शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

ऐसा हो चुका है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आदर्श गांव  

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। गांवों के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए आदर्श ग्राम योजना की 11 अक्टूबर 2014 को शुरूआत की। इस योजना का उद्देश्य था-गांवों और उसके निवासियों में वह मूल्य स्थापित करना है जिससे वे अपने जीवन में सुधार लाकर दूसरों के लिए एक आदर्श ग्राम बन सके। लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को प्रोत्साहित करने वाली इस योजना के अंतर्गत उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र के कम से कम एक ग्राम की पहचान करके उसे एक आदर्श गांव के रूप में विकसित करना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना के अंतर्गत बनारस से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित 2974 जनसंख्या वाले गांव जयापुर को चुना है। प्रमुखतः कृषि व्यवसाय वाले लोगों का यह गांव मौलिक सुविधाओं से वंचित था। सड़के, स्वास्थ्य केंद्र, मिडिल स्कूल, पशुचिकित्सालय कुछ भी नहीं था। प्रधानमंत्री की देखरेख में इस गांव की कायापलट होने लगी है। चलिए जानते हैं कैसे और किस प्रकार।


  • जयापुर में 600 पक्के शौचालय व 200 से अधिक सोलर लाइट लगाई गई हैं।
  • बीएसएनएल द्वारा वाईफाई की सुविधा हेतु टॉवर लगाया जा रहा है।
  • 14 वनवासियों हेतु अटल नगर बनाया गया है।
  • पीने के पानी के तीन बोरबेल तैयार किए जा चुके हैं।
  • एक पोस्टऑफिस, 5 आंगनबाड़ी केंद्र व एक कन्या विद्यालय तैयार हो चुका है।
  • यूनियन बैंक, स्टेट बैंक व सिंडिकेट बैंक की शाखाएं खोली जा चुकी हैं।
  • 2 हैंडीक्राफ्ट सेंटर व सड़क पर 1 प्रतीक्षालय तैयार किया जा चुका हैं।
  • गांव के लगभग 645 लोगों को एलईडी बल्ब बांटे जा चुके हैं। 
  • 30 से अधिक गायों वाली एक एकड़ में स्थित गौशाला का शिलान्यास किया जा चुका हैं।

इनके कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले सांसद श्रीनारायण पटेल की माने तो अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है। जैसेकि ग्रामीण युवाओं हेतु स्पोर्ट्स ग्राउंड, अस्पताल, गॉर्डन मेडिसीन, आयुर्वेदिक चिकित्सालय, गांव में ही जल संचयन व्यवस्था, महिला महाविद्यालय व सब्जी स्टोर रूम आदि।

इसके अलावा भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनेक महत्वपूर्ण गतिविधियों को कार्यरूप दिया जा चुका है। जैसेकि गांव के लगभग 300 साल पुराने महुआ पेड़ों को संरक्षित करना, कन्या पैदा होने पर जश्न मनाने का संकल्प, कन्या की शादी के लिए धन की व्यवस्था करने का रास्ता गांव वालों से निकालना, माता-पिता द्वारा खेतों की मेड़ व बाग की खाली जमीनों पर कन्या जन्म के साथ ही धन देने वाले पौधे लगाना, कन्या धन साथ ही पर्यावरण संरक्षण आदि।




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