी हैं और अगर वह भीगे हुए तो वह और भी अधिक फायदेमंद होते हैं। चूंकि इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटामिन ई और ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में होता है। यह पाचन क्रिया को दुरूस्त रखता है। बादाम का भूरा रंग का छिलका टैनीन लिए होता है जोकि पोषक तत्वों के अवशोषण को रोकता है।
जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित हुई एक स्टडी की माने तो बादाम एक बहुत ही शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट एजेंट है, जोकि एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के ऑक्सीकरण को रोकने में सहायता करता है। बादाम का यह गुण हृदय को स्वस्थ रखने एवं पूरी हृदय प्रणाली को हानि व ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाव में मदद करता है। अतः दिल रोग पीड़ित स्वस्थ रहने के लिए आहार में भीगे हुए बादाम को सम्मिलित करें।

डॉ. डी हिमांशु की माने तो बादाम ठंड में बहुत लाभकारी है। रात में भिगोकर सुबह छीलकर बादाम खाने से बीपी, हार्ट, कोलेस्ट्रॉल आदि में लाभ मिलता है। भीगा हुआ बादाम एंटीऑक्सीडेंट का भी अच्छा स्रोत होता है। भीगे हुए बादाम शरीर का वजन कम करने में भी सहायक होते हैं। इसमें उपस्थित मोनोसेच्युरेटेड फैट भूख रोकने में मदद करता है।
उच्च कोलेस्ट्रॉल हृदय रोग एवं दिल की धमनियों में रुकावट सहित अनेक प्रकार की बीमारियों का कारक है। इस समस्या के लिए बादाम आपकी सहायता कर सकता है। बादाम शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाने और खराब कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करने में भी सहायक होता है।
जर्नल फ्री रेडिकल रिसर्च में प्रकाशित स्टडी की माने तो रिसर्चर्स ने पाया कि बादाम का सेवन ब्लउ में अल्फा टोकोफेरॉल की मात्रा बढ़ता है, जोकि किसी रक्तचाप को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होता है। नियमित रूप से बादाम खाने से एक व्यक्ति का बीपी नीचे लाया जा सकता है।

Saturday 17 December 2016

डकार आए तो न घबराएं
ऐसे शरीर को स्वस्थ पाएं


डकार आना एक सामान्य शारीरिक क्रिया का अंग है। अनेक लोग डकार को पेट भरने से तो कुछ लोग बदहजमी से जोड़कर देखते हैं, परंतु यह सोच गलत है। इस हम एक उदाहरण से अच्छी तरह से समझ सकते हैं जैसेकि जब हम कुकर में सब्जी पकाते हैं और उस समय गैस अधिक बन जाने पर वह सेफ्टी वॉल्व से बाहर निकल जाती है और अपने आप सीटी बजने लगती है, ठीक उसी प्रकार पेट में एकत्र गैस ध्वनि के साथ जब मुंह और गले द्वारा बाहर आती है तो उसे डकार कहा जाता है। चलिए जानते हैं कि डकार से संबंधित कुछ रोचक जानकारियां।

भोजन करते समय भोजन के साथ ही कुछ हवा पेट में चली जाती है। भोजन नली एवं पेट के बीच का दरवाजा भोजन करते समय खुल जाता है। भोजन के पेट में चले जाने के बाद यह स्वयं ही बंद हो जाता है, जिससे पेट में थोड़ी-बहुत हवा एकत्र हो जाती है। साॅफ्ट डिंªक आदि पदार्थों के सेवन के समय पेट में अधिक गैस पैदा हो जाती है। हमारे शरीर का कंट्रोल रूम यानि मस्तिष्क इन बेकार गैसों को बाहर करने का आॅर्डर दे देता है। इसके बाद कुछ मांसपेशियां कठोर हो जाती हैं और भोजन नली में छाती एवं पेट के बीच का दरवाजा कुछ समय के लिए खुल जाता है। हवा गले एवं मुंह से होती हुई बाहर आती है जिसे डकार कहा जाता है। यह दर्शाता है कि पेट भर गया है।

