नॉर्थ सेंटिनल द्वीप: दुनिया का सबसे खतरनाक द्वीप
भारत में एक ऐसा द्वीप है जिसे दुनिया का सबसे खतरनाक द्वीप माना जाता है। इसका नाम है नॉर्थ सेंटिनल द्वीप, जो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का हिस्सा है। इस द्वीप का नाम सुनते ही लोग कांप जाते हैं और यहाँ टूरिस्ट के जाने पर सख्त पाबंदी है।
अनछुई संस्कृति और खतरनाक जनजाति
नॉर्थ सेंटिनल द्वीप पर सेंटिनलीज जनजाति रहती है, जो बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कटे हुए हैं। ये जनजाति किसी भी बाहरी व्यक्ति के संपर्क में आने पर हिंसक प्रतिक्रिया देती है। सैंकड़ों सालों से ये लोग आधुनिक समाज से दूर अपने पारंपरिक जीवन जी रहे हैं और बाहरी लोगों को अपने द्वीप पर प्रवेश करने नहीं देते।
सरकार द्वारा प्रतिबंध
भारतीय सरकार ने इस द्वीप पर जाने के लिए सख्त नियम बना रखे हैं और यहाँ टूरिस्ट के जाने पर पूरी तरह से पाबंदी है। इसका कारण यह है कि सेंटिनलीज जनजाति बाहरी लोगों के संपर्क में आने पर गंभीर रूप से हिंसक हो जाती है, जिससे उनकी सुरक्षा के साथ-साथ बाहरी लोगों की जान का भी खतरा रहता है। सेंटिनल द्वीप के तीन मील के दायरे में आना भी अवैध माना जाता है।
ऐतिहासिक घटनाएं
यह द्वीप हमेशा से ही अपनी हिंसक घटनाओं के लिए जाना जाता रहा है। 2006 में, दो मछुआरे गलती से इस द्वीप के करीब चले गए थे, और सेंटिनलीज जनजाति ने उन्हें मार डाला था। 2018 में, एक ईसाई मिशनरी, बार-बार इस द्वीप पर पहुंचने की कोशिश कर रहा था। जब वे लोग उत्तरी सेंटिनल द्वीप पर पहुंचे, तो उन पर तीरों से हमला हुआ और वे मारे गए। उसी साल नवंबर में, एक अमेरिकी नागरिक की भी हत्या कर दी गई थी जब उसे अपनी कश्ती पर इस द्वीप पर ले जाया गया।
प्राकृतिक सुंदरता और अनछुई संस्कृति
नॉर्थ सेंटिनल द्वीप की प्राकृतिक सुंदरता और अनछुई संस्कृति के कारण यह विशेष ध्यान आकर्षित करता है। लेकिन यहाँ की खतरनाक परिस्थितियों और सेंटिनलीज जनजाति की आक्रामकता के कारण इसे देखने का कोई मौका नहीं मिलता। मानवविज्ञानियों का अनुमान है कि द्वीप पर 50 से 100 के बीच लोग रह सकते हैं।
सुरक्षित वापसी के कम मौके
इस द्वीप पर जाने वाले बहुत कम लोग सुरक्षित वापस लौटे हैं। 1981 में, एक नाव प्राइमोज बांग्लादेश से ऑस्ट्रेलिया तक मुर्गी का चारा ले जाते समय इस द्वीप पर फंस गई थी। नाव पर मौजूद लोगों ने द्वीप पर लकड़ी से बने हथियारों के साथ करीब 50 लोगों को देखा और अपनी आपबीती सुनाई। खुशकिस्मती से, उन्हें मारा नहीं गया और उन्हें हेलीकॉप्टर की मदद से निकाल लिया गया।
सेंटिनलीज की आक्रामकता
सेंटिनलीज जनजाति बाहरी लोगों के प्रति अपनी हिंसक प्रवृत्ति के लिए जानी जाती है। वे पहले पीठ के बल बैठकर अनचाहे मेहमानों को वापस जाने का इशारा करते हैं और यदि कोई नहीं लौटता, तो तीर चला देते हैं। ये लोग झोपड़ियों में रहते हैं और हर समय धनुष-तीर और भाले अपने साथ लेकर चलते हैं।
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