शनिवार, 8 अप्रैल 2017

नई स्टडी के मुताबिक अपने भोजन में बदलाव कर
निजात पाएं बढ़ती पानी की समस्या से


किसी ने सच ही कहा है कि ‘‘आज बचाएं जल, सुखी रहेगा कल।’’ जी हां हम बात कर रहे हैं दिनोंदिन बढ़ते जल संकट की। इसी कारण कहा भी जाता है कि तीसरा विश्वयुद्ध जल पर हो सकता है। हमारे देश में आज सबसे बड़ी समस्या पानी की कमी है और विशेषकर वो भी भूमि के नीचे उपस्थित जल की। अब एक नई स्टडी बताती है कि अगर हम अपने जीवन और खानपान ढंग में थोड़ा बहुत भी परिवर्तन ले आएं तो इस समस्या से छुटकारा
पाया जा सकता है। यह बदलाव कैसा हो चलिए जानते हैं।

लानसिट प्लैनेट्री हेल्थ में प्रकाशित एक नई स्टडी की माने इसके लिए हमें अपनी डायट में गेंहू की खपत कम करनी होगी। सब्जी और दालों को बढ़ाना होगा। अपनी प्रतिदिन खानपान आदतों में नॉनवेज को कम करके तरबूज, खरबूजा, संतरा और पपीता आदि अधिक से अधिक फल को शामिल करना होगा।

ऐसे खानपान परिवर्तन से हम एक बेहतरीन और स्वस्थ जीवन ही नहीं जीएंगे वरन् तीव्र गति से घटते भूजल स्तर को भी नियंत्रित कर पाएंगे। लंदन स्कूल ऑफ हाईजीन ऐंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के मार्गदर्शन में संपन्न हुए एक अनुसंधान में यह बात सामने आई है कि ऐसे खाद्य पदार्थ, जिनके उत्पादन में कम पानी की आवश्यकता होती है उनकी सहायता से भी हिंदुस्तान वर्ष 2050 तक 1.64 बिलियन लोगों को खाना खिलाने के साथ ही ग्रीनहाउस गैस के प्रभाव को भी कम कर सकता है।

यह स्टडी आगे बताती है कि औसतन हिंदुस्तानियों के भोजन में प्रतिदिन 51.5 ग्राम फल एवं 17.5 ग्राम सब्जी को सम्मिलित करने तथा नॉनवेज खाने में 6.8 ग्राम की कमी करके स्वच्छ जल यानि फ्रेश वॉटर के उपयोग को 30 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। हिंदुस्तान में भोज्य पदार्थों का उत्पादन पूर्णतः कृषि पर निर्भर है, जिसमें सिंचाई और भूजल की अत्याधिक जरूरत पड़ती है। इसीलिए कुछ भागों में भूजल स्तर बहुत ही तीव्रता से कम हो रहा है।

निरंतर बढ़ती जनसंख्या के मद्देनजर पृथ्वी के नीचे उपस्थित पानी का स्तर वर्ष 2050 तक पहुंचते-पहुंचते प्रतिव्यक्ति लगभग 30 प्रतिशत तक कम हो जाएगा। शोध के जांच परिणाम बताते हैं कि यदि डायट में सुझाएं गए बदलाव किए जाएं तो कम से कम भूजल स्तर यानि ग्राउंडवॉटर की आवश्यकता होगी। साथ ही ये डाइट प्लान हमारे स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी होगा।

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