सरकार खाना अथवा नौकरी नहीं दे सकती
तो भीख मांगना अपराध कैसे: दिल्ली हाई कोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट ने गत बुधवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई में कहा कि देश में यदि सरकार भोजन अथवा रोजगार देने में असमर्थ है, तो भीख मांगना एक अपराध कैसे हो सकता है। हाइकोर्ट द्वारा उन दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हो रही थी, जिनमें भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने का आग्रह किया गया था।
गीता मित्तल (ऐक्टिंग चीफ जस्टिस) और सी. हरि शंकर (जस्टिस) की बेंच ने कहा कि एक व्यक्ति केवल भारी जरूरत के कारण ही भीख मांगता है, न कि अपनी पसंद से। बेंच का कहना था कि हमसे एक करोड़ रुपये की पेशकश की जाए, तो क्या तब आप या हम भीख नहीं मांगेंगे। यह भारी जरूरत होती है कि कुछ लोग भोजन के लिए अपना हाथ पसारते हैं। एक देश में जहां सरकार भोजन या नौकरियां देने में असमर्थ है तो भीख मांगना एक अपराध कैसे है?
केंद्र सरकार द्वारा इससे पूर्व कोर्ट में को बताया गया था कि यदि गरीबी के कारण ऐसा किया गया है, तो भीख मांगना अपराध नहीं होना चाहिए। साथ ही भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर नहीं रखा जाएगा। हर्ष मेंदार और कर्णिका की ओर से दायर जनहित याचिका में भीख मांगने को अपराध श्रेणी से बाहर करने के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में भिखारियों को आधारभूत मानवीय एवं मौलिक अधिकार देने का आग्रह किया गया था।
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