बुधवार, 30 नवंबर 2016

जाने इस गांव को जहां का हर नागरिक है करोड़पति 
पर गांव छोड़ते है हो जाता है गरीब


जी हां, आपने जो भी शीर्षक में पढ़ा यह बिल्कुल सच है। यकीन नहीं होता न। कोई बात नहीं, हो जाएगा। चलिए आपको विश्व के बड़े-बड़े आधुनिक और मैट्रो शहरों को मात देने वाले इस गांव की जानकारी दिए देते हैं, जहां का प्रत्येक वासी करोड़पति है। 2000 आबादी वाले इस गांव में प्रकाशमय सड़के, आकाश में उड़ते हैलिप्काॅटर, बेहतरीन माॅल्स और बढ़िया होटल भी मौजूद हैं। प्रत्येक व्यक्ति कार और बंगला रखता है। साथ ही प्रत्येक वह सुविधा, जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते इस गांव में मौजूद है। गांव में स्थित इंटरनेशल होटल में एक गोल्‍ड सुइट है, जिसका एक रात का किराया 10 लाख के लगभग है। गांव में एक थीम पार्क बनाया गया है। इस पार्क में विश्व के सभी फेमस मॉन्‍युमेंट्स देखने को मिल जाएंगे, पर मजे की बात तो है कि इस इस गांव से बाहर निकलते ही आप अमीर से गरीब हो जाते हैं।

वास्तव में यह चीन के जिंयाग्सू प्रांत का हुआक्जी गांव है, जोकि अपने यहां रहने वाले हर नागरिक को अमीर बनाने के लिए बहुत अधिक पैसा खर्चा करता है। इसका सबूत यह है कि यदि आप इस गांव में रहने जाते हैं तो अथॉरिटी आपको कार और बंगला दे देती है। आप गांव सैर के लिए हैलिकॉप्टर या टैक्सी ले सकते हैं। इतना ही नहीं, यहां के प्रत्येक नागरिक के खाते में 85 लाख रुपये राशि जमा है।

हुआक्जी गांव शंघाई से दो घंटे की दूरी पर स्थित है। वर्ष 2003 में इस गांव ने अपनी कमाई 9 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक बताई थी। यहां पर स्टील प्रोडक्शन और टैक्सटाइल कारोबार बड़े पैमाने पर चलता है। इस गांव का निवासी बनने के जरूरी है कि आप ग्रामीण फार्मिंग कंपनियों में नौकरी प्राप्त कर लें। नौकरी मिलते ही आपको सभी प्रकार की आरामदायक साधन मिल जाते हैं। कर्मचारियों की तनख्वाह दस लाखों से भी अधिक होती है। साथ ही सैलरी से कई गुना ज्यादा बोनस कर्मचारियों को दिया जाता है, लेकिन यह नकद नहीं दिया जा सकता। इस गांव का सैलरी और बोनस सिस्टम ऐसा है कि गांव छोड़ने पर कुछ नहीं मिलता। निवासी वेतन का मात्र 30 प्रतिशत ही कैश करा पाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि लोगों के पैसे को अथॉरिटी नियंत्रित करती है। यहां पत्रकारों और एजेंसियों को बिना अनुमति प्रवेश नहीं करने दिया जाता।

ऐसा कहा जाता है कि इस गांव को चीनी सरकार अपने विकास का प्रतीक के रूप में प्रदर्शित करती है। यानि इसे सरकार का प्रोपेगेंडा भी कहा जाता है, जिसके द्वारा वह विश्व को चीनी विकास की गति को दिखाना चाहते हैं। निवासी को अथॉरिटी की ओर से अनेक लाभ मिलते हैं, पर ये लाभ तभी तक रहते हैं जब तक कोई इस गांव में रहता है।

सबसे अमीर गांव की दौड़ में सबसे आगे बने रहने के लिए हुआक्जी प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाता है। साल 2011 में 29 अरब रुपए खर्च कर हैगिंग विलेज आॅफ हुआक्जी नामक स्काईसक्रैप बनाया गया, जोकि 328 मीटर का है और एफिल टाॅवर (324) से 4 मीटर अधिक लंबा है। इसके 60वें फ्लोर पर प्‍योर सोने से बना बैल का स्‍टैच्‍यू भी है।

इकोनॉमिक स्‍ट्रैटजिस और प्रैक्टिस ऑफ मॉडर्न चाइना पुस्तक की माने तो सन् 1970 में चीन में कल्‍चर रेवोल्‍यूशन होने के बाद एक ऐसा फैसला किया गया, जिसने इस गांव के हालात बदल दिए। वर्ष 1970 में प्रांतीय सरकार द्वारा अपने 30 गांवों को मात्र फार्मिंग करने के लिए प्रतिबद्ध कर दिया और अन्‍य लेबर्स को उभर रहे मैन्‍युफैक्‍चरिंग इंडस्‍ट्री में लगा दिया गया। मैन्‍युफैक्‍चर सेक्‍टर का हब बनने के बाद हुआक्‍जी दूसरे गांवों और शहरों से आगे बढ़ गया और ये गांव सबसे अमीर बन गया।

मंगलवार, 29 नवंबर 2016

8 नवंबर के बाद बैंक खाते में जमा धन पर आयकर विभाग 
पूछ सकता है आपसे ये सवाल, हो जाएं तैयार


प्रधानमंत्री के 8 नवंबर 2016 के नोटबंदी के निर्णय के बाद आपको अपने बैंक खाते में जमा किए गए पैसे का हिसाब-किताब जरूर रखना चाहिए। चूंकि पूरी संभावना है कि आयकर विभाग आपसे इन पैसों का विवरण अवश्य मांगेगा। इस बात से कोई अंतर नहीं आना कि बैंक में जमा की गई रकम बीस हजार रुपए थी या फिर पांच लाख रुपए। चलिए जानते हैं कि आयकर विभाग यानि इनकम टैक्‍स डिपॉर्टमेंट आपसे बैंक में जमा की गई राशि को लेकर कौन-कौन से प्रश्न पूछ सकता है।


कहां से आया इतना पैसा 

आपसे आयकर विभाग द्वारा पैसे के स्रोत के बारे में जानकारी मांगी जा सकती है। आपने यदि पैसा वैध स्रोत से कमाया है तो आप चिंता न करें। आप इसकी जानकारी विभाग को दे सकते हैं, हां यह राशि आपकी आय के अनुसार होनी चाहिए।

आय से अधिक कैसे जमा करवाया पैसा

आपने यदि इनकम टैक्‍स रिटर्न 8 लाख रुपए का फाइल किया हुआ है और आपने बैंक में 10 लाख रुपए तक जमा करवा दिए हैं तो आयकर विभाग आपसे पूछ सकता है कि अतिरिक्‍त राशि कहां से आई है। यह बात दूसरी है कि आप बता सकते हैं कि यह राशि गत वर्षों की सेविंग की है। आप इसके लिए पहले से होमवर्क कर ले तो आपके लिए आयकर विभाग को समझाना आसान होगा।

आय पर सवाल

नोटबंदी के बाद आप द्वारा बैंक खाते में अधिक राशि जमा कराने पर आयकर विभाग आपकी इनकम के बारे में प्रश्न पूछ सकता है। आपको साबित करना होगा कि यह रकम आपकी आय या फिर दूसरे स्रोतो से आई है तो ठीक है वरना आपको परेशानी हो सकती है।

संपत्ति पर सवाल

आयकर विभाग स्‍क्रूटनी के दौरान आपकी संपत्ति-घर, जमीन एवं वाहन आदि के बारे में भी प्रश्न कर सकता है। आपकी संपत्ति आपकी आय के स्रोत से अधिक पाई जाने पर इसके बारे में आपसे सवाल जवाब किए जा सकते है।

