बुधवार, 6 जुलाई 2016

देशज नस्लों को बढ़ावा देने की सरकार है तैयारी
गायों को भी जारी किया जाएगा आधार और स्वास्थ्य काॅर्ड


किसी ने सत्य ही कहा है कि घर की मुर्गी दाल के जैसी होती है। इसी कहावत की तर्ज पर हमने भी अपनी देशज़ नस्ल की गायों को नकार सा दिया है जबकि ब्राजील में भारतीय नस्ल की गिर गाय से लगभग 80 फीसदी उत्पादन लिया जाता है यही कारण है कि आज ब्राजील दुग्ध उत्पादन में बड़ा नाम बन चुका है।

हमारे देश में भी दुग्ध उत्पादन को 2020-21 तक 8.7 करोड़ टन करने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर देसी नस्ल की गायों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार का पशुपालन विभाग बड़े स्तर पर एक कार्यक्रम शुरू करने की योजना बना रहा है। इसके अंतर्गत देश की 8.5 करोड़ गायों को काॅर्ड जारी किए जाएंगे। इसमें 70 प्रतिशत गाय देशज़ होंगी। यह कार्य-योजना केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ मिलकर चलाएगी। इसमें 2016-17 में लगभग 50 लाख गायों की टैगिंग कर आधार काॅर्ड जारी किया जाएगा तो 2017-18 में 2.5-3.0 करोड़ गायों का आधार जारी होगा। शेष आधार काॅर्ड 2019-2020 में जारी किए जाएंगे। इस योजना का लक्ष्य हैः

1. देसी भारतीय नस्ल की गाय का संरक्षण
2. अगले पांच वर्षों में देशज़ गायों के दुग्ध उत्पादन को वर्तमान उत्पादन से लगभग दुगना करना
3. नस्ल में सुधार करना

उपर्युक्त लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार गायों के लिए आधार काॅर्ड और एक स्वास्थ्य काॅर्ड जारी करेगी।

इसमें गाय की दूध की मात्रा, दूध की गुणवत्ता यानि क्वालिटी और बीमारी से जुड़े विवरण होंगे।


वैसे इससे पहले भी लगभग 10 लाख गायों को टैग जारी किए जा चुके हैं। वर्तमान में देसी गायों का दुग्ध उत्पादन काफी कम (लगभग 1-2 लीटर है) जिसे बढ़ाकर सरकार पांच लीटर तक पहुंचाना चाहती है। अभी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में सबसे अधिक देशी गायें हैं। जहां तक उत्पादन की बात है तो 2007-2008 में देशज़ नस्ल से लगभग 2.2 करोड़ टन दूध उत्पादन होता था।

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