Thursday 31 March 2016

समोसा खाते तो हैं तो इससे जुड़ी 
इन बातों को जान ले आप?



समोसा शब्द से शायद ही कोई वाकिफ न हो। यह एक ऐसी डिश है जोकि आजकल सभी जगहों पर देखी जाती है पर क्या आप जानते हैं कि समोसे का जन्म कब हुआ? कहां हुआ? और यह कैसे शाही से आमजन तक पहुंच बना पाया? इसी से संबंधित कुछ अद्भुत जानकारियां हैं जोकि शायद ही आप जानते होंगे। चलिए आज आपको बताएं देते हैं यह बातेंः
1. आज जगह-जगह मिलने वाला समोसा कभी केवल दरबारी डिश हुआ करती थी।

2. दिल्ली सल्तनत के दरबार में 13वीं शताब्दी में समोसे को ईरान के शेफ्स ने इंट्रोड्यूस किया था।
3. गुजरात के सुल्तान मेहमूद बेगड़ा समोसे के बहुत अधिक शौकीन थे। इसीलिए वह अपने बिस्तर के दोनों ओर मीट के समोसे रखवाते थे ताकि उठते ही वे उन्हें खा सके।
4. मांडू के सुल्तान भी इसे बड़े शौक से खाते थे।
5. वर्ष 1495 की इंडियन कुकरी बुक में भी समोसे का वाकया आया है। इसमें दी गई एक फोटो में भी सुल्तान घियात साही को समोसे परोस रहे हैं।

6. समोसे को सर्वप्रथम ईरान में तैयार किया गया था जिसे वहां पर ‘सम्सा’ या फिर ‘सेनबोसाग’ कहा जाता था। बाद में वह भारत आया।
7. लगभग वर्ष 1300 में कवि अमीर खुसरों ने भी स्वीकारा था कि प्याज, मीट व घी के समोसे शाही लोग शौक से खाते थे।
8. दसवीं शताब्दी में लिखी ‘तहरिक-ए-बेहकी’ किताब में अबुल फजल बेहकी ने समोसे का जिक्र किया है।
9. अरबी कवि ईशाक इब्न इब्राहिम अल मौसिली ने अपनी कविताओं के संग्रह में भी समोसे की प्रशंसा की है।

10. 14वीं शताब्दी में भारत आने वाले इब्नबतूता ने लिखा है कि मोहम्मद बिन तुगलक के दरबार में पुलाव के पहले समोसा परोसा जाता था।

Tuesday 29 March 2016

ये चीजों खाकर बच सकते हैं कैंसर से 


कैंसर बीमारी का नाम ही भय पैदा करने के लिए काफी है। शायद वजह यह है इसका अभी तक कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है। यह बात दूसरी है कि आरंभिक अवस्था में सही ट्रीटमेंट से कैंसर ठीक हो जाता है पर अक्सर इस रोग का तब पता चलता है जबकि यह आखिरी अवस्था में पहुंच जाता है। अगर हम अपने आहार में कुछ चीजें नियमित रूप से ले तो इसकी संभावना न के बराबर होती है।

लहसुन

शोध बताते है कि नियमित रूप से लहसुन के सेवन से पेट व कोलन के कैंसर से बचाव हो सकता है। लहसुन में मौजूद एलिसिन कैंसर सेल्स को डेवलप नहीं होने देता। रोज कम से कम दो कली कच्चा लहसुन जरूर चबाएं। प्रातः उठने के बाद खाली पेट इसे खाना अधिक लाभदायक होता है।

जामुन

जामुन एंटी-कैंसर फ्रूट के रूप में भी जाना जाता है। एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर जामुन फ्री रैडिकल्स से सेल्स को डैमेज होने से बचाता है। साथ ही यह कैंसर फैलाने वाले सेल्स की वृद्धि को भी रोकता है। तो फिर कैंसर से दूर रहने के लिए जामुन, स्ट्रॉबेरी और शहतूत आदि चीजों को खाना शुरू करें।


