सोमवार, 29 जुलाई 2024

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वर्तमान युग में ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता के संदर्भ में इथेनॉल ब्लेंडिंग एक महत्वपूर्ण पहल बन चुकी है। भारत में पेट्रोल में इथेनॉल का मिश्रण बढ़ाने के प्रयास के तहत, हाल ही में मक्के से बने इथेनॉल का उपयोग बढ़ रहा है। यह बदलाव न केवल ऊर्जा की सुरक्षा में सहायक हो रहा है, बल्कि कृषि क्षेत्र पर भी इसके दूरगामी प्रभाव पड़ रहे हैं।

पेट्रोल में इथेनॉल की ब्लेंडिंग से प्राप्त होने वाले लाभों के साथ-साथ, इसका एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि हर तीसरा लीटर इथेनॉल अब मक्के से तैयार किया जा रहा है। यह प्रवृत्ति भारतीय ऊर्जा नीति और कृषि के भविष्य की दिशा को प्रभावित कर रही है। इस पृष्ठभूमि में, यह जानना महत्वपूर्ण है कि कैसे मक्का, जो पहले केवल खाद्य पदार्थ के रूप में जाना जाता था, अब ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और इसके परिणामस्वरूप मक्का के आयात और कीमतों पर प्रभाव पड़ रहा है।

मक्के का इथेनॉल: एक महत्वपूर्ण विकास

भारत में पेट्रोल की ब्लेंडिंग के लिए उपयोग होने वाला इथेनॉल अब मक्के से व्यापक रूप से तैयार किया जा रहा है। हालिया रिपोर्ट के अनुसार, चालू सप्लाई ईयर (नवंबर 2023 से अक्टूबर 2024) के दौरान, चीनी मिलों और डिस्टिलरीज ने 401 करोड़ लीटर इथेनॉल की सप्लाई की। इनमें से 211 करोड़ लीटर इथेनॉल मक्का या टूटे चावल से उत्पादित किया गया, जबकि गन्ने के रस या शीरे से 190 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन हुआ। यह दर्शाता है कि पेट्रोल में ब्लेंडिंग के लिए उपयोग होने वाले इथेनॉल का लगभग 52.7 फीसदी हिस्सा अब मक्का और अन्य खाद्यान्नों से आ रहा है।

ब्लेंडिंग की वृद्धि और लक्ष्य

वर्तमान में पेट्रोल में इथेनॉल की ब्लेंडिंग 13 फीसदी तक पहुंच चुकी है। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में कहा कि 2030 तक पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनॉल की ब्लेंडिंग का लक्ष्य निर्धारित है। हालांकि, अगर इथेनॉल की उपलब्धता में वृद्धि जारी रहती है, तो यह लक्ष्य 2025 तक ही प्राप्त किया जा सकता है।

मक्के के आयात की आवश्यकता

मक्का के इथेनॉल बनाने में बढ़ते उपयोग के कारण, मक्का के आयात की आवश्यकता उत्पन्न हो गई है। हाल ही में, खाद्य सचिव को 35 लाख टन मक्का के शुल्क मुक्त आयात की सिफारिश की गई है। इससे मक्का की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकते हैं और इसकी कीमतों पर असर पड़ सकता है।


सरकारी पहल और समर्थन

2018-19 में इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम को तेजी देने के लिए, सरकार ने चीनी मिलों को बी-हैवी मोलेसेस और गन्ने के जूस से सीधे इथेनॉल बनाने पर अतिरिक्त इंसेंटिव प्रदान किए। इसके साथ ही डिस्टिलरी की क्षमता बढ़ाने के लिए मंजूरी प्रक्रिया को सरल किया गया और कर्ज पर ब्याज छूट का प्रावधान किया गया। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, मक्का और अन्य खाद्यान्न आधारित डिस्टिलरी की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

पेट्रोल में इथेनॉल की बढ़ती ब्लेंडिंग और मक्का से बने इथेनॉल का बढ़ता हिस्सा देश की ऊर्जा नीति और कृषि उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। यह न केवल पेट्रोल की कीमतों को प्रभावित करेगा बल्कि मक्का के उत्पादन और आयात पर भी असर डालेगा। ऐसे में, यह महत्वपूर्ण है कि सभी संबंधित पक्ष इस परिवर्तन को समझें और इसके संभावित प्रभावों के लिए तैयार रहें।

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