पत्‍नी के नाम अधिक डिपॉजिट क्यों

आपकी पत्‍नी अगर वर्किंग नहीं है और आपने उनके खाते में अधिक पैसे जमा करवाएं है तो आयकर विभाग इस राशि पर आपसे सवाल-जवाब कर सकता है कि यह रकम आपकी आय की है या इसका कोई और स्रोत है।



शुक्रवार, 25 नवंबर 2016

प्रस्ताव हुआ पास-कालाधन पर सख्त होती सरकार
बड़ी जमा का हिसाब न दे पाने पर हो सकते हैं यह परिणाम


केंद्र सरकार का कालाधन पर निरंतर सख्त रूख जारी है। अब यह बात साफ होती जा रही है कि नोटबंदी के बाद बड़ी जमाओं का हिसाब-किताब न दे पाने वालों पर सरकार सख्त कार्यवाही कर सकती है। ऐसा बताया जा रहा है कि 10 नवंबर-30 दिसंबर की समयावधि यानि इन 50 दिनों में खाते में जमा अघोषित आय पर 50 प्रतिशत तक टैक्स लगाया जा सकता है। साथ ही चार वर्षों तक इस रकम का 25 प्रतिशत भाग उपयोग भी नहीं कर पाएंगे। यदि किसी व्यक्ति द्वारा स्वयं इस अघोषित आय की जानकारी नहीं दी जाती तो 90 प्रतिशत टैक्स के साथ जुर्माना भी लग सकता है। यह सब प्रक्रिया के लिए इनकम टैक्स कानूनों में बड़े परिवर्तन किए जाएंगे। गत वृहस्पतिवार रात प्रधानमंत्री श्री मोदी की ओर से यकायक कैबिनेट मीटिंग बुलाकर आईटी कानूनों बदलावों को स्वीकृति दे दी गई।

चलिए आपको इस प्रस्तावित कानून के प्रावधान को एक सरल तरीके से समझाने का प्रयास करते हैं। आप मान लो कि आपने नोटबंदी के बाद 8 नवंबर-30 दिसंबर के बीच के इन 50 दिनों में दस लाख रुपए बैंक खाते में जमा कराए हैं। पूछे जाने पर आप यदि इन 10 लाख रुपए का हिसाब-किताब नहीं दे पाते तो आपको 50 प्रतिशत तक टैक्स देना होगा। यानि 5 लाख टैक्स कटाने के बाद आपके पास बचेंगे 5 लाख रुपए। बची हुई राशि 5 लाख रुपए की भी आधी अर्थात् 2.5 लाख रुपए 4 साल के लिए फ्रीज कर दी जाएगी यानि टैक्स कटाकर भी कुल बेहिसाबी जमा राशि का 25 प्रतिशत भाग चार वर्षों तक आप प्रयोग नहीं कर पाएंगे। एक न्यूज एजेंसी की माने तो सरकार आपकी लॉक-इन पीरियड हुई इस राशि के 25 प्रतिशत भाग के लिए संबंधित व्यक्ति को एक बॉन्ड जारी करेगी। सरकार की मंशा है कि रूरल इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए इस राशि का एक फंड बनाया जाए।
कानून में हुए संशोधनों के अनुसार, यह जरूरी नहीं है कि ईमानदार टैक्स पेयर्स को भी नोटबंदी में बड़े डिपॉजिट पर 50-90 प्रतिशत टैक्स देना पड़े और ऐसे टैक्स पेयर्स पर 30 दिसंबर को समाप्त हुई इनकम डिस्क्लोजर स्कीम के अंतर्गत लगने वाला 45 प्रतिशत टैक्स और जुर्माना लगाया जाए। इससे पहले ऐसा विचाराधीन था कि 10 नवंबर-30 दिसंबर के बीच 2.5 लाख से अधिक डिपॉजिट का हिसाब-किताब न दे पाने पर 200 प्रतिशत तक जुर्माना लगाया जाए, पर विचार-विमर्श के बाद यह बात सामने आई है कि इस पर कानूनी रूप से अमल करना मुश्किल था। इसीलिए सरकार ने आईटी कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव रखा कि निश्चित सीमा से अधिक राशि जमा करने पर लोग स्वयं ही 50 प्रतिशत टैक्स जमा कर दें।

नोटबंदी की अवधि में बड़ी रकम जमा कराने पर नोटिस भेजने शुरू हो चुके हैं। इनकम टैक्स के सेक्शन 133 (6) (इंफॉर्मेशन के लिए बुलाने का अधिकार) के अंतर्गत एक सप्ताह पूर्व देशभर में ऐसे लगभग 100 नोटिस भेजे गए थे। आईटी डिपार्टमेंट ने पोस्ट ऑफिसेज और बैंकों को नोटिफिकेशन जारी कर कहा गया है कि किसी बचत खाते में एक दिन में 50 हजार और नोट बदलने के लिए निश्चित 50 दिन की अवधि में 2.5 लाख रुपए से अधिक की राशि जमा होने पर उसकी सूचना आईटी डिपार्टमेंट को दी जाए। करंट अकाउंट के लिए 50 दिन में जमा की लिमिट 12.5 लाख रुपए है।

केंद्र सरकार ने कालाधन को लेकर घेराबंदी करने के लक्ष्य से आईटी डिपार्टमेंट में 12 वर्ष बाद फिर इंस्पेक्टर राज की छूट दे दी है। अब इनकम टैक्स ऑफिसर, असिस्टेंट और डिप्टी कमिश्नर किसी भी टैक्स पेयर की फाइल स्वयं ही स्क्रूटनी कर आय और व्यय का पूरा हिसाब मांग सकेंगे। इस बारे में सीबीडीटी ने 16 नवंबर को नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। पहले कम्प्यूटर असेसमेंट स्क्रूटनी सिस्टम (कास) में रैंडम बेस पर सामने आने वाले केस की ही फाइल का असेसमेंट होता था, जिससे 100 में से दो-तीन फाइल ही असेसमेंट में आती थीं। असेसमेंट ऑफिसर को कोई फाइल गड़बड़ लगती तो वह डिपार्टमेंट चीफ कमिश्नर या प्रिंसिपल कमिश्नर की स्वीकृति से फाइल को खोल सकता था। अब ऑफिसर को इस मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी। इसलिए अब वह अपनी सीमा में आने वाले टैक्स पेयर में से किसी की भी फाइल की स्क्रूटनी कर सकेगा।

रोज खाते हैं अगर आप एक कटोरी चावल 
तो हो जाए सावधान


खाने में आप यदि प्रतिदिन एक कटोरी सफेद चावल लेते हैं तो अब सावधान हो जाए। इससे आपको अनेक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर पड़ सकता हैं। यह हम नहीं कह रहे हैं, यह कहना है सिंगापुर के हेल्थ प्रमोशन बोर्ड ( सिंगापुर हेल्थ प्रमोशन बोर्ड, हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ) की एक रिसर्च में। इसमें कहा गया है कि केवल एक कटोरी सफेद चावल में सोडा के 2 केन के बराबर कार्बोहाइड्रेट्स और 10 चम्मच चीनी के बराबर कैलोरी होती हैं। चलिए जानते हैं सामान्य सफेद चावल खाने से नुकसान के बारे मंे।

शुगर

1 कटोरी पके हुए सफेद चावलों में 10 चम्मच शक्कर के समान कैलोरी होती है, जिसे अधिक खाने से शुगर होने की संभावना रहती है।

मोटापा

1 कटोरी पके हुए सफेद चावलों में सोडे के 2 केन के समान कार्बोहाइड्रेट होती है, जिससे वजन बढ़ने की संभावना रहती है।