टमाटर

रिसर्च बताते हैं कि टमाटर खाकर प्रोस्टेट कैंसर की संभावना को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। टमाटर कैंसर फैलाने वाले सेल्स को डैमेज करता है। इसमें उपस्थित लाइकोपीन और भी अनेक गंभीर बीमारियों से लड़ने में सहायक है।

पत्तेदार सब्जियां

पत्तागोभी, ब्रोकली व फूलगोभी आदि सब्जियां भी एंटी-कैंसर डाइट के रूप में जानी जाती हैं। यह फ्री रैडिकल्स की समस्या दूर करने के साथ-साथ कैंसर से बचाव व ट्यूमर के ग्रोथ को रोकने का काम करते हैं।

ग्रीन टी

ग्रीन टी का कैटेचिन नामक एंटी-ऑक्सीडेंट्स तत्व हर तरह के कैंसर को दूर रखने के साथ ही फ्री रैडिकल्स से सेल्स को डैमेज होने से बचाता है। कैटेचिन ट्यूमर व कैंसर सेल्स को धीरे-धीरे खत्म करता जाता है। ग्रीन के साथ-साथ ब्लैक टी में भी ये तत्व होते हैं। प्रतिदिन दो कप ग्रीन टी पीने से इस रोग की संभावना कम होती जाती है।

हल्दी

हल्दी भी कैंसर की संभावना को कम करती है। ट्यूमर व कैंसर सेल्स की वृद्धि को रोकने वाली हल्दी के गुण को अमेरिकन रिसर्च सोसायटी ने भी स्वीकारा है।

साबुत अनाज

अमेरिकन इंस्टीट्यूट फॉर कैंसर रिसर्च की माने तो फाइबर और एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर साबुत अनाज खाकर कैंसर सेल्स के डेवलपमेंट और उनके ग्रोथ को कम किया जा सकता है। डाइट में ओटमील, जौ, ब्राउन राइस, व्होल ब्रेड व पास्ता आदि साबुत अनाज अधिक से अधिक खायें।

हरी पत्तेदार सब्जियां

हरी पत्तेदार सब्जियां(पालक और लेट्यूस आदि) में एंटी-ऑक्सीडेंट्स, बीटा-कैरोटीन व ल्यूटीन अधिक मात्रा में पाये जाते हैं। ये कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकने में बहुत ही असरदार होती हैं।

अंगूर

लाल अंगूर में रेस्वेराट्रॉल नामक एंटी-ऑक्सीडेंट होता है। साथ ही अंगूर जूस व रेड वाइन में भी एंटी-ऑक्सीडेंट्स होता हैं जोकि कैंसर सेल्स को बनने ही नहीं देते। सामान्यतः पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर कैंसर होता है, जिसे रेड वाइन पीकर बहुत हद तक कम किया जा सकता है।

Monday 28 March 2016

22 वर्षीय इस युवक ने खड़ा कर दिया करोड़ों का व्यवसाय
देश-विदेश में बना चुका है अपनी धाक 


बचपन में एक मशहूर फिल्मी गाना था जिसके बोल थे, ‘‘पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब, जो खेलोगे कूदोगे तो होंगे खराब।’’ हो सकता है गीतकार ने उस समय की सामाजिक स्थिति के हिसाब से ऐसे बोल लिखे हो पर आज की स्थिति में अनेक ऐसी हस्तियों ने साबित कर दिया है कि पढ़ाई के अतिरिक्त भी बहुत से क्षेत्र हैं जिसमें अपनी प्रतिभा से लोहा मनवाया जा सकता है। सचिन तेंदुलकर ऐसा ही एक बहुत ही बड़ा उदाहरण हमारे सामने हैं। इसी तरह के एक अन्य नवयुवक हैं लुधियाना(पंजाब) के त्रिशनित अरोड़ा हैं जिन्होंने केवल 22 वर्ष की उम्र में करोड़ों का व्यवसाय देश से विदेश तक खड़ा कर दिया है। दुबई व यूके में उनके वर्चुअल ऑफिस है। लगभग 40 प्रतिशत क्लाइंट्स इन्हीं ऑफिसेस से डील करते हैं। विश्व में 50 फॉर्च्यून व 500 कंपनियां क्लाइंट हैं। फिलहाल त्रिशनित अपनी कंपनी के बिजनेस को यूएस तक ले जाना चाहते हैं। यही नहीं उनका सपना है कि कंपनी का टर्नओवर दो हजार करोड़ रुपए तक पहुंचे।