डकार के साथ आवाज इसलिए आती है। चूंकि एकत्र हवा पेट से भोजन नली में आती है एवं एक प्रकार का कंपन करती है, जो गले एवं मुंह से बाहर आने पर आवाज करती है। पेट की वायु बाहर आने पर कंपन न करे तो आवाज नहीं आएगी, जोकि संभव नहीं है। चूंकि यह सामान्य शारीरिक क्रिया है।
यदि डकार नहीं आता है तो माना जाता है कि मस्तिष्क पेट में इकट्ठी गैस को बाहर जाने का आदेश देने में कुछ देरी कर रहा है, जिससे हम बेचैनी महसूस करने लगते हैं।
डकार न आना हमारे लिए नुकसानदायक भी साबित होता है, क्योंकि यह सामान्य प्रक्रिया है। इसलिए ऐसा न होने से पेट में प्रायः दर्द रहती है, भूख कम लगती है और पाचन क्रिया ढली पड़ जाती है।

Thursday 15 December 2016

प्राकृतिक मिठाई-गुड़ 
खाने के इन फायदों को नहीं जानते होंगे आप


प्राकृतिक मिठाई गुड़ न केवल स्वाद बल्कि सेहत का भी खजाना है। चलिए आपको इसके इन्हीं स्वास्थ्यवर्धक गुणों और लाभों से अवगत करवाते हैं, जिनसे आप अब तक अनजान होंगे:
दुरूस्त होता पाचनः 
गुड़ पेट की समस्याओं से निपटने का बेहद आसान व लाभप्रद उपाय है। यह पेट में गैस बनने एवं पाचन क्रिया से जुड़ी दूसरी समस्याओं को हल करने में बेहतरीन उपाय है। भोजन के बाद गुड़ सेवन पाचन में सहयोग करता है। प्रतिदिन दोपहर व रात के खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ मुंह में रखकर चूसने से पाचन भी बेहतर होता है, और गैस भी नहीं बनती।
सर्दी में लाभदायक 
सर्दी में गुड़ का प्रयोग अमृत के समान होता है। इससे सर्दी, जुकाम एवं विशेषकर कफ से राहत मिलती है। इसके लिए दूध अथवा चाय में गुड़ का प्रयोग किया जा सकता है। इसका काढ़ा भी बनाकर ले सकते हैं।
गले की खराश और जलन में राहत 
गुड़ को अदरक के साथ गर्म करके गुनगुना खाएं। इससे गले की खराश एवं जलन में राहत मिलती है। आवाज काफी बेहतर होती है।
जोड़ों में दर्द 
जोड़ों में दर्द होने पर गुड़ एवं अदरक का प्रयोग बहुत लाभदायक होता है। रोज गुड़ के एक टुकड़े के साथ अदरक खाएं, इससे जोड़ों के दर्द में आराम होगा।

मुंहासों की समस्या 
रोज थोड़ा गुड़ खाने से मुंहासों की समस्या नहीं होती। त्वचा में चमक आती है। यह त्वचा समस्याओं को आंतरिक रूप से ठीक करने में मदद करता है।
आयरन की कमी
गुड़ आयरन का एक अच्छा स्रोत है।  शरीर में आयरन की कमी पर गुड़ काफी मदद करता है। एनीमिया रोगियों के लिए गुड़ बहुत फायदेमंद है।
अधि‍क थकान या कमजोरी 
अधि‍क थकान या कमजोरी होने पर गुड़ मदद करता है। यह शरीर में ऊर्जा स्तर को बढ़ावा देता है एवं थकान अनुभव नहीं होती।
शरीर का तापमान नियंत्रित
शरीर का तापमान नियंत्रित रखने में गुड़ सहायक है। इसमें एंटी एलर्जिक तत्व होते हैं, जोकि अस्थमा मरीजों के  लिए फायदेमंद होता है।
पेट में ठंडक 
गैस की समस्या होने पर रोज एक गिलास पानी अथवा दूध के साथ गुड़ का सेवन करने से पेट में ठंडक होती है, जिससे गैस नहीं बनती।
रक्त की सफाई कर मेटाबॉलिज्म रेट नियंत्रित 
गुड़ शरीर में रक्त की सफाई कर मेटाबॉलिज्म रेट को नियंत्रित करता है। साथ ही गुड़ गले एवं फेफड़ों के संक्रमण के इलाज में लाभप्रद है।
अस्थमा में लाभदायक 
अस्थमा में गुड़ बहुत लाभदायक है। गुड़ और काले तिल के लड्डू बनाकर खाने से सर्दी में अस्थमा की समस्या नहीं होती और शरीर में जरूरी गर्मी बनी रहती है।