ओवरईटिंग

सफेद चावल से जल्दी पेट भरता है। साथ ही जल्दी पच जाने से फिर से जल्दी जल्दी भूख लगती है जोकि ओवरईटिंग करने को विवश करता है।

कम न्यूट्रिएंट्स

सफेद चावल में न्यूट्रिएंट्स बहुत कम होते हैं, जिससे शरीर को जरूरी विटामिन्स व खनिज लवण नहीं मिल पाते।

कमजोर हड्डियां

सफेद चावल में विटामिन सी बहुत कम होती हैं, जिससे हड्डियां कमजोर होती हैं।

पाचन समस्या

सफेद चावल में फाइबर्स नहीं होता, जिससे पाचन क्रिया धीरे हो जाती हैं।

अधिक साल्ट इनटेक

चावल का अपना कोई स्वाद नहीं होने से अधिक साल्टी चीजें खानी पड़ती है।

कम विटामिन का अब्जाॅप्र्शन

शोध में पाया गया है कि सफेद चावल शरीर में दूसरे विटामिन्स और खनिज अब्जाॅप्र्शन रोकता है।

रोज खाते हैं अगर आप एक कटोरी चावल 
तो हो जाए सावधान


खाने में आप यदि प्रतिदिन एक कटोरी सफेद चावल लेते हैं तो अब सावधान हो जाए। इससे आपको अनेक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर पड़ सकता हैं। यह हम नहीं कह रहे हैं, यह कहना है सिंगापुर के हेल्थ प्रमोशन बोर्ड ( सिंगापुर हेल्थ प्रमोशन बोर्ड, हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ) की एक रिसर्च में। इसमें कहा गया है कि केवल एक कटोरी सफेद चावल में सोडा के 2 केन के बराबर कार्बोहाइड्रेट्स और 10 चम्मच चीनी के बराबर कैलोरी होती हैं। चलिए जानते हैं सामान्य सफेद चावल खाने से नुकसान के बारे मंे।

शुगर

1 कटोरी पके हुए सफेद चावलों में 10 चम्मच शक्कर के समान कैलोरी होती है, जिसे अधिक खाने से शुगर होने की संभावना रहती है।

मोटापा

1 कटोरी पके हुए सफेद चावलों में सोडे के 2 केन के समान कार्बोहाइड्रेट होती है, जिससे वजन बढ़ने की संभावना रहती है।

ओवरईटिंग

सफेद चावल से जल्दी पेट भरता है। साथ ही जल्दी पच जाने से फिर से जल्दी जल्दी भूख लगती है जोकि ओवरईटिंग करने को विवश करता है।

कम न्यूट्रिएंट्स

सफेद चावल में न्यूट्रिएंट्स बहुत कम होते हैं, जिससे शरीर को जरूरी विटामिन्स व खनिज लवण नहीं मिल पाते।

कमजोर हड्डियां

सफेद चावल में विटामिन सी बहुत कम होती हैं, जिससे हड्डियां कमजोर होती हैं।

पाचन समस्या

सफेद चावल में फाइबर्स नहीं होता, जिससे पाचन क्रिया धीरे हो जाती हैं।

अधिक साल्ट इनटेक

चावल का अपना कोई स्वाद नहीं होने से अधिक साल्टी चीजें खानी पड़ती है।

कम विटामिन का अब्जाॅप्र्शन

शोध में पाया गया है कि सफेद चावल शरीर में दूसरे विटामिन्स और खनिज अब्जाॅप्र्शन रोकता है।

गुरुवार, 24 नवंबर 2016

तुलसी के इन फायदों को
नहीं जानते होंगे आप


भारतीय संस्कृति में तुलसी को उसके श्रेष्ठ गुणों के कारण महत्व दिया जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी तुलसी एक औषधि है। आयुर्वेद में तुलसी को संजीवनी बूटी माना जाता है। भारतीय व यूरोपीय दोनों ही होम्योपैथ सिद्धान्त तुलसी को अमृतोपम मानते हैं। आपके आंगन की शरीर का शोधन करने वाली जीवन शक्ति संवर्धक औषधि तुलसी अनेक रोगों के इलाज में मददगार हैं। यह रामबाण औषधि हर प्रकार के रोगों जैसेकि स्मरण शक्ति, हृदय रोग, कफ, श्वास रोग, ख़ून की कमी, खॉसी, जुकाम, दमा, दंत रोग रोग आदि में काम आती है। यह वातावरण का भी शोधन कर पर्यावरण संतुलन बनाती है। अथर्ववेद (1-24) में कहा गया है-सरुपकृत त्वयोषधेसा सरुपमिद कृधि, श्यामा सरुप करणी पृथिव्यां अत्यदभुता। इदम् सुप्रसाधय पुना रुपाणि कल्पय॥ अर्थात् श्यामा तुलसी मानव के स्वरूप को बनाती है, शरीर के ऊपर के सफेद धब्बे या अन्य प्रकार के त्वचा संबंधी रोगों को नष्ट करने वाली अत्युत्तम महौषधि है। महर्षि चरक तुलसी के गुणों के बारे में लिखते हैं, हिक्काकासविषश्वास पार्श्वशूलविनाशनः। पित्तकृत् कफवातघ्न्रः सुरसः पूतिगन्धहाः॥ तुलसी हिचकी, खाँसी, विष, श्वांस रोग और पार्श्व शूल को नष्ट करती है। यह पित्त कारक, कफ-वातनाशक तथा शरीर एवं भोज्य पदार्थों की दुर्गन्ध को दूर करती है। सूत्र स्थान में उन्होंने लिखा हैं, गौरवे शिरसः शूलेपीनसे ह्यहिफेनके। क्रिमिव्याधवपस्मारे घ्राणनाशे प्रेमहेके॥ (2/5) सिर का भारी होना, पीनस, माथे का दर्द, आधा शीशी, मिरगी, नासिका रोग, कृमि रोग तुलसी से दूर होते हैं। सुश्रुत महर्षि लिखते हैं, कफानिलविषश्वासकास दौर्गन्धनाशनः। पित्तकृतकफवातघ्नः सुरसः समुदाहृतः॥ (सूत्र-46) तुलसी, कफ, वात, विष विकार, श्वांस-खाँसी और दुर्गन्ध नाशक है। पित्त को उत्पन्न करती है तथा कफ और वायु को विशेष रूप से नष्ट करती है। भाव प्रकाश में उद्धरण है, तुलसी पित्तकृद वात कृमिर्दोर्गन्धनाशिनी। पार्श्वशूलारतिस्वास-कास हिक्काविकारजित॥ तुलसी पित्तनाशक, वात-कृमि तथा दुर्गन्ध नाशक है। पसली का दर्द, अरुचि, खाँसी, श्वांस, हिचकी आदि विकारों को जीतने वाली है। यह हृदय के लिए हितकर, उष्ण तथा अग्निदीपक है एवं कुष्ट-मूत्र विकार, रक्त विकार, पार्श्वशूल को नष्ट करने वाली है। श्वेत तथा कृष्णा तुलसी दोनों ही गुणों में समान हैं।

इण्डियन ड्रग्स पत्रिका (अगस्त 1977) में कहा गया है कि तुलसी में विद्यमान रसायन वस्तुतः उतने ही गुणकारी हैं, जितना वर्णन शास्रों में किया गया है। यह कीटनाशक है, कीट प्रतिकारक तथा प्रचण्ड जीवाणुनाशक है। विशेषकर एनांफिलिस जाति के मच्छरों के विरुद्ध इसका कीटनाशी प्रभाव उल्लेखनीय है। डॉ. पुष्पगंधन एवं सोबती ने अपने खोजपूर्ण लेख में बड़े विस्तार से विश्व में चल रहे प्रयासों की जानकारी दी है। ’वेल्थ ऑफ इण्डिया’ की माने तो तुलसी का स्वरस तथा निष्कर्ष कई अन्य जीवाणुओं के विरुद्ध भी सक्रिय पाया गया है। इनमें प्रमुख हैं-स्टेफिलोकोकस आंरियस, साल्मोनेला टाइफोसा और एक्केरेशिया कोलाई। इसकी जीवाणु नाशी क्षमता कार्बोलिक अम्ल से 6 गुना अधिक है। नए अनुसंधान में तुलसी की जीवाणुनाशी सक्रियता अन्यान्य जीवाणुओं के विरुद्ध भी सिद्ध की गई है। डॉ. कौल एवं डॉ. निगम (जनरल ऑफ रिसर्च इन इण्डियन मेडीसिन योगा एण्ड होम्योपैथी-12/1977) के अनुसार तुलसी का उत्पत तेल कल्वेसिला न्यूमोंनी, प्रोंटिस बलेगरिस केन्डीडां एल्बीकेन्स जैसे घातक रोगाणुओं के विरुद्ध भी सक्रिय पाया गया है। बहुत सारी आयुर्वेदिक कम्पनियां अपने जीवनदायी औषधीयों में तुलसी का उपयोग करती है। तुलसी की जड़, पत्र, बीज व पंचांग का प्रयोग होता हैं।

उपयोगः 


  • खाँसी अथवा गला बैठने पर तुलसी की जड़ को सुपारी की तरह चूसने से लाभ होता है।
  • श्वांस रोगों में तुलसी के पत्ते काले नमक के साथ सुपारी की तरह मुँह में रखने से आराम मिलता है।
  • तुलसी की हरे पत्तियों को आग पर सेंक कर नमक के साथ खाने से खांसी तथा गला बैठना ठीक हो जाता है।
  • तुलसी पत्तों को 4 भुनी लौंग सहित चबाने से खांसी चली जाती है।
  • तुलसी पत्तों को चबाने से खांसी और नजले से राहत मिलती है।
  • काली तुलसी का स्वरस लगभग डेढ़ चम्मच काली मिर्च के साथ लेने से खाँसी शान्त होने लगती है।
  • 10 ग्राम तुलसी रस को 5 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से हिचकी, अस्थमा एवं श्वांस रोग ठीक हो जाते हैं।
  • अदरक, तुलसी, कालीमिर्च, दालचीनी थोड़ी-थोडी मिलाकर एक गिलास पानी में उबालें, जब पानी आधा रह जाए तो चीनी नमक मिलाकर पीएं। फ्लू, खांसी, सर्दी, जुकाम ठीक हो जाएगी।
  • शहद, अदरक और तुलसी को मिलाकर बनाया गया काढ़ा पीने से ब्रोंकाइटिस, दमा, कफ और सर्दी में राहत मिलती है।
  • तुलसी के नियमित सेवन से दमा, टीबी नहीं होती।
  • फ्लू रोग तुलसी के पत्तों का काढ़ा, सेंधा नमक मिलाकर पीने से ठीक होता है।
  • तुलसी की जड़ को पीसकर, सोंठ मिलाकर जल के साथ प्रातः पीने से कुष्ठ रोग निवारण का लाभ मिलता है।
  • तुलसी पत्रों को पीसकर चेहरे पर उबटन करने से चेहरे की आभा बढ़ती है।
  • तुलसी के पत्ते पीसकर जख्मों पर लगाने से रक्त मवाद बंद हो जाता है।
  • तुलसी के रस को नारियल के तेल को समान भाग में लें और उन्हें एक साथ धीमी आंच पर पकाएं। जब तेल रह जाए तो इसे रख लें। इसे फोड़े, फुंसी पर लगाएं।
  • तुलसी के बीजों को पीसकर गर्म करके घाव में भर दें लाभ होगा।
  • तुलसी की पत्तियों में तनाव रोधीगुण भी पाए जाते हैं। हाल में हुए शोधों से पता चला है कि तुलसी तनाव से बचाती है। तनाव को खुद से दूर रखने के लिए कोई भी व्यक्ति तुलसी के 12 पत्तों का रोज दो बार सेवन कर सकता है।
  • तुलसी प्रदूषण जन्य रोगों से सुरक्षित रखती है।
  • तुलसी के रस में शहद मिलाकर नियमित थोड़े दिनों तक लेते रहने से स्मरण शक्ति बढ़ती है, यह एक प्रकार का टॉनिक है।
  • तुलसी की पिसी पत्तियों में एक चम्मच शहद मिलाकर नित्य एक बार पीने से आप निरोगी रहेंगे, गालों में चमक आएगी।
  • तुलसी के पत्तों का दो तीन चम्मच रस प्रातः ख़ाली पेट लेने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
  • पानी में तुलसी के पत्ते डालकर रखने से यह पानी टॉनिक का काम करता है।
  • पक्षाघात (लकवा) होने पर आवश्यकतानुसार तुलसी के पत्ते और थोड़ा सा सेंधा नमक पीस लें। इसे दही में भली प्रकार मिलाएं और रोगग्रस्त अंग पर लेप करें। जल में तुलसी के पत्ते (एक बार में 25) उबालें और रोगग्रस्त अंग को उसकी भाप दें।
  • प्रातः तुलसी की 5-6 पत्तियां खाने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेबल कम होता है।
  • गैस की समस्या होने पर सुबह तुलसी की पत्तियां के साथ एक गिलास पानी पीने से आराम होता हे।
  • मुंह से बदबू आने पर तुलसी के बीज या 5-6 पत्तियां चबाकर पानी पिएं।
  • तुलसी की जड़, पत्ती, डंठल और बीज को सुखाकर एक साथ पीसें। इसमें गुड़ मिलाकर गोलियां बनाएं। 2 गोलियां रोज खाने से आर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द में आराम होता है।
  • प्रतिदिन तुलसी की 5 पत्तियां खाने से ब्लड सर्कुलेशन सही होता है और हाई वीपी. में आराम मिलता है। 

बुधवार, 23 नवंबर 2016

खाना खाते समय न पीएं पानी
वरना आपको हों सकते हैं ये नुकसान


कहा जाता है कि पानी पीना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, परंतु खाना खाने के बीच में पानी पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। प्राचीन ग्रंथ आयुर्वेद की माने तो खाने के बीच में पानी नहीं पीना चाहिए। भोजन में मिर्च अधिक होने पर  आवश्यकतानुसार बीच-बीच में एक-दो घूंट पानी पी सकते हैं, परंतु अधिक पानी पीने से बचना चाहिए। कोशिश करें कि भोजन के कम से कम 45 मिनट बाद पानी पीएं। हां भोजन के बीच खांसी या ठसका उठने पर मट्ठा पी सकते हैं इससे पाचन अच्छा बना रहेगा।

वजन बढ़ सकता है

शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है। शरीर द्वारा पर्याप्त कैलोरी का उपयोग नहीं हो पाता, जिससे वजन बढ़ने लगता है।

एसिडिटी की समस्या

भोजन में पानी लेने से शरीर में एसिड की मात्रा बढ़ सकती है, जिससे आपको एसिडिटी होने की संभावना रहती है।

कब्ज की समस्या

भोजन के दौरान पानी पीने से खाना ठीक से नहीं पच पाता, जिससे कब्ज की समस्या हो सकती है।

यूरिक एसिड के लेबल में वृद्धि

शरीर में यूरिक एसिड के लेबल में वृद्धि हो सकती है, जिससे किडनी और हॉर्ट की समस्याएं हो सकती हैं।

खराब हो जाता है पाचन 

भोजन पाचन में देरी से गैस और पेट दर्द की समस्या होती है।

शुगर की समस्या

भोजन के बीच में पानी पीने से वजन बढ़ता है और शुगर के टाइप 2 होने की प्रबल संभावना रहती है।