त्रिशनित की शुरू से ही कम्प्यूटर में गहन रुचि रही। यही कारण है कि वह अपनी पढ़ाई पर न तो ध्यान दे पाए और न ही परीक्षा में पास हो पाए। घर वालों के लाख समझने पर भी यह न माने। कुछ अलग, पर अपने मन मुताबिक करने की ललक ने इन्हें 22 वर्ष की उम्र में करोड़ों का मालिक बना दिया हैं। त्रिशनित की माने तो आठवीं कक्षा में ही उन्हें कम्प्यूटर व एथिकल हैकिंग में दिलचस्पी हो गई थी। इसलिए कम्प्यूटर व हैकिंग की लगातार नई जानकारियां एकत्र की। आरंभ में लोग उनपर हंसते थे व गंभीरता से नहीं लेते थे। पर उन्होंने अपने काम के बल पर दिखा दिया कि कैसे विभिन्न कंपनियों का डाटा चुराया जा रहा है व फिलहाल हैकिंग के क्या तरीके प्रयोग में लाए जा रहे हैं। धीरे-धीरे लोगों व कंपनियों ने उनकी प्रतिभा को पहचाना।

अभी एक वर्ष पूर्व ही उन्होंने टीएसी सिक्युरिटी नामक साइबर सिक्युरिटी कंपनी बनाई है। इतना ही नहीं वह ‘हैकिंग टॉक विद त्रिशनित अरोड़ा’ ‘दि हैकिंग एरा’ एवं ‘हैकिंग विद स्मार्ट फोन्स’ पुस्तकें भी लिख चुके हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि आज त्रिशनित रिलायंस, सीबीआई, पंजाब पुलिस, गुजरात पुलिस, अमूल और एवन साइकिल आदि कंपनियों को साइबर से संबंधित सेवाएं दे रहे हैं। आप कहेंगे जैसे तो चलिए हम आपको बता देते हैं कि त्रिशनित एथिकल हैकर (नेटवर्क या सिस्टम इन्फ्रास्ट्रक्चर की सिक्युरिटी इवैल्युएट की जाती है) का काम करते हैं। सर्टिफाइड हैकर्स इसकी निगरानी करते हैं ताकि कोई नेटवर्क या सिस्टम (कम्प्यूटर) इन्फ्रास्ट्रक्चर की सिक्युरिटी तोड़कर कॉन्फिडेन्शियल चीजें न तो उड़ा सके और न ही वायरस या दूसरे मीडियम्स द्वारा कोई हानि पहुंचा सके।

Tuesday 22 March 2016

पानी ऐसे पीने से होगे दूर रोग  


जल यानि पानी पृथ्वी पर बहुमूल्य है। हमारे लिए यह जीवनदायी तत्वों में एक है। अगर हम पानी को सही समय पर और सही मात्रा में पिये तो यह दवाई का काम करता है। आयुर्वेद (आयुर्वेदिक ग्रन्थ अष्टांग संग्रहः वाग्भट्ट) में पानी पीने का समय व मात्रा को बताया गया है। इसलिए यदि पानी को गलत ढंग से पियोगे या गलत समय पर अधिक मात्रा में पियोगे तो वह आपके शरीर के लिए हानिकप्रद होता है। इसलिए चलिए आज हम आपको इस बारे में जानकारी दे देते हैंः