सांस संबंधी रोगों में लाभप्रद 
सांस संबंधी रोगों के लिए पांच ग्राम गुड़ को समान मात्रा में सरसों के तेल में मिलाकर खाने से सांस संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
गला ठीक कर आवाज खुले 
गला बैठ जाने और आवाज जकड़ जाने की स्थि‍ति में पके हुए चावल में गुड़ मिलाकर खाने से बैठा हुआ गला ठीक होता है एवं आवाज भी खुल जाती है।
कान दर्द में लाभदायक
कान दर्द होने पर गुड़ बहुत लाभदायक है। गुड़ को घी के साथ मिलाकर खाने से कान में दर्द की समस्या नहीं होती।
पीलिया में लाभ 
पीलिया हो जाने पर पांच ग्राम सोंठ में दस ग्राम गुड़ मिलाकर एक साथ खाने से बहुत लाभ होता है।
स्मरण शक्ति बढ़ाने में फायदेमंद
गुड़ स्मरण शक्ति बढ़ाने में फायदेमंद होता है। नियमित सेवन से याददाश्त बढ़ती है और दिमाग कमजोर नहीं होता। गुड़ का हलवा खाने से स्मरण शक्ति बढती है।
माइग्रेन में फायदा 
माइग्रेन समस्या में गुड़ फायदेमंद है। रोज गुड़ सेवन से लाभ होता है।
वजन कम करने में प्रयोग 
वजन कम करने के लिए भी गुड़ का प्रयोग किया जा सकता है। शरीर में जल के अवधारणा को कम करके शरीर के वजन को नियंत्रित करता है।



Wednesday 14 December 2016

दरिद्रता और नेत्रहीनता भी न रोक पाई रास्ता
इस दिव्यांग ने खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी


किसी सच कहा है कि खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है। अगर इंसान सोच ले और पूरी लगन और इच्छा शक्ति से उस लक्ष्य के लिए समर्पित हो जाए तो वह हर चीज को पा सकता है। ऐसा कर दिखाया है नेत्रहीन भावेश चंदू भाई भाटिया ने जिन्होंने अपनी अक्षमता को ही अपनी शक्ति बनाकर 25 करोड़ की कम्पनी सन राइज कैंडल कंपनी खड़ी कर दी। यह कंपनी विजुअली डिसिबल लोगों द्वारा चलाई जा रही है। चलिए जानते हैं भावेश भाटिया की कहानी।
जन्म से ही भावेश की आँखों की दृष्टि कमजोर थी। इनकी माँ गृहणी थी, जोकि भावेश की बाल्यावस्था से ही कैंसर से पीड़ित थी। पिताजी गेस्ट हाउस में केयर टेकर थे। धीरे-धीरे भावेश की आँखों की रोशनी चली गई। उनकी नौकरी चली गयी एवं कैंसर ग्रस्त माँ भी कुछ समय बाद चल बसीं पर उन्हें अपनी माँ की यह बात हमेशा झझोरती रहती कि तुम दुनिया नहीं देख सकते? कुछ ऐसा करो कि तुमको दुनिया देखे। शायद इन्ही शब्दों की शक्ति से भावेश निरंतर आगे बढ़ते गए।
1993 में नेशनल एसोसिएशन आॅफ बालाइन्ड (मुंबई) में प्रवेश लेकर 4 माह मोमबत्ती बनाना सीखा। भावेश ने वही से एक्यूपेशर थैरेपी आदि का भी प्रशिक्षण लिया। इनके बाद भावेश अपना व्यापार शुरू करना चाहते थे, पर धन न होने से ऐसा संभव नहीं हो पाया। धन एकत्र करने के लिए महाबलेश्वेर के होटलों में मसाज और एक्यूपेशर थैरेपी किया। कुछ पैसे बचाकर वे 5 कि.ग्रा. मोम व सांचा खरीद लाये और मोमबती बनाकर होली क्रॉस चर्च के सामने ठेला लगाकर बेचने लगे, जिससे प्रायः रोज 25 रुपये बचाते जोकि अगले दिन की मोम खरीदने में प्रयोग करते। बैंक ने भी लोन देने से मना कर दिया। भावेश मोमबत्ती बनाने की विकसित तकनीक का ज्ञान लेना चाहते थे, परंतु कामयाब न हुए।

