Thursday 29 September 2016

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में दावा
प्रत्येक 10 में से 9 लोग ले रहे हैं जहरीली सांसें
 

हमारे देश में प्रतिवर्ष वायु प्रदूषण से लगभग छः लाख एवं विश्व में 60 लाख लोग काल के मुंह में समा जाते हैं। विश्वास नहीं होता न लेकिन यह सच है। इस बात का दावा किया गया है विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में।
रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में वायु प्रदूषण के कारण प्रतिवर्ष आठ लाख जानें जा रही हैं। इनमें से  75 प्रतिशत से भी अधिक मौतें भारत में हृदय रोग और फेफड़ों के कैंसर से होती हैं। मरने वालों में बड़ी संख्या में पांच साल से कम उम्र के बच्चे भी शामिल हैं।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 01 लाख 10 हजार 500 मौतें फेफड़ों की बीमारी से हो रही है, 01 लाख 95 हजार एक मौतें केवल हार्ट अटैक से हो रही हैं, 02 लाख 49 हजार तीन सौ अठासी की हृदय रोग से मौत हो रही है और 26 हजार 334 मौतें फेफड़ों के कैंसर से हो रही हैं।

मारिया नायरा (प्रमुख, पब्लिक हेल्थ और इन्वाइरनमेंट डिपार्टमेंट, विश्व स्वास्थ्य संगठन) के शब्दों में दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र से हवा के जो नमूने मिले हैं, उनके अनुसार हम आपातकालीन स्थिति में हैं। प्रत्येक 10 में से 9 लोग ऐसी वायु में सांस ले रहे हैं, जोकि उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में 90 प्रतिशत गरीब देशों में हुई हैं। रिपोर्ट में गांवों में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताई गई है। आगे कहा गया है कि 3000 अलग-अलग भागों में वायु प्रदूषण की जांच की गई है। इसमें निकलकर सामने आया कि निम्न एवं मध्यम आय वर्ग के देशों के 98 फीसदी से अधिक शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निश्चित वायु स्वच्छता के मानकों का पालन नहीं कर पा रहे हैं। साथ ही घरों में भी वायु प्रदूषण के आंकड़े चिंताजनक हैं।

कुछ समय पूर्व ही बीबीसी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मद्देनजर जानकारी दी थी कि वायु प्रदूषण अनेक देशों के विकास में बाधक बन रहा है। वायु प्रदूषण के कारण चीन अपनी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का दसवां भाग, भारत एवं कंबोडिया जीडीपी का आठ प्रतिशत भाग गंवा रहे हैं। इस हानि में श्रमिकों के वेतन और वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों का खर्च शामिल है।

रिपोर्ट में इससे निपटने के उपाय भी बताते हुए कहा गया है कि सड़क पर गाड़ियों की संख्या कम की जाए, कूड़ा निपटान के तरीकों में सुधार किया जाए और खाना बनाने में कम से कम प्रदूषक तरीकों का इस्तेमाल किया जाए।

Tuesday 27 September 2016

ताजमहल, लाल किला, राष्ट्रपति भवन और संसद भवन 
तक को बेचने वाले इस शख्स को जानते हैं आप


देश की राष्ट्रीय धरोहर ताजमहल, लाल किला, राष्ट्रपति भवन और संसद भवन के बारे में शायद कोई ऐसा व्यक्ति हो जो न जानता हो। यह हमारे लिए सम्मानीय हैं। देश से लेकर विदेशों तक के लोग इन्हें देखने आते हैं। हम अगर आपसे कहे कि एक ऐसा भी शख्स था जिसने ताजमहल को तीन बार बेच दिया था तो शायद आपको यकीन न हो लेकिन यह सच है। विश्वास नहीं होता न तो चलिए जानते हैं कैसे।

इन कारनामों को अंज़ाम देने वाला कोई और नहीं बल्कि मशहूर ठग नटवरलाल उर्फ मिथिलेश श्रीवास्तव (सीवान, बिहार निवासी) था। नटवरलाल ने ताजमहल को तीन बार बेच दिया था। इतना ही नहीं इसने लाल किला, राष्ट्रपति भवन एवं संसद भवन को भी बेच दिया था।