1. बिना मुंह धोएं प्रातः दो गिलास पानी पीने से शरीर की अंदरूनी सफाई होती है और उसके भीतरी भाग एक्टिव बने रहते हैं।
2. भोजन से आधा घंटा पहले एक गिलास पानी पीने से पाचन अच्छा रहता है।
3. स्नान से पहले एक गिलास पानी पीने से हाई ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है।

4. चाय या काॅफी पीने से पहले एक गिलास पानी पीएं। इससे शरीर का पीएच लेबल संतुलित बना रहता है और एसिडिटी नहीं होती।
5. शाम को नाश्ते से पहले एक गिलास पानी पीएं। इससे पेट भरा रहेगा और हैवी नाश्ता नहीं होगा और मोटापे से बचाव होगा।

6. व्यायाम से 10 मिनट पहले 1 गिलास पानी पीने से पहले व्यायाम से समय डिहाइड्रेशन नहीं होगा और ऊर्जा बनी रहेगी।
7. व्यायाम करने के बीस मिनट बाद पानी पीने से शरीर से निकले पीसने की भरपाई होती है और शरीर हाइडेªट रहता है।
8. थकान और टेंशन के समय एक गिलास पानी पीने से इनसे राहत मिलती है। माइंड रिलेक्स होता है। 

Saturday 19 March 2016

विश्व की टाॅप इंजीनियर्स में शामिल
इस भारतीय महिला इंजीनियर को जानते हैं आप?


इंटरनेशनल बिजनेस मैगजीन ने विश्व की टॉप 26 महिला इंजीनियरों की सूची जारी की है। इस सूची में एक भारतीय महिला इंजीनियर भी शामिल है। क्या आप इसे जानते हैं? नही तो चलिए हम आपको इसके बारे में जानकारी दिए देते हैं।

इस सूची में 20वें नंबर पर एक 23 वर्षीय भारतीय मूल की इंजीनियर त्रिशा कोठारी भी शामिल हैं। इन्होंने मुंबई के धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल से ग्रैजुएशन किया। आगे की पढ़ाई त्रिशा ने यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया में की तब से वह अमेरिका में ही रह रही हैं।

फिलहाल त्रिशा अमेरिका के सेन फ्रांसिस्को में अफम्र्स नामक कंपनी में काम कर रही हैं, जोकि स्मार्टफोन को क्रेडिट कार्ड में बदल देती है व दुकानदारों को मासिक भुगतान में मदद देती हैं। इसलिए कह सकते हैं कि एक प्रकार से वह बजाय किसी स्टार्टअप के एक आधुनिक बैंक हेतु काम कर रही हैं। इससे पहले त्रिशा गूगल व लिंक्डइन में इंटर्नशिप रह चुकी हैं। वह गूगल के 3डी स्मार्टफोन वाले प्रोजेक्ट टैंगो से भी जुड़ी थी। उन्हें गूगल ने अनिता बोर्ग स्कॉलरशिप भी दी थी। उनकी कंपनी पेपाल की को फाउंडर रही मैक्स लेवचिन हेतु फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी स्टार्टअप के लिए भी काम कर चुकी है।

Thursday 17 March 2016

60 लीटर रोज दूध देती है यह गाय
कीमत है पांच लाख रुपए
18 वर्ष से डेरी व्यवसाय से जुड़े राजबीर 
कमा रहे हैं 15 लाख रुपए सालाना 


कृषि में लगातार होते घाटे एवं घटते जोतों के आकार से किसान कृषि से जुड़े दूसरे व्यवसायों की ओर रुख कर रहे हैं। इसमें दुग्ध उत्पादन एक बेहतरीन व्यवसाय साबित हो रहा है। किसानों की मेहनत का ही नतीजा है कि आज हम दुग्ध उत्पादन में विश्व में पहले स्थान पर हैं। इसका श्रेय जाता है डेरी व्यवसाय के उन्नत पशुपालकों को। आज हम आपको ऐसे ही एक पशुपालक से मिलवाने जा रहे हैं।

