अमेरिकी इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट भारत
में जान का दुश्मन बनता वायु प्रदूषण
प्रदूषण की समस्या बढ़ती ही जा रही है। यह बात दूसरी है कि इसको नियंत्रित करने के लिए अनेक तरह के प्रयास किए जा रहे हैं पर यह है कि सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती ही जा रही है। समय-समय पर अनेक देशी-विदेशी संस्थान इस बारे में सर्तक करते हैं। इसी श्रृंखला में गत 14 फरवरी को प्रतिष्ठित अमेरिकी हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट में हिंदुस्तान के वायु प्रदूषण को लेकर बड़ी खतरनाक तस्वीर प्रस्तुत की है। उन्होंने कहा कि हवा में पीएम 2.5 कणों की सीमा से अधिक उपस्थिति होने से वर्ष 2015 में भारत में 11 लाख समय से पहले मौतें हुईं, जोकि इसी कारण चीन में हुई मृत्यु के बिल्कुल बराबर है।
वहीं दूसरी ओर सारे संसार में इस वर्ष 42 लाख लोगों की अकाल मृत्यु हुई थी, जिसमें आधी से भी अधिक यानि 22 लाख मौतें केवल भारत और चीन में हुई थीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के शहरी वातावरण में पीएम 2.5 कणों की उपस्थिति में कमी लाने के लिए कठोर कदम उठाए जा चुके हैं, परंतु भारत में तो अनेक मंत्री तक औपाचारिक रूप से बयान देते रहते हैं कि वायु प्रदूषण यहां कोई बहुत बड़ी समस्या नहीं है।
यही कारण है कि संभावना व्यक्त की जा रही है कि भारत जल्द ही वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों के मामले में चीन को काफी पीछे छोड़ देगा। यही नहीं इस क्षेत्र में संसार का कोई दूसरा देश उसके आस-पास भी दिखाई नहीं देगा। प्रदूषण को लेकर हमारी सरकारों की आम राय यही रही है कि इसको विकसित राष्ट्र बनाम विकासशील राष्ट्र के भाषणबाजी वाले मुद्दे की तरह ही लिया जाना चाहिए। केंद्र सरकार द्वारा चलाया गया स्वच्छ भारत अभियान भी ठोस कचरे की सफाई तक ही सीमित रहा है। ऐसे में बहुत जरूरी हो जाता है कि हम समय रहते चेते नहीं तो वह दिन दूर नहीं कि प्रदूषण का यह जनजाल हमारी सृष्टि के लिए मौत का जन-जाल साबित होगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें