"दुनिया के अद्भुत रहस्यों की खोज: ज्ञान, रोमांच, और मनोरंजन का अनूठा संगम" 🌏 एक ऐसी दुनिया की कल्पना करें, जहाँ हर पल एक नया सवाल, हर जवाब एक नई रोशनी! हमारे चैनल पर आपका स्वागत है, जहाँ जानकारी सिर्फ़ तथ्यों का संग्रह नहीं, बल्कि एक जीवंत अनुभव है। यहाँ हर कहानी आपकी सोच को चुनौती देगी, हर तस्वीर आपकी आँखों को नई दुनिया दिखाएगी, और हर तथ्य आपके दिमाग़ में जिज्ञासा की चिंगारी जलाएगा। क्या आप तैयार हैं उस यात्रा के लिए, जहाँ "जानना" सिर्फ़ शुरुआत है और "समझना" असली मज़ा?
रविवार, 31 दिसंबर 2017
शनिवार, 30 दिसंबर 2017
किसानों को खुशहाल बनाने के लिए
आया कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग ऐक्ट
केंद्र सरकार द्वारा किसानों की आय दुगुनी करने के उद्देश्य को लेकर वर्ष 2017-18 के बजट में घोषणा की गई थी कि किसानों को कृषि उद्योग के साथ जोड़कर उनकी फसल के लिए बेहतर दाम दिलाने के लक्ष्य से एक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग ऐक्ट बनाया जाएगा। अब सरकार द्वारा इस अधिनियम के ड्राफ्ट पर अपना परामर्श देने के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग और वैल्यू चेन से जुड़ी कंपनियों, किसान संगठन और किसानों को 6 जनवरी तक का समय दिया है।
श्री अनिल जैन (प्रबंध निदेशक, जैन इरिगेशन सिस्टम्स ) की माने तो इस ऐक्ट से छोटे किसानों की हित रक्षा सहित मंडियों के बिना इंडस्ट्री को कच्चे माल की बेहतर आपूर्ति को सुनिश्चित किया जा जाएगा। हालांकि, सभी स्टेकहोल्डर्स की हित रक्षा और लालफीताशाही से बचाव को पक्का करने के लिए ड्राफ्ट अधिनियम की कुछ शर्तों को ध्यानपूर्वक पढ़ने की आवश्यकता है। साथ ही इस तरह के कॉन्ट्रैक्ट में विवादों को निपटाने की प्रक्रिया को व्यावहारिक और शीघ्र होना चाहिए।
श्री योगेश बेलानी (सीईओ, फील्डफ्रेश फूड्स) का कहना है कि देश की 58 पर्सेंट जनसंख्या के लिए कृषि आय का प्रमुख माध्यम है। कृषि उत्पादन में निवेश बढ़ने से देश के किसानों को काफी लाभ होगा। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर अधिनियम बनने से निजी क्षेत्र को कृषि में निवेश करने और तकनीक के अधिक प्रयोग के लिए कदम उठाने का प्रोत्साहन मिलेगा। उनकी माने तो फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में इन्वेस्टमेंट से कटाई के बाद होने वाले नुकसान को बहुत कम किया जा सकेगा। इससे रोजगार भी बढ़ेगा। कृषि मंत्रालय का कहना है कि देश में लगभग 12 करोड़ कृषि परिवारों में से 86 प्रतिशत से अधिक छोटे (खेती की 2 हेक्टेयर या इससे कम जमीन) और सीमांत (खेती की 1 हेक्टेयर या इससे कम जमीन) किसान हैं। देश में भूमि का औसत स्वामित्व 1.1 हेक्टेयर है। श्री अश्विनी अरोड़ा (सीईओ और प्रबंध निदेशक आईएलटी फूड्स) के अनुसार, ’इससे खेती अधिक संगठित बनेगी और किसानों को बीजों, फर्टिलाइजर और अन्य संबंधित चीजों के बारे में बेहतर फैसले करने में मदद मिलेगी। इससे फसल की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार होगा।’ श्री जसमीत सिंह (प्रमुख, फिक्की, कृषि विभाग) की माने तो देश में गन्ने, बागवानी की फसलों, आलू आदि फसलों के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की जा रही है और इस वजह से किसानों को मार्केट के उतार-चढ़ाव की मुश्किलों से बचाना जरूरी है।
शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017
आज का विचार
नया साल दहलीज पर दस्तक दे रहा है। हमारे मन में आ रहा है कि “चलो! कोई नया काम करते हैं।” कोई अच्छी आदतें अपनाने का संकल्प लेता हैं तो कोई नया कार्य शुरू करता है। मेरा मानना है कि इन 5 बातों को अपनाकर आपका जीवन बहुत सरल और सुखद हो जा सकता है।1. वर्ष में 365 दिन होते हैं। हमें करना यह है कि इन 365 दिनों में से कम से कम 100 दिन ऐसे हों, जो पूरे साल के सबसे अच्छे दिन माने जा सकें।
2. नए साल में आप पहले ही सुनिश्चित कर लीजिये कि वर्ष में किन रास्तों से आपको पैसे कमाने हैं, खर्च पूरे करने के बाद कितना पैसा आपको बचाना है और जो पैसा आपने बचाया है, उसको कौन सी जगह लगाना है ताकि वह पैसा बढ़ सके।
3. नववर्ष में दिन की प्लानिंग आपको एक दिन पहले ही बनानी होगी यानि कल के कामों की योजना आज रात सोने से पहले बना लें। ऐसे ही प्रतिमाह की भी प्लानिंग बनाएं।
4. माने समय ही धन है और अपना 1 सेकण्ड भी बेकार न जाने दे। समय की पहले से ही सुनिश्चित तरीके से योजना यानि अच्छी प्लानिंग करें।
5. नववर्ष पर अच्छी आदतों को अपनाएं ताकि आपका आने वाला प्रत्येक दिन बीते हुए दिन से बेहतर बने। इससे आपमें सकारात्मक ऊर्जा आएगी, जो आपका दिन बेस्ट बनाने में आपकी मदद करेगी। प्रतिदिन की गलतियों को कल न दोहराने का रोज संकल्प ले। आज की प्लानिंग की कमी को कल नहीं दोहराये ताकि आज आपके कल से बेहतर बन सके।
यदि आप इन 5 संकल्पों को अपने जीवन में सही तरीके से अपनाएंगे तो यकीन मनाएं कि सफलता स्वयं आपका राजतिलक करेगी। आप भीड़ से अलग हटकर एक बेहतर और सफल जीवन व्यतीत पाएंगे। निश्चित ही आपको कहना होगा कि “वाह, क्या बेहतरीन साल था वो! लाइफ ही चेंज हो गयी।”
गुरुवार, 28 दिसंबर 2017
बुधवार, 27 दिसंबर 2017
मंगलवार, 26 दिसंबर 2017
सोमवार, 25 दिसंबर 2017
रविवार, 24 दिसंबर 2017
गुरुवार, 21 दिसंबर 2017
बुधवार, 20 दिसंबर 2017
मंगलवार, 19 दिसंबर 2017
सोमवार, 18 दिसंबर 2017
आज का विचार
दुनिया का चाहें सबसे अमीर व्यक्ति हो या सबसे गरीब, सबसे सफल इंसान हो या सबसे विफल आदमी, परेशानियां सभी के जीवन में आतीं हैं और जब यह सभी के जीवन में आती हैं तो इनसे घबराना कैसा! आना है तो आती रहें, चिंता की कोई बात नहीं, स्वागत है इनका। चूंकि जीवन में समस्याएं हमें सफलता के मार्ग से रोकने नहीं आतीं अपितु यह हमें और बड़ी सफलता को प्राप्त करने लायक बनाने आती हैं।
रविवार, 17 दिसंबर 2017
शुक्रवार, 15 दिसंबर 2017
गुरुवार, 14 दिसंबर 2017
बुधवार, 13 दिसंबर 2017
मंगलवार, 12 दिसंबर 2017
बुधवार, 6 दिसंबर 2017
