बचपन में पेपर बेचने वाला यह इंसान
आज है मशहूर टैक कंपनी का सीईओ
हम अनेक बार महसूस करते हैं कि हमारे पास प्रतिभा, पैसा और समय यानि यू कहे कि सबकुछ है फिर भी हम उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाते जिसके लिए हमने प्लानिंग की थी। अलग-अलग लोग इसके लिए अनेक कारण गिना सकते हैं लेकिन अगर हम अपने लक्ष्य पर फोकस करें और दृढ़ निश्चय होकर उसे प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयत्नशील हो तो कोई भी ऐसी चीज नहीं जिसे हम प्राप्त नहीं कर सकते। इतिहास के पन्नों को पलटने पर अनेक ऐसे शक्स हमें मिल भी जाते हैं। ऐसे ही एक इंसान के बारे में हम आपको आज यहां बताने जा रहे हैं जोकि बचपन में पेपर बेचा करते हैं लेकिन बड़ी सोच और बड़ा बनने के सपने ने आज उन्हें उस मुकाम तक पहुंचा दिया है।
जी हां हम बात कर रहे हैं टैक दुनिया के प्रमुख कंपनी एप्पल के सीईओ टिम कुक की। उन्होंने बचपन में अपने होम स्टेट अल्बामा के पब्लिकेशन द प्रेस रजिस्टर के पेपर बेचे। साथ ही अपनी मां के साथ फॉर्मेसी में भी काम किया, पर सपना था बड़ा बनने का। दृढ़ निश्चय, लगन और मेहनत के साथ काम करते हुए टिम कुक आज विश्व की प्रमुख टेक कंपनी एप्पल के सीईओ ही नहीं बल्कि विश्व के ऐसे पहले सीईओ हैं जिसे सबसे अधिक सैलरी (378 मिलियन अमेरिकी डाॅलर) मिलती है।
यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान कुक ने एक कंपनी में पार्ट टाइम काम किया। यह बात दूसरी है कि यह काम उनकी शिक्षा का ही भाग भी था। कंपनी के स्टाफ ने धीरे-धीरे कंपनी छोड़ना शुरू कर दिया। ऐसे में, टिम ने कंपनी के प्रेसिडेंट की सहायता करके कंपनी को आगे बढ़ाया। अपने को "Attila the Hun of inventory" कहने वाले कुक का इंजीनियर बनने का सपना था। इसीलिए उन्होंने इंडस्ट्रीयल इंजीनियरिंग की शिक्षा ली। एक अध्यापिका उन्हें a solid B-plus या A-minus student कहा करती थी। टिम कभी भी फेल होने से नहीं डरते थे। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि अगर मैं अपने काम में फेल होता हूं तो मैं अपने काम की शुरुआत एक बार फिर नए सिरे से करूंगा।
टिम का जन्म एक छोटे से गांव के निम्न परिवार में हुआ। पिता शिपयार्ड में काम करते थे तो मां घर पर रहकर परिवार की देख-रेख करती थी। कुक अनेक वर्ष बिना एसी वाले किराए के मकान में रहे। वह अपने कपड़े भी सेल से ही खरीदते थे। यह बात दूसरी है कि पहली कंपनी से जुड़ने से ही कुक की सोच रही कि वे सबसे टॉप पर जाएंगे। इसीलिए उन्होंने कार्यालय में अपने लिए अलग छोटा कॉर्नर बनवाया। यह देखकर दूसरे लोगों को कुछ अजीब लगा, पर बाद में उन्हें समझ आ गया कि ऊपर तक पहुंचने के लिए छोटे से ही ऊपर उठा जाता है।
कुक को बड़ी टेक कंपनियों डेल और मोटोरोला आदि से भी सीईओ का जाॅब ऑफर किया गया पर उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया। वर्ष 1988 में जब उन्हें एक एजेंसी ने एप्पल के लिए जॉब का ऑफर दिया तो उन्होंने बात ही नहीं की, पर कंपनी के पहले सीईओ स्टीव जॉब्स से बात करने के बाद उन्होंने पांच मिनट में अपना जॉब छोड़ दिया और एप्पल में एंट्री की। कंपनी के सीईओ होने के बावजूद वे लंच अपने कर्मचारियों के साथ एप्पल के कैफेटीरिया में ही करते थे। सदैव अपने कर्मचारियों से विचार विमर्श करने वाले कुक उनसे तब तक बात करते थे जब तक उन्हें मनमुताबिक उत्तर नहीं मिल जाता।
टिम अपनी दिनचर्या का पूरी तरह से पालन करते है। वे सुबह 4.30 बजे उठते है और इसी समय वे अपने काम से संबंधित ई-मेल भी करते हैं। काम पर भी वे सबसे पहले पहुंचते हैं। संडे रात को भी वे टेलीफोन पर पूरे हफ्ते की प्लानिंग करते हैं।
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