मंगलवार, 6 सितंबर 2016

एक सर्वेक्षण का है मानना 
बच्चों में यू डाल सकते हैं पढ़ने की आदत


आज प्रत्येक क्षेत्र में बढ़ती गला काट प्रतियोगिता ने शिक्षा की महत्ता को कई गुणा बढ़ा दिया है। यही कारण है कि बच्चे हो या युवा सभी पढ़ाई की ओर बेहद जागरूक हो चुके हैं। यह बात दूसरी है कि कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जोकि शैतानी में अधिक और पढ़ाई में कम ध्यान देते हैं। ऐसे ही बच्चों के लिए एक सर्वेक्षण करवाया गया जिसका निष्कर्ष निकलकर आया है कि ‘‘जोर-जोर से पढ़कर हम बच्चों में पढ़ने की आदत डाल’’ सकते हैं।
नई दिल्ली में हुए इस नए अध्ययन में सामने आया है कि यदि आप बच्चों के सामने जोर-जोर से पढ़ते हैं तो इससे आप छोटी उम्र से ही बच्चों में पुस्तकों के प्रति लगाव पैदा कर सकते हैं। आपका यह प्रयास उनमें किताबें पढ़ने की आदत विकसित करेगा।

बच्चों के लिए पुस्तकें प्रकाशित करने वाले प्रकाशन घर स्कलैस्टिक इंडिया की ओर से यह सर्वेक्षण कराया गया। इसमें पूरे देश के कुल 1752 अभिवावकों और अलग-अलग आयुवर्ग के बच्चों को शामिल किया गया। इस अध्ययन की माने तो माता-पिता द्वारा सप्ताह में पांच-सात दिन तक पढ़ाया जाना छः से सत्रह वर्ष की आयु के बच्चों में पढ़ने की आदत का सबसे प्रभावी संकेतक है। इसके पीछे की मूल वजह माता-पिता के साथ खास समय है। इसमें कहा गया, सभी आयु वर्ग के बच्चों में से 85 फीसदी बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें किसी के द्वारा बोल-बोलकर पढ़ाया जाना पसंद है।

छः से ग्यारह साल के जिन बच्चों के माता-पिता ने अब ऐसा करना छोड़ दिया है, उनमें से आधे से अधिक बच्चे चाहते हैं कि उनके माता-पिता फिर से ऐसा करना शुरू करें। माता-पिता का मानना है कि ऐसा करने से बच्चों की शब्दावली और भाषाई कौशल का विकास होता है।

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