दादुपुर (करनाल, हरियाणा) गांव के राजबीर आर्य डेरी व्यवसाय चलाते हैं। वर्ष 1998 में केवल पांच गाय से डेरी की शुरूआत करने वाले राजबीर को आज यह व्यवसाय चलाते हुए 18 साल हो चुके हैं। आज वह डेरी व्यवसाय से 15 लाख रुपए सालाना कमा रहे हैं।

राजबीर के डेरी फार्म पर राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत होल्सटीन फ्रीज़न नस्ल की गाय लक्ष्मी है जोकि प्रतिदिन 60 लीटर दूध देती है। यानि अगर हम औसत निकाले तो पाएंगे कि प्रति घंटे में लगभग ढाई लीटर दूध। राजबीर आर्य की माने तो लक्ष्मी दूध देने में तो अव्वल है ही अपनी ब्यूटी के लिए भी राष्ट्रीय स्तर (मुक्तसर, पंजाब व राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में ब्यूटी चैंपियन) के पशु मेलों में पुरस्कृत की जा चुकी है। लक्ष्मी का जन्म राजबीर के घर ही हुआ जबकि उसकी मां को वह पंजाब से लेकर आए थे।

राजबीर का डेरी फार्म डेढ़ एकड़ भूमि में फैला हुआ है जिसमें अभी 75 गाय हैं। इनमें से 60 होल्सटीन फ्रीज़न, 10 जर्सी व 5 साहीवाल नस्ल की है जोकि प्रतिदिन 800 लीटर दूध देती हैं। राजबीर इस दूध में से कुछ को तो शहर में बेच देते हैं, जबकि बाकी अमूल डेरी को भेज दिया जाता है।

लक्ष्मी गाय को प्रतिदिन 50 किलोग्राम हरा चारा, 2 किलोग्राम सूखी तूड़ी व 14 किलो दाना आहार में दिया जाता है। इतना ही नहीं, लक्ष्मी सहित दूसरे पशुओं की देखरेख में दिन-रात छः व्यक्ति लगे रहते हैं। लक्ष्मी अपने नाम के मुताबिक ही धन की वर्षा करती है। इस बात की चर्चा करते हुए राजबीर बताते हैं कि इस वर्ष जनवरी माह में बैंगलुरु से आए कुछ लोगों ने लक्ष्मी की कीमत पांच लाख रुपए तक लगा दी थी परंतु मैंने इस कीमत पर भी लक्ष्मी गाय को नहीं बेचा।

तो जरूरत है भारत को ऐसे ही कुछ राजबीरों की। तभी भारत में फिर से दूध-दही की नदियां बह सके। किसानों को मेहनत का फल मिले। गांव और देश की प्रगति होगी।

Tuesday 15 March 2016

छात्रों के इस पाॅवर प्रोजेक्ट से मिलेगी 

चार रुपए में दो समय खाने बनाने की गैस



एलपीजी के लगातार बढ़ते दाम से अगर आप भी परेशान हैं तो आपके लिए खुशखबरी है। धनबाद(झारखंड) के कुछ छात्रों ने टोटल वेस्ट सोल्यूशन नामक संस्था शुरू की है। इसके अंतर्गत एक पायलट प्रोजेक्ट में अब आप मात्र चार रुपए में दो समय का खाना बना सकेंगे। कंपनी के संस्थापक व इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के छात्र सौरभ कुमार की माने तो यह संभव होगा बायोगैस प्लांट से। इसके लिए परिवारों को पहले 15 हजार रुपए खर्च करने होंगे। फिर उन्हें मिलेगी आधा किलो एलपीजी के बराबर ऊर्जा।