एक दिन भावेश के ठेले पर मोमबत्तियां लेने नीता आई। भावेश का विनम्र स्वभाव एवं हंसी भावेश को भाई, जल्द ही दोनों गहरे दोस्त बन गए। दोस्ती प्रेम में बदली और दोनों ने शादी कर ली। यद्यपि नीता के घर वाले इस शादी के विरुद्ध थे क्योंकि भावेश गरीब, मोमबती बेचने वाला अंधा आदमी था, पर नीता ने भावेश का साथ न छोड़ा। वह दो-पहिये वाली गाड़ी से भावेश को जगह-जगह ले जाकर कैंडल बेचने में मदद करतीं। स्थिति सुधरी तो उन्होंने वैन चलाना भी सीखा।
नीता भावेश को बाजार ले जाती जहां वह मोमबत्तियों की जानकारी लेते उन्हें छूकर महसूस करते एवं घर आकर घंटों उससे अच्छी मोमबती बनाने का प्रयास करते। कड़ी मेहनत और इच्छाशक्ति से वह अनेक रंगों एवं आकृतियों की मोमबत्तियों तैयार करने लगे। भावेश को एनबीए से नेत्रहीनों के लिए चलाई गई विशेष योजना के अंतर्गत सतारा बैंक से 15000 रुपये मिले। भावेश ने उससे 15 किलो मोम, भिन्न सांचे और दूसरे जरूरी उपकरण खरीदे।
एक दोस्त भावेश की प्रतिभा से अत्यंत प्रभावित हुआ और एक वेबसाइट बना कर उन्हें भेंट की। उस वेबसाइट से उन्हें अनेक बड़े आर्डर मिलने लगे। धीरे-धीरे वह नई तकनीक विकसित कर नये रंग-रूप की मोमबत्ती बनाते। काम बढ़ने लगा। अब उन्होंने अपनी तरह के ही दृष्टिबाधित सहायकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सनराइज कैंडल कंपनी खोली, जहां 225 दृष्टिबाधित सहायक कार्य करतें हैं। रॉ मैटेरियल उत्तराखंड से आता है जिससे पीलर कैंडल, फ्लोटिंग कैंडल, जैल कैंडल, टॉय कैंडल, ट्रेडिशनल कैंडल आदि बनाएं जाते हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज, बिग बाजार, रोटरी क्लब, नारद इंडस्ट्रीज, रैन्बोक्सी इत्यादि उनके क्लाइंट हैं। कंपनी का टर्नओवर 25 करोड़ रूपये है। इसके अलावा, भावेश ने मलेश्वर गाँव में दृष्टिबाधितों के लिए एक कोचिंग सेंटर खोला, जोकि मोमबत्तियां बनाने का प्रशिक्षण देता हैं। भावेश को अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

Tuesday 13 December 2016

मुट्ठी भर मेवे खाएं, 
रोगों को दूर भगाएं


मेवों की पौष्टिकता के बारे में तो हम सभी जानते ही हैं, परंतु आप शायद ही जानते होंगे कि ये दिल के दौरे, कैंसर, अकाल मृत्यु, श्वसन संबंधी रोग और मधुमेह में भी लाभकारी होते हैं। यह हम नहीं कह रहे हैं यह बात 29 अध्ययनों के निष्कर्षों का निचोड़ है। चलिए जानते हैं ऐसे ही मुट्ठी भर मेवों से भाग जाने वाले रोगों के बारे में।
इंपीरियल काॅलेज लंदन, नार्वे यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक नए अध्ययन की माने तो प्रतिदिन कम से कम 20 ग्राम यानि केवल मुट्ठी भर सूखे मेवे खाने से दिल के रोग, कैंसर और अकाल मृत्यु के खतरों को कम किया जा सकता है। अनुसंधान में शामिल किए गए अखरोट, बादाम, मूंगफली, सूरजमुखी के बीजों को भी शामिल किया गया। रिसर्चर ने यह भी पाया कि नियमित रूप से मेवे खाने से सांस संबंधी रोग और शुगर से मौत होने के खतरे को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है।

इतना ही नहीं इंपीरियल काॅलेज के डैगफिन एउने का तो यहां तक कहना है कि कई अध्ययनों से पता चलता है कि मेवे मोटापे के खतरों को कम कर सकते हैं। यह भी पता चला है कि जो प्रतिदिन 20 ग्राम से अधिक मेवे खाते हैं, उनके स्वास्थ्य में विशेष सुधार दिखा।
चलिए जानते हैं अनुसंधान में मिले कुछ प्रमुख निष्कर्षों के बारे मेंः

दिल के रोग के जोखिम को 30 प्रतिशत तक कम करता है
कैंसर के रोग के जोखिम को 15 प्रतिशत तक कम करता है
अकाल मृत्यु की आशंका के जोखिम को 22 प्रतिशत तक कम करता है
सांस संबंधी रोग के जोखिम को 50 प्रतिशत तक कम करता है
मधुमेह यानि शुगर के रोग के जोखिम को 40 प्रतिशत तक कम करता है