न्यूट्रिएंट्स में कमी

भोजन के न्यूट्रिएंट्स शरीर ठीक से एब्जॉर्ब नहीं कर पाता जिससे शरीर में न्यूट्रिएंट्स का संतुलन बिगड़ने लगता है।



सोमवार, 21 नवंबर 2016

नए नोट भी बोल रहे हैं प्रधानमंत्री 
श्री नरेंद्र मोदी की कालेधन वाली स्पीच


आपको भले ही नई भारतीय करंसी को पाने के लिए अच्छी खासी मशक्कत करनी पड़ रही है लेकिन अगर हम आपको कहे कि यह नए नोट प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की कालेधन वाली वीडियो स्पीच देते हैं तो आपको शायद ही विश्वास हो लेकिन यह सच है। जी हां, चलिए जानते हैं कैसे...
हाल ही मेरे पास एक मैसेज आया। इसमें कहा गया कि 2000 एवं 500 रुपए के नए नोट को स्मार्टफोन से स्कैन करने पर पीएम की ब्लैकमंनी वाली स्पीच सुनी जा सकती है जोकि उन्होंने कालेधन और भ्रष्टाचार को लेकर दी थी। मैंने इस मैसेज की सत्यता को जानने का प्रयास किया, जोकि सही पाया गया। आप भी नए नोट को लेकर यह जांच कर सकते हैं।

ऐसा करने के लिए आपको सबसे पहले एंड्रॉइड प्ले स्टोर से अपने स्मार्टफोन पर modi keynote नामक ऐप डाउनलोड करना होगा। फिर ऐप डाउनलोड कर एक क्लिक करे जिससे मोबाइल कैमरा ऑन हो जाएगा। इसके बाद 2000 अथवा 500 के नए नोट के ऊपर स्मार्टफोन का कैमरा ले जाना होगा। कैमरे का एंगल सही होते ही प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की कालेधन वाली स्पीच का वीडियो शुरू हो जाता है। यद्यपि वीडियो नोट पर नहीं स्मार्टफोन पर दिखाई देता है। इसके लिए स्मार्टफोन नए नोट के बिल्कुल ऊपर अथवा सामने होना जरूरी होता है। नए नोट से कैमरे के हटते ही वीडियो स्वतः ही बंद हो जाता है। पुराने नोटों पर जांच करने पर हमने पाया कि यह वीडियो उसपर नहीं चलता है।

स्मार्टफोन के अलावा, आप यह काम कम्प्यूटर से भी कर सकते हैं। कम्प्यूटर पर नोट स्कैन करने पर भी वीडियो स्पीच शुरू हो जाती है। हैरानी की बात तो यह है कि नोट में वीडियो का लिंक न होने पर भी ऐप की तकनीक के कमाल से यह कार्य कुशलतापूर्वक संचालित होता है।

शनिवार, 19 नवंबर 2016

नोटबंदी से होने वाले अच्छे-बुरे प्रभावों 
की समीक्षा विशेषज्ञों की जुबानी


नोटबंदी को लेकर राजनीतिक दल, मीडिया और विशेषज्ञ बंटे हुए दिखाई देते हैं। एक ओर जहां यह दावा पेश किया जा रहा है कि यह बहादुरी भरा निर्णय भारत को विश्व की सबसे तेजी से उन्नति करती अर्थव्यवस्था बना देगा। वहीं अर्थशास्त्रियों की माने तो इससे देश की सकल घरेलू आय यानि जीडीपी की ग्रोथ रेट कम हो सकती है। फिलहाल 2017 वित्त वर्ष में घरेलू अर्थव्यवस्था 7.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रही थी। जुलाई में विश्व बैंक ने भी कहा था कि वर्ष 2016-17 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.6 प्रतिशत दर से बढ़ोतरी करेगी। वर्ष 2015-16 में भी भारतीय अर्थव्यस्था ने निरंतर दूसरे वर्ष चीन की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ते हुए 7.6 प्रतिशत की दर से वृद्धि की थी, जबकि इस निर्णय के बाद ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी की ग्रोथ 3.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि करेगी। वहीं दूसरी ओर चीनी अर्थव्यवस्था 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी करेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कदम से देश में मुद्रा का डिमॉनेटाइजेशन राजनीतिक प्रणाली, अर्थव्यवस्था, कॉरपोरेट तथा साधारण जन के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है। निश्चित रूप से इसका देश की जीडीपी, ब्लैकमनी, आम आदमी, आर्थिक क्षेत्र और व्यवसाय पर प्रभाव पड़ेगा, चलिए जानते हैं इसके अच्छे और बुरे प्रभावों को वो भी विशेषज्ञों की जुबानी...।

लाभ

1. 3 लाख करोड़ रुपए काले धन का हो सकता है खात्मा
एक रिपोर्ट की माने तो हिंदुस्तान की लगभग 1.8 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी में देश में मौजूद लगभग 17 लाख करोड़ रुपए की मुद्रा में 3 लाख करोड़ रुपए कालाधन हैं। कोटक सिक्युरिटीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुमानतः अर्थव्यवस्था में 3.06 लाख करोड़ रुपए का कालाधन 500 एवं 1000 रुपए के नोटों में है, जोकि नोटबंदी के बाद समाप्त हो जाएगी। केयर रेटिंग रि‍पोर्ट का कहना है कि 500 और 1000 रुपए नोटों को बाहर करने से यह पुनः व्यवस्था में न आने से मनी सप्‍लाई को स्वतः ही घटा देगे। इससे देश के सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 11 प्रतिशत भाग वाले रियल एस्टेट, स्टॉक मार्केट, और गोल्ड में काले धन के प्रवाह पर काफी हद तक अंकुश लगेगा। रॉ और आईबी की माने तो कुल सर्कुलेशन करंसी की 0.004 प्रतिशत करंसी नकली है, जोकि समाप्त हो जाएगी।    


2. लॉन्ग टर्म में अर्थव्यवस्था की जीडीपी ग्रोथ 1- 2 प्रतिशत तक बढ़ सकती है
यह निर्णय देश के सकल घरेलू उत्पाद यानि जीडीपी में 1-2 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी ला सकता है। इससे अर्थव्यवस्था के सही आकार का आकलन हो सकेगा, जिससे नीतियो के निर्माण और उनके परिणाम तेजी से मिलेंगे। नकदी पर लोगों की धारणा बदलेगी। चूंकि भारत में जीडीपी का 12 प्रतिशत मुद्रा सर्कुलेशन में है, वहीं दूसरी ओर इमर्जिंग इकोनॉमी में यह तीन से चार प्रतिशत है तो वहीं विकसित देशों में इससे भी कम है। बड़ी संख्या में ट्रांजैक्शन कैशलेस होगे। इससे अर्थव्यवस्था के बड़े भाग को टैक्स के अंतर्गत लाया जा सकेगा जिससे सरकार को लगभग तीन लाख करोड़ रुपए का लाभ होगा। यद्यपि यह अभी तक साफ नहीं है कि यह लाभ कहां से होगा पर निश्चित रूप से लॉन्ग टर्म में यह फायदेमंद है। टैक्‍स कलेक्‍शन में वृद्धि से सरकार रोड, इन्फ्रास्‍ट्रक्‍चर, ट्रांसपोर्टेशन आदि विकासशील चीजों पर अधिक खर्च कर सकेगी।

