कभी टीवी बेचने और छतों पर टीवी के एंटीना लगाने वाला सीए
आज है 350 करोड़ की कंपनी का सीईओ
किसी ने सच ही कहा है कि सपने तभी सच होते हैं जब वह देखे जाए। उनके बारे में सोचा जाए। उन्हें मूर्तरूप देने की कार्ययोजना बनाई जाए। जब यह सब मिल जाता है तो भाग्य भी अपने आप साथ आ खड़ा होता है और बन जाती है वह बात जो कभी सपने भी नहीं सोच सकतस। कुछ ऐसा ही हुआ है केशव मुरुगेश के साथ।
सीए केशव मुरुगेश ने अपने करियर का आरंभ टीवी सेल्समैन के रूप में शुरू किया। टीवी बेचने के साथ-साथ वे लोगों के घरों पर टीवी के एंटीना भी लगाने का काम करते थे। पर केशव की मेहनत और किस्मत के साथ से आज वह उस मुकाम पर जा पहुंचे हैं जहां पहुंचने में अच्छे अच्छों को पसीना आ जाए। जी हां! आज वह 345 करोड़ रुपए के रेवन्यू वाली कंपनी डब्ल्यूएनएस (आउटसोर्सिंग कंपनी) के सीईओ हैं। डब्ल्यूएनएस कंपनी आजकल काफी चर्चा में हैं चूंकि यह कंपनी अपना बिजनेस भारत एवं विदेश में हेल्थकेयर तथा एनालेटिक्स पर केंद्रित कर रही है। यह कंपनी न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में भी लिस्टेड है।
हुआ यूं कि केशव की मां एक दिन सीए पत्रिका देख रही थीं तभी उनकी नजर आईटीसी कंपनी निकली एक वैंकसी पर पड़ी। केशव की मां ने उससे इसमें अप्लाई करने के लिए कहा। केशव ने नौकरी के लिए आवेदन कर दिया। आईटीसी कंपनी में उनके अंतिम राउंड के इंटरव्यू में आईटीसी के सीईओ ने अंतिम सवाल पूछा, विशाखापत्तनम के विख्यात डॉल्फिन होटल को बनाने में कितनी ईंटें लगी होंगी। केशव ने बिना कुछ सोचे-विचारे बोल दिया-नौ लाख, नौ हजार, नौ सौ इक्यान्वे। बस इतना सुनते ही आईटीसी के सीईओ ने केशव से हाथ मिलाते हुए बधाई देकर कहा आपकी नौकरी पक्की है। वर्ष 1989 में केशव ने आईटीसी ज्वाइंन की।
नौकरी में आने के बाद केशव को होटल के फ्रंट ऑफिस से लेकर किचन तक आईटीसी के हर वेंचर में ट्रेनिंग दी गई। अपने काम व मेहनत से उन्होंने अपने बॉस का दिल जीत लिया। बाॅस ने अपने रुपयों से खरीदकर केशव को गोल्ड मेडल दिया। फिर क्या था केशव निरंतर सफलता की सीढि़यां चढ़ते चले गए और कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट के पद तक पहुंचे। बाद वे सिंटेल में भी रहे।
जहां तक पारिवारिक पृष्ठभूमि का प्रश्न है तो केशव के पिता तमिल और मां बंगाली हैं जिससे वह तमिल व बंगाली भाषाओं में दक्ष हैं। उनका परिवार पूरी तरह से क्रिकेट को समर्पित रहा है। पिता एम.के. मुरुगेश चेन्नई से रणजी ट्रॉफी खेल चुके हैं तो मां आरती देश की प्रथम महिला क्रिकेट टीम की पहली मैनेजर रही हैं। वर्ष 1955 में चेन्नई टीम को रणजी मैच जितवाने में केशव के पिता का विशेष योगदान रहा। इसके बाद वे नेशनल सिलेक्टर भी रहे। यहां तक कि केशव की धर्मपत्नी शमिनी भी एक क्रिकेटर की ही बेटी है।
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