मंगलवार, 5 दिसंबर 2017
सोमवार, 4 दिसंबर 2017
रविवार, 3 दिसंबर 2017
शुक्रवार, 1 दिसंबर 2017
गुरुवार, 30 नवंबर 2017
बुधवार, 29 नवंबर 2017
मंगलवार, 28 नवंबर 2017
सोमवार, 27 नवंबर 2017
मंगलवार, 21 नवंबर 2017
समय की जरूरत को देखते हुए बदलेगी कृषि शिक्षा
होगा जैविक कृषि में एमएससी
और पशुचिकित्सा में आयुर्वेद विषय शामिल
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विज़न 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने की योजना को वास्तविक धरातल पर उतारने के लिए सरकार के सभी विभाग सक्रिय हैं। इसके लिए जहां किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए किसानों की पाठशालाएं लगाई जा रही हैं, जिसमें पशुपालन, मधुमक्खी, रेशम, मुर्गी पालन और मृदा स्वास्थ्य कार्ड, रबी फसलों का उत्पादन बढ़ाने और लागत कम करने की उन्नत तकनीक सिखाई जा रही है, वहीं दूसरी ओर कृषि शिक्षा में ग्रेजुएशन स्तर के पाठ्यक्रमों को बदलने के बाद अब एमएससी और पीएचडी के पाठ्यक्रमों को भी नए कलेवर के साथ प्रस्तुत करने की कोशिश शुरू कर दी गई है। संभावना है कि संशोधित और बदले गये पाठ्यक्रमों को आगामी नये शिक्षा सत्र से लागू किया जा सकता है। इसके लिए विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति भी गठित कर दी गई है। ऐसा माना जा रहा है कि पाठ्यक्रमों में परिवर्तन का कारण समय के साथ बदलती जरूरतें हैं।
परिवर्तन को 14 सदस्यीय विशेषज्ञों की समिति पहनाएंगी अमली जामा
डॉक्टर नरेंद्र राठौर (उप महानिदेशक, शिक्षा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) की माने तो कमेटी में विभिन्न विषयों के कुल 14 सदस्य एवं विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ हैं, जिनकी अध्यक्षता डॉक्टर अरविंद कुमार करेंगे। एमएससी और पीएचडी के पाठ्यक्रमों में परिवर्तन पूरी कृषि शिक्षा को प्रभावित करेगा। एमएससी के 90 कोर्स और पीएचडी के 80 कोर्स में बदलाव का असर दिखेगा, जोकि खेती जैसे व्यापक क्षेत्र में किसानों की आय को दुगुना करने और कृषि को लाभकारी व्यवसाय बनाने का बहुत ही कारगर साधन साबित होगा।जैविक कृषि में एमएससी, पशु चिकित्सा में आयुर्वेद विषय को किया जाएगा सम्मिलित
जैविक खेती में एमएससी आदि विषयों पर पाठ्यक्रम तैयार किये जाएंगे। पशु चिकित्सा के लिए आयुर्वेदिक विषय में एमएससी की पढ़ाई की जा सकेगी। छात्रों को अनुभव से सीखने और विभिन्न विषयों के अंतर संबंधों के साथ डिग्री दी जा सकेगी। दो वर्ष के एमएससी कोर्स की पढ़ाई के साथ तीन माह का व्यावहारिक प्रशिक्षण लेना होगा। अंडर ग्रेजुएट कोर्स का पाठ्यक्रम पहले ही बदला जा चुका है, जिसके परिणाम उत्साहजनक रहे हैं। इसीलिए अब दूसरा चरण आरंभ किया गया है, जिसका लक्ष्य कृषि शिक्षा को रोजगार परक बनाना है, ताकि कृषि क्षेत्र में मानव संसाधन की मांग को पूरा किया जा सके।
जुलाई 2018 सत्र में लागू होगा नया पाठ्यक्रम
