मंगलवार, 30 जुलाई 2024

 

लेह की असामान्य गर्मी 
जलवायु परिवर्तन की गंभीर चेतावनी

हाल ही में, लेह ने एक असामान्य और चिंताजनक घटना का सामना किया। यहां तापमान 36 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो इस क्षेत्र के लिए अप्रत्याशित है। इस ऊंचाई पर हवा की विरलता के कारण, टेकऑफ और लैंडिंग में मुश्किलें आ रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप 12 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। यह घटना केवल एक स्थानीय समस्या नहीं है, बल्कि यह वैश्विक जलवायु परिवर्तन का एक प्रत्यक्ष संकेत है। इस आलेख में, हम लेह की इस असामान्य गर्मी के कारण और इसके व्यापक प्रभावों पर चर्चा करेंगे, जो जलवायु परिवर्तन की गंभीर चेतावनी है।


लेह के कुशोक बकुला रिंपोची एयरपोर्ट पर पिछले तीन दिनों में तापमान 36 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के कारण 12 उड़ानें रद्द की गईं। इस ऊंचाई पर हवा विरल होती है जिससे टेकऑफ और लैंडिंग में समस्याएं आईं। यह जलवायु परिवर्तन का प्रत्यक्ष संकेत है और भविष्य में और भी बड़े खतरों की गंभीर चेतावनी है।

लेह, जिसे 'ठंडा रेगिस्तान' कहा जाता है, अपने अद्वितीय भूगोल और ठंडी जलवायु के लिए प्रसिद्ध है। समुद्र तल से लगभग 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित कुशोक बकुला रिंपोची एयरपोर्ट भारत का सबसे चुनौतीपूर्ण हवाई अड्डा माना जाता है। यहां के पायलट और कॉकपिट क्रू को पहाड़ी इलाके और कठिन मौसम स्थितियों में काम करने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। यह हवाई अड्डा साल भर में लगभग 11 लाख यात्रियों को संभालता है।

असामान्य गर्मी: एक गंभीर संकेत

लेह की असामान्य गर्मी ने न केवल स्थानीय लोगों और यात्रियों को चौंकाया है, बल्कि वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। आमतौर पर इस क्षेत्र का तापमान -20 डिग्री सेल्सियस तक रहता है, जहां बर्फ जमी रहती है। इतनी ऊंचाई पर हवा पहले ही विरल होती है और तापमान बढ़ने से यह और भी विरल हो जाती है, जिससे टेकऑफ और लैंडिंग मुश्किल हो जाती है। आईआईटी के प्रोफेसर चेतन सोलंकी, जिनकी उड़ान भी रद्द हुई, ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि उनके लिए यह अकल्पनीय था कि लेह में 11,000 फीट की ऊंचाई पर तापमान -20 डिग्री सेल्सियस से 36 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। यह घटना वैश्विक तापवृद्धि का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

जलवायु परिवर्तन की गंभीर चेतावनी

लेह की यह स्थिति जलवायु परिवर्तन की स्पष्ट चेतावनी है। जलवायु परिवर्तन का अर्थ है किसी क्षेत्र विशेष में मौसम में गंभीर बदलाव आना। भारत पहले से ही जलवायु परिवर्तन के खतरे का सामना कर रहा है। 1901 से 2018 तक देश के औसत तापमान में 0.7 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। 2016 सबसे गर्म वर्ष के रूप में रिकॉर्ड किया गया और 2023 का जुलाई सवा लाख वर्षों में अब तक का सबसे गर्म महीना रहा।

असामान्य मौसम की घटनाएं

जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक मौसम स्थितियों में वृद्धि हो रही है, जैसे अधिक बारिश या सूखा, बाढ़, लू, और कड़कड़ाती ठंड। 1950 के बाद से भारत में मॉनसूनी बारिश में कमी आई है। विश्व बैंक की 2013 की एक रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण भारत को सूखे की मार झेलनी पड़ी है, जिससे कृषि उत्पादन में गिरावट आई है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं, समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है, जिससे तटीय शहरों को खतरा हो सकता है।

आर्थिक नुकसान

जलवायु परिवर्तन से भारत को आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, अत्यधिक गर्मी और उमस के कारण श्रम घंटों में कमी होने से 2030 तक भारत की जीडीपी को 4.5 प्रतिशत तक का नुकसान हो सकता है। लेह की गर्मी में हो रही अत्यधिक वृद्धि को निश्चित रूप से क्लाइमेट चेंज का नतीजा माना जा सकता है। लेह जैसी उच्च हिमालयी क्षेत्रों में तापमान में वृद्धि के कारण कई गंभीर खतरे उत्पन्न हो सकते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख खतरे हैं:

  1. ग्लेशियरों का पिघलना: तापमान में वृद्धि के कारण लेह और आसपास के क्षेत्रों में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। इससे जल स्तर में वृद्धि होती है और बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।

  2. जल स्रोतों पर प्रभाव: ग्लेशियरों के पिघलने से जल स्रोतों पर भी प्रभाव पड़ता है। यह समस्या विशेष रूप से उन क्षेत्रों में गंभीर हो सकती है जहाँ ग्रामीण और शहरी समुदाय अपनी जल आपूर्ति के लिए इन स्रोतों पर निर्भर हैं।

  3. जैव विविधता पर प्रभाव: तापमान में वृद्धि के कारण वनस्पतियों और वन्यजीवों की प्रजातियों पर भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। कई प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर पहुँच सकती हैं।

  4. कृषि पर प्रभाव: लेह जैसे क्षेत्रों में कृषि जलवायु पर अत्यधिक निर्भर होती है। तापमान में वृद्धि और मौसम की अनिश्चितता से कृषि उत्पादन प्रभावित हो सकता है।

  5. मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव: अत्यधिक गर्मी और बदलते मौसम के कारण मानव स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। गर्मी से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

लेह की असामान्य गर्मी एक गंभीर चेतावनी है कि जलवायु परिवर्तन के खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हमें तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। जागरूकता फैलाना, सतत विकास की नीतियां अपनाना, और पर्यावरण संरक्षण के उपाय करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह समय की मांग है कि हम अपनी धरती को बचाने के लिए मिलकर प्रयास करें, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण मिल सके।


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