सोमवार, 19 सितंबर 2016

बिना बिजली बैटरी के चलता है यह जुगाड़ बल्ब


शाम के साथ-साथ अंधकार छाने लगता है। ऐसे में सबसे पहले हमें जरूरत पड़ती रोशनी की। अगर बिजली या लाइट न हो तो स्थिति और भी बुरी हो जाती है। फिर याद आती है इन्र्वटर और बैटरी की। वह भी ज्यादा समय तक साथ नहीं देती तो हम परेशान-हैरान हो जाते हैं। अंत में सहारा लेना पड़ता है लालटेन का परंतु वह भी कब तक चलती है? ऐसी स्थिति से उभरने में 12वीं कक्षा के एक छात्र तेजित पबारी ने महत्वपूर्ण कार्य कर दिखाया है। चलिए जानते हैं कैसे?

हम अगर आपसे कहें कि अब बिना बिजली के भी बल्ब जलेगा तो शायद आपको विश्वास न हो लेकिन ऐसा संभव हो चुका है जुगाड़ बल्ब के सहारे। यह जुगाड़ बल्ब तैयार करने के लिए एक खाली बोतल ली जाती है और साथ ही पानी और ब्लीच पाउडर भी। बोतल में भरे पानी पर सूरज की रोशनी रिफलेक्ट कर पूरे कमरे को रोशन करती है जोकि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

12वीं कक्षा के छात्र तेजित पबारी (देहरादून स्कूल) ने अपने अध्ययन से सृजनशीलता का परिचय दिया है। उनका ‘ए स्टडी ऑन द सोलर एल्यूमिनेशन प्रोवाइडेड बाय ए वाटर बॉटल्स’ आधारित शोध पत्र अंतरराष्ट्रीय जर्नल में छपा है जिसे उन्होंने कृषि संस्कृति पब्लिकेशन द्वारा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘नैचुरल/एप्लाइड साइंसेज, इन्वाइरन्मेंटल इंजीनियरिंग एंड सस्टेनबल डेवलपमेंट के लिए क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी’ (सिनर्जी-2016) में प्रस्तुत किया। सम्मेलन में शोध पत्र रखने वाले वह एकमात्र स्कूली छात्र थे। शेष आईआईटी दिल्ली एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के एमटेक के छात्र थे। बाद में वह गूगल साइंस फेयर 2016 में रीजनल फाइनलिस्ट बनने के साथ ही विश्व में टॉप 100 की सूची में शामिल हो गए हैं। वह कहते हैं कि सभी विद्यालयांे में इस तरह के बच्चों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। 

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