नटवरलाल वेश बदलने में दक्ष था। उसने एक बार राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का फर्जी हस्ताक्षर करके ठगी की थी। ऐसा भी कहा जाता है कि नटवरलाल ने धीरूभाई अम्बानी, टाटा एवं बिरला आदि उद्योगपतियों के साथ ही सरकारी अधिकारियों से भी ठगी की थी।

पुलिस द्वारा नटवरलाल उर्फ मिथिलेश श्रीवास्तव पर ठगी के 100 से भी अधिक मामले दर्ज किए थे और 8 राज्यों की पुलिस उसकी तलाश कर रही थी। सत्तर-नब्बे के दशक तक अनेक धोखा-धड़ी की घटनाओं को अंजाम देने वाला नटवर लाल भारत के प्रसिद्ध ठग के रूप में जाना जाता था। उसे 9 बार गिरफ्तार किया गया पर हर बार वह पुलिस की पकड़ से भागने में कामयाब रहा। 84 साल की उम्र वह अंतिम बार पकड़ा गया।

जब 24 जून, 1996 को नटवरलाल को कानपुर जेल से एम्स अस्पताल ट्रांसफर किया जा रहा था तभी नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पुलिस टीम को चकमा दे वह फिर से भागने में कामयाब रहा। इसके बाद से वह दिखाई नहीं दिया।

Monday 26 September 2016

यह पशु नहीं है किसी वीवीआईपी से कम
मिली हुई है जेड प्लस सिक्योरिटी 
 

आपने महत्वपूर्ण एवं उच्च पदों के वीवीआईपी लोगों को जेड प्लड सिक्योरिटी दिए जाने की बात जरूर सुनी और देखी होगी। यह एक आम बात हो सकती लेकिन अगर हम आपसे कहे कि एक ऐसा पशु भी है जिसे जेड प्लस सिक्योरिटी दी गई है तो आपको शायद ही यकीन हो लेकिन यह सच है। चलिए इस पशु के बारे में आपको बताते हैं।

विश्व में निरंतर पशु की घटी संख्या एक चिंता का विषय बना हुआ है। यह बात दूसरी है कि जानवरों को बचाने के लिए सरकारी और निजी दोनों स्तरों पर काम किए जा रहे हैं। इसी श्रृंखला में, एक ऐसा पशु भी है, जिसे हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की तरह सुरक्षा मिली हुई है। जानकर आश्चर्य हुआ न लेकिन यह बिल्कुल सच है। जी हां! यह पशु कोई और नहीं बल्कि सूडान नामक एक सफेद गैंडा है जिसको जेड प्लस सिक्योरिटी में रखा जाता है। इस नर गैंडे का जन्म सूडान में हुआ था। इसकी सुरक्षा में 24 घंटे बंदूक थामें सुरक्षाकर्मी रहते हैं। ये विश्व का अंतिम सफेद नर गैंडा है। इसीलिए इसे इतनी सुरक्षा दी गई है। इसके अलावा भी विश्व की आखिरी दो मादा गैंडों की भी इस तरह से रक्षा की जा रही है।

Friday 23 September 2016

बच्चों को दे ये 12 चीजें-बढ़ेगा आत्मविश्वास 
दिमाग होगा कम्प्यूटर-सा तेज


कौन नहीं चाहता कि उनके बच्चों का मस्तिष्क तेज हो। वह अच्छी शिक्षा लेकर अच्छी जगह पहुंचे। इसके लिए हम क्या नहीं करते। बाजार से अनेक चीजे खरीदते हैं जैसेकि बोन-बीटा, ब्राह्मी आदि न जाने क्या-क्या परंतु अगर हम थोड़ा भी ध्यान दें तो इससे भी अच्छी अधिकांश चीजे हमें हमारी रसोई में ही मिल जाती है। जो न केवल बच्चों के मस्तिष्क को तेज करती हैं बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ाती है। ऐसा नहीं है कि इससे बच्चों को फायदा होता है बड़े भी इससे उतना ही लाभ उठा सकते हैं। तो चलिए आज इन्हीं 12 चीजों को जानते हैं।

1. हल्दीः बच्चों को गुनगुने दूध में चुटकी भर हल्दी मिलाकर दिन में दो बार पिलाएं। इसमें मौजूद करक्यूमिन से ब्रेन सेल्स संख्या बढ़ती है और तनाव दूर होता है।