3. आम आदमी को होगा फायदा-सस्ता ऋण और सबके घर का सपना होगा आसान  
इससे बैंकों के डिपॉजिट बढ़ेगे। लैंडिंग क्षमता बढ़ने से डिपॉजिट्स पर लागत कम आएगी, जिससे ब्याज दर में लगभग 1-2 प्रतिशत की कमी आएगी। विश्व के अधिकांश विकसित देशों में ब्याज दर 2-2.5 प्रतिशत हैं, जबकि हमारे यहां काफी ज्यादा हैं। प्रॉपर्टी रिसर्च कंपनी जेएलएल की माने तो इस निर्णय के बाद अगले छः माह में प्रॉपर्टी की कीमतों में 25-30 प्रतिशत की कमी आएगी। अरविंद पनगढ़ि‍या (वाइस चेयरमैन, नीति‍ आयोग) का कहना है कि व्यवस्था से कालाधन के बाहर जाने से मनी सप्‍लाई कुछ कम होगी, जिससे महंगाई दर में कम होगी। कंज्यूमर डिमांड बढ़ेगी एवं रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे।    

4. बैंक, ई-कॉमर्स, डिजिटल वॉलेट और आईटी क्षेत्र रहेगे लाभ में
यह कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने वाला सबसे बड़ा कदम है, जिससे बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड, डिजिटल वॉलेट को लाभ होगा। बैंकिंग व्यवस्था में प्रत्यक्ष रूप से 12.27 लाख करोड़ रुपए आएंगे। कैशलेस अर्थव्यवस्था बनाने में आईटी क्षेत्र की प्रमुख भूमिका रहने से आईटी क्षेत्र फायदे में रहेगा। डि‍जि‍टल या ऑनलाइन पेमेंट कंपनि‍यों को भी बड़ा लाभ होगा। विजय शेखर शर्मा (प्रमुख, पेटीएम ) की माने तो सरकार के इस निर्णय के बाद उसके डेली ट्रांजैक्‍शन 50 लाख हो गए हैं। मोबि‍क्‍वि‍क ने कहा कि‍ इसके कुल ट्रांजैक्‍शन में 18 गुना का बढ़ोतरी हुई।    

5. टैक्स में होगी बढ़ोतरी 
इसे देश के सबसे बड़े टैक्स रिफॉर्म के रूप में देखा जा रहा है। चूंकि अप्रैल, 2017 से जीएसटी आने से इसे एक इंटिग्रेटेड स्टेप बताया जा रहा है जोकि छिपी हुई मुद्रा को सामने आएगा। फिलहाल देश में कुल 2.87 करोड़ लोग आयकर रिटर्न फाइल करते हैं, पर इनमें से केवल 1.25 करोड़ लोग टैक्स चुकाते हैं। यह निर्णय टैक्स बेस बढ़ाएगा।


नुकसान

1. नहीं खत्म होगी ब्लैकमनी   
आरबीआई ने एक रिपोर्ट में कहा है कि कुल अर्थव्यवथा में ब्लैकमनी की भागीदारी करीब 1 ट्रिलियन डॉलर यानी लगभग 67 लाख करोड़ रुपए है, जिसमें रियल एस्टेट, गोल्ड आदि आते हैं। अतः 3 लाख करोड़ रुपए के कालेधन के खात्मे से विशेष लाभ नहीं होगा। अर्थशास्त्री प्रणब सेन की माने तो देश में ब्लैकमनी प्रतिदिन पैदा होती है, यह कर चोरी और भ्रष्टाचार से बनती रहती है। आयरकर विभाग भी कहता रहा है कि भारत में केवल 6 प्रतिशत मुद्रा पर कर लगता है तो इसका मतलब हुआ कि शेष रकम ब्लैकमनी हो गई। सीबीडीटी (वित्त मंत्रालय) चेयरमैन की अध्यक्षता वाली एक समिति की वर्ष 2012 की रिपोर्ट ’मेजर्स टू टैकल ब्‍लैकमनी इन इंडिया’ के अनुसार इससे पहले 1946 और 1978 में हुए डिमॉनेटाइजेशन से अर्थव्यवस्था का कोई लाभ नहीं हुआ था। थिंक टैंक नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ प‍ब्लि‍क फाइनेंस एंड पॉलि‍सी (वित्त मंत्रालय) की ओर से नोट बैन पर जारी किए गए पेपर की लेखक कवि‍ता राव ने की माने तो 1000 रुपए एवं 500 रुपए नि‍कालने का अर्थ यह नहीं है कि ब्‍लैकमनी पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। राव का कहना है कि अनेक प्रमाण हैं कि‍ गोल्‍ड और रि‍यल एस्‍टेट में ब्‍लैकमनी बहुत अधिक है और एजुकेशन और हेल्‍थ जैसे सेक्‍टर्स में काफी इन्‍वेस्‍टमेंट के मामले भी सामने आए हैं।    

2) चालू वर्ष घटेगी इकोनॉमी ग्रोथ 1 फीसदी तक
इससे निर्णय से चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की ग्रोथ एक प्रतिशत तक कम हो सकती है। अर्थशास्त्री सेन ने की माने तो सरकार के इस निर्णय से जीडीपी ग्रोथ पर बड़ी मार पड़ेगी। जीडीपी का करीब 40 फीसदी इन्‍फॉर्मल सेक्‍टर है जो सबसे अधिक प्रभावि‍त होगा। विशेषकर ग्रामीण भारत।
  
3. नकदी की परेशानी रहेगी जारी 
आरबीआई के अनुसार मार्च 2015 तक 89.22 लाख करोड़ रुपए डि‍पॉजि‍ट हैं। अधिक नकदी जमा करने से बैंक डिपॉजिट पर ब्‍याज दर को कम कर देंगे। इसका असर दिखने भी लगा है। अर्थशास्त्री सेन का कहना है कि सब्जियों सहित कुछ सामान सस्ते होने का अर्थ यह नहीं कि उनकी कॉस्ट कम हो गई है, वरन् नकदी की कमी से लोग सस्ते में सामान बेचने को मजबूर हो रहे हैं। लॉन्ग टर्म में महंगाई कम हो, ऐसा मुश्किल है। 1-2 महीने बाद की स्थिति क्या होगी, इस पर कुछ कहना मुश्किल है। रिटायर व्यक्ति के जीवन पर करंसी डिमॉनेटाइजेशन का नकारात्मक असर होगा। रिटायर्ड लोगों की इनकम का प्रमुख स्रोत ब्‍याज से आय है। डिमॉनेटाइजेशन के बाद बैंक डिपॉजिट पर ब्‍याज दरें कम करेंगे।

4. रूरल, गारमेंट, कंज्यूमर ड्यूरेबल, ऑटो, टू व्हीलर सेक्टर पर गिरेगी गाज  
नोटबंदी के बाद टू-व्‍हीलर्स की सेल 20-25 प्रतिशत कम हो सकती है। कंज्‍यूमर ड्यूरेबल कंपनियों का कहना है कि रूरल और अर्बन इंडिया में कैश सेल अधिक होती है। नोटबंदी से कैश में डील करने वाले 50 प्रतिशत मार्केट पर असर पड़ेगा। छोटे व्यवसायी, छोटे मैन्‍युफैक्‍चरिंग यूनिट्स का अधिकांश व्यवसाय नकद में होता है।