Saturday 10 December 2016

सर्दी से बचाव के 
ये हैं नायाब तरीके


सर्दी के मौसम ने दस्तक दे दी है। इस मौसम में हम अपने बदन को केवल गर्म कपड़ों से ढककर ही आराम नहीं ले सकते, बल्कि ऐसी कुछ चीजें भी हैं जिन्हें खाकर सर्दी से बचा जा सकता है। ऐसी चीजों से शरीर के अंदर ऐसी क्षमता पैदा होगी कि वह शरीर को मौसम के अनुसार ढाल देगी। इससे अनेक बीमारियां नहीं होंगी। चलिए जानते हैं इन चीजों के बारे में

मूंगफली

100 ग्राम मूंगफली में अनेक पोषक तत्व होते हैं जैसेकि फैट 40.1 ग्राम, प्रोटीन 25.3 ग्राम, फाइबर 3.1 ग्राम, मिनरल्स 2.4 ग्राम, कैल्शियम 90 मिलीग्राम, कार्बोहाइड्रेट 26.1 ग्राम, ऊर्जा 567 कैलरी, फॉस्फोरस 350 मिलीग्राम, आयरन 2.5 मिलीग्राम, कैरोटीन 37 मिलीग्राम, थाइमिन 0.90 मिलीग्राम, फोलिक एसिड. 20 मिलीग्राम आदि। इसलिए ठंड में इसका सेवन जरूर करें।


बादाम

गुणों से भरपूर बादाम यादशत बढ़ाने के साथ-साथ अनेक रोगों से रक्षा भी करता है। यह कब्ज की समस्या भी दूर करता है।


अदरक 

प्रतिदिन अदरक के सेवन से अनेक छोटे-बड़े रोग दूर होते है। साथ ही शरीर को गर्मी मिलने के साथ-साथ पाचन भी दुरूस्त होता है।

शहद 

शहद हमारे शरीर को स्वस्थ, निरोगी और ऊर्जावान बनाए रखता है। इसीलिए आयुर्वेद में इसे अमृत कहा गया है। ठंड में इसका सेवन पाचन को अच्छा बनाता है।

न लें रसीले फल 

रसीले फल जैसेकि संतरा, रसभरी अथवा मौसमी शरीर को ठंडक देते हैं, जिससे सर्दी और जुकाम की शिकायत हो सकती हैं।

Friday 9 December 2016

दो समय की चाय को मोहताज़ व्यक्ति 
आज हैं 7300 करोड़ की कंपनी के मालिक


नोटबंदी के बाद की परेशानियों से जूझती जनता और व्यापारियों के लिए आनलाइन पेमेंट एक बड़ा स्रोत बनकर उभर रहा है। इसी का नतीजा है कि आज डिजिटल वाॅलेट का बहुत अधिक प्रचलन होता जा रहा है। ऐसे ही डिजिटल वाॅलेट में से एक प्रचलित वाॅलेट है-पेटीएम। आज गोल गप्पे और परचून की तक दुकान लगभग सभी जगह आपको पेटीएम का प्रभाव दिखाई देता होगा, पर शायद ही आपको पता हो कि पेटीएम वाॅलेट से पहले तक इसके मालिक विजय शेखर को कई-कई दिनों तक भूखे रहना पड़ता था। यहां तक कि पूरे दिन केवल दो कप चाय पर दिन गुजारने वाले विजय शेखर आज लगभग 7300 करोड़ की कंपनी के मालिक बन चुके है। चलिए जानते हैं, उनकी सफलता की कहानी को।

किसी ने सच ही कहा है कि हमेशा से वक्त एक जैसा नहीं रहता। आरंभ में विजय शेखर की जेब में पैसे नहीं होते थे। बस का किराया तक न होने से वे पैदल चलने पर मजबूर रहते थे। यही कारण था कि कभी-कभी तो उन्हें केवल दो प्याले चाय पर ही पूरा दिन बिताना पड़ता था। ऐसे में, उनसे कोई शादी को भी तैयार नहीं था, पर फिर अंधेरा छटा, उजाले से अच्छे समय ने दस्तक दी और आज उनकी कंपनी पेटीएम का करोड़ो का टर्नओवर हो चुका है। नोटबंदी के बाद से पेटीएम यूज करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

