मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016

ग्रीन सोलर एनर्जी वाला गांव 
बन सकता है मोदीजी का आदर्श ग्राम ‘‘जयापुर’’

अभी कुछ दिन पहले मैंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आदर्श ग्राम की विकासशील तस्वीरों को आपके सामने लाने का प्रयास किया था। इस पोस्ट की प्रतिक्रियास्वरूप कुछ लोगों से हुई बातचीत से मुझे ऐसा लगा कि वो शायद यह मान रहे हैं कि मैं किसी व्यक्ति, पार्टी या समुदाय विशेष से जुड़ा हो। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। चूंकि मैंने काम की तारीफ की है। वैसे भी अच्छा काम अपने आप बोलता है, उसे दिखाने या बताने की जरूरत नहीं होती।

इसके साथ ही एक दूसरी बात भी निकल कर आई कि इस गांव के विकास में प्रधानमंत्री का न तो कोई विशेष योगदान है और न ही उनके द्वारा इस विकास में कोई राशि दी जा रही है। जयापुर गांव का विकास कुछ बड़ी-बड़ी कंपनियां (सीएसआर गतिविधियों के अंतर्गत) और विशिष्ट लोग कर रहे है। अब मजे की बात तो यह है कि जिस गांव में कभी न तो मुकम्मल रास्ते होते थे, न ही गरीबों के रहने को छत, न बैंक था न ही पोस्टआफिस। तो फिर यकायक प्रधानमंत्री से जुड़ते ही इस गांव के विकास के रास्ते अपने आप ही कैसे खुलते चले गए। अगर मोदीजी द्वारा बिना कुछ ही किए ही इतना सब हो रहा है तो फिर अगर वो कुछ करेंगे तो कितना विकास होगा? हो सकता है कि यह मुद्दा कुछ लोगों के लिए विवादास्पद हो पर इतना जरूर है कि गांव के लोगों को विकास की दरकार थी जिसे काफी हद तक पूरा कर दिया गया है। जयापुर के मनोहर की माने तो बिजली की बहुत समस्या थी। दो बल्ब व मुफ्त बिजली ने जीवन में रोशनी ला दी है। घुम्मन यादव ने बताया कि मुझे बहुत खुशी होती है जब शाम को एक साथ सभी घर जगमगाते हैं। मीरा के अनुसार बच्चों के पढ़ने के समय सोलर द्वारा मिली बिजली बहुत ही कारगर साबित हो रही है।

आज जयापुर में 150 स्ट्रीट लाइट सोलर एनर्जी से जलती हैं। इसी का परिणाम है कि जयापुर भारत का प्रथम ग्रीन सोलर एनर्जी गांव बनने जा रहा हैग्राम के प्रधान श्रीनारायण पटेल की माने तो 25-25 किलो वाट के दो प्लांट शुरू किए जा चुके हैं। इससे 720 घरों को 24 घंटे निःशुल्क बिजली मिलेगी। प्रत्येक घर में 14 वाट बिजली व दो एलईडी निःशुल्क दी गई है। वेल्पसन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा जयापुर के प्रत्येक भवन, केंद्रों पर सोलर एनर्जी फ्री में दी जा रही है। तीन परिवारों के एक साथ रहने पर गर्मी के दिनों में एक प्वाइंट पंखे का भी दिया गया हैं जिसके लिए जयापुर में लगभग 100 सीमेंटेड व 50 से अधिक स्टील के पोल लगाए गए हैं।

श्रीनारायण पटेल के अनुसार, ऐसा प्रथम बार हो रहा है कि जयापुर गांव में बने गौशाला का दूध, मक्खन, दही, मंठा, पनीर जयापुर ब्रांड के नाम से बाजारों में जाने की तैयारी में है। गौशाला के केयर टेकर श्याम बिहारी की माने तो अभी इस गौशाला में 40 से अधिक गाय हैं। इन गायों का दूध मशीन से निकालकर पाइप द्वारा स्टोर रूम तक पहुंचाया जाएगा। गौशाला के कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए अलग से एक ट्रेनिंग सेंटर भी तैयार किया गया है। इतना ही नहीं अच्छे नस्ल के सांडों को भी इस गौशाला में संरक्षण दिया जाएगा। गौशाला के कर्मचारियों हेतु सोलर एनर्जी लाइट के चार टॉयलेट बनाए गए हैं

तो आप ही बताएं क्या ऐसे विकास की सभी गांवों को दरकार नहीं है क्या? क्या एमपी, एमएलए या पार्षद चाहे तो ऐसा परिवर्तन नहीं ला सकते? ला सकते हैं पर इसके लिए जरूरत होगी एक बदलाव की जिसके बिना कुछ भी संभव नहीं होगा।

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