दो समय की चाय को मोहताज़ व्यक्ति
आज हैं 7300 करोड़ की कंपनी के मालिक
नोटबंदी के बाद की परेशानियों से जूझती जनता और व्यापारियों के लिए आनलाइन पेमेंट एक बड़ा स्रोत बनकर उभर रहा है। इसी का नतीजा है कि आज डिजिटल वाॅलेट का बहुत अधिक प्रचलन होता जा रहा है। ऐसे ही डिजिटल वाॅलेट में से एक प्रचलित वाॅलेट है-पेटीएम। आज गोल गप्पे और परचून की तक दुकान लगभग सभी जगह आपको पेटीएम का प्रभाव दिखाई देता होगा, पर शायद ही आपको पता हो कि पेटीएम वाॅलेट से पहले तक इसके मालिक विजय शेखर को कई-कई दिनों तक भूखे रहना पड़ता था। यहां तक कि पूरे दिन केवल दो कप चाय पर दिन गुजारने वाले विजय शेखर आज लगभग 7300 करोड़ की कंपनी के मालिक बन चुके है। चलिए जानते हैं, उनकी सफलता की कहानी को।
किसी ने सच ही कहा है कि हमेशा से वक्त एक जैसा नहीं रहता। आरंभ में विजय शेखर की जेब में पैसे नहीं होते थे। बस का किराया तक न होने से वे पैदल चलने पर मजबूर रहते थे। यही कारण था कि कभी-कभी तो उन्हें केवल दो प्याले चाय पर ही पूरा दिन बिताना पड़ता था। ऐसे में, उनसे कोई शादी को भी तैयार नहीं था, पर फिर अंधेरा छटा, उजाले से अच्छे समय ने दस्तक दी और आज उनकी कंपनी पेटीएम का करोड़ो का टर्नओवर हो चुका है। नोटबंदी के बाद से पेटीएम यूज करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
विजय शेखर शर्मा ने दिल्ली इंजीनियरिंग कॉलेज से यूजी डिग्री की। बाद में नौकरी की लेकिन 2010 में परिवार की इच्छा के विरुद्ध नौकरी छोड़कर कंपनी शुरू की, जिसकी मार्केट वैल्यू आज करोड़ों में है। अमेरिका में नौकरी करते हुए विजयशेखर को इनोवेटिव आइडियाज आने लगे। वह समझ चुके थे कि रुपया कमाना है तो एंटरप्रेन्योर बनना होगा। इसीलिए वह विजय ग्लोबल कॉरपोरेट वर्ल्ड की नौकरी छोड़कर भारत लौट आए। यहां उन्होंने इंटरनेट कंपनी वेब सॉल्यूशंस एक्सएस कॉरपोरेशन शुरू की तो परिवार ने समझाया, पर उनकी जिद के आगे उन्हें समझौता करना पड़ा। इस कंपनी को उन्होंने एक वर्ष बाद अमेरिकी कंपनी को बेच दिया। अच्छा खास मुनाफा कमाया और स्वयं उसी कंपनी में नौकरी करने लगे। विजयशेखर की माने तो उतनी ही शिक्षा जरूरी है जोकि हमसे हमारी प्रतिदिन की समस्याओं का हल खोज सकें।
वर्ष 2001 में वन 97 कम्युनिकेशंस बनाई, जिसने दो वर्ष बाद मोबाइल से म्यूजिक मैसेजिंग सर्विस शुरू की। वर्ष 2004 में लैंडलाइन नेटवर्क से वॉइस आधारित रोमिंग आरंभ हुई। साल 2005 में इंटरएक्टिव आउट डायलर सेवा और एक वर्ष बाद कंटेट सेवा लॉन्च की। कंपनी को काफी घाटा उठाना पड़ा। उन्हें बस किराया न होने पर काफी पैदल चलना पड़ता था। ऐसे में एक-एक पैसा बचाने के लिए विजय शेखर ने अनुभव किया कि जीवन में छुट्टे पैसे बहुत महत्वपूर्ण है, पर चाहे ऑटो वाला हो या दुकान वाला। सभी जगह उन्हें छुट्टे पैसे के लिए बहुत दिक्कत होती है। बस यहीं से विजय शेखर के दिमाग में आयडिया आया एवं वर्ष 2010 में पेटीएम की शुरुआत हुई। पेटीएम की आरंभ होने से वन 97 कम्युनिकेशंस को बड़ा ब्रेक मिला। पेटीएम का हैडआफिस नोएडा में है। पेटीएम मोबाइल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड में रतन टाटा सहित ग्लोबल निवेशकों ने करोड़ों का निवेश किया हैं।
इंडिया रिच लिस्ट 2016 की माने तो ऑनलाइन पेमेंट एवं मोबाइल कॉमर्स कंपनी पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर की संपत्ति 12 महीने में ही 162 प्रतिशत तक बढ़कर 7300 करोड़ रुपए की हो गई, जोकि पिछले वर्ष 2824 करोड़ थी। वह भारत के सबसे अमीर अंडर-40 एंटरप्रेनेयोर बन चुके हैं।
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