मंगलवार, 16 अगस्त 2016

सफल हुआ परीक्षण
भारतीय नस्ल की गाय भी देगी अब 80 लीटर दूध प्रतिदिन
होशंगाबाद (म.प्र.) में खुल सकता है सेंटर


प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का सपना है किसान की आय को 2022 तक दुगना किया जाए। इसके लिए सरकार द्वारा अनेक कदम उठाएं जा रहे हैं। ग्रामोदय से भारत उदय के अंतर्गत गांवों में सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। 2018 तक देश के हर गांव तक बिजली पहुंचाने का निर्णय लिया है। गांव, किसान, कृषि एवं पशुपालन सरकार की प्राथमिकता में शामिल हैं।
पशुपालन के क्षेत्र में सरकार को एक बड़ी कामयाबी मिली है। अब तक भारतीय पशुपालक का देसी नस्ल की गायों की ओर रूझान इसलिए कम था कि उनकी दूध उत्पादन क्षमता कम थी। सरकार ने पशुपालकों की समस्या को समझा और भारतीय नस्ल की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाएं हैं। इसी के अंतर्गत, देसी गायों की नस्ल सुधार के लिए अब सॉटेंड सेक्सड सीमन तकनीक का उपयोग मध्यप्रदेश में किया जाएगा। इससे जहां दुधारू गाय की नस्ल में सुधार होगा तो वहीं उसका दूध उत्पादन भी बढ़ेगा। देसी नस्ल की गायों में इस तकनीक के प्रयोग से केंद्र सरकार मादा अथवा नर बछड़े पैदा करने को लेकर अनुसंधान (रिसर्च) करवा रही है।

इसी क्रम में, मध्यप्रदेश में ज्यादा दूध देने वाली गायों की संख्या बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम ने ब्राजील से गिर और जर्सी नस्ल के सांडों के आठ हजार सीमन डोज मंगवाए हैं। पशुपालन विभाग की माने तो ब्राजील में गिर और जर्सी नस्ल की गाय 35-40 लीटर दूध एक समय में देती है। जबकि मध्य प्रदेश में इन नस्लों की गायों से एक समय में अधिकतम पांच लीटर दूध ही मिलता है। राज्यों की गायों में दुग्ध उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए गिर और जर्सी नस्ल की सांड के आठ हजार सीमन डोज ब्राजील से मंगवाए हैं। सरकार द्वारा ब्राजील नस्ल के सांड का सीमन सैंपल लेकर उसे देसी गाय में प्रत्यारोपित कराया गया है, जिसके बहुत अच्छे परिणाम आ रहे हैं। अब यह गाय प्रतिदिन एक समय में अधिकतम 40 लीटर दूध देगी। इस कार्यक्रम का लक्ष्य 2022 तक किसान की आमदनी को दुगुना करना है।
पशुपालन विभाग के डॉक्टरों की माने तो सीमन से अधिक पशुओं का गर्भाधान कराया जा सकता है। इसकी लागत भी अधिक नहीं आती है। यही कारण है कि सरकार ने सीमन लाने का फैसला किया है। इस सीमन का उपयोग पशु चिकित्सालयों और कृत्रिम गर्भाधान क्लीनिकों द्वारा अधिक दूध देने वाली अच्छी गायों के गर्भाशय में स्थापित कर भ्रूण तैयार किए जाएंगे ताकि गायों में नस्ल सुधार किया जा सके। इसके बाद इन भ्रूणों को सामान्य गाय के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाएंगा। इससे गाय में नस्ल सुधार के साथ-साथ दूध उत्पादन भी बढ़ेगा।

ऐसी संभावना है कि कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर को होशंगाबाद के कीरतपुर में खोला जा सकता है। फिलहाल मध्य प्रदेश में सॉर्टेंड सेक्सड सीमन तकनीक का इस्तेमाल जर्सी और एचएफ गाय में किया जाएगा।
देसी नस्ल की गायों में इस तकनीक के प्रयोग से मादा अथवा नर बछड़े उत्पन्न करने को लेकर केंद्र सरकार शोध (रिचर्स) करवा रही है जिस दिशा में काफी काम भी हो चुका है। केंद्र सरकार ने सीएसएस (सेक्स सॉटेंड सीमन) तकनीक के प्रयोग की मंजूरी दे दी है। मादा बछड़े ज्यादा पैदा होने पर दुग्ध उत्पादन बढ़ेगा। हाल में में पंजाब और हरियाणा में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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