5. सुस्त होगा ट्रेड और बनेगी ‘टैक्स टेरर’ वाली स्थिति 
इससे शॉर्ट टर्म में टैक्स टेरर वाली स्थिति बन सकती है बड़ी संख्या में छोटे उद्योग-धंधे बंद होगे। सेन के अनुसार इससे छोटे उद्योगों के प्रोडक्शन पर प्रभाव पड़ेगा। इनमें अधिकांश व्यापार नकद होता है और दिहाड़ी स्टाफ काम करता है। इससे आगे समस्याएं और भी बढ़ेगी। ब्रोकिंग हाउस एम्बिट कैपिटल की माने तो भारतीय जीडीपी 330 बेसिस पॉइंट के आधार पर ग्रोथ करेगी। एम्बिट अर्थशास्त्री सुमित शेखर, रितिका मंकर मुखर्जी एवं प्रशांत मित्तल का कहना है कि नोटबंदी से कुछ समय के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था में ठहराव आएगा, जबकि इससे कर न देने वाले गैर संस्थागत बिजनेस (जो जीडीपी में 40 प्रतिशत योगदान देते है) संस्थागत बन सकते हैं। अतः हमने 2018 के वित्त वर्ष के लिए भी भारत की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 5.8 पर्सेंट कर दिया है। केयर रेटिंग्स के अर्थशास्त्री मदन सब्नावीस की माने तो हालांकि 2017 में जीडीपी ग्रोथ रेट में कमी आएगी परंतु संभावना है कि वर्ष 2018 में ऐसा नहीं होगा। ब्रोकरेज आनंद राठी सिक्यॉरिटीज का कहना कि अगली दो तिमाही तक भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से गिरावट होगी परंतु इसके बाद इसमें एक तेज वृद्धि देखने को मिलेगी। प. बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा की माने तो नोटबंदी से राष्ट्रीय जीडीपी में प्रतिदिन 25,000 करोड़ का नुकसान हो रहा है।







गुरुवार, 17 नवंबर 2016

नोटबंदी का दिखा असर इन प्रमुख 10 अरबपति उद्योगपतियों पर भी
एक सप्ताह में इनकी दौलत में आई अस्सी हजार करोड़ रुपए की गिरावट 


आज हम मीडिया में जहां देखे नोटबंदी का असर दिखाया जा रहा है। इससे आम आदमी पर पड़ने वाले प्रभाव को बताया जा रहा है, लेकिन अगर हम आपसे कहे कि इससे सबसे अधिक असर देश के प्रमुख दस अरबपतियों पर भी देखने को मिल रहा है, तो शायद आपको यकीन न हो लेकिन यह सच है। ध्यान देने योग्य बात तो यह है कि बिगड़े हालात के चलते बाजार में हुई गिरावट से बीते सप्ताह इन उद्योगपतियों की संपत्ति में अस्सी हजार करोड़ रुपए की गिरावट आई है। नोटबंदी के बाद से जहां कुमार मंगलम बिड़ला ग्रुप की कंपनियों का कुल मार्केट कैप 20 हजार करोड़ से अधिक घटा है, तो वहीं मुकेश अंबानी के वेल्थ में भी गिरावट दिखाई दे रही है। चलिए जानते हैं ऐसे ही दस बड़े अरबपति उद्योगपतियों के बारे में, जिनकी संपत्ति में बड़ी गिरावट हुई है।

1. कुमार मंगलम की आदित्य बिड़ला ग्रुप की छः कंपनियों की कुल मार्केट कैप 20301 करोड़ रुपए घट गई है। गत सप्ताह यह किसी भी नेतृत्व को हुआ अब तक सबसे बड़ा झटका है। चलिए जानते हैं कुछ प्रमुख गिरावटों को-
आदित्य बिड़ला नूवो की कुल मार्केट कैप 1742 करोड़ रुपए घट गई है।
ग्रैसिम की मार्केट कैप 4331 करोड़ रुपए घट गई है।
हिंडाल्को की मार्केट कैप 588 करोड़ रुपए कम हुई है।
आइडिया सेल्युलर की मार्केट कैप 990 करोड़ रुपए घटी।
दूसरी ओर, अल्ट्राटेक सीमेंट की मार्केट कैप 15330 करोड़ रुपए बढ़ी है।

2. गत सप्ताह के बाद से आनंद महिंद्रा ग्रुप की कंपनियों के कुल मार्केट कैप में 15808 करोड़ रुपए की गिरावट आई है। चलिए जानते हैं कुछ प्रमुख गिरावटों को-
महिन्द्रा एंड महिन्द्रा का मार्केट कैप 6836 करोड़ रुपए घटा है।
महिन्द्रा फाइनेंशियल की मार्केट कैप 395 करोड़ रुपए कम हुई है।
कोटक महिन्द्रा बैंक की मार्केट कैप 7308 करोड़ रुपए घटी है।
महिन्द्रा सीआई की मार्केट कैप 375 करोड़ रुपए कम हुई है।
टेक महिन्द्रा की मार्केट कैप 894 करोड़ रुपए घटी है।

3. 8 नवंबर के बाद से अनिल अग्रवाल की कुल मार्केट कैप 11879 करोड़ घटी है। चलिए जानते हैं कुछ प्रमुख गिरावटों को-
वेदांता की मार्केट कैप 2379 करोड़ रुपए कम हुई है।
हिंदुस्तान जिंक की मार्केट कैप में 7605 करोड़ रुपए की कमी दर्ज की गई है।
केयर्न इंडिया की मार्केट कैप 1895 करोड़ रुपए घट गई है।

4. दिलीप सांघवी की कंपनियों का मार्केट कैप गत सप्ताह के दौरान 9747 करोड़ रुपए कम हो चुका है। चलिए जानते हैं कुछ प्रमुख गिरावटों को-
सन फार्मा एडवांस्ड रिसर्च कंपनी की मार्केट कैप 46 करोड़ रुपए कम हुई है।
सन फार्मा इंडस्ट्री की मार्केट कैप 9701 करोड़ रुपए घटी है।

5.  अनिल अंबानी की रिलायंस एडीए ग्रुप की चार कंपनियों की कुल मार्केट कैप गत सप्ताह में 5802 करोड़ रुपए घटी है। चलिए जानते हैं कुछ प्रमुख गिरावटों को-
रिलायंस कैपिटल की मार्केट कैप 1695 करोड़ रुपए घटी हैं।
रिलायंस कम्युनिकेशंस की मार्केट कैप में 1668 करोड़ रुपए की कमी आई है।
रिलायंस पावर के मार्केट कैप में 1178 करोड़ की गिरावट दर्ज की गई है।
रिलायंस इन्फ्रा की मार्केट कैप में 1262 करोड़ रुपए की कमी आई है।

6. 8 नवंबर के बाद से के पी सिंह की रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ की मार्केट कैप में 5778 करोड़ रुपए की कमी आई है। 

7. आदि गोदरेज के स्टॉक मार्केट में लिस्ट हुई तीन कंपनियों की कुल मार्केट कैप में गत सप्ताह में 5449 करोड़ रुपए की कमी आई है।

8. हिंदुस्तान के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज को नोट बैन के बाद स्टॉक मार्केट में 3746 करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ा है।

9. गौतम अडानी की अडानी ग्रुप कंपनियों की कुल मार्केट कैप गत सप्ताह लगभग 1076 करोड़ रुपए घट गई है। चलिए जानते हैं कुछ प्रमुख गिरावटों को-
अडानी एंटरप्राइजेस की कुल मार्केट कैप 264 करोड़ रुपए घटी है।
अडानी पावर की मार्केट कैप 598 करोड़ रुपए कम हुई है।
अडानी ट्रांसमिशन की मार्केट कैप में भी 214 करोड़ रुपए की गिरावट दर्ज की गई है।

10. सुनील भारती मित्तल की भारती ग्रुप की कंपनियों की कुल मार्केट कैप नोटबंदी के बाद 531 करोड़ रुपए घटी है। 
जबकि इसी बीच भारती एयरटेल की मार्केट कैप 739 करोड़ रुपए और भारती इन्फ्राटेल की मार्केट कैप 208 करोड़ रुपए बढ़ी है। 

मुख्यतः पशुपालन पर निर्भर देश का पहला डिजिटल गांव 
बनाई अपनी अर्थव्यवस्था नहीं होती कैश की जरूरत