ऊर्जादायी इस बायोगैस प्लांट की टेस्टिंग हो चुकी है। यह घरेलू कचरे से चलाया जाएगा। फिलहाल फंडिंग की कमी से इसे बड़े पैमाने पर लागू नहीं किया जा रहा है। धनबाद में सफल होने के बाद पूरे शहर में बायोगैस प्लांट से खाना बनाने की सुविधा दी जाएगी।

सौरभ का कहना है कि हमारे प्रोजेक्ट से जुड़नेवालों को हम प्रतिदिन मात्र चार रुपए में छः किलोग्राम कचरा देगे। लोग अपने घरेलू कचरे का भी प्रयोग कर सकते हैं। इस कचरे से 1000 लीटर बायोगैस प्रतिदिन बनेगी। यद्यपि इसकी कैलोरेसिक वैल्यू काफी कम होगी। इसलिए प्रतिदिन चार आदमियों हेतु दो बार खाना पकाने में 1000 लीटर बायोगैस खत्म हो जाएगी। टोटल वेस्ट सोल्यूशन अपने बायोगैस प्लांट की आजीवन मेंटनेंस की सुविधा देगी। 4 रुपए के कचरे से तैयार बायोगैस से आधा किलो एलपीजी के समान ऊर्जा मिलेगी। यानी प्रतिदिन एक बर्नर वाले चूल्हे पर 3 घंटे तक खाना पकाया जा सकेगा।

सौरभ कहते हैं कि सामान्यतः हमारी रसोई में प्रतिदिन करीब दो किलो कचरा निकलता है जिससे बायोगैस बनाई जा सकती है। हां इस कचरे में नींबू व प्याज के छिलके न हों। परिवारों को वह आवश्यकतानुसार नियमित रूप से कचरा भी पहुंचा दिया करेंगे।

टोटल वेस्ट सोल्यूशन द्वारा तैयार प्रोजेक्ट से प्रदूषण पर नियंत्रण होगा इसलिए यह पूर्णतः इको फ्रेंडली है। इस प्लांट से प्रतिदिन कचरे के निष्पादन की चिंता समाप्त हो जाएगी और उनके बदले में मिलेगी काफी कम खर्च में काम लायक ऊर्जा।

Saturday 12 March 2016

ये दस आहार दे सकते हैं भरपूर नींद, दूर होती है बीमारियां


पूरी नींद लेने से हमारा स्वास्थ्य अच्छा रहता है। यह बात हम नहीं कह रहे हैं बल्कि बहुत-सी स्टडीज (नेशनल स्लीप फाउंडेशन, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ, अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन, यूनिवर्सिटी ऑफ मेनेसोटा मेडिकल स्कूल और द अमेरिकन अकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन की स्टडी ) से यह बात सामने आई है। नींद पूरी न लेने से ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हार्ट डिजीज व डिप्रेशन आदि रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। चलिए आज हम आपको दस ऐसे भोज्य पदार्थों के बारे में बताने जा रहे हैं जोकि आपकी नींद न आने की समस्या को दूर करने में मदद करेंगे।


1. दूध में अमीनो एसिड होता है इसलिए रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध पीने से भरपूर नींद आती है।

2. रात के भोजन में एक कटोरी चावल खाएं। इसमें अमीनो एसिड होता है जिससे आपको भरपूर नींद आएगी।

3. केले में मैग्नीशियम व पोटैशियम की भरपूर मात्रा होती है। इसलिए शाम को केला खाने से इनके न्यूट्रिएंट्स नींद बढ़ाते हैं।

4. भोजन में प्रतिदिन एक कटोरी दही शामिल करें। चूंकि दही में कैल्शियम होता है जोकि शरीर के मसल्स के रिलैक्सेशन में सहायक है।

5. भोजन में मूंगफली, मछली व चिकन आदि को सम्मिलित करें जिनमें विटामिन बी की भरपूर मात्रा होती है जोकि आपको नींद में मददगार साबित होती है।

