प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया मुहिम का दिखने लगा असर
कहीं काम कर रही है टैबलेट दीदियां तो कहीं हो गया पेपरलेस संस्थान
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को डिजिटल इंडिया की शुरूआत किए अभी एक वर्ष भी पूरा नहीं हुआ लेकिन परिणाम अभी से दिखाई देने लगे हैं। एक संस्थान ने जहां पूरी तरह से अपने को पेपरलेस बना लिया है तो वहीं गांव-गांव काम करने वाली टैबलेट दीदियां जागरूकता का संचार कर रही हैं। चलिए हम आज आपको दिखने में भले ही छोटे परंतु महत्वपूर्ण प्रयासों की जानकारी दिए देते हैं।
महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी (वडोदरा, गुजरात) में डिजिटल इंडिया की तर्ज पर ‘‘इंस्टीट्यूट ऑफ लीडरशिप एंड गवर्नंस’’ पेपरलेस संस्थान आरंभ किया गया है। इंस्टीट्यूट का मैनेजमेंट संस्था के 25 विद्यार्थियों द्वारा किया जा रहा है। संस्थान द्वारा इंडिविज्यूअल डेवलपमेंट, स्किल डेवलपमेंट, इंग्लिश इम्प्रूवमेंट, कम्प्यूटर एफिसियंसी, पर्सनालिटी डेवलपमेंट आदि 11 कोर्स आरंभ किए गए हैं। इसके अंतर्गत चाहे छात्रों की पढ़ाई हो या कार्यालय का काम सबकुछ पेपरलेस है यानि उसके लिए कागज का इस्तेमाल नहीं किया जाता।
जहां तक स्टूडेंट की एजुकेशन का प्रश्न है तो उनको प्रोजेक्ट द्वारा शिक्षित बनाया जा रहा है तो लैपटॉप से क्लासवर्क करवाया जाता है। जिगर इनामदार (निदेशक, इंस्टीट्यूट ऑफ लीडरशिप एंड गवर्नंस) की माने तो पेपरलेस संस्थान का विचार बहुत पहले से चल रहा था। यहां पर एक भी प्रिंटर नहीं है। सभी जानकारियों का ऑनलाईन आदान-प्रदान किया जाता है। आवश्यकतानुसार विद्यार्थियों को मोबाइल पर मैसेज भेजा जाता है। इस प्रकार से समय व पर्यावरण दोनों का बचाव हो रहा है।
इसी प्रकार झारखंड के पाकुड़ व पश्चिमी सिंहभूम जिले (रांची) की महिलाएं स्वयं सहायता समूह, लेन-देन व बैठक के आंकड़ों को आॅनलाइन टैबलेट द्वारा अपलोड करती हैं ताकि ये आंकड़े झारखंड सरकार तथा भारत सरकार की एमआईएस में अपडेट हो जाए। इसीलिए उन गांववालों ने इन महिलाओं को टैबलेट दीदी नाम दे दिया है। इन महिलाओं की माने तो यह काम करने से पहले स्मार्टफोन तो देखा था पर कभी उसे चलाया नहीं था। चूंकि इससे पहले सारा काम वह रजिस्टर में दर्ज करती थी परंतु टैबलेट आने के बाद सारा काम पेपरलेस और फिंगरटीप पर हो गया है। इस काम की शुरूआत की झारखंड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी द्वारा जिसने गांव की महिलाओं को टैबलेट चलाने की ट्रेनिंग देकर बुक-कीपिंग सिखाया। इसके अलावा, यह टैबलेट दीदी ग्रामीण महिलाओं को फिल्म दिखाकर जागरुक भी करती है। इस जागरूकता अभियान के अंतर्गत वह सरकारी योजनाओं, उन्नत पशुपालन और खेती की बेहतरीन विधियों से संबंधित फिल्में दिखाती हैं।
जब इन महिलाओं से इन नए प्रयोगों के बारे में पूछा जाता है तो वह बताती हैं कि हम समझते थे कि टैबलेट अमीरों की चीज है। हमें उम्मीद नहीं की थी कि हमारे पास भी टैबलेट हो सकता है। आज यही टैबलेट हमारी पहचान बन चुका है। इससे जहां एक ओर हम अपने लेखाजोखा को अच्छी तरह से मेन्टेन कर लेती हैं तो दूसरी ओर अन्य महिलाओं को भी अच्छे से जागरुक बना सकती हैं। केवल सात दिन के प्रशिक्षण के बाद डेटा अपलोड, फिल्में देखना, गेम खेलना, फोटो खींचना सब कुछ आ जाता है।
महिलाओं को यह टेबलेट और आॅनलाइन प्लेटफार्म इतना पसंद आया है कि वह बताती हैं कि हमारी योजना है कि हम जल्द से जल्द इस टैबलेट के द्वारा ही स्वयं सहायता समूह के उत्पादों की बिक्री करें। झारखंड सरकार भी टैबलेट दीदी की इन सेवाओं को समर्थन देने के लिए इनकी सर्विस को प्रस्तावित मोबाइल गवर्नेंस की अनेक सेवाओं से कनेक्ट करने पर विचार कर रही है जिससे कि गांव स्तर पर इन सेवाओं का फायदा सभी ग्रामीणों को मिल पाएं।
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