मंगलवार, 1 मार्च 2016

अपने दम पर बना डाले तीन बांध 
जिससे बदल गई पांच गांवों की तकदीर 


दशरथ मांझी की कहानी से शायद आप अवगत होंगे ही। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है रांची (झारखंड ) के पहड़ा राजा सिमोन उरांव ने जिन्होंने अपने दम पर कठोर परिश्रम से उस मुकाम को पा लिया जिसे सरकारी मशीनरियां करोड़ों खर्च करने और भारी मैन पाॅवर होने के बाद भी नहीं कर पाईं।

बाबा के नाम से प्रसिद्ध सिमोन ने अपनी सूझबूझ और जिद से छोटी-छोटी नहरों को मिलाकर तीन बांध बना डाले। इसी का नतीजा है कि आज इन्हीं बांधों से लगभग पांच हजार फीट लंबी नहर को निकालकर खेतों तक पानी पहुंचाया जा रहा। इससे पांच गांवों की सूरत ही बदल गई है। एक ब्लॉक द्वारा लिखी गई यह इबारत पूरे झारखंड के लिए पथप्रदर्शक बन गई है। सिंचाई सुविधा न होने से जहां कभी एक-एक फसल के लाले पड़ते थे, वहीं पर आज प्रतिवर्ष तीन फसलें उगाई जा रही हैं। इसी का नतीजा है कि इस वर्ष 83 वर्षीय पहड़ा राजा सिमोन उरांव को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया।

हुआ यूं रांची के इन गांवों में पलायन की सबसे बड़ी समस्या थी। सिमोन बाबा को यह समस्या परेशान करती था। इसीलिए सन् 1961 में सिमोन बाबा कुदाल लेकर चल पड़े और बांध बनाने में जुड़ गए। लोगों ने इनका बहुत मजाक बनाया। मगर बाबा कहां हारने वाले थे। काम में लगे रहे। फिर क्या था मजाक उड़ाते हुए ग्रामीणों ने भी धीरे-धीरे उनका साथ देना शुरू कर दिया और इस तरह से कारवां बनता चला गया। जल संरक्षण के साथ-साथ बेड़ो के ग्रामीण हाथियों के आंतक से छुटकारा दिलाने, ग्रामीणों की आर्थिक समस्याएं दूर करने हेतु फंड बनाना, बैंक में खाते खुलवाना, ग्रामीणों को जरूरत पर 10-10 हजार रुपए की सहायता, गरीब की बेटी की शादी पर दो क्विंटल चावल व देशी जड़ी-बूटी से रोगियों का इलाज भी करते हैं।

बाबा सिमोन उरांव ने अपने जज्बे पर आयु को कभी भी हावी नहीं होने दिया। इसी का परिणाम है कि आज भी वह कुदाल के साथ कभी खेतों में दिखाई पड़ते हैं तो कभी दूसरों का झगड़ा सुलझाते हुए। सबसे बड़ी बात तो यह है कि सभी को उनका फैसला मान्य भी होता है।

आपको जानकर आश्चर्य होगा लेकिन यह सच है कि बाबा सिमोन उरांव का शिक्षा व तकनीक से दूर-दूर तक रिश्ता-नाता नहीं। न ही वह इतने अमीर थे बस था तो केवल जुनून कुछ कर गुजरने का। फिर क्या था, सारे रास्ते स्वयं ही बनते चले गए। हिम्मत आ गई सूखे खेतों तक पानी पहुंचाने की। उन्होंने दूसरे लोगों को नारा तक दे दिया, जमीन से लड़ो, मनुष्य से नहीं। लोगों ने बात सुनी, ईश्वर ने साथ दिया और बाबा का जुनून बन गया हकीकत।

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