जुलाई 2018 में शुरु होने वाले आगामी शिक्षा सत्र में यह पाठ्यक्रम शुरु होगा। संशोधित पाठ्यक्रम देश के सभी 75 कृषि विश्वविद्यालयों और 368 कृषि महाविद्यालयों में लागू किया जाएगा। प्रत्येक शिक्षा सत्र में लगभग 50 हजार से अधिक छात्र बीएससी और 18 हजार से अधिक एमएससी और पांच हजार छात्र पीएचडी करते हैं। डाक्टर राठौर का कहना है कि नये पाठ्यक्रमों से कृषि शिक्षा का स्तर जहां ऊंचा होगा, वहीं यहां निकलने वाले छात्र नौकरी मांगने की जगह नौकरी दे वाले उद्यमी बनेंगे।सोमवार, 20 नवंबर 2017
रविवार, 19 नवंबर 2017
गुरुवार, 16 नवंबर 2017
बुधवार, 15 नवंबर 2017
मंगलवार, 14 नवंबर 2017
सोमवार, 13 नवंबर 2017
रविवार, 12 नवंबर 2017
गुरुवार, 9 नवंबर 2017
आज का विचार
बिना लक्ष्यों के जीवन ठीक उसी तरह है जैसे दिशा के बगैर हवा। अगर आप जीवन में लक्ष्य तय नहीं करते हैं तो आप भले ही कितने मेहनती क्यों न हों लेकिन सफलता से आप वंचित रह सकते हैं। इसलिए सबसे पहले लक्ष्य तय करें और उनमें भी प्राथमिकता तय करें कि पहले किस लक्ष्य को हासिल करना है, उसके बाद किसे।
बुधवार, 8 नवंबर 2017
आज का विचार
बिना लक्ष्यों के जीवन ठीक उसी तरह है जैसे दिशा के बगैर हवा। अगर आप जीवन में लक्ष्य तय नहीं करते हैं तो आप भले ही कितने मेहनती क्यों न हों लेकिन सफलता से आप वंचित रह सकते हैं। इसलिए सबसे पहले लक्ष्य तय करें और उनमें भी प्राथमिकता तय करें कि पहले किस लक्ष्य को हासिल करना है, उसके बाद किसे।
मंगलवार, 7 नवंबर 2017
आज का विचार
जीवन में कुछ बातें या घटनाएं संयोगवश हो सकती हैं लेकिन आप अगर इस इंतजार में रहेंगे कि सब कुछ अपने आप अकस्मात ही आपको हासिल होगा, तो शायद आप सारी जिंदगी इंतजार ही करते रह जाएंगे, क्योंकि संयोग हमेशा तो नहीं हो सकता। यहां तक कि भौतिक विज्ञान की क्वांटम थ्योरी भी यही कहती कि अगर आप असंख्य बार तक कोशिश करते रहेंगे, तो एक दिन टहलते हुए दीवार के बीच से भी निकल सकते हैं। आपके बार बार करने से कणों में स्पंदन होता रहेगा, जिसकी वजह से शायद दीवार के बीच से निकल पाना भी संभव हो जाए। लेकिन जब तक आप इस अवस्था को हासिल करेंगे, आपकी खोपड़ी फट चुकी होगी, तो जब तक आप किसी संयोग का इंतजार करते रहेंगे, आप व्यग्र रहेंगे, लेकिन जब आप पक्के इरादे के साथ अपनी क्षमताओं का भरपूर इस्तेमाल करते हुए अपनी मंजिल की तरफ बढ़ेंगे, तब यह बात मायने नहीं रखती कि क्या हुआ और क्या नहीं हुआ।
शनिवार, 4 नवंबर 2017
आया ऐसा पावर बैंक, जिससे 14,000 रुपए में
12 वर्षों तक चलेगी सारे घर की बिजली
शीर्षक को पढ़ने के बाद शायद आप चैंक गए होंगे या सोच रहे होंगे कि यह किसी टाइपिंग की गलती का नतीजा है लेकिन चैकने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं क्योंकि आपने बिल्कुल सही पढ़ा है। जी हां! अगले वर्ष तक एक ऐसा पावरबैंक आने वाला है, जोकि इतना पावरफुल होगा कि वह आपके घर के बिजली के सभी उपकरण चला सकेगा। यही नहीं 300 घंटे तक निरंतर बिजली की आपूर्ति करने वाला यह अनोखा पावरपैक 12 वर्षों तक आपको