मंगलवार, 21 नवंबर 2017

समय की जरूरत को देखते हुए बदलेगी कृषि शिक्षा
होगा जैविक कृषि में एमएससी 
और पशुचिकित्सा में आयुर्वेद विषय शामिल


प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विज़न 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने की योजना को वास्तविक धरातल पर उतारने के लिए सरकार के सभी विभाग सक्रिय हैं। इसके लिए जहां किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए किसानों की पाठशालाएं लगाई जा रही हैं, जिसमें पशुपालन, मधुमक्खी, रेशम, मुर्गी पालन और मृदा स्वास्थ्य कार्ड, रबी फसलों का उत्पादन बढ़ाने और लागत कम करने की उन्नत तकनीक सिखाई जा रही है, वहीं दूसरी ओर कृषि शिक्षा में ग्रेजुएशन स्तर के पाठ्यक्रमों को बदलने के बाद अब एमएससी और पीएचडी के पाठ्यक्रमों को भी नए कलेवर के साथ प्रस्तुत करने की कोशिश शुरू कर दी गई है। संभावना है कि संशोधित और बदले गये पाठ्यक्रमों को आगामी नये शिक्षा सत्र से लागू किया जा सकता है। इसके लिए विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति भी गठित कर दी गई है। ऐसा माना जा रहा है कि पाठ्यक्रमों में परिवर्तन का कारण समय के साथ बदलती जरूरतें हैं।


परिवर्तन को 14 सदस्यीय विशेषज्ञों की समिति पहनाएंगी अमली जामा

डॉक्टर नरेंद्र राठौर (उप महानिदेशक, शिक्षा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) की माने तो कमेटी में विभिन्न विषयों के कुल 14 सदस्य एवं विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ हैं, जिनकी अध्यक्षता डॉक्टर अरविंद कुमार करेंगे। एमएससी और पीएचडी के पाठ्यक्रमों में परिवर्तन पूरी कृषि शिक्षा को प्रभावित करेगा। एमएससी के 90 कोर्स और पीएचडी के 80 कोर्स में बदलाव का असर दिखेगा, जोकि खेती जैसे व्यापक क्षेत्र में किसानों की आय को दुगुना करने और कृषि को लाभकारी व्यवसाय बनाने का बहुत ही कारगर साधन साबित होगा।
जैविक कृषि में एमएससी, पशु चिकित्सा में आयुर्वेद विषय को किया जाएगा सम्मिलित

जैविक खेती में एमएससी आदि विषयों पर पाठ्यक्रम तैयार किये जाएंगे। पशु चिकित्सा के लिए आयुर्वेदिक विषय में एमएससी की पढ़ाई की जा सकेगी। छात्रों को अनुभव से सीखने और विभिन्न विषयों के अंतर संबंधों के साथ डिग्री दी जा सकेगी। दो वर्ष के एमएससी कोर्स की पढ़ाई के साथ तीन माह का व्यावहारिक प्रशिक्षण लेना होगा। अंडर ग्रेजुएट कोर्स का पाठ्यक्रम पहले ही बदला जा चुका है, जिसके परिणाम उत्साहजनक रहे हैं। इसीलिए अब दूसरा चरण आरंभ किया गया है, जिसका लक्ष्य कृषि शिक्षा को रोजगार परक बनाना है, ताकि कृषि क्षेत्र में मानव संसाधन की मांग को पूरा किया जा सके।

जुलाई 2018 सत्र में लागू होगा नया पाठ्यक्रम

जुलाई 2018 में शुरु होने वाले आगामी शिक्षा सत्र में यह पाठ्यक्रम शुरु होगा। संशोधित पाठ्यक्रम देश के सभी 75 कृषि विश्वविद्यालयों और 368 कृषि महाविद्यालयों में लागू किया जाएगा। प्रत्येक शिक्षा सत्र में लगभग 50 हजार से अधिक छात्र बीएससी और 18 हजार से अधिक एमएससी और पांच हजार छात्र पीएचडी करते हैं। डाक्टर राठौर का कहना है कि नये पाठ्यक्रमों से कृषि शिक्षा का स्तर जहां ऊंचा होगा, वहीं यहां निकलने वाले छात्र नौकरी मांगने की जगह नौकरी दे वाले उद्यमी बनेंगे।

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