इन बातों को अपनायें
गलतियां करने से बचें और जीएं खुशहाल लाइफ
नवरात्र पर्व इन दिनों बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। कल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा है। आज हम इन्हीं दोनों पर्वों से अच्छाइयों को अपनाने एवं बुराइयों को त्यागने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देने के लए चर्चा करेंगे तो चलिए सबसे पहले हम माता दुर्गा से लाइफ मैनेजमेंट के बारे में सीखेगेः
- संस्कृत शब्द ‘‘दुर्गा’’ का अर्थ है-सबसे शक्तिशाली। इसीलिए मां दुर्गा को सब देवताओं में शक्तिशाली माना जाता है। मां दुर्गा के नाममात्र से नकारात्मक शक्तियां और दोष दूर हो जाते हैं। वेबसाइट इंडिया करंट्स की माने तो ‘मां दुर्गा के आठ हाथ हैं जिनमें आठ तरह के शस्त्र हैं। हर शस्त्र व हाथों की मुद्राएं जीवन के लिए कुछ न कुछ सीख देतीं है।’
- दुर्गा मां के ऊपरी व दाएं हाथ में धर्म चक्र है जोकि हमें अपने कर्तव्र्यों व जीवन के उत्तरदायित्वों को शानदार ढंग से पूरा करने की सीख देता है।
- दुर्गा मां के ऊपरी बाएं हाथ का शंख हमें प्रेरणा देता है कि हमें जीवन में संतोष रखकर खुशी व हंसमुख रहकर अपने कर्तव्यों को पूरा करना चाहिए।
- दुर्गा मां के हाथों की तलवार पे्ररित करती है कि हमें भेदभाव व अपने दुर्गुणों का उन्मूलन करना चाहिए।
- दुर्गा मां के निचले हाथ का धनुष व तीर हमें सीख देता है कि हमें भी अपना चरित्र भगवान राम की तरह बनाना चाहिए। जिंदगी चाहे कितनी भी मुश्किले दे पर हमें अपने धैर्य, चरित्र व मान-सम्मान को नहीं खोने देना चाहिए।
- दुर्गा मां के हाथ का कमल हमें प्रेरित करता है कि हमें बाहरी विश्व में मोहमाया रहित होकर जीवन जीना चाहिए। जिसप्रकार दलदल में खिलकर भी कमल मुस्कुराता रहता है। उसी प्रकार इस दलदल रूपी विकारों से भरी दुनिया में हमें अपनी मुस्कान को नहीं खोना चाहिए।
- दुर्गा मां के हाथ में पकड़ा गदा भक्ति व समर्पण का प्रतीक माना जाता हैं यानि हमें अपने जीवन में भक्ति व समर्पण का भाव रखकर सर्वशक्तिमान की इच्छा के रूप में परिणाम स्वीकार करने चाहिए।
- दुर्गा मां के हाथ में त्रिशूल साहस का प्रतीक है जोकि प्रेरित करता है कि हमे अपने नकारात्मक गुणों का संहार करके जीवन की चुनौतियों का सामना करना चाहिए ताकि सफलता हमारे कदमों में हो।
- दुर्गा मां का आशीर्वाद के लिए उठा एक हाथ बताता है कि हमें अपनी व दूसरों की गलतियों को भूलाकर जीवन में आगे बढ़ते जाना चाहिए।
- दुर्गा मां का शेर प्रतीक है-असीमित शक्ति का जोकि बताता है कि शक्ति मात्र असीमित शक्ति के सानिध्य में ही रह सकती हैं। वास्तव में, शेर अहंकार, क्रोध, स्वार्थ आदि अनियंत्रित बुराइयों को नष्ट करने का प्रतीक है। इससे सीख मिलती है कि हम अच्छाईयां बटोरे व लालच, ईष्र्या, इच्छा, आदि नकारात्मक शक्तियों को नियंत्रित करें।
- मां दुर्गा की लाल रंग की साड़ी बुराई को नष्ट करने का प्रतीक हैं। मानव जाति की रक्षा और उन्हें दानवों से बचाने के लिए मां हमेशा तत्पर रहती हैं।
- मां दुर्गा स्त्री में शक्ति का प्रतीक हैं। उनके मुख की आभा से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
रावण से सीखें जीवन में किन-किन कामों को न करेंः
- विद्वान ब्राह्मण रावण सभी शास्त्रों, ज्योतिष व पूजा-पाठ का ज्ञाता था पर उसकी बुराइयों ने सभी अच्छाइयों के महत्व को समाप्त कर दिया था। रावण कभी किसी की सही सलाह नहीं मानता था। जिद्दी स्वभाव से रावण ने विभीषण, मंदोदरी, कुंभकर्ण, माल्यवंत, हनुमानजी आदि की सलाह नहीं मानी कि श्रीराम से शत्रुता न ले व सीता को लौटा दे इसी गलती से रावण का अंत हुआ। अतः हमें भी हमेशा सही सलाह को तुरंत मान लेना चाहिए।
- रावण स्त्रियों को मात्र भोग-विलास की वस्तु मानता था। रंभा की सुंदरता पर मोहित रावण ने एक बार रंभा का अपमान किया। रंभा ने जब नलकुबेर (रावण के भाई कुबेर देव का पुत्र) को यह बताया तो उसने रावण को शाप दिया कि रावण जब भी किसी स्त्री की इच्छा के विरुद्ध उसे छुएगा या अपने महल में रखेगा तो वह भस्म हो जाएगा। इसी वजह से रावण ने सीता को अशोक वाटिका में रखा था। अतः हमें भी स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए।
- रावण को अपनी शक्तियों पर बहुत घमंड था जिससे वह श्रीराम को साधारण शत्रु समझा पर श्रीराम ने उसका वध कर दिया। अतः स्वयं पर विश्वास होना अच्छी चीज पर हां शत्रु को कभी भी कमजोर नहीं समझना चाहिए।
- रावण सिर्फ खुद की तारीफ ही सुनता था। उसके सामने शत्रु की प्रशंसा करने पर दंड दिया जाता था। यही कारण है कि रावण हमेशा ही चापलूसों से घिरा रहता था। अतः हमें चापलूसों से निकलकर सच सुनने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए।
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