2. केलाः आप बच्चों को फ्रूट चाट या सलाद में मिलाकर यह दे सकते हैं। या फिर बच्चों के स्वादानुसार मिल्क शेक में भी दे सकते हैं। केले में मैग्नीशियम मस्तिष्क को सक्रिय रखने और आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करता है।

3. सेबः बच्चों को प्रातः दूध के साथ सेब देने से दिमागी शक्ति बढ़ती है और तनाव कम होता है क्योंकि सेब में क्वर्सेटिन की मात्रा अच्छी खासी होती है।

4. दालचीनीः दूध में दालचीनी पाउडर और शहद मिलाकर बच्चों को प्रातः और सायं देने से मेमोरी शाॅर्प होती है। चूंकि दालचीनी में मौजूद सिनेमेल्डिहाइड स्मृति को तेज करता है।

5. अखरोटः बच्चों को अखरोट सुबह-शाम सुनिश्चित मात्रा में देने से याददाश्त तेज होती है। चूंकि इसमें विटामिन ई और एंटीआॅक्सीडेट्स मेमोरी को बढ़ाने का काम करता है।

6. ग्रीन टीः बच्चों को ग्रीन टी, बिना चीनी के, देने से स्मरण शक्ति बढ़ती है चूंकि इसमें मौजूद पाॅलीफेनाॅल्स से मस्तिष्कीय शक्ति तेज होती है। अगर आपको बिना शुगर ग्रीन टी पीने में परेशानी आ रही हो तो उसमें थोड़ा-सा शहद मिला सकते हैं।

7. ओट्स: इसे शहद और नट्स के साथ बच्चों को देने से मस्तिष्क की सक्रियता ही नहीं बढ़ती बल्कि लंबे समय तक पढ़ने से थकान भी अनुभव नहीं होती। चूंकि ओट्स में कार्बोहाइड्रेट होता है।

8. अनारः बच्चों को स्वादानुसार अनाज के दाने या अनार का जूस दे सकते हैं। अनार में एंटीआॅक्सीडेंट्स होता है जोकि मस्तिष्क को तेज बनाता है।

9. पालक: बच्चों को पालक सूप अथवा सब्जी के रूप में दे सकते हैं। पालक में अच्छा खासा मैग्नीशियम होता है जोकि रक्त संचार में सुधार लाकर आत्मविश्वास को बढ़ता है।

10. डार्क चाॅकलेटः बच्चों को चाॅकलेट/चाॅकलेट पुडिंग देने से रक्त संचार में सुधार होता है, मस्तिष्क तेज होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।

11. अंडेः यदि बच्चों को आप अंडा नाश्ते/दोपहर के खाने/रात के खाने में देते हैं तो उसका तनाव कम होता है तथा साथ ही देर तक पढ़ने से थकान भी महसूस नहीं होती है। ऐसा अंडे में मौजूद कोलीन के कारण होता है।

12. मछलीः बच्चों को ग्रिल करके अथवा भोजन में मछली देने से मस्तिष्कीय शक्ति बढ़ती है और एग्जाम फोबिया में गिरावट आती है। ऐसा इसमें मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड्स और प्रोटीन के कारण होता है।

Thursday 22 September 2016

ये हैं फोर्ब्स की नई सूची में शामिल टाॅप 100 अमीर
पतंजलि आयुर्वेद के आचार्य बालकृष्ण ने की एंट्री


फोर्ब्स
 द्वारा देश के टॉप सौ अमीरों की सूची जारी कर दी। इस सूची में 6 नाम पहली बार शामिल हुए हैं, जबकि 13 लोग फिर से स्थान नहीं पा सके। फ्लिपकार्ट के सचिन और बिन्नी बंसल को लिस्ट में इस साल जगह नहीं मिली है। इसमें पहली बार में पतंजलि आयुर्वेद के आचार्य बालकृष्ण की एंट्री हुई है। बालकृष्ण के पंतजलि आयुर्वेद में 97 प्रतिशत शेयर हैं जिनकी नेट वर्थ 2.5 लाख करोड़ कही जा रही है। रिलायंस के मुकेश अंबानी लगातार नौवीं बार भी टॉप पर कायम हैं जिनकी प्रॉपर्टी इस बार 26 हजार करोड़ रुपए बढ़ी है। एक वर्ष में मुकेश की कंपनी के शेयर 21 प्रतिशत बढ़े। इतना ही नहीं 100 अमीरों की कुल प्रॉपर्टी भी 2015 के 23.1 लाख करोड़ रुपए (345 बिलियन डॉलर) की तुलना में 2016 में बढ़कर 25.5 लाख करोड़ रुपए (381 बिलियन डॉलर) हो गई है। फ्लिपकार्ट के को-फाउंडर्स लिस्ट से बाहर हो गए हैं। 

