शनिवार, 17 दिसंबर 2016

डकार आए तो न घबराएं
ऐसे शरीर को स्वस्थ पाएं


डकार आना एक सामान्य शारीरिक क्रिया का अंग है। अनेक लोग डकार को पेट भरने से तो कुछ लोग बदहजमी से जोड़कर देखते हैं, परंतु यह सोच गलत है। इस हम एक उदाहरण से अच्छी तरह से समझ सकते हैं जैसेकि जब हम कुकर में सब्जी पकाते हैं और उस समय गैस अधिक बन जाने पर वह सेफ्टी वॉल्व से बाहर निकल जाती है और अपने आप सीटी बजने लगती है, ठीक उसी प्रकार पेट में एकत्र गैस ध्वनि के साथ जब मुंह और गले द्वारा बाहर आती है तो उसे डकार कहा जाता है। चलिए जानते हैं कि डकार से संबंधित कुछ रोचक जानकारियां।

भोजन करते समय भोजन के साथ ही कुछ हवा पेट में चली जाती है। भोजन नली एवं पेट के बीच का दरवाजा भोजन करते समय खुल जाता है। भोजन के पेट में चले जाने के बाद यह स्वयं ही बंद हो जाता है, जिससे पेट में थोड़ी-बहुत हवा एकत्र हो जाती है। साॅफ्ट डिंªक आदि पदार्थों के सेवन के समय पेट में अधिक गैस पैदा हो जाती है। हमारे शरीर का कंट्रोल रूम यानि मस्तिष्क इन बेकार गैसों को बाहर करने का आॅर्डर दे देता है। इसके बाद कुछ मांसपेशियां कठोर हो जाती हैं और भोजन नली में छाती एवं पेट के बीच का दरवाजा कुछ समय के लिए खुल जाता है। हवा गले एवं मुंह से होती हुई बाहर आती है जिसे डकार कहा जाता है। यह दर्शाता है कि पेट भर गया है।

डकार के साथ आवाज इसलिए आती है। चूंकि एकत्र हवा पेट से भोजन नली में आती है एवं एक प्रकार का कंपन करती है, जो गले एवं मुंह से बाहर आने पर आवाज करती है। पेट की वायु बाहर आने पर कंपन न करे तो आवाज नहीं आएगी, जोकि संभव नहीं है। चूंकि यह सामान्य शारीरिक क्रिया है।
यदि डकार नहीं आता है तो माना जाता है कि मस्तिष्क पेट में इकट्ठी गैस को बाहर जाने का आदेश देने में कुछ देरी कर रहा है, जिससे हम बेचैनी महसूस करने लगते हैं।
डकार न आना हमारे लिए नुकसानदायक भी साबित होता है, क्योंकि यह सामान्य प्रक्रिया है। इसलिए ऐसा न होने से पेट में प्रायः दर्द रहती है, भूख कम लगती है और पाचन क्रिया ढली पड़ जाती है।

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