बिजली की सप्लाई देता रहेगा और आपको बिजली के बिल से आजादी मिल जाएगी। जबकि देश की बिजली संबंधी वर्तमान स्थिति पर दृष्टि दौड़ाए तो वह बहुत अच्छी नहीं है। इस स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने साल 2021 तक देश के लगभग हर घर में बिजली मुहैया करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। मौजूदा स्थिति की बात करें तो पूरे देश में 18,500 गांव ऐसे हैं, जहां आज भी बिजली नहीं है। देश में अभी भी 43 मिलियन घर ऐसे हैं, जहां बिजली नहीं है।
ऐसे में, गत माह दिल्ली के एक इवेंट में एक ऐसा पावरबैंक प्रदर्शित किया गया, जिसके परिणाम चैंकाने वाले थे। भारतीय समाज सेवी और उद्योगति मनोज भार्गव ने इस कार्यक्रम में दर्शकों को एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म दिखाई। बिलियन्स इन चेंज 2 नाम की इस शॉर्ट फिल्म में कुछ ऐसे प्रोडक्ट और सॉल्यूशन दिखाए गए हैं, जिनके उपयोग से जनसाधारण की दिनचर्या की सभी आवश्यकताएं आसानी से पूरी हो सकती हैं।
कार्यक्रम में पोर्टेबल सोलर डिवाइस हंस 300 पावरपैक और हंस सोलर उपकरण के लॉंच की घोषणा की गई। मनोज भार्गव की कंपनी द्वारा तैयार ये उत्पाद वास्तव में एक सोलर पाॅवर स्टेशन हैं, जोकि सोलर ऊर्जा से भारी मात्रा में बिजली बनाकर उसे लंबे समय के लिए स्टोर कर सकते हैं। इससे सभी लोगों अथवा किसी के घर में बिजली की सभी जरूरतों को बहुत कम खर्चे में काफी समय तक पूरा किया जा सकता है।
अनोखा है हंस 300 पावरपैक
हंस 300 छोटा सा सोलर पावर बैंक है, जोकि बहुत अधिक बिजली बनाता और स्टोर करता है। इससे घर की लाइटें, पंखे, टीवी आदि घरेलू उपकरण आराम से चलाए जा सकते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह शक्तिशाली पावरपैक किसी अन्य सोलर बैटरी सिस्टम से अत्यधिक पावरफुल है। इस उपकरण को 130 घंटे और 300 घंटे के पावर बैकअप वाले दो मॉडल्स में पेश किया गया है। इनकी कीमत क्रमशः 10 हजार और 14 हजार है। यही नहीं इस उपकरण पर पूरे 12 साल की वारंटी है यानि यह है कि एक बार घर पर लगाने के बाद आपको 1 2 सालों तक बिजली के बिल से आजादी मिल सकती है।
आप मई 2018 से खरीद सकेंगे हंस 300
बिलियन्स इन चेंज 2 कंपनी की अपने दो पावरबैंक ‘हंस पावरपैक और हंस सोलर ब्रिफकेस’ को अगले साल मई में मार्केट में उतारने की योजना है। मनोज भार्गव का कहना है कि इस हाईटेक 21वीं सदी में भी दुनिया भर के लाखों करोंड़ो लोग गावों में बिना बिजली के ही रहने को मजबूर हैं। उनके ये सोलर उपकरण शहरों से ज्यादा गांवों के लिए वरदान हैं।
इसके साथ ही इस इवेंट में भार्गव ने दो रेनमेकर फिल्ट्रेशन यूनिट्स को भी पेश किये। इस युनिट्स से खारे और गंदे पानी को साफ करके कृषि में सिंचाई और पीने के लायक बनाया जा सकता है। श्री भार्गव की माने तो आज के समय में बहुत से लोग हैं जो दूषित पानी पीने से गंभीर बीमारियों के शिकार हो जाते हैं, इस डिवाइस से उन्हें साफ और स्वच्छ पानी मिलेगा।