सबसे आश्चर्यजनक करने वाली बात तो यह है फोर्ब्स टाॅप अमीरों की सूची में पतंजलि आयुर्वेद के बालकृष्ण को 48जी रैंक मिली हैं। पत्रिका की माने तो बालकृष्ण राजनीतिक रूप से सुदृढ़ बाबा रामदेव के बचपन के मित्र हैं। दोनों ने पतंजलि आयुर्वेद 2006 में बनाई। बालकृष्ण के पास 97 प्रतिशत शेयर होल्डिंग्स हैं। आगे कहा गया है कि  प्रतिवर्ष 780 मिलियन डॉलर का रेवेन्यू जनरेट करने वाली पतंजलि टूथपेस्ट, कॉस्मेटिक्स एवं नूडल्स से लेकर जैम तक बेचती है। हालांकि, रामदेव का कंपनी में कोई शेयर नहीं है, पर वह इसके ब्रांड एम्बेसडर अवश्य हैं। कंपनी का संचालन बालकृष्ण ही करते हैं। पतंजलि के विदेशों में पांच हजार आयुर्वेदिक क्लिनिक हैं। पतंजलि यूनिवर्सिटी, योग तथा आयुर्वेद रिसर्च इंस्टीट्यूट भी चलाती है।

इस सूची पर गौर करें तो पाएंगे कि आर्थिक विकास का अधिकांश लाभ अरबपतियों को मिला। इससे उनकी संपत्ति बढ़ी जैसे कि रिलायंस के मुकेश अंबानी, हिंदुुजा परिवार, गोदरेज परिवार, कुमारमंगलम बिड़ला परिवार एवं लक्ष्‍मी मित्‍तल की संपत्ति इस वर्ष बढ़ी परंतु दिलीप सांघवी, अजीम प्रेमजी, शिव नाडर पालोनजी मिस्‍त्री और गौतम अडानी की संपत्ति घटी।
चलिए शिखर पर रहे टॉप 15 को जान लेते हैंः
                                        रैकिंग (2016) रैकिंग (2015)
मुकेश अंबानी                                            1   1
दिलीप सांघवी                                            2   2
हिंदुजा                                                    3   4
अजीम प्रेमजी                                            4   3  
पालोनजी मिस्‍त्री                                            5   5
लक्ष्‍मी मित्‍तल                                            6   8
गोदरेज फैमिली                                            7  7
शिव नाडर                                                    8 6
कुमार मंगलम बिड़ला                                    9 10
सायरस पूनावाला                                            10 9
उदय कोटक                                             11 12
सुनील मित्‍तल                                             12 13
गौतम अडानी                                             13 11
वेणु गोपाल बंगुर                                             14 22
आनंद बर्मन                                             15 16 

Wednesday 21 September 2016

डेंगू बुखार है जरूर खतरनाक
पर उतने ही कारगर हैं ये आहार


आजकल हर तरफ डेंगू और चिनगुनिया फैला हुआ है। इसमें एइडेस एगिप्टी मच्छरों से फैलने डेंगू रोग एक खास किस्म के वायरस से होता है। इसका संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक प्रत्यक्ष तौर पर तो नहीं फैलता लेकिन डेंगू वायरस से संक्रमित मच्छर के काटने से यह तेजी से फैलता है। मजे की बात तो यह है कि दूसरे मच्छरों से भिन्न एइडेस एगिप्टी मच्छर दिन में काटते हैं और इनके हमले का समय सुबह तड़के और गोधूली बेला का होता है।
डॉ. के.के. अग्रवाल (अध्यक्ष, हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया और ऑनरेरी सेक्रेटरी जनरल, आईएमए) की माने तो बहुत से लोगों को नहीं पता कि डेंगू का मच्छर गंदी-नालियों में नहीं वरन् साफ-सुथरे पानी में पनपता हैं। साफ सुथरे शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों को इसका अधिक खतरा रहता है। बचाव इलाज से हमेशा बेहतर रहता है। डेंगू होने पर घबराएं नहीं, भरपूर मात्रा में तरल आहार लें, क्योंकि डिहाइड्रेशन से ही रोग खतरनाक होता है और अगर डेंगू के मरीज का प्लेटलेट्स काउंट 10,000 से अधिक हो तो प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता नहीं होती। बल्कि बेवजह प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन नुकसान कर सकता है।

