क्या आप जानते हैं इस अरबपति गांव को
यह कमाता 1.5 अरब रुपए
गांवों से शहरों को पलायन की बात आज की नहीं कभी पुरानी है। ग्रामीणों के शहरों में आने का एक प्रमुख कारण रोजगार की कमी को माना जाता है। साथ ही गांवों में रोजगार के प्रमुख साधन खेती को भी घाटे का सौदा कहकर किसान आत्महत्या से भी जोड़ा जाता रहा है। यद्यपि कुछ उन्नतिशील किसान इसके अपवाद के रूप में भी उभकर आए हैं जिन्होंने खेती से करोड़ों रुपए कमाये हैं। आज हम आपको हिंदुस्तान के एक ऐसे ही गांव की जानकारी देने जा रहे हैं जोकि 1.5 अरब रुपए कमाई के साथ एशिया के अरबपति गांव में शामिल हो चुका है।
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला विश्व में प्राकृतिक सौंदर्य और सेब की खेती की वजह से जानी जाती है। शिमला के सेब देश-विदेश में बहुत प्रसिद्ध होने से काफी मांग रखते हैं। शिमला जिले की चैपाल तहसील में एक गांव मड़ावग आजकल चर्चा का विषय बना चुका है। हो भी क्यों न, यह एशिया के अरबपति गांवों में शामिल हो चुका है क्योंकि लगभग दो हजार गांववाले कमाते हैं 1.5 अरब रुपए।
मड़ावग में मुख्यतः सेब की खेती होती है। यह सेब विदेशों में निर्यात किए जाते हैं जिनसे किसानों को जबरदस्त कमाई होती है। यही कारण है कि आजकल मड़ागव में आलीशान घर भी दिखाई देने लगे हैं। इस गांव के किसान नई-नई तकनीकों की जानकारी इंटरनेट से लेकर उसका उपयोग सेब की खेती में करते हैं। इतना ही नहीं यह सेब के बाजार के दामों पर निरंतर नजर रखते हैं और फिर उसे बेचते हैं। इस तरह से गांववालों ने प्रधानमंत्री की डिजिटल इंडिया कार्यक्रम से जुड़कर तकनीक का उपयोग न केवल सेब की खेती बल्कि सेब की फसल को बेचने में किया है।
सेब के आॅन इयर प्रोडक्शन के साथ मड़ावग ने प्रतिव्यक्ति आय के मामले में गुजरात को भी पछाड़ दिया है। इससे पहले माधवपर (गुजरात) एशिया का सबसे अमीर गांव रह चुका है। 1982 में क्यारी (शिमला) भी सबसे अमीर गांव रह चुका है।
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