गुरुवार, 3 मार्च 2016

पच्चीस वर्ष तक किया इंतजार
फिर अपने दम पर गांव वालों ने बना डाला अपना रेलवे स्टेशन


भारत को आजादी मिली तो विकास और तरक्की का पहिया भी घूमा। यह बात दूसरी है कि इसकी रफ्तार सभी ओर एक सी नहीं रही। इसी का नतीजा रहा कि कुछ क्षेत्र विकास से बिल्कुल महरूम रह गए। ऐसा ही हरियाणा का एक गांव था फर्रूखनगर। जहां गांववालों ने मिलकर अपने दम पर ताज नगर रेलवे स्टेशन बना डाला। इस स्टेशन के बनने के बाद 14 गांवों के यात्रियों को लाभ हुआ और उनका दिल्ली, गुड़गांव, रेवाड़ी, जोधपुर पहुंचना आसान हो गया।

हुआ यूं कि फर्रूखनगर गांव (हरियाणा) के लोगों का अनेक वर्षों से सपना था कि यातायात सुविधा के लिए गांव में रेलवे स्टेशन हो। इस स्टेशन के निर्माण के लिए वर्ष 1982 में पहली बार गांववालों ने तत्कालीन मंत्री राव बीरेंद्र सिंह को पत्र लिखकर इसकी मांग की पर इसपर कोई कार्यवाही नहीं हुई। फिर भी लोगों ने हार नहीं मानी और वर्ष 2004 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव को पत्र लिखकर स्टेशन बनाने की मांग की।

दिसंबर 2005 में रेलवे ने ग्राम पंचायत को स्टेशन की मंजूरी तो दे दी। यह बात दूसरी है कि रेलवे ने यह शर्त रखी कि स्टेशन बनने के बाद इसे रेल विभाग को सौंप दिया जाए ताकि इस स्टेशन पर गाडि़यों को रूका जा सकें। तब गांववालों ने इस रेलवे स्टेशन को बनाने के लिए चंदा एकत्र कर ताजनगर रेलवे स्टेशन व प्लेटफॉर्म को सात महीने में बनाकर तैयार कर दिया।

इतना ही नहीं, अनेक सुविधाएं भी तैयार की गईं जैसेकि रेलवे स्टेशन की रेल लाइन के दोनो ओर कंक्रीट का पक्का आधार बनाया गया है। मौसम के असर से बचाव के लिए टीन शेड लगाए गए हैं। टिकट काउंटर, पेय जल और मेन रोड से स्टेशन तक पक्का रास्ता भी बनाया गया है।


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