शनिवार, 23 जुलाई 2016

12वीं पास आकाश का देखे कमाल
दिल्ली के कृषि वैज्ञानिकों को सीखा रहा हैं-मल्टी लेयर फार्मिंग

मनुस्मृति में कहा गया कि विद्या यानी ज्ञान जिस किसी व्यक्ति से भी और जहां से भी मिले लेने में संकोच नहीं करना चाहिए। चूंकि ज्ञान से हम अपने जीवन को नई दिशा दे सकते हैं। इस कथन को चारितार्थ कर दिखाया है दिल्ली सरकार ने। दिल्ली सरकार ने 12वीं पास तिली वार्ड (सागर) निवासी आकाश चैरसिया की मल्टी लेयर फार्मिंग, ऑर्गनिक खेती और एग्रीकल्चर मैनेजमेंट संबंधी ज्ञान को बेहतरीन पाया है। यही कारण है कि दिल्ली सरकार ने निर्णय लिया है कि वह नर्सरियों, कृषि विज्ञान केंद्र तथा ईको क्लब में आकाश द्वारा बताई पद्धतियों से कृषि कराएगी।

गत पांच वर्षों से आकाश चैरसिया मल्टी लेयर फार्मिंग, नेचुरल फार्मिंग, एग्रीकल्चर मैनेजमेंट, बीड मैनेजमेंट, वाटर मैनेजमेंट, ऑर्गनिक खेती पर काम कर रहे हैं। आकाश की पद्धति से जैविक खेती करके अनेक किसानों ने खेती में 10 गुना अधिक तक लाभ कमाया है। जब यह जानकारी डॉ. एस.डी. सिंह (चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर, पार्क एंड गार्डन्स सोसायटी, डिपार्टमेंट ऑफ इंवायरमेंट, दिल्ली सरकार) तक पहुंची तो उन्होंने आकाश को बुलवाया। 12 जुलाई को दिल्ली सचिवालय में आकाश चैरसिया ने आई.ए.एस., आई.एफ.एस. एवं कृषि वैज्ञानिकों को प्रेजेंटेशन देकर कृषि पद्धतियां सिखाईं। आकाश की माने तो डॉ. सिंह का प्रेजेंटेशन के बाद कहना था कि आपने हमें महंगे पॉली हाउस का विकल्प भी दे दिया है। प्रभावित अधिकारीगण व्यावहारिक प्रशिक्षण लेने हेतु संभवतः जुलाई में सागर पहुंचेगे।

जहां तक मल्टी लेयर फार्मिंग की बात करें तो यह वह पद्धति है जिससे एक खेत में एक सीजन में एक साथ अनेक फसलें उगाई जा सकती हैं। आकाश अपने फॉर्म हाउस पर पांच लेयर तक की कृषि कर रहे हैं। जहां तक इसकी उपयोगिता की बात करें तो छोटे किसानों के लिए यह खेती बहुत लाभप्रद है।
आकाश ने पॉली हाउस का विकल्प तैयार करते हुए बांस और घासपूस से शेड तैयार किए हैं। इतना ही नहीं वह पोर्टेबल बेगों में गोबर एवं केंचुओं से खाद भी तैयार करते हैं। पेस्टीसाइड के विकल्प के रूप में वह गोबर तथा केंचुओं के शरीर से निकले 22 तरह के एंजाइम और 5 प्रकार के एसिड से अर्क तैयार करते हैं। आकाश गोबर में उपस्थित 16 सूक्ष्म तत्वों से मिट्टी का पूर्णतः प्राकृतिक आहार तैयार करते हैं। वहीं अंकुरण अवस्था से ही पौधे को सारे तत्व उपलब्ध करवाकर उनका कुपोषण दूर करते हैं।

आकाश का कहना है कि उनके टीकमगढ़ के एक मित्र द्वारा दिल्ली सरकार ने उनसे संपर्क किया। दिल्ली सरकार चाहती है कि दिल्ली के लगभग 1600 सरकारी स्कूलों में बनाए गए ईको क्लब को एग्रीकल्चर क्लब में बदलकर एग्रीकल्चर मॉडल तैयार किया जाए ताकि शिक्षकों और बच्चों को नेचुरल एग्रीकल्चर की ट्रेंनिग दी जा सके।

जहां आकाश की पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात करें तो उनका परिवार पान की पुरातन खेती से जुड़ा है। डॉक्टर बनने का सपना लिए आकाश की रुचि खेती में रही। यही कारण है कि वे तीन एकड़ में एक फॉर्म हाउस बनाकर उसमें पौधों के कुपोषण को दूर करने की तकनीक विकसित करने में लग गए।

आकाश पूरे देश में 42 फॉर्म हाउस बनावा चुके हैं तथा लगभग 33 हजार किसानों को अपने फॉर्म हाउस में प्रशिक्षण दे चुके हैं। देश के प्रतिष्ठित 19 विश्वविद्यालयों जैसेकि बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, शंकराचार्य विश्वविद्यालय रायपुर, जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, सागर विश्वविद्यालय आदि में लेक्चर दे चुके हैं।

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