रक्तस्रावी बुखार डेंगू का सबसे पहले सन् 1950 में फिलीपींस और थाईलैंड में संक्रमण दर्ज किया गया, अब भारत सहित कई एशियाई और लैटिन अमेरिकी देशों में डेंगू के मामले दर्ज किए जा रहे हैं। जहां तक डेंगू के लक्षणों की बात करें तो रोगी को तेज ठंड लगती है, कमरदर्द, सिरदर्द एवं आंखों में तेज दर्द हो सकता है। रोगी को निरंतर तेज बुखार रहना, जोड़ों में दर्द, बेचैनी, उल्टियां, लो ब्लड प्रेशर आदि समस्याएं आती हैं। साथ ही साथ नाक बहना, खांसी, आंखों के पीछे दर्द, जोड़ों के दर्द एवं त्वचा पर हल्के रैश होते हैं। कई बार लाल और सफेद निशानों के साथ पेट खराब होने की भी शिकायत रहती है। कभी ऐसे लक्षण फ्लू से मिलकर कंफ्यूज भी उत्पन्न करते हैं। ऐसे में जरूरी है कि लक्षणों को पहचान करके शीघ्र चिकित्सक से मिले और उपचार करवाएं। इस दौरान अधिक से अधिक पानी व पेय लेना चाहिए और आराम करना जरूरी है। वरना यह डेंगू हेमोरेजिक फीवर (डीएचएफ) का रूप लेकर है अधिक खतरनाक हो सकता है। डीएचएफ की संभावना दस साल से कम उम्र के बच्चों में सबसे अधिक होती है जिसमें उन्हें तेज पेट दर्द, ब्लीडिंग और शॉक जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
अभी तक डेंगू से बचाव का कोई टीका नहीं है इसलिए इसके बचाव के लिए हमारी सजगता बेहद जरूरी है। मच्छरों को घर में बिल्कुल न होने दें। बाल्टियों व ड्रम में जमा पानी को सदैव ढककर रखें और आसपास के गड्ढे आदि में पानी न जमा होने दें। ध्यान दें कि घर में डेंगू से पीड़ित रोगी को काटने वाले मच्छर दूसरे सदस्यों को न काटे। रोगी को मच्छरदानी में सुलाएं। मच्छर प्रतिरोधक इस्तेमाल करें। पूरे शरीर को कपड़ों से ढककर रखें।
शरीर की इम्यूनिटी इंप्रूव करने के लिए विटामिन-सी से भरपूर इन फूड्स का प्रयोग करें ताकि प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से कम न हो और बुखार खतरनाक न बनें

काम के हैं ये फूड

1. पपीताः इसमें मौजूद अधिक विटामिन-सी खून में प्लेटलेट्स का लेबल बढ़ाकर डेंगू का प्रभाव कम करता है।

2. अनार का जूसः एक-एक गिलास सुबह शाम पीने से कमजोरी और खून की कमी दूर होती है। प्लेटलेट्स बढ़ती हैं।

3. तुलसीः एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर तुलसी के सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और यह कमजोरी को दूर करने में मददगार है।

4. नारियल पानीः इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर नारियल पानी प्लेटलेट्स को बढ़ाता है।

5. संतरे का रसः विटामिन सी से भरपूर संतरे का जूस शरीर की इम्युनिटी पाॅवर बढ़ाने के साथ-साथ कमजोरी को भी दूर करता है।

6. सीताफलः इसमें विटामिन ए और सी की भरपूर मात्रा होती है जोकि शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर कमजोरी को दूर करती है।