अधिक जानकारी के लिए आप इस फिल्म को देख सकते हैंः
https://www.youtube.com/watch?v=52-sw5V94PA
आज का विचार
यदि आपको कोई साँप मिलता है तो उसे मार दें। आपको साँपों पर कमेटी बैठाने की कोई जरूरत नहीं है। मतलब यदि आपके जीवन में कोई परेशानी आये तो आपको तुरंत उसे दूर करने के बारे में सोचना शुरू कर देना चाहिए और दूर कर देना चाहिए। ऐसा नहीं करना चाहिए कि उस परेशानी को लेकर बैठ जाएं और सबको बताएं लेकिन उसके समाधान के बारे में नहीं सोचें।
गुरुवार, 2 नवंबर 2017
बुधवार, 1 नवंबर 2017
मंगलवार, 31 अक्टूबर 2017
आज का विचार
आपको कोई भी काम करने से पहले हमेशा दूर की सोचकर चलना चाहिए। इसके लिए आप जो भी कार्य करने जा रहे हैं, उसे करने से पहले यह जरूर सोच लेना चाहिए कि इसके क्या परिणाम होंगे। यदि सकारात्मक सोच (Positive result) हों तो कार्य को शुरू कर देना चाहिए। अपनी सोच को ऐसा बनायें कि किसी कार्य के भविष्य में क्या परिणाम होंगे, इसकी परख आप कर सकें।
रविवार, 29 अक्टूबर 2017
आज का विचार
आपके द्वारा बोले गए शब्दों से अधिक महत्वपूर्ण आपके कार्य होते हैं। जीवन में हमेशा ऐसा करो कि लोग आपको आपकी बातों से नहीं बल्कि आपके कार्यों से जाने। यानि आप किसी कार्य को करने के लिए कहते हैं तो यह बात महत्वपूर्ण नहीं है। लेकिन यदि आप उस कार्य को पूरा कर देते हैं तो यह बात महत्वपूर्ण है। यही जीवन की असली सफलता है।
शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2017
ओस की बूंदों से सिंचाई
दीवारों पर गेहूं और धान की खेती
प्रतिकूल मौसम में भी हर तरह की फसल लेना
यह सब संभव कर एक किसान कर रहा है 1 करोड़ की आमदनी
कभी घर खर्च चलाना था मुश्किल
ओस की बूंदों से सिंचाई
दीवारों पर गेहूं और धान की खेती
प्रतिकूल मौसम में भी हर तरह की फसल लेना
यह सब संभव कर एक किसान कर रहा है 1 करोड़ की आमदनी
खेती को घाटे का सौदा करने वालों लोगों की बोलती बंद करती अनेक लोगों की मिसालें हम अपने इस ब्लाॅग में समय-समय पर प्रकाशित करते रहे हैं। इसी श्रृंखला के अंतर्गत आज हम आपको एक ऐसे राज्य के किसान से मिलवाने जा रहे हैं। जहां पर पानी की भारी किल्लत है। जहां तक बरसात की बात करें तो वहां उसका कोई ठोर-ठिकाना नहीं होता। ऐसे में, एक किसान ने अथक परिश्रम, लगन, आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक तौर-तरीकों को अपनाकर ऐसी कमाई की ऐसी फसल तैयार की कि सारे भारतवर्ष में उसके बारे में चर्चे होने लगे।
जी हां! हम बात कर रहे हैं, राजस्थान के जयपुर से लगभग 35 कि.मी. दूर स्थित गांव गुड़ा कुमावतान के किसान खेमा राम (45 वर्ष) की। नौवीं पास खेमाराम की स्थिति आज से पांच वर्ष पूर्व दूसरें किसानों की ही तरह थी। आज से 15 साल पहले उनके पिता कर्ज से डूबे थे। ज्यादा पढ़ाई न कर पाने की वजह से परिवार के गुजर-बसर के लिए इनका खेती करना ही आमदनी का मुख्य जरिया था। ये खेती में ही बदलाव चाहते थे, शुरुआत इन्होने ड्रिप इरीगेशन से की थी। इजरायल जाने के बाद ये वहां का माडल अपनाना चाहते थे।
