रविवार, 2 मार्च 2025

कम पानी में भरपूर पैदावार: राजस्थान के युवाओं का बायो-पॉलीमर इनोवेशन फोर्ब्स की लिस्ट में छाया!

 सूखे में हरियाली की कहानी लिखते युवा इनोवेटर्स

राजस्थान के जयपुर और उदयपुर से निकले दो युवा उद्यमियों, अंकित जैन (28) और नारायण लाल गुर्जर (26), ने कृषि के क्षेत्र में ऐसी क्रांतिकारी तकनीक विकसित की है, जिसने न सिर्फ़ सूखाग्रस्त किसानों की मुसीबतें कम कीं, बल्कि उन्हें फोर्ब्स एशिया की प्रतिष्ठित '30 अंडर 30' सूची 2024 में भी जगह दिलाई। इनका स्टार्टअप 'ईएफ पॉलीमर' मिट्टी की सेहत सुधारने और पानी की बर्बादी रोकने वाली बायो-पॉलीमर तकनीक से देशभर में छा गया है।



1. समस्या से समाधान तक: कैसे काम करती है यह तकनीक?

चुनौती: राजस्थान के 72% किसान सूखे और मिट्टी की निम्न गुणवत्ता से जूझते हैं। पारंपरिक खेती में 40% पानी बर्बाद होता है।

ईएफ पॉलीमर का समाधान:

बायोडिग्रेडेबल पॉलीमर: यह जैविक पदार्थों से बना जेल-आधारित उत्पाद मिट्टी में मिलाया जाता है, जो पानी को 8 गुना तक अधिक सोखकर धीरे-धीरे जड़ों तक पहुँचाता है।
मिट्टी का पोषण: पॉलीमर में मौजूद नैनो न्यूट्रिएंट्स मिट्टी के pH लेवल को संतुलित करते हैं।
प्रभाव:
पानी की खपत 60% कम, फसल उत्पादन 35-50% बढ़ा
किसानों की लागत 25% तक घटी



2. फोर्ब्स की सूची में जगह: 'सस्टेनेबिलिटी' को मिली पहचान

चयन का आधार: उद्योग, विनिर्माण और ऊर्जा क्षेत्र में अभिनव योगदान।

अंकित जैन का कहना है: "यह सम्मान हमारी टीम की मेहनत और उन हज़ारों किसानों का है, जिन्होंने हम पर भरोसा किया। हमारा लक्ष्य 2025 तक 1 लाख किसानों तक यह तकनीक पहुँचाना है।"
नारायण लाल गुर्जर ने बताया: "हमने IIT जोधपुर के साथ मिलकर इस पॉलीमर को विकसित किया। यह पूरी तरह प्राकृतिक और पर्यावरण-अनुकूल है।"


3. किसानों की ज़ुबानी: 'ईएफ पॉलीमर ने बचाई खेती'

राजेश मीणा (किसान, बाड़मेर): "पहले एक एकड़ सिंचाई में 10 घंटे लगते थे, अब 4 घंटे में काम हो जाता है। गेहूं की पैदावार 18 क्विंटल से बढ़कर 27 क्विंटल हुई।"

सरोज देवी (किसान, जैसलमेर): "मिट्टी में नमी बनी रहती है, जिससे ड्रिप इरिगेशन की ज़रूरत नहीं पड़ती।"

4. सरकार और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

कृषि मंत्री, राजस्थान: "ईएफ पॉलीमर राजस्थान की 'कृषि क्रांति' का प्रतीक है। हम इसे सब्सिडी देकर बढ़ावा देंगे।"
डॉ. रमेश चंद्र (कृषि वैज्ञानिक): "यह तकनीक मरुस्थलीकरण रोकने में मील का पत्थर साबित होगी।"



5. भविष्य की योजनाएँ: ग्लोबल मार्केट और नए उत्पाद

अगले कदम:

अफ्रीका और मध्य पूर्व में विस्तार, जहाँ पानी की किल्लत गंभीर है।
सब्ज़ियों के लिए विशेष पॉलीमर विकसित करना, जो पोषक तत्वों को धीरे-धीरे छोड़ें।
स्टार्टअप को मिली फंडिंग: अब तक ₹5 करोड़ का निवेश, जिसमें विलो और एक्सेलरेटर प्रोग्राम शामिल।

'सूखे' में सिंचाई की उम्मीद बनते युवा

अंकित और नारायण की कहानी साबित करती है कि नवाचार और दृढ़ इच्छाशक्ति से भारत के गाँवों की तस्वीर बदली जा सकती है। जैसा कि फोर्ब्स ने कहा— "ये युवा न सिर्फ़ किसानों की, बल्कि धरती की सेहत सुधार रहे हैं।"



स्रोत:

  • फोर्ब्स एशिया '30 अंडर 30' 2024 सूची

  • ईएफ पॉलीमर के संस्थापकों के साक्षात्कार

  • राजस्थान कृषि विभाग की रिपोर्ट

  • IIT जोधपुर के सहयोगी शोध पत्र


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