बुधवार, 23 सितंबर 2015

आॅगेनिक फूड के बाद 
अब आ रहा है 
आॅगेनिक मिल्क


कृषि में रासायनिक खादों व कीटनाशकों के लगातार इस्तेमाल से आज अन्न, सब्जी, फल आदि खाद्य पदार्थ जहरीली होती जा रहे हैं। इसका एक ही तोड़ है और वो है जैविक या गैर-रासायनिक खेती। भारत के अनेक राज्यों में इस दिशा में सक्रिय पहल हो चुकी है जिसके अच्छे परिणाम भी सामने आने लगे हैं। तो हम कह सकते हैं कि आज का दौर जैविक का है। जैविक खेती के बाद अब जैविक दूध की मांग भी निरंतर बढ़ती जा रही है और इसीलिए हमारे पशुपालक दूध का जैविक उत्पादन करने लगे हैं। इसमें जैविक खेती से तैयार पशु आहार/चारा देसी गायों को खिलाया जाता है और उनसे जैविक दूध प्राप्त किया जाता है। इसकी मांग बहुत है इसलिए इसका दाम भी अच्छा मिलता है।


सोलडा (पलवल, हरियाणा) के किसान लोकमन शर्मा के एक आइडिया ने जर्बदस्त नतीजा दिया और कमाई को कई गुणा बढ़ा दिया। उन्होंने जैविक खेती की तर्ज पर ही जैविक दूध के उत्पादन करने का सोचा और इसे कर भी दिखाया। इस जैविक दूध को उन्होंने खेत में ही बोतल में भरकर बड़े बंगलों वाले घरों में सप्लाई करना शुरू कर दिया। इस दूध के दाम उन्हें सामान्य दूध की अपेक्षा डेढ़ गुणा अधिक मिल रहे हैं यानि 20/- प्रति लीटर अधिक। जहां गाय के दूध का बाजार भाव 40-60/- रुपए प्रति लीटर है वहां उनका दूध 80/-रुपए प्रति लीटर में बिक रहा है। जैविक दूध की मांग निरंतर बढ़ती जा रही है अलाम यह है आज इस मांग को पूरा करना उनके लिए भारी पड़ रहा है।
अभी तक लोकमन इस दूध को प्लास्टिक के बोतलों में भरकर बेच रहे थे लेकिन भविष्य में वह इन प्लास्टिक की बोतलों की जगह स्टील की बोतलों का इस्तेमाल करने की योजना बना रहे हैं। इससे जहां एक ओर उत्पाद अच्छी तरह से पेश किया जा सकेगा साथ ही गुणवत्ता से भी समझौता नहीं होगा।
लोकमन शर्मा एमबीए हैं। वह 172 गायों की डेरी चला रहे हैं। साथ ही वह कई वर्षों से अपनी 15 एकड़ जमीन में जैविक खेती करते हैं। साथ ही वह पशुओं के लिए जैविक चारा और कृषि उत्पादों से भी पौष्टिक पशु आहार तैयार करते हैं।
वह डेरी से लगभग 45 लीटर प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन ले रहे है। इस दूध को बेचने वो पहले रोज जाते थे लेकिन एक दिन आइडिया आया कि क्यों न बंगले वालों को जानकारी दी जाए कि उनके यहां का दूध देसी गायों का आॅर्गेनिक है। बोतल में भरकर ले गए, तो मांग ने रिकाॅर्ड तोड़ दिया और वह 100 लीटर तक जा चुकी। आज स्थिति यह है कि अब वह इस मांग को पूरी नहीं कर पा रहे हैं।
लोकमन शर्मा द्वारा फरीदाबाद सेक्टर-7 में जैविक किसान सेंटर की भी स्थापना की गई है। यहां से वह बीस बड़े बंगलों में देसी गाय के दूध की सप्लाई करते हैं। लोकमन ने जैविक आहार से जैविक दूध का यह काम अभी तीन महीने पहले ही शुरू किया है। इससे पहले वह इस दूध को दूसरी गायों के दूध के साथ मिलाकर बाजार में बेचते थे पर इतना लाभ नहीं मिल रहा था। अब आलम यह है कि प्रतिदिन नए ग्राहकों के फोन आने लगे हैं, विशेषकर मांओं के, जिन्हें अपने बच्चों की चिंता होती है और वह इच्छा रखती हैं कि उनके बच्चों को जैविक दूध मिले ताकि उनकी ग्रोथ अच्छी हो सके।
लोकमन नाक में डालने के लिए ‘‘लोकमन नाक देसी घी’’ भी बनाते हैं। इसे नाक में लाकर औषघि की तरह उपयोग किया जा सकता है। लोकमन का दावा है कि इस घी से माइग्रेन, लकवा, हाथों व पैरों में कंपन, खर्राटे आना, जुकाम बार-बार होना, रात को नींद कम आने की बीमारी बिल्कुल ठीक हो जाती है। घी की दो बूंद ही नाक में डालनी होती है।
छोटे बच्चों की यादाश्त या मेमोरी बढ़ाने में भी यह घी रामबाण का काम करता है।
लोकमन नाक घी को तैयार करने का तरीका भी अनोखा है। दूध को मिट्टी की हांडी में गर्म किया जाता है। मिट्टी के बर्तन में दही जमाते हैं। लकड़ी की रई से इसे बिलोकर घी निकालते हैं। 20 एमएल की शीशी में इसे पैक करके वह बाजार में औषधि के रूप में बेचते हैं। इसकी कीमत उन्होंने 50/- रुपए रखी है। फिलहाल प्रतिमाह वह 50 बोतल बेचते हैं।
यह तो दस्तक है एक बड़ी शुरूआत की, जिसका इंतजार भविष्य में बड़े व्यापक पैमाने पर देखने को मिल सकता है।

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