लोन न मिला तो बना लिया खुद का बैंक
435 गांवों में खुल चुकी हैं बैंक की शाखाएं
अनेकों बार ऐसी बातें होती हैं जोकि व्यक्ति को इस कदर प्रभावित करती हैं कि अभावों से जूझने वाला व्यक्ति न केवल अपने लिए रास्ते बनाता है बल्कि दूसरों का भी सहारा बन जाता है। ऐसी ही एक घटना सामने आई है जिसके अंतर्गत अनपढ़ महिला-रेवा बाई ने वह कर दिखाया जिसे करना अच्छे-अच्छों के लिए आसान काम न था। इनको बैंक ने लोन देने से साफ इंकार कर दिया। फिर क्या था रेवा बाई ने खुल दिया मोर्चा और अपनी जिद की वजह से बैंक की शुरूआत कर डाली। आज इस बैंक की अनेक गांवों में 435 शाखाएं खुल चुकी हैं जोकि करोड़ों रुपए के लोन भी वितरित कर चुकी हैं। मजे की बात तो यह है कि लोन लेने में कोई डिफॉल्टर भी नहीं है। जहां तक हिसाब-किताब की बात है तो वह साफ सुथरा है।
गंधावल गांव (बड़वानी, म.प्र.) की रहने वाली रेवा बाई अनपढ़ है। इसके बावजूद भी उन्होंने सफलता की वो इबारत लिख डाली जिसके बारे में शायद कोई सोच भी नहीं सकता। हुआ यूं कि वर्ष 2010 में रेवा के पास खेत में बुआई के लिए पैसे भी नहीं थे। ऐसे में, रेवा बाई गांव के अपने साथियों के साथ लोन लेने बैंक गईं। बैंक वालों ने उन्हें साफ इंकार कर दिया। बैंक का तर्क था कि न तो उनके पास कोई गारंटर है और न ही गिरवी रखने को जायदाद। इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए उन्होंने आइडिया सोचा कि एक समूह बनाया जाए।
इस सोच को व्यावहारिक धरातल पर उतारते हुए रेवा बाई ने अपने मित्रों के साथ ग्रुप बनाया। 5-5 रुपए जोड़कर आपस में एक-दूसरे की मदद करने लगीं जिसे बाद में बढ़ाकर 10-10 रुपए प्रतिव्यक्ति कर दिया गया। जैसे-जैसे समय बीता काम बढ़ने लगा। ग्रामीण आजीविका मिशन को भी इसका पता चला तो कुछ मदद उधर से भी आने लगी। अब रेवा बाई और उनकी सहेलियों ने समृद्धि स्वायत्त साख सहकारी संस्था बना ली। वर्ष 2011 में उसका पंजीकरण करवाया गया। अब यह फेडरेशन बैंक बन चुका था। सदस्यों के बचत से एकत्र पैसे को जरूरतमंदों को लोन के रूप में देना शुरू किया गया।
यह काफिला लगातार आगे बढ़ता रहा और फेडरेशन महिला सदस्यों को जोड़ता चला गया। आज यह स्थिति है कि 56 हजार महिलाएं इसकी सदस्य बन चुकी हैं। फेडरेशन द्वारा अब तक 17 करोड़ रुपए के लोन दिए जा चुके हैं। यद्यपि फेडरेशन से जुड़े लोग बहुत अधिक शिक्षित नहीं हैं लेकिन सारा काम पाक-साफ होता है। अभी तक किसी भी तरह का कोई डिफाल्टर केस सामने नहीं आया है। फेडरेशन के पास अब तक कुल जमा राशि लगभग 12.50 करोड़ रु. है। फेडरेशन ने महिलाओं को लोन देने के लिए ऐसे गांवों में भी शाखाएं खुल डाली हैं जहां न तो पक्की सड़कें है और न ठीक से बिजली की आपूर्ति होती है।
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