बुधवार, 5 अप्रैल 2017

इस शख्स ने तैयार करवाया ऐसा घर
22 साल से नहीं देना पड़ रहा पानी का बिल


सत्य ही कहा गया है कि जल है, तो कल है। पानी के महत्व से सभी भली-भाँति परिचित हैं। हमारे शरीर का 70 प्रतिशत एवं पृथ्वी का 71 प्रतिशत भाग पानी से बना हुआ है। धरती की इस कुल जलराशि का 1.6 प्रतिशत पानी भूमिगत है और लगभग 0.001 प्रतिशत पानी वाष्प और मेघों के रूप में है। पृथ्वी की सतह पर मौजूद पानी में से भी एक बड़ी मात्रा 97 प्रतिशत सागरों और महासागरों में समाया हुआ है, जिसे पेयजल की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। मात्र तीन प्रतिशत, जो पानी पीने योग्य है, उसमें से भी 2.4 प्रतिशत हिमनदों और उत्तरी व दक्षिणी धु्रवों में जमा हुआ है। अब शेष बचा केवल 0.6 प्रतिशत पानी, जोकि नदियों, झीलों और तालाबों में भरा पड़ा है, वास्तव में वही पेयजल है। आँकड़ों की माने तो एक इंसान औसतन 30-40 लीटर पानी प्रतिदिन इस्तेमाल करता है।

पानी का महत्व तो हर कोई जानता है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि जल संरक्षण को लेकर प्रत्येक जन में कोई विशेष जागरूकता दिखाई नहीं देती पर इसका यह अर्थ नहीं है कि सभी इसी श्रेणी में ऐसे हैं। ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जोकि जल को अपने जीवन की आवश्यक इकाई मानकर सरंक्षित ही नहीं कर रहे बल्कि उसका सजगतापूर्वक उपयोग भी करते पाए जाते हैं। आज हम आपको ऐसे ही इंसान से मिलाने जा रहे हैं, जिन्होंने पानी का इतना बेहतरीन संरक्षण किया कि पिछले 22 सालों से उन्हें पानी का बिल नहीं भरना पड़ रहा है।

जी हां हम बात कर रहे हैं बेंगलुरू के ए आर शिवकुमार की। कर्नाटक स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी के वरिष्ठ वैज्ञानिक शिवकुमार ने वर्ष 1995 में अपने घर ‘‘सौरभा’’ को ऐसी तकनीक से तैयार करवाया है कि वे ईजी रेन वॉटर सप्लाई सिस्टम और ईको फ्रेंडली तरीके से पानी की बचत कर रहे है, जिससे उनके परिवार को नहाने एवं पीने के लिए भरपूर जल यानि प्रतिदिन 400 लीटर से भी अधिक पानी इस्तेमाल करने को मिल रहा है। इसीलिए उन्होंने आज तक कोई भी जल सप्लाई कनेक्शन नहीं लिया है। उनके परिवार में पत्नी सुमा, बेटे अनूप और बहू वामिका भी जल संरक्षण में उनकी सहायता करते हैं।

शिवकुमार की माने तो उनके 4 सदस्यों के परिवार में लगभग 400 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। उनके घर में कुल 45000 लीटर जल स्टोरेज की व्यवस्था है, जिसमें स्टोर किए गए पानी को उनके परिजन उपयोग करते हैं। प्रतिवर्ष 2.3 लाख लीटर जल स्टोर किया जाता हैं। एक वर्ष में 1-1.5 लाख लीटर जल लगता है। अतः जल स्टोरेज हेतु अनेक टेंक तैयार करवाए गए हैं। किचन, सिंक और वॉशिंग मशीन से लेकर टॉयलेट फ्लश में भी इस जल का उपयोग होता हैं। वे प्रतिवर्ष 2.3 लाख लीटर पानी स्टोर करते हैं, जो उनकी 4 लोगों की फैमिली के लिए पर्याप्त है, जिससे पानी की कमी नहीं होती क्योंकि वे पहले से ही अपने लिए पानी स्टोर करके रखते हैं।
शिवकुमार ने घर की ढलान वाली छत पर एक वॉटर फिल्टर लगवाया हुआ है, जिससे वर्षा का जल फिल्टर होकर छत से धरती में बने एक टेंक में चला जाता है। इस जल को फिल्टर की सहायता से साफ किया जाता है, जिससे धूल आदि पदार्थ जल से अलग हो जाते हैं और साफ पानी स्टोर कर लिया जाता है।

शिवकुमार के घर की खिड़कियां एवं वेंटिलेटर से हवा और रोशनी फिल्टर होकर आती है। घर के चारों ओर ग्रीन पर्दा लगवाया गया है। घर के बाहर पौधे, वृक्ष लगे हुए हैं, जिनसे फिल्टर होने के बाद ही ताजी यानि फ्रेश हवा घर में प्रवेश करती है। घर की छत पर सोलर लाइटिंग सिस्टम लगवाया गया है ताकि दिन में भी घर के अंदर लाइट जलाने की आवश्यकता न पड़े। लाइट और घर की कूलिंग का खर्च बचता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें