शुक्रवार, 3 मार्च 2017

शहरों से गांव की ओर लौटते युवा
तीन लाख का व्यवसाय बना 30 लाख रुपए का


सरकार की मुहिम गांव में ही रोजगार पैदा करना और समृद्ध ग्राम जोर पड़ती दिख रही है। आज ग्रामीण युवा शहरों में आधुनिक शिक्षा तो ले रहे हैं लेकिन लौटकर वापिस अपने गांव को आगे बढ़ाने में भी योगदान दे रहे हैं। गांव की समस्याएं भी उनका रास्ता नहीं रोक पा रही हैं।
आज हम आपको उत्‍तराखंड की ऐसी ही युवा महिला दिव्‍या रावत से रूबरू करा रहे हैं जोकि मशरूम गर्ल के नाम से प्रसिद्ध है। दिव्या ने गांव के प्राकृतिक संसाधनों को उपयोग करके न केवल स्वयं आगे बढ़ी बल्कि दूसरों को भी आगे बढ़ाया। दिव्या ने मशरूम का व्यवसाय 3 लाख रुपए से शुरु किया। गत वर्ष उनकी कंपनी का टर्नओवर 30 लाख रुपए था, जोकि आगामी वित्त वर्ष में लगभग एक करोड़ रुपए का हो जाएगा। दिव्‍या रावत इस कंपनी की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं।

दिव्या ने एमिटी यूनिवर्सिटी (नोएडा) से बीएचडब्ल्यू में उच्च शिक्षा और इग्नू से सोशल वर्क में मास्टर डिग्री ली। इसके बाद शक्ति वाहिनी एनजीओ में कुछ दिनों तक नौकरी भी की। अपना व्यवसाय आरंभ करने से पहले डिपार्टमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर, देहरादून से एक सप्ताह का मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण भी लिया। दिव्‍या का कहना है कि पहले स्वयं सीखकर, करो फिर दूसरों को सिखाओे।

खेती में रुचि रखने वाली दिव्या ने मन की मानकर अच्छे-खासे वेतन को छोड़कर गांव में वापिसी की। शुरूआत में दिव्‍या ने खंडहर पड़े मकान के छोटे से कमरे में 100 बैग मशरूम से उत्पादन शुरू किया। इस फैसले से दिव्या के घर वाले भी आश्चर्यचकित थे। आज इनकी कंपनी का प्लांट अनेक मंजिलों वाले भवन में तब्दील हो चुका है। दिव्‍या की कंपनी मिनिस्‍टरी ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स को गत वित्त वर्ष में बैलेंस सीट फाइल कर चुकी है।
आज दिव्‍या दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी हुई है। जब किसान आलू 8 से 10 रुपए प्रति किलो की दर से बेंच रहे थे तब दिव्‍या से प्रेरणा लेकर यहां के अधिकांश किसान अब मशरूम का उत्‍पादन करके 150 से 200 रुपए प्रति किलो की दर पर बेंच रहे हैं। इसीलिए आज गांव से पलायन में कमी आई है। दिव्या ने 23 सितंबर, 2013 को सौम्य फूड प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी बनाई। फिर ‘सौम्‍य फूड’ ब्रांड का प्रोडक्‍शन शुरू किया। 30 हजार रुपए का निवेश करके कोई भी यह व्यवसाय शुरू कर सकता है। दिव्‍या की कंपनी इसमें मदद और प्रशिक्षण भी देती है। वर्ष में तीन प्रकार का मशरूम पैदा होता है। दिव्‍या गांव कंडारा (चमोली गढ़वाल) जाकर भी महिलाओं को मशरूम पैदा करने का प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वावलंबी बनाने का काम कर रही है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि दिव्या ने 35-40 डिग्री तापमान में भी मशरूम पैदाकर इस क्षेत्र में रोजगार की नई संभावनाओं को पैदा किया है। दिव्या रावत की माने तो युवाओं को रोजगार के लिए शहर में भटकने के स्थान पर स्वयं का व्यवसाय शुरू करना चाहिए।

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