गुरुवार, 1 दिसंबर 2016

नोटबंदी के बाद प्लास्टिक मनी का बढ़ता प्रभाव
मंदिरों में भी चल निकली अब ऑनलाइन पेमेंट


नोटबंदी का असर अब हर ओर दिखाई दे रहा है। नकदी की तंगी ने समाज के प्रत्येक वर्ग को बेहाल कर रखा है। धार्मिक क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। यही कारण है कि दान में कमी को देखते हुए मंदिरों के ब्राह्मणों ने अब कैशलेस दान स्वीकार करने की व्यवस्था शुरू कर दी है।
रायपुर (छत्तीसगढ़) के एक मंदिर में दानपेटी के साथ ही कार्ड स्वाइप करने की मशीन लगा दी गई है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु अब ऑन लाइन तरीके से मंदिर में दान दे सकेंगे। राज्य के अनेक दूसरे मंदिरों में भी स्वाइप मशीन और ई-वॉलेट से दान लेने की सुविधा श्रद्धालुओं को उपलब्ध करवाई जा रही है।

इस दौड़ में गुजरात राज्य के मंदिर भी पीछे नहीं हैं। कैशलेस प्रचलन को बढ़ावा देने लिए हाल ही में विजय रूपानी (मुख्यमंत्री, गुजरात) ने बनासकांठा के प्रसिद्ध अंबाजी मंदिर में स्वाइप मशीन की व्यवस्था शुरू की है, जिसके अंतर्गत अब क्रेडिट अथवा डेबिट कार्ड श्रद्धालु डिजिटल तरीके से दान दे सकेगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपनी पत्नी के डेबिट कार्ड द्वारा 31 हजार रुपये का दान दिया। अंबाजी मंदिर ट्रस्ट के विश्वसनीय लोगों के अनुसार, नोटबंदी के बाद दान में कम से कम 30 फीसदी की गिरावट आई है। इसलिए इस नई कैशलेस प्रणाली से फिर से दान बढ़ने की संभावना है।

श्री धनराज नाथवानी (उपाध्यक्ष, प्रसिद्ध द्वारका मंदिर व्यवस्थापन समिति) की माने तो ’नोटबंदी के प्रभाव से श्रद्धालुओं को दान देने में सहायता के लिए यह कदम उठाया गया है। लाखों लोग द्वारका आते हैं और भगवान द्वारकाधीश से आशीर्वाद लेते हैं।’ प्रवीणभाई लाहेरी (सचिव, सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट) की माने तो हम अभी एक डिजिटल वॉलेट कंपनी के साथ बात कर रहे हैं ताकि दान डिजिटल तरीके से मिल सके। मंदिर ट्रस्ट द्वारा प्रसाद के लिए ई-भुगतान से दान लेना पहले से ही शुरू किया जा चुका है।

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