खेमा राम आज सारे देश के किसानों के लिए एक आदर्श बन चुके हैं। आज भी प्रतिदिन दूर-दूर से लोग यह देखने आते हैं कि कैसे ओस की बूंदों से सिंचाई हो सकती है? कैसे दीवारों पर गेहूं और धान की खेती की जा सकती है? इतना ही नहीं कैसे हम मौसम को धता बता कर सफलतापूर्वक उपज ले सकते हैं? सबसे हैरान करने वाली बात तो यह कि पांच वर्ष पहले घर का खर्चा चलाने से परेशान खेमा रामजी का आज वार्षिक टर्नओवर 1 करोड़ जा पहुंचा है, जोकि निरंतर बढ़ता ही जा रहा है।
आप भी यह सब पढ़कर सोच रहे होंगे कि आखिर खेमाराम जी ने कौन सी तकनीक को अपनाया कि पांच वर्षों में उनके वारे-न्यारे हो गए। चलिए आपको बताते हैं कि इस कृषि तकनीक के बारे में। असल में हुआ यूं कि खेमा राम ने वर्ष 2012 में सरकार के सहयोग से इजरायल की यात्रा की। कृषि क्षेत्र में इजरायल विश्व का सबसे हाईटेक देश माना जाता है। वहां रेगिस्तान में ओस से सिंचाई होती है, दीवारों पर गेहूं, धान उगाए जाते हैं, भारत के लाखों लोगों के लिए ये एक सपना ही है। इजरायल से सिंचाई की आधुनिक तकनीकों और सरंक्षित खेती (पॉली हाउस) में फसलें उगाने की जानकारी मिली। वापस आने के बाद इस तर्ज पर खेमा राम ने बिना देर लगाए इस तकनीक को व्यावहारिक धरातल पर उतारना शुरू कर दिया। जैसा कि स्वाभाविक रूप से सभी के साथ होता है वैसे ही आरंभ में खेमा राम जी के सामने भी अनेक परेशानियां आईं परंतु उन्होंने हार न मानी। कुछ देसी तकनीक तो कुछ विदेशी तकनीक को मिलाकर कर सिंचाई का सिस्टम व पॉली हाउस तैयार कर लिया, जिसे साधारणतः हम हिंदुस्तानी जुगाड़ का नाम देते हैं।
आरंभ में खेमा राम जी ने 9 लाख रुपए बैंक से ऋण लेकर और शेष सरकार से अनुदान प्राप्त कर चार हजार वर्गमीटर क्षेत्र में पॉली हाउस लगाया। इसमें सबसे पहले उन्होंने खीरे की फसल की। पहली बार में ही उन्होंने लगभग 11 लाख रुपए का खीरा बेचा। सबसे पहले उन्होंने बैंक कर्ज चुकाया। आज उनके पास तीस हजार वर्गमीटर क्षेत्र में पॉली हाउस हैं, जिसमें बीस हजार वर्ग मीटर पर पॉली हाउस उन्होंने सरकारी सहायता से तो दस हजार वर्गमीटर उन्होंने अपने खर्च से बनवाये हैं। पॉली हाउस की छत पर माइक्रो स्प्रिंकलर लगे हैं, जोकि भीतर तापमान कम रखते हैं। दस फीट पर लगे फव्वारे फसल में नमी बनाए रखते हैं।
खेमाराम ने अपनी खेती में 2006-07 से ड्रिप इरीगेशन 18 बीघा खेती में लगा लिया था। इससे फसल को जरूरत के हिसाब से पानी मिलता है और लागत कम आती है। ड्रिप इरीगेशन से खेती करने की वजह से जयपुर जिले से इन्हें ही सरकारी खर्चे पर इजरायल जाने का मौका मिला था जहाँ से ये खेती की नई तकनीक सीख आयें हैं।
इतना ही नहीं खेमाराम आज कोई भी मौसम में कोई भी फसल लगा सकते हैं। चूंकि उनके पास दो तालाब और चार हजार वर्ग मीटर में फैन पैड है। साथ-साथ ही साथ उनके पास 40 किलोवाट का सोलर पैनल भी है। खेमा राम चैधरी बताते हैं कि सोलर पैनल लगाने से फसल को समय से पानी मिल पाता है, फैन पैड भी इसी की मदद से चलता है, इसे लगाने में पैसा तो एक बार खर्च हुआ ही है लेकिन पैदावार भी कई गुना बढ़ी है जिससे अच्छा मुनाफा मिल रहा है, सोलर पैनल से हम बिजली कटौती को मात दे रहे हैं।
