शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2015

इस ‘प्राइड ऑफ काउ’ मिल्क को पीते हैं 
अमिताभ बच्चन, अंबानी परिवार व सचिन तेंडुलकर जैसी सेलिब्रिटी 
यह है पूना का हाइटैक भाग्यलक्ष्मी डेरी फार्म


आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन यह सच है कि देश के प्रमुख व्यक्ति एक विशेष ब्रांॅड के दूध का उपयोग करते है। मंचर (पूना) में स्थित भाग्यलक्ष्मी डेरी के ‘प्राइड ऑफ काउ’ दूध को बड़े सेलिब्रिटी जैसे अमिताभ बच्चन, अंबानी परिवार, सचिन तेंडुलकर आदि सहित 12000 कस्टमर उपयोग करते हैं। यह डेरी फार्म 27 एकड़ में फैला है जिसमें 3500 गाय हैं जिनकी देखरेख के लिए 75 कर्मचारी हैं। यह मिल्क 80 रुपए लीटर दूध बिकता है।
कपड़े का व्यवसाय छोड़कर डेरी शुरू करने वाले इस फार्म के मालिक देवेंद्र शाह बताते हैं कि उन्होंने 175 ग्राहकों से ‘प्राइड ऑफ काउ’ उत्पाद शुरू किया था किंतु अभी मुंबई व पूना में 12 हजार से अधिक ग्राहक हैं। सरकार द्वारा जब 90 दशक में मिल्क हॉलिडे की घोषणा हुई तो मंचर के डेरी फार्मर्स द्वारा दूध को गोबर गैस प्लांट में फेंके जाने से पशुपालक को हानि होने लगी। ऐसे में, हमने अपने आलू कोल्ड स्टोरेज में दूध रखकर बाद में शहरों में सप्लाई करना शुरू कर दिया। इसके बाद तो एक माह में ही दूध 20-40 हजार लीटर तक आने लगा। फिर मैंने अपने आपको पूर्णतः दूध के काम में ही लगा लिया। अब हम दूध उत्पाद बनाकर निर्यात करने लगे। न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया आदि के विशेषज्ञों जब दूध की गुणवत्ता जांचने आते तो उनकी सोच रहती कि भारत में गाय गंदगी में रहती होगी व वही खाती-पीती होंगी। इसी सोच में बदलाव हेतु मैंने भाग्यलक्ष्मी डेयरी फॉर्म की स्थापना एक मॉडल फार्म के तौर पर की। उनका कहना है कि ट्रेडिंग छोड़ जब मैंने दूध का व्यवसाय शुरू किया तो लोग मुझे कहते थे कि ये क्या ग्वाले का काम करने लगे हो पर मैं स्वयं को सबसे बड़ा ग्वाला मानता हूं।

जाने भाग्यलक्ष्मी डेरी फार्म कोः

  • गायों को पीने के लिए केवल आरओ का पानी ही दिया जाता है। 
  • गायों के बिछावन के लिए रखा गया रबर मैट दिन में तीन बार साफ किया जाता है। 
  • यहां की गायों के लिए 24 घंटे संगीत बजता रहता है। 
  • गायों के आहार में सोयाबीन, मौसमी सब्जियां, अल्फा घास व मक्की चारा को शामिल किया जाता है। 
  • गायों के पेट की सफाई हेतु हिमालय आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल होता है। 
  • गायों के पोषण से ही दूध में फैट की मात्रा को कंट्रोल किया जाता हैं।
  • तीन माह में एक बार आकर डॉक्टर फ्रैंक (पशु पोषण विशेषज्ञ, कनाडा) ऋतु के अनुसार पशु पोषण की सलाह देते हैं। 
  • इस डेरी फार्म की गायों में 54 लीटर तक दूध देने वाली गायें भी शामिल हैं। 
  • यूरोपियन मानकों के अनुसार इस डेरी के दूध में 7-9 हजार लैक्टेशन हैं जिसको कैनेडियन लैक्टेशन 9-11 हजार पर लाने का टाॅरगेट है।
     
  • शुरू में ‘प्राइड ऑफ काउ’ तीन दिन तक ट्रायल के लिए शहर के 175 प्रॉमिनेंट व्यक्तियों को भेजा गया। इसके बाद फार्म टू होम का आरंभ हुआ। प्रतिदिन 163 किलोमीटर तक फ्रीजिंग वैन एवं डिलीवरी मैन द्वारा 5.30 से 7.30 के बीच ग्राहकों के घर तक दूध की होम डिलीवरी मुंबई में दी जाती है। 
  • ‘प्राइड ऑफ काउ’ ब्रांड के ग्राहकों को एक लॉगिन आईडी दिया गया है। इससे वह अपना ऑर्डर बदल सकते हैं, रद्द भी कर सकते हैं या फिर डिलीवरी का स्थान भी बदलवा सकते हैं जैसेकि अनेक बार पूना का ग्राहक मुंबई या मुंबई का ग्राहक पूना में दूध मांगता है तो भी उसे देने का प्रयास करते हैं। 
  • नये ग्राहक को तभी जोड़ा जाता है जबकि पुराना ग्राहक रेफर करता है। चूंकि अभी अधिक मांग की पूर्ति संभव नहीं है। 
  • ऐसे ही फार्म भविष्य में नॉर्थ व साउथ इंडिया में भी शुरू करने की योजना हैं। 
  • स्कूलों व फूड एग्जीबिशन में शामिल होकर इस दूध की जानकारी दी जाती है। 
  • भाग्यलक्ष्मी डेरी फार्म पर्यटकों को भी लुभा रहा है। प्रतिवर्ष 7-8 हजार पर्यटक फार्म घूमने आते हैं। अनेक टूर ऑपरेटर मुंबई व पुणे से फार्म के लिए पैकेज टूर चलाते हैं। 
  • डेरी फार्म में जाने से पहले पैरों पर पाउडर से डिसइंफेक्शन करना आवश्यक है। फार्म में दाईं तरफ रबर मैट बिछा हुआ है। इसपर गायें रहती हैं। इसके सामने ही बाॅटलिंग सेंटर बनाया गया है। गायों का दूध निकालने के लिए बीचोबीच रोटरी बनाई गई है। प्रत्येक गाय का वजन व तापमान रोटरी पर जाने से पूर्व चैक किया जाता है। यदि गाय बीमार होती है तो उसे सीधे अस्पताल भेजा जाता है। 
  • रोटरी में जब तक गाय रहती है, जर्मन मशीन से उसकी मसाज होती रहती है
  •  दूध सीधा पाइपों से साइलोज में व उसके बाद पॉश्चुराइज्ड होकर बोतल में पैक किया जाता है। 
  • प्रिजरवेटिव व अडल्ट्रेशन के बिना दूध को ग्राहकों तक पहुंचाया जाता है। 
  • गाय के दूध दोहने से बाॅटलिंग तक सारा काम ऑटोमैटिक मशीनों से होता है। सात मिनट में 50 गायों का दूध एक साथ निकाला जाता है। यह प्रक्रिया दिन में तीन बार लगभग दो घंटे तक होती है। ।

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