7. हल्दीः करक्यूमिन से भरपूर हल्दी मेटाबाॅलिज्म को इंप्रूव करने के साथ-साथ प्लेटलेट्स भी बढ़ाती है।

8. टमाटरः विटामिन सी से भरपूर टमाटर को खाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है और कमजोरी दूर होती है। 100 ग्राम टमाटर में 100 मि.ग्रा. विटामिन सी होता है।

9. अदरक चायः एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर अदरक की चाय शरीर को ऊर्जा देती है और कमजोरी दूर करती है।

10. पालकः आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन के से भरपूर पालक खून में प्लेटलेट्स बढ़ाता है।

11. मछलीः प्रोटीन से भरपूर मछली शरीर में ऊर्जा भरती है और कमजोरी दूर होती है।

Tuesday 20 September 2016

पेड़ देंगे अब हवाइ जहाजों का ईंधन


निरंतर बढ़ते तेल संसाधनों के उपयोग को देखते हुए कहा जाता रहा है कि आने वाले समय में यह भंडार खत्म हो जाएंगे। ऐसे में अनेक विकल्पों की भी बात की जाती रही है। वह कितने कारगर साबित होते हैं यह तो वक्त ही बताएगा पर यहां पर हमारा उद्देश्य ज्यादा गहराई में जाना नहीं है। आज हम बात करेंगे हवाई जहाज के लिए ईंधन की।
कहा जा रहा है कि बढ़ती जनसंख्या और आए दिन विमान सेवाओं की उपलब्धता से ईंधन की कमी जल्द ही होने वाली है। आप जानते ही होगे कि हवाई जहाज में किस प्रकार के तेल की जरूरत पड़ती है। ये आम ईंधन से भिन्न होता है। ऐसी स्थिति में विमानों के वैकल्पिक ईंधन के रूप में ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने नये रास्ते को खोज निकाला है। उन्होंने एक शोध किया है जिसमें यूकेलिप्टस से तेल निकालने का नया तरीका ढूंढ़ निकाला है यानि अब यूकेलिप्टस पेड़ों से विमान का ईंधन निकाला जा सकेगा।
वैज्ञानिकों की माने तो विश्व में कागज के लिए यूकेलिप्टस के जितने पेड़ों का उपयोग हो रहा है उतने की पेड़ों से विमान का ईंधन निकाला जा सकता है। इतने पेड़ों से हवाई जहाज का ईंधन बढ़िया मात्रा में निकाला जा सकता है। वैज्ञानिकों (नेशनल यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया) का कहना है कि वो अधिक ऊर्जा तथा कम कार्बन वाला तेल इन पेड़ों की सहायता से निकाल सकते हैं जिसका उपयोग मिसाइल एवं जेट प्लेन में किया जा सकता है। संसार के हवाई जहाज के लिए पांच प्रतिशत तेल इन पेड़ों से उपलब्ध हो सकता हैं। अगर पूरे विश्व में 2 करोड़ हेक्टयर में यूकेलिप्टस के पेड़ों को लगाया जाए तो पूरे विश्व के हवाई जहाज के लिए पांच फीसद तेल निकाला जा सकता है।

Monday 19 September 2016

बिना बिजली बैटरी के चलता है यह जुगाड़ बल्ब


शाम के साथ-साथ अंधकार छाने लगता है। ऐसे में सबसे पहले हमें जरूरत पड़ती रोशनी की। अगर बिजली या लाइट न हो तो स्थिति और भी बुरी हो जाती है। फिर याद आती है इन्र्वटर और बैटरी की। वह भी ज्यादा समय तक साथ नहीं देती तो हम परेशान-हैरान हो जाते हैं। अंत में सहारा लेना पड़ता है लालटेन का परंतु वह भी कब तक चलती है? ऐसी स्थिति से उभरने में 12वीं कक्षा के एक छात्र तेजित पबारी ने महत्वपूर्ण कार्य कर दिखाया है। चलिए जानते हैं कैसे?