6. पालक को आहार में शामिल करें। चूंकि इसमें मैग्नीशियम, पोटैशियम व कैल्शियम आदि होते हैं जोकि नींद लाने में सहायक होते हैं।

7. भूख लगने पर पाॅपकाॅर्न खाएं। चूंकि इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है जिससे शरीर में इंसुलिन की मात्रा नियंत्रित होती है व नींद अच्छी आती है।

8. भोजन में पनीर को शामिल करें। इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होता है जोकि अमीनो एसिड की मात्रा को बढ़ाने में मददगार साबित होता है जिससे भरपूर नींद आती है।

9. खाने में मैग्नीशियम की कमी को पूरा करने के लिए रात को 4-6 बादाम भिगोकर रखें जिसे सुबह उठकर खाएं। इससे भी अच्छी नींद आएगी।

10. प्रतिदिन दो अखरोट डाइट में शामिल करें। चूंकि इसमें ट्रायप्टोफान अमीनो एसिड भरपूर मात्रा में होता है जोकि अच्छी नींद के लिए बहुत जरूरी है।

Friday 11 March 2016

विश्व के इस खतरनाक पेड़ को जानते हैं आप?


किसी ने बहुत खूब लिखा है-‘‘जीते लकड़ी, मरते लकड़ी, खेल तमाशा लकड़ी का।’’ अर्थात् वृक्ष मनुष्य का आजीवन साथ ही नहीं निभाते हैं, मरने पर भी उसके अंतिम संस्कार में काम आते हैं। वृक्ष कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण से सोखकर ओक्सीजन देते हैं, भूउर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं, प्रदूषण नियंत्रण में मदद करते हैं, वर्षा लाने में सहायता करते हैं, वर्षा लाने में सहायक हैं, छाया एवं शीतलता देते हैं, औषधियां, फल व खाद्य प्रोटीन उपलब्ध करवाते हैं।

पर क्या आप जानते हैं कि एक पेड़ ऐसा भी हैं जिसे विश्व का सबसे खतरनाक पेड़ माना जाता है। इसकी ऊंचाई लगभग 50 फीट तक होती है। यहां तक कि इसके पास जाना भी निषेध है। यह वृक्ष है, फ्लोरिडा व कैरेबियन तट पर पाया जाने वाला मैंशीनील पेड़। इसके तने से निकलने वाला रस इतना जहरीला होता है कि आदमी की त्वचा से संपर्क पर छाले तक पड़ जाते हैं। पेड़ के सेब की तरह का फल का एक टुकड़ा खाने पर भी मनुष्य की मौत हो सकती है।

पेड़ का रस आंखों में जाने पर आदमी अंधा हो जाता है। पेड़ की लकडि़यां जलाने पर जो धुआं उठता है उससे आंखों की रोशनी जा सकती है। वर्षा में इस पेड़ के नीचे खड़े पर शरीर की त्वचा खराब हो सकती है। यद्यपि निकोला एच स्ट्रिकलैंड नामक वैज्ञानिक एवं उनके कुछ दोस्तों ने इस पेड़ के फल को खा लिया था, जो बेहद ही कड़वा था। इससे उन्हें जलन होने लगी और शरीर में सूजन गया पर शीघ्र इलाज से वे ठीक हो गए। पेड़ के पास चेतावनी भरा बोर्ड लगाया गया है।

Tuesday 8 March 2016

विश्व के सबसे छोटे इन दस देशों के बारे में जानते हैं आप?