फैन पैड (वातानुकूलित) कूलिंग सिस्टम है, जिसकी सहायता से किसी भी ऋतु में कोई भी उपज ली जा सकती है। यद्यपि इसकी लागत अत्यधिक है। 80 लाख की लागत में 10 हजार वर्गमीटर में फैन पैड लगाने वाले खेमाराम ने बताया, “पूरे साल इसकी आक्सीजन में जिस तापमान पर जो फसल लेना चाहें ले सकते हैं, मै खरबूजा और खीरा ही लेता हूँ, इसमे लागत ज्यादा आती है लेकिन मुनाफा भी चार गुना होता है। डेढ़ महीने बाद इस खेत से खीरा निकलने लगेगा, जब खरबूजा कहीं नहीं उगता उस समय फैन पैड में इसकी अच्छी उपज और अच्छा भाव ले लेते हैं।...खीरा और खरबूजा का बहुत अच्छा मुनाफा मिलता है, इसमें एक तरफ 23 पंखे लगें हैं दूसरी तरफ फव्वारे से पानी चलता रहता है ,गर्मी में जब तापमान ज्यादा रहता है तो सोलर से ये पंखे चलते हैं, फसल की जरूरत के अनुसार वातावरण मिलता है, जिससे पैदावार अच्छी होती है।...ड्रिप से सिंचाई में बहुत पैसा बच जाता है और मल्च पद्धति से फसल मौसम की मार, खरपतवार से बच जाती है जिससे अच्छी पैदावार होती है। तरबूज, ककड़ी, टिंडे और फूलों की खेती में अच्छा मुनाफा है। सरकार इसमे अच्छी सब्सिडी देती है, एक बार लागत लगाने के बाद इससे अच्छी उपज ली जा सकती है।”
आज इस क्षेत्र में 200 से अधिक पॉली हाउस हैं। खेमा राम जी की माने तो यहां के किसान अब बहुत अधिक जागरूक हो चुके हैं, फिर भी यदि किसानों को सरकार की सहायता मिले तो इस काम को और आगे बढ़ाया जा सकता है। पॉलीहाउस जैसा सिस्टम बनाने में सरकारी अनुदान बहुत जरूरी है।
खेमाराम चैधरी जी के देखादेखी आसपास के पांच किलोमीटर के दायरे में लगभग 200 पॉली हाउस बन चुके हैं। जहां किसान संरक्षित खेती करके अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। पॉली हाउस लगे इस पूरे क्षेत्र को लोग अब मिनी इजरायल के नाम से जाना जाता हैं। खेमाराम की माने तो “आज से पांच साल पहले हमारे पास एक रुपए भी जमा पूंजी नहीं थी, इस खेती से परिवार का साल भर खर्चा निकालना ही मुश्किल पड़ता था। हर समय खेती घाटे का सौदा लगती थी, लेकिन जबसे मैं इजरायल से वापस आया और अपनी खेती में नये तौर-तरीके अपनाए, तबसे मुझे लगता है खेती मुनाफे का सौदा है, आज तीन हेक्टयर जमीन से ही सालाना एक करोड़ का टर्नओवर निकल आता है।...अगर किसान को कृषि के नये तौर तरीके पता हों और किसान मेहनत कर ले जाए तो उसकी आय 2019 में दोगुनी नहीं बल्कि दस गुनी बढ़ जाएगी।”
खेमा राम चैधरी को खरबूजा की बेहतर पैदावार के लिए वर्ष 2015 में महिंद्रा की तरफ से नेशनल अवार्ड केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह द्वारा दिल्ली में दिया गया। इन्हें कृषि विभाग की तरफ से सोलर पैनल लगाने के लिए सम्मानित किया जा चुका है।
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