विजय शेखर शर्मा ने दिल्ली इंजीनियरिंग कॉलेज से यूजी डिग्री की। बाद में नौकरी की लेकिन 2010 में परिवार की इच्छा के विरुद्ध नौकरी छोड़कर कंपनी शुरू की, जिसकी मार्केट वैल्यू आज करोड़ों में है। अमेरिका में नौकरी करते हुए विजयशेखर को इनोवेटिव आइडियाज आने लगे। वह समझ चुके थे कि रुपया कमाना है तो एंटरप्रेन्योर बनना होगा। इसीलिए वह विजय ग्लोबल कॉरपोरेट वर्ल्ड की नौकरी छोड़कर भारत लौट आए। यहां उन्होंने इंटरनेट कंपनी वेब सॉल्यूशंस एक्सएस कॉरपोरेशन शुरू की तो परिवार ने समझाया, पर उनकी जिद के आगे उन्हें समझौता करना पड़ा। इस कंपनी को उन्होंने एक वर्ष बाद अमेरिकी कंपनी को बेच दिया।  अच्छा खास मुनाफा कमाया और स्वयं उसी कंपनी में नौकरी करने लगे। विजयशेखर की माने तो उतनी ही शिक्षा जरूरी है जोकि हमसे हमारी प्रतिदिन की समस्याओं का हल खोज सकें।

वर्ष 2001 में वन 97 कम्युनिकेशंस बनाई, जिसने दो वर्ष बाद मोबाइल से म्यूजिक मैसेजिंग सर्विस शुरू की। वर्ष 2004 में लैंडलाइन नेटवर्क से वॉइस आधारित रोमिंग आरंभ हुई। साल 2005 में इंटरएक्टिव आउट डायलर सेवा और एक वर्ष बाद कंटेट सेवा लॉन्च की। कंपनी को काफी घाटा उठाना पड़ा। उन्हें बस किराया न होने पर काफी पैदल चलना पड़ता था। ऐसे में एक-एक पैसा बचाने के लिए विजय शेखर ने अनुभव किया कि जीवन में छुट्टे पैसे बहुत महत्वपूर्ण है, पर चाहे ऑटो वाला हो या दुकान वाला। सभी जगह उन्‍हें छुट्टे पैसे के लिए बहुत दिक्कत होती है। बस यहीं से विजय शेखर के दिमाग में आयडिया आया एवं वर्ष 2010 में पेटीएम की शुरुआत हुई। पेटीएम की आरंभ होने से वन 97 कम्युनिकेशंस को बड़ा ब्रेक मिला। पेटीएम का हैडआफिस नोएडा में है। पेटीएम मोबाइल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड में रतन टाटा सहित ग्लोबल निवेशकों ने करोड़ों का निवेश किया हैं।

इंडिया रिच लिस्ट 2016 की माने तो ऑनलाइन पेमेंट एवं मोबाइल कॉमर्स कंपनी पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर की संपत्ति 12 महीने में ही 162 प्रतिशत तक बढ़कर 7300 करोड़ रुपए की हो गई, जोकि पिछले वर्ष 2824 करोड़ थी। वह भारत के सबसे अमीर अंडर-40 एंटरप्रेनेयोर बन चुके हैं। 