विश्व में अनेक ऐसे देश भी हैं जोकि क्षेत्रफल के लिहाज से बहुत छोटे हैं। यहां तक कि किसी का एरिया दो तो किसी का दो सौ स्वी. कि.मी. है। इन 10 देशों में वेटिकन सिटी विश्व का सबसे छोटा देश है तो मोनाको, नौरु आदि देश भी शामिल हैं। इसके बावजूद टूरिस्ट बड़ी संख्या में यहां आते हैं। इन देशों की तुलना यदि हम अपने देश से करते हैं तो आपको शायद विश्वास न हो लेकिन यह सच कि इनमें से अनेक देशों का क्षेत्रफल एक छोटे से कस्बे, शहर या फिर किसी राज्य के एक जिले के समान है। चलिए जानते हैं इन देशों को

1. वेटिकन सिटी 

इस देश की जनसंख्या केवल 800 है तो क्षेत्रफल 0.44 वर्ग किलोमीटर है। यह बात दूसरी है कि यहां काम करने वाले लोगों की कुल संख्या 1000 है, जिनमें से काफी सारे लोग दूसरे देशों से आने वाले है। यहां के बेजोड़ भवन लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं।

2. मोनाको

विश्व का दूसरा सबसे छोटा यूरोपीय देश है-मोनाको। बीस वर्षों से निरंतर समुद्री लहरों के कारण आज इसका क्षेत्रफल केवल 2.02 वर्ग किलोमीटर तक ही रह चुका है। इसके बावजूद मोनाको बहुत ही उच्च अर्थव्यवस्था वाला देश कहा जा सकता है। पर्यटन की दृष्टि से यह अद्भुत देश है।

3. नौरु

केवल एक आइलैंड पर टिका व प्रशांत महासागर के बीचो-बीच स्थित 21.3 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ नौरु विश्व का तीसरा सबसे छोटा देश है। इसकीे अपनी कोई सेना तक नहीं है।

4. तुवालु

हवाई व आस्ट्रेलिया के बीच स्थित तीन आइलैंड से बना यह विश्व का चैथा सबसे छोटा देश है। 26 वर्ग किलोमीटर वाले तुवालु को वर्ष 1978 में इंग्लैंड से स्वतंत्रता मिली थी।

5. सैन मैरिनो

61 वर्ग किलोमीटर में फैला सैन मैरिनो विश्व का पांचवां सबसे छोटा देश है। इसकी खोज एडी 301 में की गई थी। इसीलिए इटली के बीच बसे सैन मारिनो को विश्व के सबसे प्राचीन देशों में से एक माना जा सकता है।

6. लिक्टनस्टीन

स्विट्जरलैंड व ऑस्ट्रिया के बीच स्थित 160.4 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला यह विश्व का छठा सबसे छोटा देश है। इसके बावजूद आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि 2009 के आंकड़ों के अनुसार यह देश प्रतिव्यक्ति जीडीपी के मामले में विश्व में नंबर एक पर था।

7. मार्शल आइलैंड

 अटलांटिक महासागर में स्थित मार्शल आइलैंड्स कुल 1156 द्वीपों का समूह व विश्व का सातवां सबसे छोटा देश है। 181 वर्ग किलोमीटर वाला यह देश अमेरिका से अलग होने पर 1986 में अस्तित्व में आया था पर आज भी इसकी रक्षा का उत्तरदायित्व अमेरिका के पास है, जो उसे धन, रक्षा व सामाजिक कार्यों में भी सहयोग देता है।

8. सेंट किट्स एवम नेविस

पूर्वी कैरेबियन सागर में स्थित सेंट किट्स एवम नेविस का क्षेत्रफल 261 वर्ग किलोमीटर है। यहां के लोगों की आय का स्रोत पर्यटन व कृषि है।

9. मालदीव

हिंद महासागर में स्थित मालदीव क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व का नौवा सबसे छोटा देश है। इसका कुल क्षेत्रफल 298 वर्ग किलोमीटर है। मालदीव पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है।

10. माल्टा

316 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला यह विश्व का 10वां सबसे छोटा देश है। क्षेत्रफल की दृष्टि से चाहे यह छोटा हो पर यूरोप में सबसे घनी आबादी वाला देश है।