सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

कभी कमाती थी 1 डाॅलर, आज है 6 बिलियन डाॅलर की मालकिन

आज के तकनीकी युग में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जोकि लैपटाॅप, स्मार्टफोन, टैब, कंप्यूटर से वाकिफ न हो। हाल ही में स्मार्टफोन पर सुरक्षा की दृष्टि से टेम्पल ग्लास का उपयोग किया जाने लगा है। इससे जहां मोबाइल की स्क्रीन स्क्रैच से बचती है वहीं उसके टूटने की भी कम संभावना रहती है। क्या आपने कभी सोचा है कि यह ग्लास किसी देन है? चलिए हम आपको बता देते हैं कि यह देन है क्विन आॅफ मोबाइल फोन ग्लास कही जाने वाली चीनी उद्यमी महिला झोऊ क़ुुएन्फ़ेइ और उसकी कंपनी Zhou  की। जो महिला कभी मात्र 1 डॉलर कमाती थी पर आज वह छः बिलियन अर्थात् चालीस हजार करोड़ रुपये की मालकिन है।

हुआ यूं कि एक दिन झोऊ को मोटोरोला से कॉल आया और कहा गया कि क्या आप हमारे नए मोबाइल त्ं्रत ट3 हेतु ग्लास स्क्रीन बना सकती हैं। जिसपर स्क्रैच न पड़े व इमेजेज भी अच्छी दिखाई दें। जवाब केवल हां या न में दें। हाँ करने पर पूरे प्रोसेस सेटअप में सहायता की जाएगी। मैंने हाँ कह दिया और 2003 में एक नयी कम्पनी बनाई। इसके बाद मांग के हिसाब से ग्लास तैयार कर उसका पेटेंट करा लिया। फिर तो एचटीसी, नोकिया, सैमसंग व एप्पल आदि कम्पनियों से आर्डर मिलने लगे। इसके साथ ही उनकी कंपनी लैपटॉप व कैमरों हेतु भी टच पैनल, कवर ग्लास व टच पैनल कवर बनाती है। दस बिलियन डॉलर की बन चुकी इस कंपनी में 75000 से अधिक कर्मचारी दिन-रात काम करते हैं।

झोऊ क़ुुएन्फ़ेइ का बचपन एक छोटे से चीनी गाँव में गरीबी बीता। जब वह 5 वर्ष की थी तो मां का स्वर्गवास हो गया और पिता उसकी पैदाइश से पहले ही आंखे खो चुके थे। पिता के छोटे-मोटे काम व झोऊ के सूअर व बत्तखें पालन से मिले पैसे से घर चला व शिक्षा की शुरूआत हुई। प्राथमिक शिक्षा के बाद रोजी रोटी के लिए उन्हे पढ़ाई छोड़कर घड़ी ग्लास निर्माता कंपनी में ग्लास तराशने का काम करना पड़ा। पर वहां काम करने की स्थितियां बहुत खराब होने के कारण तीन महीने बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। मैनेजमेंट ने जब इसमें लिखा कारण पढ़ा तो त्याग-पत्र स्वीकार करने से इंकार कर दिया और उसे पदोन्नति देते हुए दूसरे विभाग में भेज दिया। जहां झोऊ काफी कुछ सीखा।

1993 में झोऊ ने अपनी जमापूंजी लगभग 3000 डाॅलर से घड़ी लैंस बनाने वाली कंपनी की शुरूआत की। झोऊ ने काम को काम समझा छोटा या बड़ा नहीं। आज भी उनकी काम की दीवानगी ऐसी है कि ऑफिस व घर के बीच में केवल एक दरवाजे का फर्क है। इसी की बदौलत आज वह उस मुकाम तक पहुंच चुकी है जहां पहुंचाना अक्सर सभी लोग केवल सपनों में ही देखते हैं।


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