Tuesday 6 December 2016

कैशलेस होने की राह नहीं है आसान
क्या भारत बन जाएंगा सबसे बड़ा ई-काॅमर्स बाजार 


नोटबंदी के बाद की परेशानियों ने देश को कैशलेस इकॉनामी की ओर बढ़ने को प्रेरित किया है। इसमें बड़ा योगदान ई-काॅमर्स कंपनियांे का भी है, जोकि प्रीपेड पेमेंट पर तरह-तरह की डिस्काउंट देकर वह ग्राहकों को लुभा भी रहे हैं। इन सबके बीच इंटरनेट सिक्यॉरिटी एक्सपर्ट्स की माने तो भारत के डिजिटल इकॉनामी बनने के रास्ते में साइबर क्रिमिनल्स के पास भी ठगी के अनेक मौके हैं। फाइनैंस मिनिस्ट्री द्वारा दिए गए डेटा की माने तो देश के 50 प्रमुख बैंकों ने अप्रैल 2013 से नवंबर 2016 की अवधि में साइबर फ्रॉड के चलते 485 करोड़ रुपये खोएं। इनमें से 56 प्रतिशत भाग नेट बैंकिंग से जुड़ी चोरियों एवं क्रेडिट एवं डेबिट कार्ड की क्लोनिंग के चलते गया। कुछ ही दिनों पहले देश भर के कई प्रमुख बैंकों के 32 लाख से ज्यादा डेबिट कार्ड्स का डेटा चोरी होने का मामला सामने आया था। चलिए जानते हैं भारत के कैशलेस इकॉनामी बनने की राह के खतरे।
इससे पहले हमारे लिए यह जान लेना भी जरूरी हैं कि भारत का ई-कॉमर्स बाजार विश्व में दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। एक रिपोर्ट की माने तो भारत आगामी दो दशकों से कम वक्त में ही अमेरिका को पछाड़कर दुनिया का नंबर 1 ई-कॉमर्स बाजार वाला देश बन सकता है। ग्लोबल पेमेंट्स रिकॉर्ड की रिपोर्ट कहती है कि भारत में ई-कॉमर्स बाजार तेजी से फैल रहा है। 2016-2020 के  अवधि में यह विश्व का नंबर 1 ई-कॉमर्स बाजार बन सकता है। वल्र्ड-प्ले प्रॉजेक्शन्स को देखे तो 2034 तक भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ई-कॉमर्स बाजार होगा। इसके लिए जरूरी है कि इंटरनेट का अधिक लोगों तक प्रसार हो तथा मोबाइल बिक्री बढ़े। चलिए जानते हैं भारत के कैशलेस इकॉनामी बनने की राह के खतरे।
क्रेडिट और डेबिट कार्ड की डिटेल 
अनाधिकृत पॉइंट ऑफ सेल मशीन से आपके क्रेडिट और डेबिट कार्ड की डिटेल को स्वाइप करते समय कॉपी कर सकता है। इससे दुबारा ट्रांजैक्शन हो सकती है। साथ-साथ इंटरनेट वाले पीओएस डिवाइस से हैक कर एटीएम की डिटेल भी ली जा सकती है।

मालवेअर इंफेक्टेड डेबिट और क्रेडिट कार्ड का यूज 
मालवेअर इंफेक्टेड डेबिट एवं क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करके हैकर्स एटीएम नेटवर्क को नियंत्रित कर एटीएम से पैसा निकाल सकते हैं। इसके अतिरिक्त फेक माइक्रो एटीएम से भी कार्ड का विवरण प्राप्त कर सकते हैं। इतना ही नहीं प्रथम बार एटीएम कार्ड प्रयोग करने वालों की मदद के नाम पर ठगी संभव है।

सेविंग कार्ड डिटेल एक्सपोज करना
आप जब मार्केट में जाकर पेमेंट करते हैं तो सेविंग कार्ड का विवरण एक्सपोज करना संभव है। उस समय साइबर अटैक से हैकर्स ग्राहक की व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करके मर्चेंट और वेंडर को दी जाने वाली पेमेंट का भी पता लगा सकता हैं।

डिजिटल वॉलेट्स द्वारा अडवांस्ड सिक्यॉरिटी के तरीके न अपनाना
साइबर अटैकर्स डिजिटल वॉलेट पर बड़ी ही सरलता से हमला कर सकते हैं। सामान्यतः वॉलेट में छोटे-छोटे ट्रांजैक्शंस होते हैं, अतः अधिकांशतः वॉलेट्स अडवांस्ड सिक्यॉरिटी उपाय नहीं अपनाते, जिससे साइबर अटैक का खतरा बढ़ता जाता है। याद रखें कि कभी भी डिजिटल वॉलेट एवं नेटबैंकिंग हेतु एक ही पासवर्ड का उपयोग न करें। कोई भी ट्रांजैक्शन पूरी होने के बाद यह सुनिश्चित करें कि आपने लॉग आउट किया है या नहीं।

ओटीपी से करे ट्रांजेक्शन
हैकिंग एवं धोखाधड़ी से बचाव के लिए कभी भी कार्ड डेटा ऑनलाइन सेव न करें। कोशिश करें कि हर बार वन टाइम पासवर्ड से ही ऑनलाइन पेमेंट करें।

वेब अड्रेस 'https' से शुरू हो
वेबसाइट में डिटेल भरने से पहले निश्चित करें कि वह सुरक्षित हो। ध्यान रखें कि वेब अड्रेस 'https' से आरंभ हो। जन्मतिथि या नाम जैसे आसान पासवर्ड्स न बनाएं। नए ऑनलाइन रिटेलर्स के साथ कार्ड-ऑन-डिलीवरी का विकल्प न चुने, तो अच्छा रहेगा।

न करें थर्ड पार्टी ऐप्स डाउनलोड 
अपने फोन में थर्ड पार्टी ऐप्स डाउनलोड करने से भी बचें। मोबाइल ट्रैकिंग को हमेशा ऐक्टिव बनाएं रखें, जिससे कि मोबाइल चोरी होने पर डेटा को हटाया जा सके।