कालेधन पर रोक के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी ने 500-1000 के नोटों पर सर्जिकल स्ट्राइक की है। इससे हर तरफ लोगों को कैश की परेशानी झेलनी पड़ रही है। इसका प्रभाव हमारी रोजमर्रा की जरूरतों पर भी पड़ रहा है, परंतु विश्व की कुछ ऐसी जगहें भी है जहां पर 21वीं शताब्दी में भी लोग बिना कैश के बेहतरीन तरीके से जीवनयापन कर रहे हैं। चूंकि उन्होंने सुनिश्चित योजनाबद्ध समझ से अपनी एक स्थानीय अर्थव्यवस्था विकसित की है और अगर वह एक गांव हो तो बात ही क्या? ऐसा ही एक गांव है गुजरात का, जहां के किसान आज भी एकदम निश्चिंत हैं। उन्हें बीज, सिंचाई और खेती से जुड़े अन्य किसी काम के लिए नकदी का संकट नहीं है। कारण, डिजिटाइजेशन यानि सभी के पास ऑनलाइन बैंकिंग है।


जी हां, हम बात कर रहे हैं देश के पहले डिजिटल और कैशलेस गांव अकोदरा की। यह गांव अहमदाबाद से 90 कि.मी. दूर है। 220 घर और लगभग 1200 लोगों वाला यह गांव मुख्यतः पशुपालन और कृषि पर निर्भर है। इस गांव को देश के प्रथम ऐनिमल हॉस्टल का दर्जा दिया जा चुका है। जहां पशुओं की देखरेख से लेकर चिकित्सीय मदद के लिए डॉक्टर रहते हैं। श्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तभी इसका लोकार्पण किया गया था।
अकोदरा गांव को आईसीआईसीआई बैंक ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया अभियान के अंतर्गत गोद लिया है। जब आईसीआईसीआई बैंक ने इस गाँव को गोद लिया था तब हालात बिल्कुल अलग थे। उस समय की बैंक की सीएमडी चंदा कोचर ने कहा था कि देश में छः लाख गाँव हैं, सभी को अकोदरा की तरह बनाना है यानि कैशलेस, कनेक्टेड और काम्प्रीहेंसिव (नकदी रहित, हमेशा संपर्क में रहने वाला और व्यापक)। बैंक द्वारा गाँव की सब दुकानों, मंडियों एवं कोऑपरेटिव सोसायटी को ई पेमेंट से जोड़ा गया। दूध बेचने वाले कार्ड से भुगतान ले लेते हैं। कैश की आवश्यकता पड़ने पर गाँव में एटीएम भी लगे हैं। हालांकि गाँववाले नकदी घर में कम ही रखते हैं।

बैंक द्वारा गाँव में वाई-फाई टाॅवर से तेज गति वाला ब्रॉडबैंड लगवाया गया है, जिससे गाँववाले अपने मोबाइल से खरीदारी कर सकें। गाँव में प्रत्येक नुक्कड़ पर टर्मिनल लगाए गए हैं, जिसपर कृषि उत्पादों के दाम प्रदर्शित होते रहते हैं। गाँव के नाम से वेबसाइट और फेसबुक पेज भी है।
गाँव में केबल ऑपरेटर मनीलाल प्रजापति तक भी इंटरनेट बैंकिंग द्वारा अपना मासिक किराया लेते हैं। केबल कनेक्शन रखने वाले घर बैंक को एसएमएस द्वारा सूचित करते हैं। एसएमएस में अपना मोबाइल नंबर डालकर तीन टाइप करते हैं इसके बाद अपने खाते के अंतिम छः अंक लिख कर भेजते हैं और केबल ऑपरेटर के खाते में किराया चला जाता है। जहां तक इस गांव की विशेषता की बात करें तो इस गांव में पान की दुकान तक पर मोबाइल बैंकिंग और वाई फाई की सुविधा मिल जाती है। घर के लिए खरीदे जाने वाले आटे, दाल, चावल अंडा या खेती से संबंधित खरीदारी तक का भुगतान भी ग्राहकों द्वारा ऑनलाइन किया जाता हैं। आपको छोटी-छोटी जरूरतों जैसेकि दूध अथवा सब्जी के लिए कैश नहीं ले जाना पड़ता है।

पंसारी तक भी 10 रुपए से अधिक के सामान खरीदने पर ई बैंकिंग से भुगतान लेता है। स्थानीय दूध कोऑपरेटिव ने गत वर्ष से किसानों को नकद भुगतान बिल्कुल बंद कर दिया है और राशि सीधे बैंक में हस्तांतरित करता है। सभी किसानों का खाता आधार से जुड़ा होने से सरकारी सब्सिडी भी सीधे खाते में आती है। पशुपालकों को डेरी में दूध जमा करना हो या फिर किसानों को अपनी फसल बेचनी हो, सभी कुछ आॅनलाइन होता है और पैसे के लेन-देन के लिए उन्हें प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती राशि शीघ्र ही अकाउंट से ट्रांसफर हो जाती है। यही कारण है कि आज देश में नोटबंदी पर मचे कोहराम के बाद भी यहां लोग सामान्य दिनचर्या का निर्वहन कर रहे हैं।

अकोदरा गांव (सारबरकांठा, गुजरात) में लोग 5 रुपये से अधिक का भुगतान मोबाइल अथवा कार्ड से करते हैं। गांव के बाजार और मंडी आदि सभी जगह पर कैश लेन देन पूर्णतः बंद हो चुका है। इस कैशलेश व्यवस्था को बनाना इस गांव के लिए कोई आसान काम नहीं था लेकिन यहां युवाओं का सहयोग इसमें अहम् रहा है। ग्रामीण युवाओं की इस नई सोच ने बैंक को दूसरे गांववालों की सोच को भी बदलने में मदद की। इसने गांव में नकदी के लेन-देन को लगभग समाप्त कर दिया। गांववालों की माने तो डिजिटाइजेशन से बचत बढ़ी है और लोग इस परिवर्तन से पैसे से पैसा बनाना सीख रहे हैं।
गांव के डिजिटल होने से लेन-देन के तरीकों, निवेश और खरीदारी के तरीकों के साथ-साथ लोगों के जीवन में भी बहुत बदलाव आया, जिसे गांव की आंगनबाड़ी से लेकर हायर सेकेंडरी तक में देखा जा सकता है। गाँव के स्कूलों में ब्लैकबोर्ड के स्थान पर स्मार्ट बोर्ड आ गए। शिक्षा टेलीविजन से होने लगी है। बच्चों के स्कूल बैग में पुस्तकों की जगह टैबलेट ने ली। इस नई तकनीक ने बच्चों में पढ़ाई प्रति अधिक उत्साह पैदा कर दिया हैं। स्कूलों में विधार्थियों की संख्या बढ़ने लगी है।

गांव में ई-हेल्थ सेंटर में गांववालों का मेडिकल रिकॉर्ड बटन दबाते ही दिखाई देने लगता है। टेलीमेडिसिन की सुविधा से गांव में बैठे हुए आप दूसरे बड़े शहरों के डॉक्टरों की सलाह भी ले सकते हैं। अब गांव के आसपास के लोग अपनी लड़कियों का विवाह अकोदरा गांव में करने की इच्छुक रहते हैं ताकि शादी के बाद उनकी लड़कियों को आधुनिक रहन-सहन और बेहतरीन सुविधाएं मिल सकें। स्कूलों में अत्याधुनिक ढंग से पढ़ाई होती है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर ऑडियो-वीडियो सामग्री चलाने की सुविधा है। सरकार के कई कौशल विकास कार्यक्रम यहां चलाए जाते हैं। लड़कियों के लिए भी विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
तो चलिए, हमारे द्वारा भी ऐसा ही कुछ किया जाए ताकि हम भी बेफ्रिक हो जाए और कैश के लिए एटीएम और बैंक की लाइनों से छुटकारा पाएं।