बिना कैश जी रहा है मजे से ये शख्स
आप भी सीखे इनसे यह सारे गुण
एक सप्ताह पूर्व जब केंद्रीय सरकार द्वारा 500 एवं 1000 के नोटों को अमान्य करने की घोषणा की गई तो कुछ विपक्षी दलों ने इसका स्वागत किया तो वहीं दूसरी ओर कुछों ने दबे स्वर ही सही विरोध भी जताया। खैर, हमारा उद्देश्य यहां राजनीतिक समीक्षा करना नहीं है बल्कि एक ऐसे इंसान के बारे में जानकारी देते हुए प्रेरणा लेने से है जोकि समय से आगे निकल चुका है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं 35 वर्षीय मुंबई निवासी अभिशांत पंत की। पंत ने गत 200 दिनों से कुछ भी नकद भुगतान नहीं किया है। इसके बावजूद भी उनकी जिंदगी मजे से गुजर रही है। यहां तक कि उन्होंने फाइनैंशल टेक्नॉलजी का उपयोग करते हुए चाय के बिल से मॉल्स में शॉपिंग तक का बिल डिजिटल तरीके से सरलता से दिया हैं। अभिशांत ने अपने स्मार्टफोन में डिजिटल पेमेंट के लिए सभी ऐप इंस्टॉल कर रखे हैं। इसीलिए वह दुकान, होटल, माल्स एवं ट्रैवेलिंग के समय इन्हीं ऐप्स से भुगतान करते हैं।
अभिशांत के तरीके से प्रभावित स्वीडन सरकार ने उनसे अपने अनुभवों को साझा करने के लिए अपने देश में आमंत्रित किया है। अभिशांत देश-विदेश में व्याख्यान देने जाते हैं जिसमें देश के शीर्ष प्रबंधन संस्थान आईआईएम बेंगलुरु और सिंगापुर के प्रमुख मैनेजमेंट स्कूल आदि शामिल हैं। इतना ही नहीं उन्हें यूट्यूब के लोकप्रिय मंच TedX Talks पर भी कैशलेस सोसायटी पर बोलने के लिए बुलाया गया।
अभिशांत की माने तो 500 और 1000 के नोट बैन होने के बाद उनकी जिंदगी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। मोदीजी के कालाधन-मुक्त भारत बनाने में हमें लोगों को साक्षर बनाना होगा। इसके बाद ही हम अपनी सोसायटी को कैशलेस बना पाएंगे। इसके दूरगामी परिणाम होंगे।... मुझे अपनी कामवाली को नोट के बजाय सीधे खाते में पैसे लेने के लाभ समझाने में तीन माह लग गए, परंतु बाद में वह समझ गई और अब खुश है। अब वह अपने खाते में बचत के रूप में काफी पैसा जमा कर लेती है, इसके लिए उसने मुझे धन्यवाद भी दिया है।
अभिशांत जो काम कर रहे हैं निश्चित रूप से मुश्किल जान पड़ता है लेकिन उनके हौंसले को सलाम जोकि मजे से इस काम को पिछले 200 दिनों से आगे बढ़ा रहे हैं। वह बताते हैं कि मुझे उत्तराखंड में एक गांव की चाय दुकान पर 20 रुपये देना था। मैंने इसके लिए डिजिटल पेमेंट सिस्टम का उपयोग किया। अभिशांत ने चायवाले को केवल डिजिटल तरीके से भुगतान ही नहीं दिया बल्कि उसे डिजिटल पेमेंट एवं पेमेंट ऐप्स की जानकारी भी दी। शुरू में तो चायवाले ने इस तरह भुगतान लेने से साफ मना कर दिया, परंतु उसे बहुत समझाया तो उसने डिजिटल तरीके से पेमेंट ले ली। ग्रामीण क्षेत्र के कारण इंटरनेट और नेटवर्क की परेशानी के कारण अभिशांत ने टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां द्वारा दी जाने वाली पेमेंट सुविधा यानी यू.एस.एस.डी. सिस्टम का भी इस्तेमाल करना आरंभ कर दिया है।
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