तकनीकी युग का है यह कमाल
आने वाले समय में इन रोजगारों में हो सकती है कटौती
हम बचपन से रोबोट के बारे में सुनते आ रहे हैं। अब विशेषज्ञों की माने तो यह रोबोट अब आने वाले समय में इंसानी रोजगार के लिए खतरा बन सकते हैं। यह बात इस वर्ष के आरंभ में दावोस में होने वाले
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूइएफ) में भी कही गई थी कि रोबोट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से आगामी पांच वर्षों में विश्व के 15 विकसित देशों में करीब 51 लाख नौकरियां कम हो सकती हैं। इस दौरान करीब 71 लाख नौकरियों के खत्म होने की आशा है, पर लगभग 20 लाख नई नौकरियां भी पैदा होगी, जिससे इन देशों में नौकरियों में होने वाला कुल नुकसान 51 लाख तक सीमित रहेगा।
संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा भी पहले ही इस संदर्भ में चिंता जताई जा चुकी है कि वर्ष 2020 तक रोजगार के अवसरों में वैश्विक स्तर पर 110 लाख तक की कमी आ सकती है।
‘पर्सनल और स्ट्रेटजिक एग्जीक्यूटिव्स’ के वैश्विक सर्वेक्षण की माने तो रोजगार के अवसरों में होने वाली कमी के कारणों में से करीब दो-तिहाई ऑफिस व एडमिनिस्ट्रेटिव सेक्टर्स में स्मार्ट मशीनों से काम लेने के चलते है। बड़ी चिंता यह है कि ऑफिस के रोजमर्रा के कार्यों को निबटाने के लिए मशीनों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा बढ़ेगा।
हाल ही में ऐसी ही कुछ चिंताएं
अमेरिकी रिसर्च फर्म एचटीएस ने ने अपनी एक रिपोर्ट में जताते हुए कहा है कि 37 लाख लोगों को नौकरी देने वाला भारतीय आईटी सेक्टर अगले 5 वर्षों में 6.4 लाख नौकरियां खो सकता है जिसका कारण आने वाली नई-नई तकनीकें हो सकती हैं। विशेषज्ञें की माने तो तकनीक द्वारा बेरोजगारी का असर आईटी सैक्टर के साथ-साथ कई क्षेत्रों में भी पड़ेगा जिससे नौकरियों की कमी होगी। चलिए जानते हैं यह प्रभाव कैसा होगाः
1. हमारा देश
कृषि प्रधान है। इसलिए इस क्षेत्र का प्रभावित होना तय है। वैसे भी लेबर निरंतर महंगी होती जा रही है। ऐसे में विशेषज्ञों की माने तो आगामी वर्षों में खेती पूर्णतः स्वचालित मशीनों पर आधारित होगी जिससे लाखों लोगों की आजीविका प्रभावित होगी।
2. प्रत्येक वर्ग आज चाहता है कि उसके बच्चे अच्छा से अच्छा पढ़े, शिक्षित हों। इसके लिए अच्छा स्कूल,
शिक्षा, ट्यूशन और कोचिंग की व्यवस्था की जाती है। पर इस क्षेत्र में भी तकनीक ने कमाल दिखाना शुरू कर दिया है कंप्यूटर बेवसाइट और मोबाइल ऐप्स ने शिक्षा सैक्टर को नया आयाम दिया है। इससे जहां एक ओर अध्यापकों की भूमिका कम हुई है वहीं ऑनलाइन कोर्सेज के बढ़ते चलन से स्कूलों एवं कॉलेजों की जरूरत पर भी प्रश्न चिह्न खड़े हुए हैं।
3. तकनीक के प्रयोग से
मीडिया सैक्टर काफी नया कर पाया है। सीधा प्रसारण हो या फिर देश-विदेश की घटनाओं का तुरंत प्रसारण सहज हो गया है। विशेषज्ञों की माने तो आगामी वर्षों में इस सैक्टर में भी रिपोर्टरों के लिए भी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। चूंकि इनका स्थान स्वचालित उपकरणों ले सकते हैं। जहां तक प्रिंट मीडिया की बात है तो डिजिटल मीडिया के आने के बाद से उन्हें वैसे ही विज्ञापनों की बहुत कमी हो रही है। इससे समाचार-पत्रों की आमदनी कम हो रही है और उनको बने रहने में कठिनाई अनुभव हो रही है।
4. विशेषज्ञों की माने तो रोबॉट का सबसे अधिक बुरा असर
फैक्ट्री/कारखानों पर होगा। चूंकि आने वाले समय में जापान की तर्ज पर ही पूरे संसार में रोबोट का प्रयोग बढ़ेगा जोकि इस सैक्टर में रोजगार को भी प्रभावित करेगा।
5. एक्सपर्ट का कहना है कि
स्वास्थ्य सेवाओं में आगामी वर्षों में स्वचालित यंत्रों का उपयोग बढ़ेगा। इससे जहां एक ओर गुणवत्ता में सुधार आएगा तो वहीं दूसरी ओर इस क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए मुश्किल पैदा होगी।
6.
कानूनी क्षेत्र में भी जो काम जूनियर वकीलों करते हैं जैसेकि केस पर रिसर्च और कानूनी दस्तावेजों पूर्ति आदि उस सैक्टर में भी लीगल एंड जूम नामक सॉफ्टवेयर आ चुका है जोकि जूनियर वकीलों का काम फटाफट और सरलता से करता है।
7.
बीपीओ सैक्टर में भी IPsoft's एवं VPI's आदि कृत्रिम कॉल सेंटर एजेंट्स आने से इसमें भी ऑटोमेशन का समय कठिनाई वाला हो सकता है।
8. सेल्फ-सर्विस चैक आउट तकनीक ने पूरे संसार को अपनी पकड़ में ले लिया है। इसीलिए वर्ष 2011 में मैकडॉनल्ड्स द्वारा भी 7000 स्वचालित कैशियर्स का ऑर्डर दिया। इस तकनीक से आगामी वर्षों में स्टोर्स एवं सुपरमार्केटों में शायद ही कोई
कैशियर दिखेगा।
9. विशेषज्ञों की माने तो बिना ड्राइवर की कारें सुरक्षा की दृष्टि अच्छी हो सकती हैं, अमेरिका में तो यह कारें काफी समय पहले से ही आ चुकी हैं। डेल्फी, टेस्ला एवं गूगल आदि कंपनियां अभी भी अस क्षेत्र में काम कर रही हैं जोकि
ड्राइवर की नौकरियों को खत्म कर सकता है।
10. संसार की अनेक कंपनियां अपने उत्पादों की
गुणवत्ता जांचने का काम स्वचलित मशीनों द्वारा करती जा रही हैं चूंकि इससे जहां एक ओर कम समय लगता है तो परिणाम भी अधिक सटीक आते हैं।