हम अगर आपसे कहें कि अब बिना बिजली के भी बल्ब जलेगा तो शायद आपको विश्वास न हो लेकिन ऐसा संभव हो चुका है जुगाड़ बल्ब के सहारे। यह जुगाड़ बल्ब तैयार करने के लिए एक खाली बोतल ली जाती है और साथ ही पानी और ब्लीच पाउडर भी। बोतल में भरे पानी पर सूरज की रोशनी रिफलेक्ट कर पूरे कमरे को रोशन करती है जोकि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

12वीं कक्षा के छात्र तेजित पबारी (देहरादून स्कूल) ने अपने अध्ययन से सृजनशीलता का परिचय दिया है। उनका ‘ए स्टडी ऑन द सोलर एल्यूमिनेशन प्रोवाइडेड बाय ए वाटर बॉटल्स’ आधारित शोध पत्र अंतरराष्ट्रीय जर्नल में छपा है जिसे उन्होंने कृषि संस्कृति पब्लिकेशन द्वारा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘नैचुरल/एप्लाइड साइंसेज, इन्वाइरन्मेंटल इंजीनियरिंग एंड सस्टेनबल डेवलपमेंट के लिए क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी’ (सिनर्जी-2016) में प्रस्तुत किया। सम्मेलन में शोध पत्र रखने वाले वह एकमात्र स्कूली छात्र थे। शेष आईआईटी दिल्ली एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के एमटेक के छात्र थे। बाद में वह गूगल साइंस फेयर 2016 में रीजनल फाइनलिस्ट बनने के साथ ही विश्व में टॉप 100 की सूची में शामिल हो गए हैं। वह कहते हैं कि सभी विद्यालयांे में इस तरह के बच्चों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। 

Saturday 17 September 2016

ऐसे रहते हैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एकदम फिट


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज जन्मदिन है। हमारी ओर से उन्हें जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। अधिकतर लोगों को आश्चर्य होता है कि इतनी उम्र में वह कैसे इतने सक्रिय और चुस्त दुरूस्त बने रहते हैं। विश्व के देश-विदेशों की इतनी यात्राएं करते हैं। आज प्रधानमंत्री श्री मोदी 67 वर्ष के हो गए। इसके बावजूद भी वे पूर्णतः फिट हैं। आप जानते हैं कैसे? क्या कहा नहीं तो चलिए हम आपको बताएं देते हैं।

श्री मोदीजी इसके लिए प्रतिदिन योगा और कसरत तो करते ही हैं। साथ ही विटामिन बी, विटामिन डी, विटामिन सी और विटामिन से भरपूर हिमाचल प्रदेश की मशरूम भी खाते हैं। यह राज उन्होंने स्वयं खुला है कि वह मशरूम लेते हैं जिसकी कीमत है 30 हजार रुपए किलो। मोदीजी ने गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद एक बार पत्रकारों के साथ अनौपचारिक वार्ता में कहा था कि मेरी अच्छी सेहत का राज हिमाचल प्रदेश की मशरूम है। यह फल अनेक गुणों से भरपूर है। नियमित रूप से इसकै सेवन से हृदय की तकलीफ नहीं होती। आपको बता दें कि श्री नरेंद्र मोदीजी के गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से पूर्व वह भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में हिमाचल प्रदेश के प्रभारी थे, तभी से वह इस मशरूम का सेवन करते आ रहे हैं।

मोदी के स्वास्थ्य का राज बनी मशरूम का वैज्ञानिक नाम माकरुला एक्स्यूलेंटा है। यह हिमाचल, उत्तराखंड, कश्मीर समेत बर्फीले क्षेत्रों में पाई जाती है। सामान्यतः यह फरवरी से अप्रैल के बीच बर्फ के पिघलने के बाद जंगलों में स्वयं घनी घास में उगती है। इसको खोजने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है।

हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में उगने वाली इस मशरूम की अमेरिका, यूरोप, फ्रांस, इटली, स्विटजरलैंड आदि देशों में बहुत मांग है। यही कारण है कि हिमाचल के लोगों की यह रोजी-रोटी का प्रमुख साधन है। विशेष बात तो यह कि वह अपने आप उगती है। यही कारण है कि हजारों हिमाचली लोग इसकी तलाश में जंगलों में घूमते रहते हैं। व्यापारी लोग इस मशरुम को 10-15 हजार रुपए किलो मे खरीदते हैं और 25-30 हजार रुपए किलो में बेचते हैं। फाइव स्टार होटल में लोगों की यह फेवरेट डिश है।