शनिवार, 13 अगस्त 2016

70वें स्वतंत्रता दिवस पर विशेष
पाकिस्तान शुरू से ही रहा है धूर्त
विभाजन के समय गांधीजी की जिद ने 
पाकिस्तान को दिलवाएं थे 55 करोड़ रुपए


आप सभी को 70वें स्वतंत्रता दिवस की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं। आज सत्तर बरस बाद भी एक नासूर ऐसा है जोकि हमारे देश के विकास के लिए बाधक बना हुआ है। चाहे वह आतंकवाद की बात हो या आर्थिक रूप से देश को नुकसान पहुंचाना। सब जगह यह दिखाई देता है। हाल ही में भारत के गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने भी इसपर कटाक्ष करते हुए कहा था कि पड़ोसी है कि मानता नहीं। जी हां बिल्कुल सच है चूंकि जन्म से ही इस पाकिस्तान ने धूर्तता ओड़ी थी जोकि आज अपने चरम पर पहुंच चुकी है। जन्म के समय ही पाकिस्तान ने आंतकी अंदाज में कश्मीर पर हमला किया वो भी हिंदुस्तान के पैसे से। क्या कहा विश्वास नहीं होता तो चलिए इतिहास के पन्ने पलटते और जानते हैं कि जरूरी नहीं होता कि सरकारी किताबों से जो हमने पढ़ा और जाना वह पूरा और बिल्कुल सही ही हो। चूंकि सामने से हमें तस्वीर का एक पक्ष दिखता है उसके पीछे का हिस्सा अंधकार की भेंट चढ़ जाता है। चलिए उस हिस्से को जानने का प्रयास करें।

भारत पाकिस्तान बंटवारे के समय आजाद भारत के खजाने में कुल 155 करोड़ रुपए थे जोकि दोनों देशों में बराबर बांटे जाने थे। इसमें से 20 करोड़ रुपए पहले ही पाकिस्तान को दे दिए थे। बाकी 55 करोड़ देना बाकी था। तभी कबाइली रूपी पाक सेना ने कश्मीर पर हमला कर दिया। सरदार पटेल ने सख्ती दिखाते हुए और कश्मीर में सेना भिजवाई। भारतीय फौज ने कश्मीर से पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया। उस समय महात्मा गांधीजी की धमकी ने पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए दिलाने पर भारत को मजबूर कर दिया। कहा जा रहा था कि पाकिस्तान को यह रुपए टेंट खरीदने के लिए चाहिए पर हुआ इसका उल्ट इनका उपयोग पाकिस्तान ने जन्म के समय ही भारत के विरुद्ध हथियार खरीदने के लिए किया। यद्यपि सरदार पटेल और जवाहर लाल नेहरु पैसे देने के विरुद्ध थे। चूंकि पाकिस्तान अहम समझौतों को नहीं मान रहा था। सरदार पटेल ने चेतावनी दे डाली थी कि दिए जाने वाले करोड़ों रुपए का उपयोग पाकिस्तान भारत के खिलाफ करेगा। परंतु गांधीजी की आमरण अनशन की धमकी ने सारा खेल पलट दिया। पटेल अड़े रहे पर नेहरू झुक गए और जनवरी, 1948 के प्रथम सप्ताह में पाकिस्तान को पैसा दे दिया गया।

फिर क्या था पैसे मिलने से कुछ घंटे बाद ही उसने पाकिस्तान ने फिर से कश्मीर पर हमला कर दिया। हिंदुस्तान जब जवाबी रणनीति बना रहा था तब बापू ने भारत सरकार पर दबाव बनाने के लिए 7 फरवरी, 1948 को लाहौर में अनशन करने की बात कही। उस समय यह पाकिस्तान की राजधानी थी। यानि पाकिस्तान अपने जन्म से ही धोखे, धूर्तता और आतंक का पर्याय रहा है जोकि आज समय-समय पर दिखाई देता है।

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