Friday 2 December 2016

बैंक में जमा करवाएंगें जितने पैसे
उतना पाएंगे अब मोबाइल टाॅकटाइम


जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा है। अगर कोई बैंक आपसे कहे कि आप हमारे बैंक में जितना पैसा जमा करवाएंगे उतना ही आपको टाॅकटाइम देगे तो आपको अब आश्चर्य चकित होने की जरूरत नहीं है। चूंकि अब आपको एक बैंक द्वारा बैंक में पैसा जमा करवाने पर मुफ्त टॉकटाइम भी मिलेगा।

अभी हाल में आए एयरटेल पेमेंट बैंक द्वारा आपको यह ऑफर दिया जा रहा है। बैंक में खाता खुलवाने पर बैंक आपको मोबाइल टॉकटाइम की पेशकश करता है। एक लाख रुपए तक जमा करवाने पर आपको उतने ही मिनट का टॉकटाइम मिल सकता हैं। बैंकिंग इतिहास में यह एयरटेल की अजीबोगरीब पहल है। एयरटेल पेमेंट बैंक की एक स्टेटमेंट की माने तो एयरटेल पेमेंट बैंक में बचत खाता खुलवाने वाले ग्राहक को प्रति एक रुपए के जमा पर उतने ही मिनट का टॉकटाइम दिया जाएगा। यह ऑफर उस जमा राशि पर है, जोकि ग्राहक पहली बार जमा करवाएगा। यह मुफ्त टॉकटाइम ग्राहक के अपने एयरटेल मोबाइल नंबर के लिए होगा। इस योजना के अंतर्गत आप पूरे भारतवर्ष में कहीं भी बात कर सकते हैं।

एयरटेल बैंक का यह ऑफर ऊपर से आकर्षक तो है, परंतु है चतुराई भरा। चूंकि इसमें टाॅकटाइम की निश्चित समय दे दी गई है। ऑफर के अनुसार मिलने वाला टॉकटाइम आपको एक माह में ही इस्तेमाल करना होगा। इतनी अवधि में उपयोग न करने पर बाकी टॉकटाइम बेकार चला जाएगा। बैंक में खुलने वाले खाते में जमाओं के लिए अधिकतम एक लाख रुपए की सीमा निश्चित की गई है यानि आप एक लाख मिनट तक का टॉकटाइम पा सकते हैं। यह बात दूसरी है कि एक माह में इतना टॉकटाइम इस्तेमाल करना बहुत मुश्किल है। चूंकि निरंतर मोबाइल पर बात करें तो भी एक लाख मिनट इस्तेमाल करने में लगभग 70 दिन लग जाएंगे।

बैंकिंग इतिहास में एयरटेल बैंक ने एक और बड़ा निर्णय लिया है। बैंक ने जमा खातों पर 7.25 प्रतिशत ब्याज देने की घोषणा की है यानि एफडी के बराबर ब्याज। अब तक किसी भी बैंक ने बचत खातों पर इतना ब्याज नहीं दिया है। फिलहाल अधिकांश बैंक जमा खातों पर लगभग 4 प्रतिशत ब्याज देते हैं। यद्यपि कोटक महिंद्रा एवं यस बैंक द्वारा जमा खातों पर कुछ शर्तों के साथ 6 प्रतिशत से अधिक ब्यांज मिलता हैं।

देश के पहले एयरटेल पेमेंट बैंक को फिलहाल पायलट प्रोजेक्‍ट के रूप में राजस्‍थान में खोला गया है। एयरटेल की माने तो एयरटेल पेमेंट्स बैंक भारतीय एयरटेल की सहायक कंपनी है। अब राजस्‍थान के गांवों, कस्‍बों और शहरों के उपभोक्‍ता एयरटेल के रिटेल आउटलेट्स पर जाकर अपना बैंक खाता खुलवा सकते हैं। रिटेल आउटलेट्स पर बेसिक बैंकिंग सुविधाएं भी ग्राहकों दी जाएगी। पेमेंट बैंक खाताधारकों को एटीएम/डेबिट कार्ड नहीं दिया जाएगा, पर वह निर्धारित एयरटेल रिटेल आउटलेट पर जाकर नकद राशि निकाल पाएंगे। सभी बचत खातों पर बैंक द्वारा एक लाख रुपए का मुफ्त निजी दुर्घटना बीमा भी दिया जाएगा।