शुक्रवार, 25 नवंबर 2016

प्रस्ताव हुआ पास-कालाधन पर सख्त होती सरकार
बड़ी जमा का हिसाब न दे पाने पर हो सकते हैं यह परिणाम


केंद्र सरकार का कालाधन पर निरंतर सख्त रूख जारी है। अब यह बात साफ होती जा रही है कि नोटबंदी के बाद बड़ी जमाओं का हिसाब-किताब न दे पाने वालों पर सरकार सख्त कार्यवाही कर सकती है। ऐसा बताया जा रहा है कि 10 नवंबर-30 दिसंबर की समयावधि यानि इन 50 दिनों में खाते में जमा अघोषित आय पर 50 प्रतिशत तक टैक्स लगाया जा सकता है। साथ ही चार वर्षों तक इस रकम का 25 प्रतिशत भाग उपयोग भी नहीं कर पाएंगे। यदि किसी व्यक्ति द्वारा स्वयं इस अघोषित आय की जानकारी नहीं दी जाती तो 90 प्रतिशत टैक्स के साथ जुर्माना भी लग सकता है। यह सब प्रक्रिया के लिए इनकम टैक्स कानूनों में बड़े परिवर्तन किए जाएंगे। गत वृहस्पतिवार रात प्रधानमंत्री श्री मोदी की ओर से यकायक कैबिनेट मीटिंग बुलाकर आईटी कानूनों बदलावों को स्वीकृति दे दी गई।

चलिए आपको इस प्रस्तावित कानून के प्रावधान को एक सरल तरीके से समझाने का प्रयास करते हैं। आप मान लो कि आपने नोटबंदी के बाद 8 नवंबर-30 दिसंबर के बीच के इन 50 दिनों में दस लाख रुपए बैंक खाते में जमा कराए हैं। पूछे जाने पर आप यदि इन 10 लाख रुपए का हिसाब-किताब नहीं दे पाते तो आपको 50 प्रतिशत तक टैक्स देना होगा। यानि 5 लाख टैक्स कटाने के बाद आपके पास बचेंगे 5 लाख रुपए। बची हुई राशि 5 लाख रुपए की भी आधी अर्थात् 2.5 लाख रुपए 4 साल के लिए फ्रीज कर दी जाएगी यानि टैक्स कटाकर भी कुल बेहिसाबी जमा राशि का 25 प्रतिशत भाग चार वर्षों तक आप प्रयोग नहीं कर पाएंगे। एक न्यूज एजेंसी की माने तो सरकार आपकी लॉक-इन पीरियड हुई इस राशि के 25 प्रतिशत भाग के लिए संबंधित व्यक्ति को एक बॉन्ड जारी करेगी। सरकार की मंशा है कि रूरल इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए इस राशि का एक फंड बनाया जाए।
कानून में हुए संशोधनों के अनुसार, यह जरूरी नहीं है कि ईमानदार टैक्स पेयर्स को भी नोटबंदी में बड़े डिपॉजिट पर 50-90 प्रतिशत टैक्स देना पड़े और ऐसे टैक्स पेयर्स पर 30 दिसंबर को समाप्त हुई इनकम डिस्क्लोजर स्कीम के अंतर्गत लगने वाला 45 प्रतिशत टैक्स और जुर्माना लगाया जाए। इससे पहले ऐसा विचाराधीन था कि 10 नवंबर-30 दिसंबर के बीच 2.5 लाख से अधिक डिपॉजिट का हिसाब-किताब न दे पाने पर 200 प्रतिशत तक जुर्माना लगाया जाए, पर विचार-विमर्श के बाद यह बात सामने आई है कि इस पर कानूनी रूप से अमल करना मुश्किल था। इसीलिए सरकार ने आईटी कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव रखा कि निश्चित सीमा से अधिक राशि जमा करने पर लोग स्वयं ही 50 प्रतिशत टैक्स जमा कर दें।

नोटबंदी की अवधि में बड़ी रकम जमा कराने पर नोटिस भेजने शुरू हो चुके हैं। इनकम टैक्स के सेक्शन 133 (6) (इंफॉर्मेशन के लिए बुलाने का अधिकार) के अंतर्गत एक सप्ताह पूर्व देशभर में ऐसे लगभग 100 नोटिस भेजे गए थे। आईटी डिपार्टमेंट ने पोस्ट ऑफिसेज और बैंकों को नोटिफिकेशन जारी कर कहा गया है कि किसी बचत खाते में एक दिन में 50 हजार और नोट बदलने के लिए निश्चित 50 दिन की अवधि में 2.5 लाख रुपए से अधिक की राशि जमा होने पर उसकी सूचना आईटी डिपार्टमेंट को दी जाए। करंट अकाउंट के लिए 50 दिन में जमा की लिमिट 12.5 लाख रुपए है।

केंद्र सरकार ने कालाधन को लेकर घेराबंदी करने के लक्ष्य से आईटी डिपार्टमेंट में 12 वर्ष बाद फिर इंस्पेक्टर राज की छूट दे दी है। अब इनकम टैक्स ऑफिसर, असिस्टेंट और डिप्टी कमिश्नर किसी भी टैक्स पेयर की फाइल स्वयं ही स्क्रूटनी कर आय और व्यय का पूरा हिसाब मांग सकेंगे। इस बारे में सीबीडीटी ने 16 नवंबर को नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। पहले कम्प्यूटर असेसमेंट स्क्रूटनी सिस्टम (कास) में रैंडम बेस पर सामने आने वाले केस की ही फाइल का असेसमेंट होता था, जिससे 100 में से दो-तीन फाइल ही असेसमेंट में आती थीं। असेसमेंट ऑफिसर को कोई फाइल गड़बड़ लगती तो वह डिपार्टमेंट चीफ कमिश्नर या प्रिंसिपल कमिश्नर की स्वीकृति से फाइल को खोल सकता था। अब ऑफिसर को इस मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी। इसलिए अब वह अपनी सीमा में आने वाले टैक्स पेयर में से किसी की भी फाइल की स्क्रूटनी कर सकेगा।

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