सोमवार, 10 अप्रैल 2017

विश्व में कैंसर से लड़ने योग्य 50 क्रांतिकारी दवाएं
भारत में केवल 7 ही, जबकि मरीज हैं करोड़ों में


कैंसर रोग पर गत कई वर्षों से निरंतर शोध हो रही है। विश्व में इस बीमारी को समाप्त करने के लिए बहुत-सी  दवाएं और थेरपी खोजी जा चुकी हैं, लेकिन आश्चर्य-चकित करने वाली बात यह है कि विश्व में मौजूद इन दवाओं में कुछ ही दवाएं ही हमारे देश में पहुंच पाई हैं। साथ ही हैरानी में डालने वाली बात यह है कि आंकड़े बताते हैं कि देश में कैंसर मरीजों की संख्या करोड़ में है।

जहां तक मेडिकल फील्ड में अनुसंधान की बात करें तो कैंसर के इलाज के लिए अब तक 50 से अधिक दवाइयां एवं थेरपी विकसित की गई हैं, जबकि गत 5 वर्ष में हमारे देश में इनमें से मात्र 7 दवाएं ही इंट्रोड्यूज हुई हैं। भारत में चिकित्सीय स्थिति पर ध्यान दें तो पता चलता है कि विगत 10 वर्षों में कैंसर के इलाज में मरीजों को नाकों चने चबाने पड़े है। विशेषकर उन रोगियों के लिए जोकि इलाज के लिए विदेश जाने का खर्च वहन नहीं कर सकते। एक हेल्थ केयर सर्विस प्रोवाइडर कंपनी द्वारा एकत्र डेटा की माने तो भारत में लगभग 1 करोड़ कैंसर के रोगी हैं।

विश्व में कैंसर के इलाज के लिए नवीनतम तकनीक विकसित की जा रही हैं तो दूसरी ओर हमारे देश में कैंसरग्रस्त रोगी सही इलाज के अभाव में जीने को विवश हैं। एक चिकित्सीय फर्म की माने तो भारत में कैंसर की दवाओं और थेरपी की उपलब्धता न होने के पीछे अनेक कारण हैं। इनमें रेग्युलेटरी सिस्टम, ट्रीटमेंट इंफ्रास्ट्रकचर और फाइनैंस मकेनिज्म आदि कारण प्रमुख हैं।
एक आंकड़े के अनुसार भारत में 10 मिलियन कैंसर रोगियों के इलाज हेतु मात्र 2 हजार कर्करोग विशेषज्ञ उपस्थित हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च का कहना है कि हिंदुस्तान में अगले 4 वर्ष में कैंसर से मरने वाले रोगियों की संख्या में 20 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो सकती है। विशेषज्ञों की माने तो इस स्थिति से छुटकारा पाने के लिए देश में पब्लिक तथा प्राइवेट सेक्टर्स को साथ काम करने की आवश्यकता है, जिससे कैंसर केयर सिस्टम को आवश्यक फंड उपलब्ध कराया जा सके। इसके साथ-साथ सही समय पर इस रोग की जांच की उचित व्यवस्था की जरूरत है, ताकि रोग को घातक  बनने से पूर्व ही नियंत्रित किया जा सके।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें