अपने क्षेत्र के इन महारथियों की जिंदगी के
इन पहलुओं को नहीं जानते होंगे आप
किसी ने सच ही कहा है कि किसी भी व्यक्ति के भविष्य की नींव उसके विद्यालय में बनती है। यही वजह है कि हम जिससे भी इम्प्रेस होते हैं उसकी जीवन और स्कूली जिंदगी को जानने की कोशिश करते हैं। आज हम ऐसे ही अपने क्षेत्र के दिग्गजों और अरबपतियों की स्कूली जिंदगी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे आप शायद ही जानते हों।
रतन टाटा स्कूली समय में बहुत शर्मीले हुआ करते थे, तो वहीं लक्ष्मी मित्तल को एक स्कूल में एडमिशन देने से मना केवल इसलिए कर दिया गया था कि वह हिंदी मीडियम हैं। जहां मुकेश अंबानी और गौतम अडानी बहुत होनहार विद्यार्थी थे पर फिर भी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए। चलो जानते हैं ऐसे ही रोचक तथ्यों को।
टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा की स्कूली शिक्षा कैथड्रल एंड जॉन कोनन, मुंबई में हुई। उन दिनों वे बहुत शर्मीले होने के साथ-साथ बैक बेंचर स्टूडेंट भी हुआ करते थें। टाटा ने स्वयं माना कि वह बहुत होनहार स्टूडेंट नहीं थे। सदैव कक्षा की सबसे पीछे की सीट पर बैठना उनकी आदत थी। एक इंटरव्यू में उन्होंने यहां तक माना कि स्कूल जाना उनके लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था। इसीलिए स्कूल के निकलने के बाद कभी वहां का दोबारा रुख नहीं किया। हां सन् 2009 में वह अपने स्कूल में वहां के छात्रों के साथ अपने पुराने दिनों की यादें ताजा करने गए थे।
रिलायंस इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन मुकेश अंबानी की स्कूली शिक्षा हिल जॉर्ज स्कूल, मुंबई से हुई। अच्छे और इंटेलिजेंट स्टूडेंट होने के बावजूद वह बहुत ही शर्मीले थे पर विद्यार्थी के नाते काफी तेज-तर्रार थे। एक ब्लॉग की माने तो धीरूभाई अंबानी अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर बहुत अधिक जागरूक थे। मुकेश ने स्कूली शिक्षा के बाद आईआईटी की परीक्षा भी पास कर ली थी, हालांकि उन्होंने इसकी पढ़ाई नहीं की।
आडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी की स्कूली शिक्षा सेठ सीएन विद्यालय, अहमदाबाद में हुई। पढ़ाई में तेज होने पर भी वे अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाएं। चूंकि पारिवारिक सहायता के लिए उन्हें बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। उन्होंने गुजरात यूनिवर्सिटी में बीकॉम में एडमिशन लिया। हालांकि वह दूसरे साल की पढ़ाई ही पूरी कर पाए और बिजनेस में लग गए।
सन फार्मा के प्रमुख दिलीप सिंघवी की स्कूली शिक्षा जेजे अजमेरा हाईस्कूल, कोलकाता से हुई। वह पढ़ने में सामान्य थे पर इनोवेशन में इंट्रेस्ट। मूलतः गुजराती जैन परिवार के दिलीप सिंघवी की पढ़ाई-लिखाई कोलकाता में हुई। वह पढ़ाई में सामान्य विद्यार्थी थे, हालांकि उनका मन इनोवेशन और कुछ अलग करने में जरूर लगता था। इसीलिए उन्होंने सन् 1980 में दवा के क्षेत्र में व्यवसाय शुरू किया, जबकि उस वक्त ज्यादातर लोग टेक्सटाइल जैसे कारोबार में किस्मत आजमा रहे थे।
आर्सेलन-मित्तल के चेयरमैन और स्टील किंग लक्ष्मी मित्तल की स्कूली शिक्षा सेंट जेवियर कोलेज, कोलकाता में हुई। लक्ष्मी मित्तल स्कूली दिनों में एक बढ़िया विद्यार्थी थे। उन्होंने कोलकाता के दौलतराम नोपानी स्कूल में सन् 1957-64 तक पढ़ाई की। मित्तल ने एक इंटरव्यू में माना था कि दौलतराम नोपानी स्कूल हिंदी मीडियम का था। इसके बाद मैंने सेंट जेवियर कॉलेज में एडमिशन हेतु आवेदन किया। मैं अपनी क्लास का टॉपर था, उसके बाद भी मुझे एडमिशन देने से मना कर दिया गया। कॉलेज ज्यूरी ने कहा कि मैं हिंदी मीडियम का छात्र हूं और अंग्रेजी स्कूल के लिए फिट नहीं बैठूंगा। हालांकि बड़ी कोशिश के बाद एडमिशन मिला। मित्तल ने ज्यूरी की सोच को गलत साबित कर दिया।
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