मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

कैशलेस होने की राह नहीं है आसान
क्या भारत बन जाएंगा सबसे बड़ा ई-काॅमर्स बाजार 


नोटबंदी के बाद की परेशानियों ने देश को कैशलेस इकॉनामी की ओर बढ़ने को प्रेरित किया है। इसमें बड़ा योगदान ई-काॅमर्स कंपनियांे का भी है, जोकि प्रीपेड पेमेंट पर तरह-तरह की डिस्काउंट देकर वह ग्राहकों को लुभा भी रहे हैं। इन सबके बीच इंटरनेट सिक्यॉरिटी एक्सपर्ट्स की माने तो भारत के डिजिटल इकॉनामी बनने के रास्ते में साइबर क्रिमिनल्स के पास भी ठगी के अनेक मौके हैं। फाइनैंस मिनिस्ट्री द्वारा दिए गए डेटा की माने तो देश के 50 प्रमुख बैंकों ने अप्रैल 2013 से नवंबर 2016 की अवधि में साइबर फ्रॉड के चलते 485 करोड़ रुपये खोएं। इनमें से 56 प्रतिशत भाग नेट बैंकिंग से जुड़ी चोरियों एवं क्रेडिट एवं डेबिट कार्ड की क्लोनिंग के चलते गया। कुछ ही दिनों पहले देश भर के कई प्रमुख बैंकों के 32 लाख से ज्यादा डेबिट कार्ड्स का डेटा चोरी होने का मामला सामने आया था। चलिए जानते हैं भारत के कैशलेस इकॉनामी बनने की राह के खतरे।
इससे पहले हमारे लिए यह जान लेना भी जरूरी हैं कि भारत का ई-कॉमर्स बाजार विश्व में दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। एक रिपोर्ट की माने तो भारत आगामी दो दशकों से कम वक्त में ही अमेरिका को पछाड़कर दुनिया का नंबर 1 ई-कॉमर्स बाजार वाला देश बन सकता है। ग्लोबल पेमेंट्स रिकॉर्ड की रिपोर्ट कहती है कि भारत में ई-कॉमर्स बाजार तेजी से फैल रहा है। 2016-2020 के  अवधि में यह विश्व का नंबर 1 ई-कॉमर्स बाजार बन सकता है। वल्र्ड-प्ले प्रॉजेक्शन्स को देखे तो 2034 तक भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ई-कॉमर्स बाजार होगा। इसके लिए जरूरी है कि इंटरनेट का अधिक लोगों तक प्रसार हो तथा मोबाइल बिक्री बढ़े। चलिए जानते हैं भारत के कैशलेस इकॉनामी बनने की राह के खतरे।
क्रेडिट और डेबिट कार्ड की डिटेल 
अनाधिकृत पॉइंट ऑफ सेल मशीन से आपके क्रेडिट और डेबिट कार्ड की डिटेल को स्वाइप करते समय कॉपी कर सकता है। इससे दुबारा ट्रांजैक्शन हो सकती है। साथ-साथ इंटरनेट वाले पीओएस डिवाइस से हैक कर एटीएम की डिटेल भी ली जा सकती है।

मालवेअर इंफेक्टेड डेबिट और क्रेडिट कार्ड का यूज 
मालवेअर इंफेक्टेड डेबिट एवं क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करके हैकर्स एटीएम नेटवर्क को नियंत्रित कर एटीएम से पैसा निकाल सकते हैं। इसके अतिरिक्त फेक माइक्रो एटीएम से भी कार्ड का विवरण प्राप्त कर सकते हैं। इतना ही नहीं प्रथम बार एटीएम कार्ड प्रयोग करने वालों की मदद के नाम पर ठगी संभव है।

सेविंग कार्ड डिटेल एक्सपोज करना
आप जब मार्केट में जाकर पेमेंट करते हैं तो सेविंग कार्ड का विवरण एक्सपोज करना संभव है। उस समय साइबर अटैक से हैकर्स ग्राहक की व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करके मर्चेंट और वेंडर को दी जाने वाली पेमेंट का भी पता लगा सकता हैं।

डिजिटल वॉलेट्स द्वारा अडवांस्ड सिक्यॉरिटी के तरीके न अपनाना
साइबर अटैकर्स डिजिटल वॉलेट पर बड़ी ही सरलता से हमला कर सकते हैं। सामान्यतः वॉलेट में छोटे-छोटे ट्रांजैक्शंस होते हैं, अतः अधिकांशतः वॉलेट्स अडवांस्ड सिक्यॉरिटी उपाय नहीं अपनाते, जिससे साइबर अटैक का खतरा बढ़ता जाता है। याद रखें कि कभी भी डिजिटल वॉलेट एवं नेटबैंकिंग हेतु एक ही पासवर्ड का उपयोग न करें। कोई भी ट्रांजैक्शन पूरी होने के बाद यह सुनिश्चित करें कि आपने लॉग आउट किया है या नहीं।

ओटीपी से करे ट्रांजेक्शन
हैकिंग एवं धोखाधड़ी से बचाव के लिए कभी भी कार्ड डेटा ऑनलाइन सेव न करें। कोशिश करें कि हर बार वन टाइम पासवर्ड से ही ऑनलाइन पेमेंट करें।

वेब अड्रेस 'https' से शुरू हो
वेबसाइट में डिटेल भरने से पहले निश्चित करें कि वह सुरक्षित हो। ध्यान रखें कि वेब अड्रेस 'https' से आरंभ हो। जन्मतिथि या नाम जैसे आसान पासवर्ड्स न बनाएं। नए ऑनलाइन रिटेलर्स के साथ कार्ड-ऑन-डिलीवरी का विकल्प न चुने, तो अच्छा रहेगा।

न करें थर्ड पार्टी ऐप्स डाउनलोड 
अपने फोन में थर्ड पार्टी ऐप्स डाउनलोड करने से भी बचें। मोबाइल ट्रैकिंग को हमेशा ऐक्टिव बनाएं रखें, जिससे कि मोबाइल चोरी होने पर डेटा को हटाया जा सके।

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